Sanjay singh

Sanjay singh नमस्ते 🙏
आप सभी का Welcome मेरे Page में ❤️मेरा नाम Sanjay singh में देवभूमि उत्तराखण्ड टिहरी गढवाल से हूँ 🏔️

09/10/2025

मेहंदी से लिख गोरी हाथ पे मेरे तू मेरे बलमा का नाम💞❤️

02/10/2025

रावण दहन

किधर है विकास 😭आज भी उत्तराखण्ड में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ की ऐसी स्तिथि ऐसी है,😥ये है 21वीं सदी का उत्तराखंड जहां आज भ...
27/09/2025

किधर है विकास 😭
आज भी उत्तराखण्ड में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ की ऐसी स्तिथि ऐसी है,😥
ये है 21वीं सदी का उत्तराखंड
जहां आज भी डंडी-कंडी का सहारा है।
तस्वीर टिहरी गढ़वाल के पट्टी दोगी के नौडू गांव की है, जहां गांव की महिलाएं एक गर्भवती महिला को प्रसव के लिए डंडी से 10 किलोमीटर दूर सड़क ले जा रही और मजबूरन बीच रास्ते में ही प्रसव करना पड़ा।
उत्तराखंड स्थापना दिवस पर ऐसी तस्वीर देखकर
मन रोने का करता है 😥💔

 #इंसाफ नमस्कार प्रणाम आप सभी साथियों को में राजेश श्रीवान घनसाली हिंदाव से, कहते हुए बढ़ा दुःख हो रहा है कि हमारी बहन अ...
17/09/2025

#इंसाफ
नमस्कार प्रणाम आप सभी साथियों को में राजेश श्रीवान घनसाली हिंदाव से, कहते हुए बढ़ा दुःख हो रहा है कि हमारी बहन अनिशा रावत #पिलखीअस्पताल ओर वहां के कुछ डाक्टरों की लापरवाही से अब इस दुनिया में नहीं रही और हमेशा हमेशा के लिए हमें छोड़कर चली गई इस कठिन समय में भगवान परिवार को दुख सहने की शक्ति दे ओर बहन #अनिशा को अपने श्री चरणों में स्थान दे 😭
अगर बात की जाए तो हमारे घनसाली क्षेत्र में जितने भी ऊंचे अहोदे पे जो अधिकारी या जनप्रतिनिधि बैठे हैं उनमें ज्यादातर महिलाएं हैं जैसे टिहरी हों या #सोना सजवाण दीदी हों या दीदी #बसुमति घणाता हों ऐसा में क्यों कह रहा हूं क्योंकि ये महिलाएं हैं ओर कुछ भी कर सकती हैं
Acording to science प्रसव पीड़ा का जो दर्द होता है वो लगभग दो सौ हड्डियों के टूटने के बराबर होता है अगर इस पीड़ा को मातृशक्ति नहीं समझ सकती तो कौन समझेगा
महिला का दर्द एक महिला नहीं समझ सकती तो कौन समझेगा
अगर नर्सिंग स्टाफ की बात करें तो उनसे बेहतर पहले गांव में जो दाई मां होती थी उनका न कोई प्रशिक्षण होता था और न ही कुछ फिर भी वो जच्चा बच्चा सहित सुरक्षित प्रसव कराती थी
सवाल है कि क्या हमारे पहाड़ों में नौसिखिया डॉक्टर भेजे जाते हैं सिर्फ, की जिन्हें प्रशिक्षण जरूरत होती है जो पहाड़ के भोले भाले लोगों की जान लेके अपना तबादला करा देते हैं और जो कुशल डॉक्टर होते हैं उन्हें इधर भेजा नहीं जाता इस बात को #शासन #प्रशासन क्यों नहीं समझता आखि़र इसका जिम्मेदार कौन है कबतक लोग इन रेफर सेंटरों की वजह से अपनी जान देते रहेंगे
पहाड़ के लोग बहुत भोले भाले और नादान होते हैं
क्यों हमारे जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है
#इंसाफ बहन #अनिशा को इंसाफ चाहिए

उत्तराखंड के  #रुद्रप्रयाग जिले के सौड़ उमरेला गाँव के की बबीता रावत ने महज 19 साल की उम्र में पढ़ाई के साथ खेती, दूध बेच...
09/09/2025

उत्तराखंड के #रुद्रप्रयाग जिले के सौड़ उमरेला गाँव के की बबीता रावत ने महज 19 साल की उम्र में पढ़ाई के साथ खेती, दूध बेचने और #मशरूम उगाने की शुरुआत की। पिता की मदद के लिए एक एकड़ जमीन पर खेती करने से लेकर मशरूम की खेती में सफलता पाने तक, बबीता ने हर चुनौती का सामना किया। उन्होंने न सिर्फ अपने गांव में मशरूम के मिथक तोड़े, बल्कि 500 महिलाओं को इस खेती की ट्रेनिंग भी दी। जैविक खेती और पॉलीहाउस तकनीक से वह आज एक सफल किसान और उद्यमी बन चुकी हैं। बबीता रावत को वर्ष 2020 में #तीलू_रौतेली पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। सात भाई-बहनो में सबसे बड़ी बबीता के संघर्षों की कहानी उस समय से शुरू होती है जब वह मात्र 13 वर्ष की थी। बात 2009 की है, जब बबीता के पिता सुरेन्द्र सिंह रावत की तबीयत अचानक खराब हो गई। पिता का स्वास्थ्य खराब होने पर परिवार की सारी जिम्मेदारी बबीता पर आ गई। जिसे उसने बखूबी निभाया। 13 साल की उम्र में उसने हल पकड़ा और अब तक अपने पिता द्वारा निभाई जा रही सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। बबीता सुबह शाम खेती-बाड़ी करती और दिन में गांव से पांच किलोमीटर दूर राजकीय इंटर कॉलेज रूद्रप्रयाग में पढ़ने पैदल जाती

🌿 उत्तराखंड में मालू-सालू के पत्तों से स्वरोज़गार 🌿👉 जुई गाँव, रिखणीखाल, जिला पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) में लगी यूनिट👉 यह...
09/09/2025

🌿 उत्तराखंड में मालू-सालू के पत्तों से स्वरोज़गार 🌿

👉 जुई गाँव, रिखणीखाल, जिला पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) में लगी यूनिट
👉 यहाँ पर हम मालू-सालू के पत्तों से बने पत्तल व दोने उपलब्ध करा रहे हैं।
👉 आप चाहे स्वरोज़गार शुरू करना चाहते हों या पत्तल-दोने खरीदना – हम आपकी पूरी मदद करेंगे।
👉 आपका बना सामान हम ख़रीदेंगे और आपके रोजगार को स्थायी बनाने की जिम्मेदारी हमारी होगी।

✨ हमारा उद्देश्य
✅ ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोज़गार को बढ़ावा देना
✅ प्लास्टिक और थर्माकोल का विकल्प देना
✅ पर्यावरण व स्वास्थ्य की रक्षा करना
✅ पालतू जानवरों को सुरक्षित रखना

🔥 चलो, मालू-सालू रिवाज को रोज़गार बनाते हैं।
🔥 चलो, प्लास्टिक-थर्माकोल छोड़कर मालू-सालू अपनाते हैं।

भागो नहीं – जागो!
चलो कुछ नया करते हैं।
मालू-सालू के पत्तों से पर्यावरण भी बचेगा और स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहेगा।

📞 ऑर्डर और जानकारी के लिए संपर्क करें:
+91-9911022044

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Dubai
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