RADHA SOAMI JI

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29/08/2025

🙏 ゚ ☀️

https://youtu.be/-JxOdIiU4_U
29/08/2025

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🙏 Radha Soami Ji 🙏प्यारी साध संगत जी,आजकल पंजाब, हिमाचल, जम्मू और यहाँ तक कि डेरा ब्यास के आसपास भी बाढ़ की घटनाएँ देखने को मि...

https://youtu.be/7emqp63nMvY
29/08/2025

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🙏 Radha Soami Ji 🙏प्यारी साध संगत जी,आज हम सब देख रहे हैं कि किस तरह पंजाब, हिमाचल, जम्मू और यहाँ तक कि डेरा ब्यास क्षेत्र तक भ....

 # 🌹 संत कबीर साहिब की वाणी पर सत्संग संत कबीर साहिब 15वीं शताब्दी के वे महापुरुष हैं जिनकी वाणी आज भी इंसान को आत्मा के...
29/08/2025

# 🌹 संत कबीर साहिब की वाणी पर सत्संग

संत कबीर साहिब 15वीं शताब्दी के वे महापुरुष हैं जिनकी वाणी आज भी इंसान को आत्मा के स्तर पर झकझोर देती है। उनकी वाणी सरल है, लेकिन उसमें जीवन की गहरी सच्चाई छुपी है।
कबीर साहिब न तो केवल हिन्दुओं के थे, न मुसलमानों के — वे तो पूरे मानव जाति के गुरु थे।

उनकी बानी हमें सिखाती है कि –

* जीवन को सरल, सच्चा और दयालु बनाओ।
* दूसरों को नीचा दिखाकर खुद ऊँचा नहीं उठा जा सकता।
* नफरत और बैर से दुनिया जलती है, पर प्रेम और करुणा से यह ठंडी होती है।

आज हम कबीर साहिब के कुछ प्रमुख दोहों पर मनन करेंगे। हर दोहे को समझेंगे, जीवन की घटनाओं से जोड़ेंगे और फिर प्रश्नोत्तर द्वारा उसे और सरल बनाएँगे।

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# # 🌺*बुरे का भी भला करो**

**कबीर साहिब कहते हैं –**

> *"जो तो को काँटा बुवै, ताहि बोव तू फूल।
> तोहि फूल को फूल है, वा को है तिरसूल ॥"*

# # # 🌿 भावार्थ

कबीर साहिब कहते हैं कि अगर कोई तुम्हारे लिए कांटे बोता है, तो तुम उसके लिए फूल बोओ।
जो तुम्हें फूल देता है, उसे भी फूल मिले; पर जो तुम्हें कांटा देता है, उसके पास तो पहले से ही कांटे हैं।
अगर तुम भी कांटा बोओगे, तो बैर और नफरत बढ़ती जाएगी।

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# # # 🌍 जीवन से उदाहरण

मान लीजिए कि एक गाँव में दो पड़ोसी रहते हैं।
पहला पड़ोसी हमेशा झगड़ा करता है, गाली देता है, खेत की मेड़ बिगाड़ देता है।
दूसरा पड़ोसी शांत स्वभाव का है।

अब जब भी पहला पड़ोसी गाली देता, दूसरा मुस्कुराकर कहता – *“भाई, आप थके होंगे, आइए बैठिए, पानी पीजिए।”*
धीरे-धीरे पहले पड़ोसी को शर्म आने लगी। वह सोचने लगा – *“मैं इतना बुरा करता हूँ, लेकिन यह मुझे कभी बुरा जवाब नहीं देता।”*
एक दिन उसने हाथ जोड़कर कहा – *“भाई, माफ कर देना। मैं गलती पर था।”*

यही है कबीर का संदेश – बुराई का जवाब बुराई से नहीं, भलाई से दो।

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# # # 🙏 आध्यात्मिक संदेश

अगर कोई हमें गाली देता है और हम गाली वापस देते हैं, तो असल में हमने उसका गुस्सा अपने भीतर स्वीकार कर लिया।
पर अगर हम मुस्कुराकर शांत रहते हैं, तो उसका गुस्सा उसी को जलाता रहेगा।
भलाई का उत्तर भलाई से देना आसान है, पर भलाई का उत्तर बुराई से देना – यही संतों का रास्ता है।

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# # # ❓ प्रश्नोत्तर

**प्रश्न 1:**
किसी ने बाबा जी से पूछा – *“अगर कोई हमें बार-बार बुरा करता है, तो क्या हम चुप ही रहें? क्या यह कमजोरी नहीं है?”*

**उत्तर:**
बाबा जी ने कहा – “नहीं, यह कमजोरी नहीं है। चुप रहना सबसे बड़ी ताकत है। अगर तुम गुस्से में जवाब दोगे, तो वही स्तर पर उतर जाओगे। पर अगर तुम धैर्य रखते हो, तो धीरे-धीरे सामने वाले का गुस्सा खुद ही समाप्त हो जाता है।”

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**प्रश्न 2:**
किसी ने बाबा जी से पूछा – *“अगर हम किसी के साथ भलाई करें और वह फिर भी बदल न पाए, तो क्या?”*

**उत्तर:**
बाबा जी ने कहा – “बेटा, हमारा काम सामने वाले को बदलना नहीं है। हमारा काम है खुद को सही बनाए रखना। अगर सामने वाला न बदले, तो भी तुम्हारी आत्मा हल्की रहेगी, तुम्हारा हृदय पवित्र रहेगा।”

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**प्रश्न 3:**
किसी ने बाबा जी से पूछा – *“क्या बुरे इंसान के साथ अच्छा करना उसे और बढ़ावा नहीं देगा?”*

**उत्तर:**
बाबा जी ने कहा – “देखो, भलाई करने का मतलब यह नहीं कि तुम उसकी बुराई को बढ़ावा दो। इसका अर्थ यह है कि तुम अपने अंदर बैर मत पालो। समझदारी से दूरी भी रख सकते हो, लेकिन मन में नफरत नहीं रखनी चाहिए। यही कबीर साहिब का संदेश है।”

राधा स्वामी जी 🙏 🙏

🙏 ゚ ☀️

29/08/2025
29/08/2025

⚠�️ पंजाब-जम्मू-हिमाचल डूबे पानी में! डेरा तक असर

व्यास नदी का संकट और संगत की सेवा भावना – डेरा ब्यास से एक सच्ची घटनाभारत में जब-जब प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं, तब-तब मानव...
28/08/2025

व्यास नदी का संकट और संगत की सेवा भावना – डेरा ब्यास से एक सच्ची घटना

भारत में जब-जब प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं, तब-तब मानवता की असली तस्वीर सामने आती है। हाल ही में व्यास नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया और हालात बाढ़ जैसे बन गए। तेज़ बारिश और पहाड़ों में बादल फटने की वजह से नदी का बहाव इतना बढ़ गया कि डेरा ब्यास तक पानी घुसने का खतरा बन गया।

लेकिन संकट के इन पलों में जिस तरह से डेरा ब्यास और संगत ने एकजुट होकर सेवा का उदाहरण पेश किया, वह अपने आप में अद्वितीय है।

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# # WhatsApp संदेश जिसने सबको जगा दिया

25 अगस्त की रात अचानक एक WhatsApp संदेश फैलना शुरू हुआ। इसमें साफ लिखा था कि व्यास नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुँच चुका है और सभी सेवादार तुरंत डेरा पहुँचकर बांध को सुरक्षित करने में मदद करें।

संदेश के साथ स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि हर सेंटर से कम-से-कम 150–200 सेवादार तुरंत ब्यास भेजे जाएं। साथ ही यह भी बताया गया कि लगभग **डेढ़ से दो लाख रेत की बोरियों** की ज़रूरत पड़ेगी।

यह संदेश देखते ही पूरे पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के सेंटर्स हरकत में आ गए। रातभर फोन बजते रहे और सुबह तक हजारों सेवादार डेरा ब्यास की ओर रवाना हो गए।

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# # बांध की रक्षा – संगत का सामूहिक प्रयास

पिछले साल ही सेवादारों ने महीनों की मेहनत से व्यास नदी किनारे एक मजबूत बांध तैयार किया था। यह बांध पिछले वर्ष की भीषण बारिश में भी टिका रहा और ब्यास सुरक्षित रहा।

लेकिन इस बार हालात और गंभीर थे। लगातार बारिश और पहाड़ों से उतरते पानी ने बांध को खतरे में डाल दिया। मिट्टी के नीचे और ऊपर दोनों ओर पानी भर गया और अंदेशा था कि कहीं संतुलन न बिगड़ जाए।

ऐसे में तुरंत कार्रवाई की गई –

* डेढ़ लाख रेत की बोरियां मंगवाई गईं।
* सेवादार दिन-रात जुट गए।
* संगत ने अपने खर्चे पर बोरियां खरीदी और भेजना शुरू किया।

सबके मन में यही भावना थी – *“डेरा हमारा घर है, और घर की रक्षा करना हर सदस्य का कर्तव्य है।”*

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# # बाबा जी की दूरदृष्टि

इस घटना से कुछ दिन पहले, 20 अगस्त को बाबा जी विदेश रवाना होने से पहले सीधे बांध के निरीक्षण के लिए व्यास नदी के किनारे पहुँचे थे। उन्होंने बड़े ध्यान से पूरे इलाके को देखा और आवश्यक निर्देश दिए।

शायद उसी समय की उनकी दूरदृष्टि और रहमत आज काम आ रही है। संत केवल चेतावनी नहीं देते, बल्कि संकट का बोझ अदृश्य रूप से अपने ऊपर भी ले लेते हैं। इसी कारण कबीर साहब ने कहा था – *“अगर संत ना होते तो यह संसार कब का डूब चुका होता।”*

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# # संगत की अटूट सेवा भावना

संकट की घड़ी में संगत का जोश देखने लायक था। किसी ने सुबह 6 बजे खबर पाई, किसी को 7 बजे फोन आया – और सभी तुरंत हाज़िर हो गए।

सेवादारों ने रेत ढोई, बोरी उठाई, दीवारें मजबूत कीं। महिलाएँ भी पीछे नहीं रहीं। सबका यही विश्वास था – *“बाबा जी की मेहर से सब सुरक्षित रहेगा।”*

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# # भजन-सिमरन की शक्ति – एक प्रेरणादायक घटना

सिर्फ बांध की रक्षा ही नहीं, बल्कि संगत में भजन-सिमरन की महत्ता भी बार-बार देखने को मिलती है।

एक सच्ची घटना का ज़िक्र आता है – एक बहन मानसिक रूप से कमजोर थीं। लोग उन्हें अक्सर “पागल” कहकर अपमानित करते। लेकिन उन्होंने कभी सेवा छोड़ना नहीं सीखा।

शुरुआत में उन्हें नामदान देने से रोक दिया गया, पर लगातार आग्रह के बाद आखिरकार उन्हें भी नाम मिला। इसके बाद उन्होंने रोज़ाना नियम से भजन-सिमरन शुरू किया।

कुछ ही महीनों में उनका जीवन बदल गया। पहले जो हमेशा बड़बड़ाती रहती थीं, वे शांत हो गईं। उनकी सोच गहरी और स्थिर हो गई। आज वे कई सामान्य लोगों से भी अधिक समझदार और अनुभवी हो चुकी हैं।

यह घटना हमें सिखाती है कि **सच्ची श्रद्धा और भजन-सिमरन से असंभव भी संभव हो सकता है।**

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# # निष्कर्ष

व्यास नदी का यह संकट हमें दो बातें सिखाता है –

1. **सामूहिक सेवा की ताकत** – जब संगत एकजुट होकर काम करती है, तो किसी भी विपत्ति का सामना किया जा सकता है।
2. **सतगुरु की मेहर और मार्गदर्शन** – बाबा जी की दूरदृष्टि और रहमत हमेशा संगत को सुरक्षा और शक्ति प्रदान करती है।

आज पूरा डेरा ब्यास संगत एक स्वर में यही कह रही है –
*“जब तक गुरु की मेहर है, कोई संकट हमें डिगा नहीं सकता।”*

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👉 अगर आप भजन-सिमरन और सेवा की इन कहानियों को और सुनना चाहते हैं, तो जुड़े रहिए।

**राधा स्वामी जी।**

 # गणपति हमें क्या सिखाते हैं?जब-जब गणेश उत्सव आता है, घर-घर में गूँज उठता है –**“गणपति बप्पा मोरया!”**भगवान गणेश केवल प...
27/08/2025

# गणपति हमें क्या सिखाते हैं?

जब-जब गणेश उत्सव आता है, घर-घर में गूँज उठता है –
**“गणपति बप्पा मोरया!”**

भगवान गणेश केवल पूजन के देवता नहीं हैं, बल्कि वे जीवन के गहरे संदेश भी देते हैं। उनकी मूर्ति का हर अंग, हर प्रतीक और हर कथा हमारे लिए जीवन की सीख छुपाए हुए है। आइए जानते हैं कि **गणपति हमें क्या सिखाते हैं**।

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# # 1. बड़ा सिर – ज्ञान और विचारों की गहराई

गणपति का सिर हाथी का है, जो विशाल और गंभीर होता है। इसका संदेश है कि जीवन में हमेशा **बड़े विचार, गहरी समझ और व्यापक दृष्टिकोण** रखना चाहिए। हमें छोटी-छोटी बातों में उलझना नहीं चाहिए बल्कि हर परिस्थिति को धैर्य और विवेक से देखना चाहिए।

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# # 2. छोटी आँखें – एकाग्रता और ध्यान

गणपति की छोटी-सी आँखें हमें बताती हैं कि लक्ष्य पर ध्यान टिकाना जरूरी है। आधुनिक जीवन में जहां हमारा ध्यान बार-बार भटकता है, वहाँ गणपति हमें **फोकस और एकाग्रता** का महत्व सिखाते हैं।

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# # 3. बड़े कान – सुनना सीखें

गणपति के कान बड़े हैं। इसका अर्थ है कि इंसान को ज्यादा सुनना चाहिए और कम बोलना चाहिए। जीवन में सफलता और रिश्तों की मजबूती तभी आती है जब हम दूसरों की बात को धैर्य और सम्मान से सुनना सीखते हैं।

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# # 4. छोटा मुख – कम बोलने की कला

गणपति का मुख छोटा है, जो यह सिखाता है कि **कम बोलना और मधुर बोलना** इंसान का सबसे बड़ा गुण है। मधुर वाणी से हम किसी का दिल जीत सकते हैं जबकि कटु वचन रिश्तों को तोड़ देते हैं।

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# # 5. सूँड – लचीलापन और शक्ति

हाथी की सूँड बहुत लचीली भी है और बहुत शक्तिशाली भी। गणपति की सूँड हमें बताती है कि जीवन में हमें भी **लचीला स्वभाव और दृढ़ शक्ति** दोनों अपनानी चाहिए। समय आने पर नरमी दिखाएँ और आवश्यकता होने पर दृढ़ता।

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# # 6. बड़ा पेट – सहनशीलता और संतोष

गणपति का बड़ा पेट यह संदेश देता है कि इंसान को **हर अनुभव, हर परिस्थिति और हर बात को सहन करना सीखना चाहिए**। जीवन में संतोष और सहनशीलता ही असली शांति की कुंजी है।

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# # 7. एक दाँत – अपूर्णता में भी पूर्णता

गणपति का एक दाँत टूटा हुआ है, जिसे "एकदंत" कहा जाता है। यह हमें सिखाता है कि **जीवन कभी पूर्ण नहीं होता**। कुछ न कुछ कमी हर किसी के जीवन में रहती है। पर हमें उन अपूर्णताओं के बीच भी अपने जीवन को सुंदर और सफल बनाना है।

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# # 8. चूहा – इच्छाओं पर नियंत्रण

गणपति का वाहन चूहा है। चूहा हर चीज़ को कुतर देता है, जैसे हमारी इच्छाएँ हमें भीतर से खा सकती हैं। पर जब वही चूहा गणपति के चरणों में बैठा हो, तो यह सिखाता है कि **इच्छाओं को नियंत्रित करके साधना और भक्ति में लगाना चाहिए**।

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# # 9. प्रसाद – बाँटने की आदत

गणपति को मोदक प्रिय हैं। उनका प्रसाद हमेशा बाँटा जाता है। इससे संदेश मिलता है कि **खुशियाँ, ज्ञान और सफलता अकेले उपभोग के लिए नहीं बल्कि सबके साथ बाँटने के लिए होती हैं**।

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# # 10. गणपति का नाम – विघ्नहर्ता का आशीर्वाद

गणपति का नाम लेते ही मन में विश्वास पैदा होता है कि जीवन की हर बाधा दूर हो जाएगी। वे सिखाते हैं कि **आस्था और आत्मविश्वास से बड़ी से बड़ी समस्या छोटी हो जाती है**।

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# # आध्यात्मिक संदेश

गणपति हमें यह नहीं सिखाते कि केवल उनकी मूर्ति की पूजा करो, बल्कि उनका पूरा स्वरूप हमें जीवन जीने की कला सिखाता है।

* **ज्ञान रखो, पर विनम्र बनो।**
* **सुनो ज्यादा, बोलो कम।**
* **इच्छाओं पर नियंत्रण रखो।**
* **हर परिस्थिति को संतोष के साथ स्वीकार करो।**

जब हम इन मूल्यों को जीवन में उतार लेंगे तो न केवल भौतिक सफलता मिलेगी, बल्कि मन की शांति और आत्मिक संतोष भी मिलेगा।

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# # निष्कर्ष

गणपति हमें जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन देते हैं। उनका हर प्रतीक हमें याद दिलाता है कि जीवन में संतुलन, धैर्य, विवेक और आस्था जरूरी है।

इसलिए गणपति उत्सव केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर छिपी शक्ति को जगाने का अवसर है।

**गणपति बप्पा मोरया! मंगल मूर्ति मोरया!**

राधा स्वामी जी 🙏🙏

Radha Soami Ji 🙏🙏
27/08/2025

Radha Soami Ji 🙏🙏

बाबा जी की रहमत और संगत के अद्भुत अनुभवआध्यात्मिक जीवन की राह पर चलते हुए कई बार ऐसी घटनाएँ घट जाती हैं जो मनुष्य को भीत...
26/08/2025

बाबा जी की रहमत और संगत के अद्भुत अनुभव

आध्यात्मिक जीवन की राह पर चलते हुए कई बार ऐसी घटनाएँ घट जाती हैं जो मनुष्य को भीतर तक हिला देती हैं। ये घटनाएँ हमें यह एहसास कराती हैं कि सतगुरु केवल एक साधारण इंसान नहीं, बल्कि उस अदृश्य शक्ति का माध्यम हैं जो हमारे हर विचार, हर भाव और हर कमजोरी को भली-भांति जानती है।

हाल ही में डेरा ब्यास में कुछ ऐसा हुआ जिसने लाखों श्रद्धालुओं के मन को गहराई तक छू लिया।

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# # अगस्त का अनोखा सत्संग

साध संगत जानती है कि अगस्त का महीना अक्सर बाबा जी की यात्राओं का होता है। परंपरा रही है कि इस महीने वे प्रायः विदेश में रहते हैं और डेरे में सत्संग बहुत कम ही होता है। लेकिन इस बार 24 अगस्त का दिन संगत के लिए बेहद खास रहा।

विदेश से 51 दिनों बाद बाबा जी सीधे डेरा लौटे और अचानक ही सत्संग का कार्यक्रम घोषित कर दिया। यह अपने आप में एक असाधारण क्षण था क्योंकि वर्षों में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।

संगत की उमंग का आलम यह था कि अचानक लाखों की संख्या में श्रद्धालु व्यास पहुँच गए। अनुमान है कि केवल संगत की गिनती ही डेढ़ लाख के करीब थी, जबकि सेवादार अलग से थे। पंडाल से लेकर नदी के किनारे तक, चारों ओर सिर्फ श्रद्धा का सागर उमड़ पड़ा।

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# # बारिश और ब्यास का उफान

कल का मौसम भी मानो बाबा जी की मौज के साथ तालमेल बिठा रहा था। जैसे ही सत्संग प्रारंभ हुआ, तेज बारिश होने लगी। ब्यास नदी पहले से ही भरी हुई थी और पानी का स्तर काफी ऊपर पहुँच गया था। लोगों के दिलों में आशंका भी थी कि कहीं हालात बिगड़ न जाएँ। लेकिन मालिक की रहमत देखिए – सब कुछ सहज चलता रहा।

बरसात और भीड़ के बीच भी व्यवस्थाएँ इतनी सुचारू थीं कि संगत को भोजन, पार्किंग, कैंटीन और लंगर में किसी भी प्रकार की असुविधा का अनुभव नहीं हुआ। सेवादार हर विभाग में पूरी तत्परता के साथ डटे हुए थे।

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# # बाबा जी और हजूर जी का प्रस्थान

अगली सुबह, ठीक 7:45 बजे बाबा जी और हजूर जी डेरा से रवाना हुए। बाबा जी ने लंगर घर पहुँचकर सेवा में लगे सेवादारों पर कृपा दृष्टि डाली और संगत को दर्शन भी दिए। इसके बाद दोनों संत सत्संग पंडाल पहुँचे और कुछ समय वहाँ रहकर कोठी लौट आए। फिर मात्र पंद्रह मिनट बाद, दोनों एक साथ विमान से दिल्ली के लिए प्रस्थान कर गए।

दिल्ली एयरपोर्ट पहुँचने पर हजूर जी वहीं ठहरे जबकि बाबा जी आगे सिंगापुर के लिए रवाना हो गए। संगत में यह चर्चा अवश्य रही कि बाबा जी सिंगापुर में कितने समय के लिए रुकेंगे, परंतु यह स्पष्ट है कि उनका यह दौरा नियमित यात्राओं का ही हिस्सा है।

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# # गूंगे-बहरे दंपत्ति का चमत्कारिक अनुभव

सत्संग और यात्रा की चर्चा के साथ ही संगत में एक पुरानी घटना भी दोहराई गई जिसने हर किसी का दिल छू लिया। यह घटना मार्च 2010 के भंडारे की है।

एक पति-पत्नी, जो जन्म से ही गूंगे और बहरे थे, सत्संग में पहुँचे। सत्संग समाप्त होने के बाद जब वे कैंटीन में पहुँचे तो पत्नी ने इशारों से फ्रूटी और बिस्कुट माँगे। पति ने ठंडे मौसम का हवाला देकर मना कर दिया। उनकी यह मासूम नोकझोंक देखने वालों को भीतर तक भावुक कर गई।

सेवादार के मन में अचानक प्रश्न उठा – यह दोनों तो बोल और सुन नहीं सकते, तो फिर इन्हें कैसे पता चला कि बाबा जी ने सत्संग में क्या कहा?

पत्नी ने कागज पर उत्तर लिखकर दिया –
*"हम बाबा जी के होंठों को देखते हैं। उनके मुख की गति से हमें हर शब्द समझ में आ जाता है। हमने पूरा सत्संग ध्यान से सुना और समझा।"*

यह पढ़ते ही सेवादार की आँखों से आँसू बह निकले। मन में यह विचार आया कि हम जिनके पास सुनने और बोलने की क्षमता है, कितनी जल्दी ध्यान भटका लेते हैं। जबकि जिन्होंने ये शक्तियाँ खो दीं, वे इतनी श्रद्धा और एकाग्रता से सत्संग सुनते हैं कि हर शब्द आत्मा में उतर जाता है।

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# # दयाराम जी की अनोखी मुलाकात

एक और प्रेरणादायक साखी दिल्ली के दयाराम जी से जुड़ी है। वे बैंक में कैशियर थे और रोजाना लाखों रुपये सुरक्षित पहुँचाने की जिम्मेदारी निभाते थे।

एक दिन कैश लेकर जाते समय उन्होंने कनॉट प्लेस पर खड़ी एक गाड़ी देखी। उन्हें लगा यह तो बाबा जी की गाड़ी है। मन में उमंग जगी लेकिन साथ ही नौकरी का ख्याल भी आया। वे ड्राइवर और गार्ड से झूठ नहीं बोलना चाहते थे, पर दर्शन की प्यास इतनी प्रबल थी कि उन्होंने बहाना बनाकर गाड़ी रुकवाई।

बाबा जी के दर्शन की प्रतीक्षा करते हुए वे भीतर ही भीतर सोच रहे थे। तभी अचानक बाबा जी सामने से आए। वे दर्शन कर संतुष्ट होकर वापस लौटने लगे कि पीछे से बाबा जी की आवाज गूंजी –
*"भाई, अपने पैसे तो ले लो, जो मैंने तुमसे उधार लिए थे।"*

यह सुनते ही दयाराम जी फूट-फूट कर रोने लगे। यह स्पष्ट प्रमाण था कि सतगुरु हमारे हर विचार, हर गुप्त भावना और हर दुविधा को भली-भांति जानते हैं।

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# # आध्यात्मिक संदेश

इन घटनाओं से यही शिक्षा मिलती है कि सतगुरु केवल बाहरी रूप तक सीमित नहीं हैं। वे हमारे मन की गहराई में छुपे विचारों तक को पढ़ लेते हैं। उनका सान्निध्य हमें यह याद दिलाता है कि असली साधना भीतर का पर्दा हटाने में है – अहंकार, हट और बुरे विकारों को त्याग देने में है।

महापुरुष हमेशा समझाते हैं कि अगर सिर भी देना पड़े तो सौदा सस्ता है। इसका अर्थ अपनी गर्दन कटवाना नहीं बल्कि अपने ‘मैं’ को मिटाना है। जब तक भीतर का पर्दा नहीं उठेगा, तब तक मालिक की सच्ची पहचान संभव नहीं है।

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# # निष्कर्ष

बाबा जी की रहमत और संगत के अनुभव हमें यह सिखाते हैं कि हर क्षण मालिक की दया हमारे साथ है। कभी वह बारिश के बीच संगत की रक्षा करके प्रकट होती है, कभी गूंगे-बहरे दंपत्ति की श्रद्धा में, तो कभी दयाराम जी जैसे साधारण सेवक के विचारों को जानकर।

जीवन का सार यही है – श्रद्धा, एकाग्रता और समर्पण। जब मन शुद्ध होगा, तो हर जगह उसी मालिक का दर्शन होगा।

**राधा स्वामी जी

 # व्यास नदी का संकट और डेरा ब्यास की सेवा भावनाहाल ही में व्यास नदी का जलस्तर लगातार भारी बारिश और पहाड़ों में बादल फटन...
26/08/2025

# व्यास नदी का संकट और डेरा ब्यास की सेवा भावना

हाल ही में व्यास नदी का जलस्तर लगातार भारी बारिश और पहाड़ों में बादल फटने के कारण खतरनाक स्तर तक पहुँच गया। पानी का बहाव इतना तेज हुआ कि बाढ़ जैसी स्थिति बन गई और इलाके में अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया।

# # अचानक फैला संदेश और संगत की सजगता

25 अगस्त की रात अचानक एक अहम संदेश संगत में फैलने लगा। इसमें साफ चेतावनी दी गई थी कि व्यास नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है और तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो हालात गंभीर हो सकते हैं। इस संदेश में सभी सेंटर्स के सेवादारों और सेक्रेटरी से निवेदन किया गया कि वे तुरंत डेरा पहुँचकर सहयोग करें।

संदेश तेज़ी से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल तक फैल गया। अनुमान लगाया गया कि हालात संभालने के लिए डेढ़ से दो लाख रेत की बोरियों की आवश्यकता होगी।

# # सेवादारों का समर्पण

जैसे ही खबर फैली, संगत और सेवादार तुरंत सक्रिय हो गए। कई जगह से रेत की बोरियां खरीदी गईं और तुरंत ब्यास भेजी गईं। हर केंद्र से 150–200 सेवादार बुलाए गए और बड़ी संख्या में लोग रातभर लगातार काम में जुट गए।

सभी सेवादारों ने इसे अपना घर समझकर सेवा में हाथ बढ़ाया। उनके दिल में यही विश्वास था कि जब गुरु का आशीर्वाद है तो संकट टल जाएगा।

# # बांध की स्थिति और त्वरित कार्रवाई

पिछले वर्ष जो बांध सेवादारों की अथक मेहनत से तैयार किया गया था, वही अब बाढ़ से सुरक्षा की बड़ी दीवार बना हुआ है। हालांकि पानी का दबाव और लगातार बारिश के कारण कुछ जगहों पर खतरा पैदा हुआ, लेकिन तुरंत मरम्मत और मजबूती का काम शुरू कर दिया गया।

# # सतगुरु की दूरदृष्टि

सिर्फ कुछ दिन पहले ही बाबा जी ने विदेश जाने से पहले बांध का स्वयं निरीक्षण किया था। उन्होंने पूरे क्षेत्र को देखा और आवश्यक निर्देश दिए थे। यह उनकी सतर्कता और कृपा ही थी कि समय रहते सेवादार सजग हो पाए।

संत केवल मार्गदर्शन ही नहीं देते, बल्कि संकट को अपने ऊपर भी ले लेते हैं ताकि उनकी संगत सुरक्षित रहे। कबीर साहब भी यही कहते हैं कि अगर संत न होते तो यह संसार कब का डूब चुका होता।

# # भक्ति और सेवा का संदेश

इस आपदा के बीच हमें यह सीख मिलती है कि सेवा और भक्ति ही हमें सुरक्षित रखती है। जब संगत एकजुट होकर सेवा में लगती है तो हर संकट छोटा पड़ जाता है।

सतगुरु ने हमें नाम दान देकर अपना कर्तव्य निभाया है। अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम नियमित रूप से भजन-सिमरन करें और सेवा के हर अवसर पर आगे बढ़कर सहयोग करें।

# # निष्कर्ष

व्यास नदी का मौजूदा संकट हमें यह सिखाता है कि गुरु की रहमत और संगत की सेवा भावना मिलकर हर कठिनाई को आसान बना सकती है। परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी विकट क्यों न हों, अगर हम एकजुट होकर भक्ति और सेवा में लगें, तो सुरक्षा और शांति निश्चित है।

राधा स्वामी जी 🙏

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