14/07/2025
मोदी की रैली से पहले बंगाल बीजेपी में हलचल, क्या मचेगा दिलीप घोष की वापसी का बिगुल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 18 जुलाई (शुक्रवार) को पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में एक विशाल जनसभा को संबोधित करने जा रहे हैं। राज्य में अगले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह दौरा राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है। हालांकि, इस जनसभा से भी अधिक चर्चा का केंद्र बन गए हैं बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मेदिनीपुर के पूर्व सांसद दिलीप घोष।
बीते दिनों दिलीप घोष के दिल्ली दौरे और बीजेपी के केंद्रीय नेताओं से हुई मुलाकातों के बाद अटकलें लगाई जा रही थीं कि क्या वे दुर्गापुर की रैली में मोदी के साथ मंच साझा करेंगे या नहीं। उन्होंने दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री शिवप्रकाश समेत कई शीर्ष नेताओं से मुलाकात की थी, जिससे उनके सक्रिय राजनीति में एक बार फिर तेजी से लौटने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं।
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व दिलीप घोष के साथ खड़ा है और उन्हें पार्टी के सभी बड़े कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाने की सलाह दी गई है। यहां तक कि उनसे यह सवाल भी किया गया कि वे पहले प्रधानमंत्री या गृहमंत्री की रैलियों में क्यों शामिल नहीं हुए। इसी कड़ी में उन्हें दुर्गापुर की रैली में भी औपचारिक न्योता दिया गया है।
बीजेपी के नए बंगाल प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य से जब उत्तर बंगाल में पत्रकारों ने दिलीप घोष को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि "क्या दिलीप घोष किसी और पार्टी के नेता हैं? वे बीजेपी में थे, हैं और रहेंगे। पश्चिम बंगाल में कोई 'दिल्ली लाइन' या 'केरल लाइन' नहीं है। सिर्फ एक लाइन है—बीजेपी। हमारा लक्ष्य तृणमूल को हटाना है।"
शमिक भट्टाचार्य चाहते हैं कि दुर्गापुर की रैली में राज्य बीजेपी के सभी वरिष्ठ नेता एक मंच पर मौजूद रहें, जिससे संगठन में एकता का संदेश जाए। पार्टी के अंदर चर्चा है कि दिलीप घोष भी मंच पर दिखाई दे सकते हैं, हालांकि उनके करीबी अब तक इस पर चुप्पी साधे हुए हैं।
तृणमूल की 21 जुलाई की रैली से पहले बीजेपी का बड़ा शक्ति प्रदर्शन
गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस की 21 जुलाई की शहीद दिवस रैली से ठीक तीन दिन पहले प्रधानमंत्री की यह सभा हो रही है। ऐसे में यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि मोदी इस मंच से राज्य को क्या संदेश देते हैं, और क्या दिलीप घोष की मंच पर मौजूदगी से बीजेपी के अंदरूनी मतभेदों पर विराम लगता है या नहीं।
अगर दिलीप घोष रैली के मंच पर नजर आते हैं, तो यह न केवल उनके राजनीतिक पुनर्स्थापन का संकेत होगा, बल्कि पार्टी की आंतरिक एकता का भी सार्वजनिक प्रदर्शन बन जाएगा।