09/10/2025
रिपोर्ट: राधेश्याम मिश्र
Shravasti news: कल शुक्रवार को रखेंगी महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत , जाने विधि..
Shravasti:प्रतिवर्ष कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिनों द्वारा करवा चौथ का व्रत रखने की आदि काल से पुरानी परंपरा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष यह व्रत दस अक्टूबर शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन अपने पति की सलामती और दीर्घायु होने की कामना के साथ दिन भर निर्जला उपवास रख माता पार्वती सहित पूरे शिव परिवार की आराधना करती हैं। जगपति धाम देवी मंदिर की महंत कुमारी रीता गिरि बताती हैं कि इस व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है। चंद्रोदय के बाद ही रात्रि के समय व्रत तोड़ा जाता है। उन्होंने बताया कि व्रती पहले चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करती हैं। इसके बाद छलनी से चंद्रमा के साथ पति का चेहरा निहारती हैं।
कब है करवा चौथ?
महंत महाराज ने बताया कि इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि चतुर्थी तिथि का आगमन नौ अक्टूबर गुरुवार की रात 2.49 बजे हो रहा है, जो 10 अक्टूबर शुक्रवार की रात 12.24 बजे तक रहेगी। इस व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है। बताया कि 10 अक्टूबर की रात 7.58 बजे के बाद चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। महिलाएं इस दिन कठिन व्रत का पालन करती हैं और विधिवत पूजा-अर्चना कर पति की लंबी आयु, सौभाग्य व सलामती की कामना करती हैं।
छलनी से करती हैं चन्द्रमा और पति का दर्शन
उन्होंने बताया कि इस व्रत के अंत में महिलाएं चंद्रमा और अपने पति का प्रत्यक्ष दर्शन न कर छलनी से दर्शन करती हैं। आदिकाल से मान्यता है कि छलनी में हजारों छेद होते हैं, जिससे चांद के छेदों की संख्या जितने प्रतिबिंब दिखते हैं। अब छलनी से पति को देखती हैं तो उनकी आयु भी उतनी गुणा बढ़ जाती है। इस दिन शिव, भगवान गणेश और कार्तिकेय की भी पूजा होती है, लड़कीं प्रधानता चन्द्रमा की होती है। चंद्रमा को पुरुष रूपी ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है।
पहली बार माता पार्वती ने किया था करवा चौथ:
कुमारी रीता गिरि ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पहली बार माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए यह व्रत रखा था।माता सीता ने भी भगवान श्रीराम के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। तब से सुहागिनें अखण्ड सौभाग्य हेतु इस व्रत का पालन करती हैं।
करवा चौथ पूजन सामग्री:
महाराज कुमारी रीता गिरि ने बताया कि
करवा चौथ पूजन सामग्री में लकड़ी का आसान, देसी घी, पान, सींक, कलश, हल्दी, रोली, मौली, मिठाई, छन्नी, लोटे में भरने के लिए चावल, दान की सामग्री, अक्षत, चंदन, फल, पीली मिट्टी, फूल, मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन और करवा चौथ व्रत कथा किताब होना चाहिए। उन्होंने करवा चौथ की पूजन की विधि बताई है। उन्होंने बताया है कि
करवा चौथ पर सुबह सूर्योदय से पहले सरगी खा लें। इसमें कुछ फल और सूखे मेवे होते हैं। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। इसके बाद लाल कपड़ा बिछाकर देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित करें। उनके समक्ष एक दीपक जलाएं और चावल, रोली, करवे में जल, फल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें। फिर दोपहर के समय पूजा-पाठ के बाद करवा चौथ की कथा सुनें।