29/08/2025
#रामसेतु बांध के संबंध में #नासा की #शोध_रिपोर्ट
पुरातत्व विभाग द्वारा कई वर्षो के शोध के बाद 2008 मे यह सिद्ध हुआ,कि रामसेतू 18 लाख वर्ष पूर्व "tectonic plates" के घर्षण द्वारा उत्पन्न हुआ,जो समुद्र तल तक गड़ा हुआ है। जबकि मानव जाति के जन्मे हुए,अभी 1लाख वर्ष भी नही हुए,करोङो वर्षो पूर्व के डायनासौर्स (Dianasaurs) के अवशेष भी मिल गये, लेकिन वानर सेना ने बनाया,इसका कोई अवशेष अभी प्राप्त नहीं हुआ है। यह महत्वपूर्ण बात है, तो हिन्दू धर्मावलंबी कैसे रामसेतु बता रहे हैं। यह भारतीय लोगों को समझनें के लिए ऐसे सेतु कहां कहां है। यह समझाने का प्रयास किया जा रहा है। उदाहरण समझें?
इस प्रकार का एक सेतू जापान-कोरिया के बीच मे भी है,और इससे कई गुना बड़ा सेतु तुर्की द्वीप मे भी है।रामसेतु (Adams bridge) इससे अधिक पुराना होने के कारन आदम पुल भी कहाँ जाता है। राम सेतु (Adams bridge) पर नासा ने रिसर्च कर बताया गया है,कि यह पुल प्रकृति निर्मित है,मानव निर्मित नही है। यह समुद्र में पाये जाने वाले मूँगा (CORAL) में पाये जाने वाले केल्शियम कार्बोनेट के छोड़े जाने से निर्मित श्रंखला है। जिसकी लंबाई 30Km.है।
नासा ने इसके सैम्पल लेकर रेडियो कार्बन परिक्षण से बताया,कि यह सेतु 17.5 लाख वर्ष पुराना है। मूंगा (Coral) समुद्र के कम गहरे पानी में जमा होकर श्रंखला बनाते है। विश्व में मूँगा से निर्मित ऐसी 10 श्रृंखलाएँ है। इनमे से सबसे बड़ी ऑस्ट्रेलिया के समुद्र तट पर है। इसकी लंबाई रामसेतु से भी कई गुणा अधिक 2500 Km है।
विश्व की इन सभी दश मूँगा श्रंखलाओं को सेटेलाईट के द्वारा देखा जा चूका है। नासा के रिसर्च अनुसार रामसेतु जब 17.5 लाख वर्ष पुराना है,तो इसे राम निर्मित कैसे कहाँ जा सकता है। जबकि मानव ने खेती करना/कपडे पहनना 8000 हजार वर्ष ईसा पूर्व सीखा है।
मानव ने लोहा (Iron) की खोज 1500 ईसा पूर्व की है।मानव ने लिखना 1300 ईसा पूर्व सीखा है। फिर राम नाम लिखकर दुनियाँ के पहले पशु सिविल इंजनियर भालू नल-नील ने इसे कैसे बना डाला? यह समझने का बिषय है।
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध आज से लगभग 6000 वर्ष पूर्व हुआ,जबकि वेदव्यास ने महाभारत-गीता आज से 2300 वर्ष पूर्व लिखा,क्या घटना के 3700 वर्ष पश्चात उसका वर्णन स्वीकार्य है? यदि है, तो कैसे? चिंतन करो।
यदि उस युग मे कोई चेतन भगत, स्पाइडरमैन, सुपरमैन भी लिख देता,तो आज धार्मिक सत्य कथा मानी जाती,और उनके जन्म स्थान पर मंदिर बनाने का आहवान होता,और राजनीति होती। यह सारा पाखन्ड विदेशी बी कंपनी द्वारा यहाँ के लोगों का शोषण करने के उद्देश्य से किया गया। यह समझने का प्रयास करना चाहिए।
इसी सन्दर्भ मे "मनुस्मृति" जैसे धार्मिक विधान के प्रायोजित हिंदू ब्राह्मण धर्मग्रंथ के सत्य एवं पाखन्ड के तान्डव को एससी-एसटी पिछड़ी जातियों को समझना बहुत जरूरी है।नाशा ने शोध करके सत्य को उजागर किया है। धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ में आसाराम,योगी,चिन्मिय्नन्द,नारायण साई,पंडित/ बाबा संतों के कृत्यों से लोगों का धर्म से मोह्भंग होता जा रहा है। फिर अधिकांश लोग धार्मिक धर्मात्मा अश्लीलता,अय्याशी मे लगे हुए हैं। इन धर्मात्माओं ने जनता को धर्म मे उल्झा रखा है, जिसे समझने की जरुरत है।
धर्म का इस्तेमाल लोगों को गुमराह एवं लूटने का अच्छा साधन बन चुका हैं। धर्म एक व्यवसाय है,जिसे इंसानों ने बनाया है,धर्म ने इंसानों को नहीं वनाया, बल्कि इंसानों ने धर्म को बनाया है,धर्म शोषण एवं लोगों को लूटने के लिए बनाया गया है। धर्म से लोगों को गुमराह एवं शोषण के अड्डा धरमांता एवं मंदिर पूजारी बन चुकें है। यह एससी-एसटी और ओबीसी के लोगों को समझकर पाखंड अंधभक्ति से निकलना जरूरी है।
धर्म और राजनीति इन्हें बचाने में लगे हुए हैं। राम को सच साबित करने के लिए youtube,website,मीडिया पर दिन-रात फर्जी वीडिओ और सामग्री लोगों के सामने परोस कर झूठ को सच और सच को झूठ समझाने में लाखों लोग लगे हुए हैं।अब धीरे धीरे रहस्य से पर्दा उठने लगा है।तबसे, हमारे देश के कुछ नेता अनाशनाप बक रहे हैं,कोई कह रहा है, कि हमारे देश मे प्राचीन काल मे ही गणेश जैसे मानव की गर्दन काटकर उसमे हाथी का सिर प्रत्यरोपित करके कृत्रिम surgery को हिंदू धर्म अर्थात हिंदू ब्राह्मण धर्म ने अंजाम दिया,जिस पर शोध करके सत्य स्वीकार एवं समझने की जरूरत है।
यदि प्राचीन समय में हाथी की गर्दन काट कर इंसान के सिर लगाने में हमारे भगवान कामयाब हो गए थे, तो आज बह भगवान कोरोना में बचाने के क्यों नहीं आये और आज बैसी सर्जरी कोई नहीं हो रही है। क्या उस समय फोटो ग्राफर मैजूद थे,जिसने यह फोटो बनाती, यह फर्जी फ़ोटो,वीडियो मे खोखले पत्थर नुमा आकार को राम लिख कर बालटी मे तैरा कर अफ़वाह फैला रहा है।कि रामसेतू का पत्थर तैरता है।
विद्वानों और बिज्ञान ने शातिर लोगो के झूठ को उजागर कर दिया है।जब हम ने स्वयं जाकर देखा, बैसा कुछ भी नही था। . . . तो कोई कह रहा है, कि भारत में देवता लोगो ने प्राचीन युग मे ही ATOM BOMB विकसित कर लिया था। तो कोई कह रहा है,कि हमारे देश मे प्राचीन काल मे ही AIRPLANE, MISSILES, JET, विकसित कर लिया था। . . . .क्योकि यह राजनीतिज्ञ जानते हैं। कि अगर इस काल्प्निक धर्म की पोल खुल गई,अब जनता को मूर्ख बनाना बंद हो जाएगा,इनकी धर्म पर सिकने बाली रोज़ी रोटी बंद हो जायेगी। आज हमें ईमानदारी से समाज की सेवा करनी पड़ेगी। धर्म के अंधे भक्तों और कहानीकारों....ने रामसेतु जैसी प्रकृति निर्मित 10 श्रंखलाओं के बारे मे पता नही था,वरना वह 10 श्रंखलायें रामसेतु जैसी कुछ और बन जाती।
धर्म में राजनीति एवं राजनीति में धर्म मनुष्य का शोषण करता है,धर्म आस्था, पूजा, संस्कार पैदा करता, जिसके इस्तेमाल से मन बुद्धि का विकास किया जा सकता।धर्म से किसी प्रकार क्रांति एवं परिवर्तन नहीं लाया जा सकता, बल्कि लोगों का इस्तेमाल धर्म एवं धार्मिक लोग करते हैं। धर्म से इंसानियत इंसानों को एक दूसरे का दुश्मन बनाने के लिए प्रयोग किया जा सकता हैं। मनुष्यों का जीवन दुनिया की अमूल्य धरोहर एवं संरचना है,जिसे धर्म खत्म कर रहा हैं।धार्मिक व्यवस्था-सोच से इंसानों को ऊपर उठने की जरूरत है।डा0बी0आर0अंबेडकर ने इंसान इंसानियत की रक्षा का जो मार्ग बताया,वहीं मार्ग इंसानों के कल्याण मार्ग जिसे ओबीसी-एससी- एसटी,अल्पसंख्यकों को समझना चाहिए।
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