
13/06/2025
इस पौधे का उपयोग :- ट्यूमर, ल्यूकोडर्मा, अल्सर, बवासीर, कुष्ठ रोग, पेचिश, अस्थमा, तथा प्लीहा और यकृत संबंधी समस्याओं के लिए किया जाता है। इसका उपयोग घाव भरने, त्वचा संक्रमण और सूजन के लिए भी किया जाता है।
अन्य उपयोग:
इसका उपयोग एनाल्जेसिक, एंटी-माइक्रोबियल, एंटीऑक्सीडेंट और कीटनाशक के रूप में किया गया है। इस पौधे के लेटेक्स का उपयोग त्वचा रोगों और कुष्ठ रोग के इलाज के लिए भी किया जाता है।
सक्रिय यौगिक:
कैलोट्रोपिस गिगांटेया में विभिन्न प्रकार के यौगिक होते हैं, जिनमें एल्कलॉइड, टैनिन, रेजिन, फ्लेवोनोइड्स, टेरपेनोइड्स और कार्डियक ग्लाइकोसाइड्स शामिल हैं।
सावधानियां:
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कैलोट्रोपिस प्रजाति विषाक्त हो सकती है, और उनका लेटेक्स त्वचा और आंखों में जलन पैदा कर सकता है।
अतिरिक्त जानकारी:
यह पौधा शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगता है और आमतौर पर बंजर भूमि, सड़क के किनारे और नदी के किनारों पर पाया जाता है।
इस पौधे को कैलोट्रोपिस प्रोसेरा के नाम से भी जाना जाता है, तथा दोनों प्रजातियों का प्रयोग पारंपरिक चिकित्सा में एक दूसरे के स्थान पर किया जाता है। ,s Best photo
❤❤❤❤❤❤