15/08/2024
चमार (जाटव)का इतिहास जरूर पढ़े
भारत में इतिहासों को दबाया गया। सबसे बड़ा इतिहास चंवर वंश का है। लोग चमार चमार कहकर संबोधित करते हैं। लेकिन चमार शब्द नहीं है। इनका असली नाम चंवर वंश है। जो कि राजा चंवर सेन से लिया गया। यह चंवर शब्द कहां से प्राप्त हुआ यह थोलिंग मठ से जुड़ी कथा है। हिंदू धर्म में गाय को माता माना गया है वैसे तो हिंदू किसी नस्ल की गए हो उसको गाय माता का आदर देता है । लेकिन सबसे पवित्र जो गाय होती है जिसे सुरा , चवंरी में गाय कहा जाता है। यह चवंरी गाय हिंदू धर्म में सबसे पवित्र मानी जाती है इसी गाय का चंवर बनता था। यह चंवर छाता प्रकार होता था। इसीलिए राजा चंवर सेन ने इस चंवर नाम को पवित्र मानकर चंवर नाम रखा था कुछ मूर्ख चमार शब्द को चर्मकार से संबोधित कर रहे हैं।
जबकि उन्हें कुछ ज्ञान ही नहीं है। चमार एक सबसे पवित्र जाती है। जो सीना ठोंककर अपने हक के लिए लड़ती है।
आज के समय में भी अगर बिजनेस का कोई धंधा नया खोला जाता है तो लोग कहते हैं ।की चमार के हाथ से वोहनी होनी चाहिए। चमार के हाथ की वोहनी शुभ मानी जाती है चंवर सेन से चमार शब्द बना। चंवर शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई ।जानने की कोशिश करते हैं। थोलिंग मठ से जुड़ी कथा है। वैसे तो हिंदू धर्म में सभी गाय पूजनीय है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण पवित्र गाय चवंरी गाय हैं। इसे देवताओं की गाय बोला जाता है। पूरी कहानी विस्तार से नहीं बता सकता इसके लिए आपको खोजना पड़ेगा। एक बार देवताओं पर आपत्ति आई थी। तो सारी देवता इसी गए में समाहित हो गई थे। तभी से हिंदू धर्म में गाय को माता कहा जाता है। इसी गाय के पूंछ का चंवर बनाया जाता था। और उसे राजा की सिर पर लगाया जाता था। यह चंवर छाता टाइप होता था। इसीलिए राजा चंवर सेन अपना नाम और राजधानी चंवर नाम से विख्यात की थी।
उत्पल वंश भी चमारों का वंश है। हजारों साल कश्मीर पर शासन किया है।
अब बात आती है भारत के आजादी की 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले चमारों ने ही युद्ध छेड़ा था। उदैया चमार और बांके चमार हजारों अंग्रेजों को मौत की घाट उतार दिया।
यही नहीं उधम सिंह ने भी अंग्रेजों का गवर्नर था। माइकल जैक्सन मार गिराया था। यह ऐसी जाती है। कभी पीछे नहीं हटती है। अपने स्वाभिमान और सम्मान के लिए भी चमार जाति ने इतिहास बनाया है भीमा कोरेगांव की लड़ाई अकेले ही लड़ी है। इसी चमार वंश में डॉ भीमराव अंबेडकर जन्मे थे। जो भारत के संविधान में सहयोग दिया। इसी वंश में संत रविदास जन्मे और दुख मुसीबत सहने के बावजूद उन्होंने हिंदू धर्म का प्रचार किया और हिंदू धर्म को नहीं छोड़ा जब सिकंदर लोदी ने उनको कैद किया और चमड़े का काम करवाया था।जो उनके भक्त थे। उन्होंने देखा हमारे ही गुरु से गंदा काम करवाया जा रहा है। तो कुछ लोगों ने चमड़े का काम किया था। इसका मतलब यह नहीं है। की चर्म कार का काम करने से चमार नाम संबोधित हुआ। ऐसे तो देखा जाए। महात्मा गांधी को अंग्रेजों ने जबरदस्ती मटकी में अपनी गंदगी डलवाई थी। तो क्या वह बाल्मिक हो गए। इसीलिए तो कहते हैं भारत का इतिहास चमारों का इतिहास है। भूल कर भी मत सोचना कि यह लोग अछूत और नीच है।