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Words are said to be spiritual and every word is directly related to God, but no word of Ghazal Poetry can create effect until it is molded into a spiritual voice of a poet or singer.

प्रतिदिन गणपति अथर्वशीर्ष अपने घर पर ज़रूर सुने https://youtu.be/sZ-C1BlACT8?si=dvFSq8jOhLTZ2ONqगणपति अथर्वशीर्ष...​ इस व...
04/09/2025

प्रतिदिन गणपति अथर्वशीर्ष अपने घर पर ज़रूर सुने

https://youtu.be/sZ-C1BlACT8?si=dvFSq8jOhLTZ2ONq

गणपति अथर्वशीर्ष...​

इस वीडियो में गणेश अथर्वशीर्ष का 21 बार पाठ किया गया है। गणपति का अभिषेक और पूजा करते समय इक्कीस बार पवित्र स्तोत्र का पाठ करना दिव्य माना जाता है।
यह अनुशंसा की जाती है कि हर महीने संकष्टी चतुर्थी के शुभ दिन पर शाम को 21 बार गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ किया जाना चाहिए।
आप प्रतिदिन एक बार आराम से बैठकर गणपति अथर्वशीर्ष सुन सकते हैं और इसके लिए किसी विशेष पूजा-विधि की आवश्यकता नहीं है।
गणपति पर 21 बार अभिषेक करते समय यह वीडियो चलाया जा सकता है।

Ganapati Atharvashirsh... ​
This video recites Ganesh Atharvashirsha 21 times. While doing abhishesk and pooja/ worship of Ganapati, it is considered to be divine to recite the holy stotra twenty one times.
It is recommended that Ganapati Atharvashirsha should be recited 21 times, in the evening on the auspicious day of Sankashti Chaturthi, every month.
You can sit down comfortably and listen the Ganapati Atharvashirsha, once daily and there is no need to perform any special Puja-Vidhi.
This video can be played when performing abhishek on ganapati 21 times.

In Marathi (मराठीमध्ये)
गणपती अथर्वशीर्ष हे स्तोत्र गणपतीची पूजा करतेवेळी/ संकष्टीला/ दररोज गणेश स्मरण करताना म्हणावे किंवा ऐकावे।
गणपतीला अभ्यंग स्नान घालताना म्हणजेच अभिषेक करताना २१ वेळा गणपती अथर्वशीर्ष म्हटले जाते।
हा व्हिडिओ चालू ठेऊन गणपतीला एकवीसवेळा (२१ वेळा) अभिषेक घालता येऊ शकतो।

गणपति अथर्वशीर्ष...​ इस वीडियो में गणेश अथर्वशीर्ष का 21 बार पाठ किया गया है। गणपति का अभिषेक और पूजा करते समय इक्कीस ...

सीज़फायर के फ़ैसले पर क्यूँ घिरा भारत?भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर नाम का समझौता बड़े विवादों में घिर गया है। अस्ल में ...
12/05/2025

सीज़फायर के फ़ैसले पर क्यूँ घिरा भारत?

भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर नाम का समझौता बड़े विवादों में घिर गया है। अस्ल में यह कोई सीज़फायर है भी नहीं। इसे ज़ियादा से ज़ियादा 'वॉर ऑन होल्ड' कहा जा सकता है। 10 मई 2025 को शाम 5 बजे घोषित इस कथित सीज़फायर को पाकिस्तान ने ठीक साढ़े तीन घण्टे बाद ही तब तोड़ दिया, जब उसने भारत के राजौरी, पूँछ, जम्मू, श्रीनगर और अखनूर आदि इलाक़ौ में ड्रोन भेज दिए और गोलाबारी भी शुरू कर दी। पाकिस्तान के बारे में कहा जाता है कि उसकी फ़ितरत कुत्ते की दुम की-सी है, जो कितना भी प्रयास कर लो, टेढ़ी ही निकलती है। चार दिन तक भारत से बुरी तरह पिटने के बाद यह पाकिस्तान की हार थी, जिसे अमेरिका से गिड़गिड़ा कर वह सीज़फायर नाम देने में कामयाब हो गया। पाकिस्तान पिटकर भी बेशर्मी दिखा रहा है। उसने कभी किसी समझौते को माना ही नहीं। वह अभी भी नहीं मानेगा।1971 की लड़ाई के बाद भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति ज़ुल्फ़ेकार अली भुट्टो के मध्य LOC पर हुये शिमला समझौते को भी पाकिस्तान ने कभी नहीं माना। शिमला समझौते के तुरन्त बाद भुट्टो के पाकिस्तान पहुँचते ही उसने सीमा पर फायरिंग शुरू कर दी थी।
भारत ने शुरू में तो इस सीज़फायर को मान लिया, लेकिन कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने जब सरकार को घेरा तो वह पलट गयी। 11 मई की शाम भारत के विदेश मन्त्री और प्रधानमंत्री दोनों ने इस सीज़फायर को मानने से इनकार कर दिया। आज (12 मई) दोपहर 12 देशों के DGMO (डायरेक्टर जनरल ऑफ़ मिलिट्री ऑपरेशन) की बैठक इस कथित सीज़फायर को मूर्त रूप देने के लिये हो रही है। इसके पहले हमारे प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि भारत की पाकिस्तान से वार्ता करने में कोई रुचि नहीं है। अगर वार्ता होगी भी तो वह दोनों देशों के डगमो के स्तर पर होगी, जिसमें पाकिस्तान से पूछा जायेगा कि वह POK यानी पाक अधिकृत कश्मीर और भारत में वांछित पाक आतंकियों को कब भारत को सौंपने जा रहा है। पाकिस्तान भारत के इस नये दांव से घबरा गया है। जिस तरह सीज़फायर के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने ये साफ़ कहा कि पाकिस्तान इसलिए सीज़फायर के लिये राज़ी हुआ है क्यूंकि पाकिस्तान भारत जैसे बड़े दुश्मन से युद्ध लड़ने की स्थिति में नहीं है। न तो उसके पास इसकी तैयारी है और न ही संसाधन। ऐसे में वह देर-सबेर भारत की इन दो मांगों पर विचार करने पर अगर राज़ी भी हो जाये तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए।
जहाँ तक भारत ने कथित सीज़फायर को स्वीकारने पर हामी भरी, उसके पीछे कोई बड़ा और रहष्यमयी कारण हो सकता है, जिसे मोदी और सिर्फ़ मोदी ही जानते होंगे, क्यूँकि वह अपने मन की योजनाओं और गुप्त बातों को दूसरों से शेयर करने में यक़ीन नहीं करते। एक तो परमाणु युद्ध का ख़तरा बढ़ता जा रहा था, क्यूँकि पाकिस्तान के सारे विकल्प चुकते जा रहे थे। यही वजह है कि पाकिस्तान ने खीझ कर भारत की राजधानी दिल्ली को निशाना बनाकर एक पॉवरफुल मिसाइल फेकी, जिसे भारत ने बीच में ही इंटरसेप्ट करके गिरा दिया। वह हिसार में कहीं गिरी। दूसरे पाकिस्तानी परमाणु ठिकाने भी भारत के निशाने पर आ चुके थे। रावलपिंडी के जिस नूर खान एयर बेस को भारत ने अपनी ब्रह्मॉस मिसाइलों से तहस- नहस कर दिया, इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने वहाँ से सिर्फ़ तक़रीबन सौ किमी के ही फासले पर हैं। भारत ऐसा कर सकता है, ये बात पाकिस्तान और अमेरिका दोनों जानते हैं। इससे बड़ी तबाही हो सकती है। अमेरिका की अपनी मजबूरियां हैं। वह आज भी किसी न किसी स्तर पर पाकिस्तान के लिये सॉफ्ट कॉर्नर रखता है, यह कहने की बात नहीं है। फिर मोदी और ट्रम्प की केमिस्ट्री पर भी कोई सन्देह नहीं होना चाहिए। हालाँकि भारत ने अमेरिका की मध्यस्थता को कभी नहीं स्वीकारा। भारत तो अभी भी सीज़फायर को द्विपक्षीय बता रहा है। वह इसमें अमेरिका की भूमिका से इनकार कर रहा है, लेकिन जिस तरह सीज़फायर की घोषणा अमेरिका में ट्रम्प ने की और फिर भारत ने उस पर अपनी सहमति भी जता दी, इसके कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं, जो बेमानी भी नहीं हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर नाम का समझौता बड़े विवादों में घिर गया है। अस्ल में यह कोई सीज़फायर है भी नहीं। इसे ज़...

12/05/2025
The lower you fall, the higher you'll fly, just like us.• DIVYANKA & DEVANSH.
02/04/2025

The lower you fall, the higher you'll fly, just like us.

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टुकड़खोर लोगों को भले बागेश्वर सरकार'ईश्वर' लग रहे हों लेकिन हनुमत लला की आड़ और सनातनी चोले को ओढ़ने से कथित 'सरकार' समस्त...
19/01/2023

टुकड़खोर लोगों को भले बागेश्वर सरकार
'ईश्वर' लग रहे हों लेकिन हनुमत लला की आड़ और सनातनी चोले को ओढ़ने से कथित 'सरकार' समस्त हिन्दुओं के 'भगवान' नहीं हो सकते। न ही संघ या भाजपा इन्हें अधिक दिनों तक 'रिकॉनाइज्ड' कर पाएगी।
वैसे भी मोदी ज़ी ने राष्ट्रीय कार्यसमिति में कार्यकर्ताओं को पसमांदा और बोहरा मुस्लिमों के घर घर जाकर "........." का काम सौंप दिया है तो फिर समझ लो बागेश्वर धाम का भविष्य।

An outing to DUCK ~ DUCK MOOSE was planned for the students. This  playfulness time has filled the students with new ene...
01/10/2022

An outing to DUCK ~ DUCK MOOSE was planned for the students. This playfulness time has filled the students with new energy and sweet memories.🤩🥸

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