13/03/2025
ख़ुदा की बुलाई औरतें !
मरियम ने फ़रिश्ते की सदा सुनी,
ख़ुदा की बंदी बनकर झुकी।
बिन शौहर माँ बनने का बोझ उठाया,
ख़ुदा के हुक्म को दिल से निभाया।
दबोरा बनी क़ौम की रहनुमा,
अदालत में दी हिकमत की सदा।
दुश्मनों के ख़िलाफ़ लड़ी थी वो,
ख़ुदा के कामों में बढ़ी थी वो।
एस्तेर ने हिम्मत से क़दम बढ़ाया,
अपनी क़ौम के लिए सब कुछ गँवाया।
बादशाह के आगे जबरदस्त खड़ी रही, ख़ुदा की मदद से फ़तह को पाया।
हन्ना ने आँसूओं से दुआ की,
ख़ुदा से औलाद की इल्तिज़ा की।
सैमुएल को खुदा की राह पे दिया, उसके नाम को ऊँचा किया।
रूत ने वफ़ादारी की मिसाल छोड़ी,
अपने ससुराल की डोरी न तोड़ी।
ख़ुदा ने उसे इज़्ज़त से नवाज़ा,
मसीह की नस्ल में उसे समाया।
मरियम मगदलीनी को सबसे पहले,
मसीह का ज़िंदा होना दिखाया ।
जिसे दुनिया ने गुनाहगार समझा,
ख़ुदा ने अपनी शहादत का हिस्सा बनाया।
फीबे बनी खिदमतगार,
पौलुस ने भी किया इज़हार।
प्रिस्किल्ला ने कलाम सिखाया,
अपोलोस को हक़ का रास्ता बताया।
हर औरत ख़ुदा की बरकत है,
जो उसे माने, उसकी रहमत है।
बुलाहट उसकी बेमिसाल है,
जो सुने, उसकी मंज़िल ख़ास है।
अब जब तूने मुझे बुलाया,
"ख़ुदावन्द, भेज मुझे!" ये मेरे लबों पे आया।