21/08/2025
भगवद् गीता का पहला श्लोक धृतराष्ट्र द्वारा बोला गया है। आइए पहले श्लोक, उसका भावार्थ और फिर एक सुंदर चित्र प्रस्तुत करते हैं।
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📖 श्लोक (अध्याय 1, श्लोक 1)
धृतराष्ट्र उवाच —
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय ॥१॥
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🕉 हिंदी भावार्थ
धृतराष्ट्र ने पूछा — हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे पुत्र और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया?
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✨ सरल व्याख्या
इस श्लोक में महाभारत युद्ध की भूमिका शुरू होती है।
अंधे राजा धृतराष्ट्र को युद्धभूमि का दृश्य देख पाने की क्षमता नहीं थी, इसलिए वे संजय से प्रश्न करते हैं।
कुरुक्षेत्र को "धर्मक्षेत्र" कहा गया है, क्योंकि यह तप और धर्म की भूमि रही है।
धृतराष्ट्र के मन में यह संशय था कि कहीं धर्मभूमि के प्रभाव से उसके पुत्र (कौरव) पीछे न हट जाएँ।
इसी कारण वे संजय से पूछते हैं — युद्ध के लिए एकत्र हुए दोनों पक्षों ने वहाँ क्या किया?
यह श्लोक हमें यह भी सिखाता है कि लोभ और आसक्ति मनुष्य की दृष्टि को संकीर्ण कर देती है। धृतराष्ट्र ने "मेरे पुत्र" और "पाण्डु के पुत्र" कहा, लेकिन न्याय और धर्म का विचार नहीं किया।