Old knowledge of veda purana

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ऋग्वेद श्लोक 5 (मण्डल 1, सूक्त 1, ऋचा 5)संस्कृत श्लोक:अग्ने यं यज्ञमध्वरं विश्वतः परिभूरसि ।   स इद्देवेषु गच्छति ॥हिंदी...
12/09/2025

ऋग्वेद श्लोक 5 (मण्डल 1, सूक्त 1, ऋचा 5)

संस्कृत श्लोक:
अग्ने यं यज्ञमध्वरं विश्वतः परिभूरसि । स इद्देवेषु गच्छति ॥

हिंदी अनुवाद:
हे अग्निदेव! जिस यज्ञ की आप चारों ओर से रक्षा और परिपूर्णता करते हैं,
वह यज्ञ देवताओं तक पहुँच जाता है और सफल होता है।


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02/09/2025

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ऋग्वेद श्लोक 4 (मण्डल 1, सूक्त 1, ऋचा 4)संस्कृत श्लोक:अग्नया स्विष्टकृते हव्या दत्तं वर्धमानम् ।   अग्ने यज्ञं उप स्थिहि...
01/09/2025

ऋग्वेद श्लोक 4 (मण्डल 1, सूक्त 1, ऋचा 4)

संस्कृत श्लोक:
अग्नया स्विष्टकृते हव्या दत्तं वर्धमानम् । अग्ने यज्ञं उप स्थिहि ॥

हिंदी अनुवाद:

हे अग्निदेव! आप सबके कल्याणकारी और श्रेष्ठ कर्मों के प्रेरक हैं।
हमारे द्वारा अर्पित किए गए हवन को स्वीकार करें और इस यज्ञ को सफल बनाएं।
आपकी उपस्थिति से यज्ञ उन्नति और कल्याणकारी होता है।

ऋग्वेद श्लोक 3 संस्कृत श्लोकअग्निना रयिमश्नवत् पोषमेव दिवे-दिवे।  यशसं वीरवत्तमम्।।🌼 हिंदी अनुवादअग्नि (हे अग्निदेव)! हम...
29/08/2025

ऋग्वेद श्लोक 3

संस्कृत श्लोक

अग्निना रयिमश्नवत् पोषमेव दिवे-दिवे।
यशसं वीरवत्तमम्।।

🌼 हिंदी अनुवाद

अग्नि (हे अग्निदेव)! हम प्रतिदिन तुम्हारे द्वारा अन्न, धन और पुष्टिकारक वस्तुएँ प्राप्त करें।
तुम हमें यशस्वी और वीर पुरुषों से सम्पन्न करो।

🕉️ व्याख्या

यह मंत्र अग्निदेव की स्तुति करता है। वैदिक काल में अग्नि को देवताओं और मनुष्यों के बीच सेतु माना गया है।

इस श्लोक में ऋषि प्रार्थना कर रहे हैं कि अग्निदेव हमें धन, अन्न और समृद्धि प्रदान करें।

साथ ही हमें यश, सम्मान और पराक्रमी संतान मिले।

यह मंत्र सिखाता है कि जीवन में परिश्रम और ऊर्जा (अग्नि का प्रतीक) के बिना समृद्धि संभव नहीं।

अग्नि यहाँ प्रेरणा, शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।

24/08/2025
भगवद् गीता का पहला श्लोक धृतराष्ट्र द्वारा बोला गया है। आइए पहले श्लोक, उसका भावार्थ और फिर एक सुंदर चित्र प्रस्तुत करते...
21/08/2025

भगवद् गीता का पहला श्लोक धृतराष्ट्र द्वारा बोला गया है। आइए पहले श्लोक, उसका भावार्थ और फिर एक सुंदर चित्र प्रस्तुत करते हैं।

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📖 श्लोक (अध्याय 1, श्लोक 1)

धृतराष्ट्र उवाच —
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय ॥१॥

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🕉 हिंदी भावार्थ

धृतराष्ट्र ने पूछा — हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे पुत्र और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया?

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✨ सरल व्याख्या

इस श्लोक में महाभारत युद्ध की भूमिका शुरू होती है।

अंधे राजा धृतराष्ट्र को युद्धभूमि का दृश्य देख पाने की क्षमता नहीं थी, इसलिए वे संजय से प्रश्न करते हैं।

कुरुक्षेत्र को "धर्मक्षेत्र" कहा गया है, क्योंकि यह तप और धर्म की भूमि रही है।

धृतराष्ट्र के मन में यह संशय था कि कहीं धर्मभूमि के प्रभाव से उसके पुत्र (कौरव) पीछे न हट जाएँ।

इसी कारण वे संजय से पूछते हैं — युद्ध के लिए एकत्र हुए दोनों पक्षों ने वहाँ क्या किया?

यह श्लोक हमें यह भी सिखाता है कि लोभ और आसक्ति मनुष्य की दृष्टि को संकीर्ण कर देती है। धृतराष्ट्र ने "मेरे पुत्र" और "पाण्डु के पुत्र" कहा, लेकिन न्याय और धर्म का विचार नहीं किया।

13/08/2025

ऋग्वेद श्लोक 2
अग्निः पूर्वेभिरृषिभिरुत तस्य विश्वा अहयन्तु धर्मा ।
अग्निहोत्रं शुभमचोदयत ॥

अर्थात
अग्नि, जो प्राचीन ऋषियों द्वारा पूजा जाता रहा है, उसके लिए सभी धर्म समर्पित हों। अग्निहोत्र (यज्ञ) शुभ और फलदायक हो।

12/08/2025

ऋग्वेद श्लोक 1
ॐ अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवम् ऋत्विजम् ।
होतारं रत्नधातमम् ॥

अर्थ:
मैं अग्निदेव की स्तुति करता हूँ, जो यज्ञ का पुरोहित है, देवताओं का ऋत्विज और श्रेष्ठ रत्न देने वाला है।

03/05/2023

Jay Hanuman Dada 🙏❤️

02/05/2023

Ved puran katha 🙏❤️

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