08/10/2025
शादी के दो महीने बाद बेटी पहली बार मायके आई थी। वह अपने मम्मी-पापा से मिलने आई थी, क्योंकि अगले दिन उसे अपने पति के साथ चेन्नई जाना था। शादी के बाद यह पहला मौका था जब वह ससुराल से बाहर आई थी। उसका पति, जो चेन्नई में नौकरी करता था, उसे लेने आया था। मम्मी-पापा ने बेटी और दामाद का गर्मजोशी से स्वागत किया। पापा बाजार से तरह-तरह की मिठाइयां और पकवान लेकर आए, और मम्मी ने घर में खासतौर पर अच्छे-अच्छे व्यंजन बनाए।🪻🪻
मम्मी ने बेटी के लिए अलग से कटहल की सब्जी बनाई थी, जिसे उन्होंने ढेर सारे लहसुन-प्याज के साथ तैयार किया था। उन्हें पता था कि दामाद जी के घर में लहसुन-प्याज नहीं खाया जाता, इसलिए दामाद को यह सब्जी परोसी नहीं जाएगी। जब बेटी के सामने कटहल की कटोरी आई, तो उसने उसे किनारे कर दिया और कहा, "मम्मी, इनके घर में लहसुन-प्याज चलता नहीं, तो अब मैं भी खाकर क्या करूंगी? धीरे-धीरे लहसुन-प्याज खुद ही छूट जाएगा। अब दोबारा इसका स्वाद चखाकर मेरे मुंह में लालच मत डालो।"
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यह सुनकर मां की आँखों में आँसू आ गए। जिस कटहल को खाने के लिए बेटी बचपन में मचल उठती थी, उसी कटहल की कटोरी को उसने आज बिना खाए किनारे कर दिया। जो लड़की बिना लहसुन-प्याज की सब्जी के खाना नहीं खा पाती थी, आज वही लहसुन-प्याज छोड़ने की बात कर रही थी। मां के दिल में एक टीस उठी, लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थी। समाज की यही रीति है कि बेटियों को हर माहौल के साथ तालमेल बिठाना पड़ता है।
बेटी ने मां को एक तरफ ले जाकर समझाया, "मां, बुरा मत मानना। अगर मैं कटहल की सब्जी खा लेती और ये अपनी मम्मी से जिक्र कर देते, तो सासू मां नाराज हो जातीं। इससे फालतू में विवाद खड़ा हो जाता, जिसमें आप लोगों को भी खींच लिया जाता। मैं ऐसा कुछ नहीं चाहती।" मां बेटी की समझदारी देखकर खुश थी, लेकिन मन ही मन उसकी तकलीफ को महसूस कर रही थी।
जाते-जाते बेटी ने कहा, "मां, आपका बनाया मिर्ची का अचार बहुत अच्छा लगता है। प्लीज, थोड़ा सा दे दो। चेन्नई लेकर जाऊंगी, कभी-कभी खाने का मन करता है।" मां जानती थी कि जब बेटी का मन सब्जी खाने का नहीं करेगा, तो वह मिर्ची के अचार से ही खाना खा लेगी। लेकिन मां मजबूर थी। उसने दुखी मन से कहा, "बेटी, मायके से अचार नहीं दिया जाता। लेकिन परेशान मत हो, मैं तुझे उसकी रेसिपी फोन पर बता दूंगी। तू खुद बना लेना, बिल्कुल वैसा ही स्वाद आएगा।"
बेटी मां की मजबूरी समझ गई और बोली, "हां मां, आप बता देना, मैं बना लूंगी।" इस बीच दामाद जी बाहर से आवाज लगा रहे थे, "जल्दी चलो, देर हो रही है। मम्मी ने दो घंटे का कहा था, अब तीन घंटे हो गए हैं।" बेटी ने मां को गले लगाय credit for unknown