23/09/2025
कभी वो लड़का मुंबई की सड़कों पर पानी के कैन बेचा करता था। होटल के रिसेप्शन पर काम करता, चाय पाउडर की बिक्री करता — जो भी हाथ में आया, बस ज़िंदगी चलती रहे और सपना ज़िंदा रहे।
ऋषभ शेट्टी के पास न कोई गॉडफादर था, न ही कोई बैकअप प्लान। लेकिन एक चीज़ थी — कहानियां सुनाने का जूनून, जो किसी भी मुश्किल से बड़ा था।
फिर वो दिन आया जब 'कांतारा' सिनेमाघरों में गूंज उठी। न कोई बड़ा सितारा, न कोई भारी प्रचार। लेकिन फिल्म ने 332 करोड़ की कमाई की और भारतीय सिनेमा को अंदर से झकझोर दिया।
कांतारा सिर्फ एक फिल्म नहीं थी — ये उन लाखों सपनों की आवाज़ थी जो मेहनत के रास्ते चलते हैं, शॉर्टकट नहीं ढूंढते। ये हर उस इंसान की कहानी थी जो छोटी शुरुआत से बड़ा सपना देखता है।
आज ऋषभ शेट्टी एक नाम है, लेकिन पीछे जो सफर है — वो हर सपने देखने वाले को उम्मीद देता है।
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