Sandeep Gupta

Sandeep Gupta अगर जीवन में सफलता प्राप्त करनी है ,
तो मेहनत पर विश्वास करें ,
किश्मत की आजमाइश तो जुए में होती है ॥

11/06/2023

Virar Tour Today

 #केदारनाथ_मंदिर  -:  केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया था इसके बारे में बहुत कुछ कहा जाता है। पांडवों से लेकर आदि ...
31/05/2023

#केदारनाथ_मंदिर -: केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया था इसके बारे में बहुत कुछ कहा जाता है। पांडवों से लेकर आदि शंकराचार्य तक। आज का विज्ञान बताता है कि केदारनाथ मंदिर शायद 8वीं शताब्दी में बना था। यदि आप ना भी कहते हैं, तो भी यह मंदिर कम से कम 1200 वर्षों से अस्तित्व में है। केदारनाथ की भूमि 21वीं सदी में भी बहुत प्रतिकूल है। एक तरफ 22,000 फीट ऊंची केदारनाथ पहाड़ी, दूसरी तरफ 21,600 फीट ऊंची कराचकुंड और तीसरी तरफ 22,700 फीट ऊंचा भरतकुंड है। इन तीन पर्वतों से होकर बहने वाली पांच नदियां हैं मंदाकिनी, मधुगंगा, चिरगंगा, सरस्वती और स्वरंदरी। इनमें से कुछ इस पुराण में लिखे गए हैं। यह क्षेत्र " मंदाकिनी नदी " का एकमात्र जलसंग्रहण क्षेत्र है। यह मंदिर एक कलाकृति है I कितना बड़ा असम्भव कार्य रहा होगा ऐसी जगह पर कलाकृति जैसा मन्दिर बनाना जहां ठंड के दिन भारी मात्रा में बर्फ हो और बरसात के मौसम में बहुत तेज गति से पानी बहता हो। आज भी आप गाड़ी से उस स्थान तक नही जा सकते I फिर इस मन्दिर को ऐसी जगह क्यों बनाया गया? ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में 1200 साल से भी पहले ऐसा अप्रतिम मंदिर कैसे बन सकता है ? 1200 साल बाद, भी जहां उस क्षेत्र में सब कुछ हेलिकॉप्टर से ले जाया जाता है I JCB के बिना आज भी वहां एक भी ढांचा खड़ा नहीं होता है। यह मंदिर वहीं खड़ा है और न सिर्फ खड़ा है, बल्कि बहुत मजबूत है। हम सभी को कम से कम एक बार यह सोचना चाहिए। वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि यदि मंदिर 10वीं शताब्दी में पृथ्वी पर होता, तो यह "हिम युग" की एक छोटी अवधि में होता। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी, देहरादून ने केदारनाथ मंदिर की चट्टानों पर लिग्नोमैटिक डेटिंग का परीक्षण किया। यह "पत्थरों के जीवन" की पहचान करने के लिए किया जाता है। परीक्षण से पता चला कि मंदिर 14वीं सदी से लेकर 17वीं सदी के मध्य तक पूरी तरह से बर्फ में दब गया था। हालांकि, मंदिर के निर्माण में कोई नुकसान नहीं हुआ।
2013 में केदारनाथ में आई विनाशकारी बाढ़ को सभी ने देखा होगा। इस दौरान औसत से 375% अधिक बारिश हुई थी। आगामी बाढ़ में "5748 लोग" (सरकारी आंकड़े) मारे गए और 4200 गांवों को नुकसान पहुंचा। भारतीय वायुसेना ने 1 लाख 10 हजार से ज्यादा लोगों को एयरलिफ्ट किया। सब कुछ ले जाया गया। लेकिन इतनी भीषण बाढ़ में भी केदारनाथ मंदिर का पूरा ढांचा जरा भी प्रभावित नहीं हुआ।
भारतीय पुरातत्व सोसायटी के मुताबिक, बाढ़ के बाद भी मंदिर के पूरे ढांचे के ऑडिट में 99 फीसदी मंदिर पूरी तरह सुरक्षित है I 2013 की बाढ़ और इसकी वर्तमान स्थिति के दौरान निर्माण को कितना नुकसान हुआ था, इसका अध्ययन करने के लिए "आईआईटी मद्रास" ने मंदिर पर "एनडीटी परीक्षण" किया। साथ ही कहा कि मंदिर पूरी तरह से सुरक्षित और मजबूत है।
यदि मंदिर दो अलग-अलग संस्थानों द्वारा आयोजित एक बहुत ही "वैज्ञानिक और वैज्ञानिक परीक्षण" में उत्तीर्ण नहीं होता है, तो आज के समीक्षक आपको सबसे अच्छा क्या कहता ? मंदिर के अक्षुण खड़े रहने के पीछे : जिस दिशा में इस मंदिर का निर्माण किया गया है व जिस स्थान का चयन किया गया है I ये ही प्रमुख कारण हैं I दूसरी बात यह है कि इसमें इस्तेमाल किया गया पत्थर बहुत सख्त और टिकाऊ होता है। खास बात यह है कि इस मंदिर के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया गया पत्थर वहां उपलब्ध नहीं है, तो जरा सोचिए कि उस पत्थर को वहां कैसे ले जाया जा सकता था। उस समय इतने बड़े पत्थर को ढोने के लिए इतने उपकरण भी उपलब्ध नहीं थे। इस पत्थर की विशेषता यह है कि 400 साल तक बर्फ के नीचे रहने के बाद भी इसके "गुणों" में कोई अंतर नहीं है। आज विज्ञान कहता है कि मंदिर के निर्माण में जिस पत्थर और संरचना का इस्तेमाल किया गया है, तथा जिस दिशा में बना है उसी की वजह से यह मंदिर इस बाढ़ में बच पाया।
केदारनाथ मंदिर "उत्तर-दक्षिण" के रूप में बनाया गया है। जबकि भारत में लगभग सभी मंदिर "पूर्व-पश्चिम" हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि मंदिर "पूर्व-पश्चिम" होता तो पहले ही नष्ट हो चुका होता। या कम से कम 2013 की बाढ़ में तबाह हो जाता। लेकिन इस दिशा की वजह से केदारनाथ मंदिर बच गया है। इसलिए, मंदिर ने प्रकृति के चक्र में ही अपनी ताकत बनाए रखी है। मंदिर के इन मजबूत पत्थरों को बिना किसी सीमेंट के "एशलर" तरीके से एक साथ चिपका दिया गया है। इसलिए पत्थर के जोड़ पर तापमान परिवर्तन के किसी भी प्रभाव के बिना मंदिर की ताकत अभेद्य है। टाइटैनिक के डूबने के बाद, पश्चिमी लोगों ने महसूस किया कि कैसे "एनडीटी परीक्षण" और "तापमान" ज्वार को मोड़ सकते हैं।
लेकिन भारतीय लोगों ने यह सोचा और यह 1200 साल पहले परीक्षण किया I क्या केदारनाथ उन्नत भारतीय वास्तु कला का ज्वलंत उदाहरण नहीं है ?
हर हर महादेव

हिन्दू नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ॥
22/03/2023

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07/03/2023

जीवन की सच्चाई ॥

हर हर महादेव 🙏🙏🙏🙏
06/03/2023

हर हर महादेव 🙏🙏🙏🙏

जय श्री राम ॥
20/02/2023

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08/02/2023

जीवन की सच्चाई 🙏🙏🙏🙏🙏

जब कुत्तों के सड़-सड़ कर मरने का समय आता है, तब उसे सूखी हड्डियां चबाने की लत लग जाती है। सूखी हड्डी चबाते समय उसे बहुत ...
08/02/2023

जब कुत्तों के सड़-सड़ कर मरने का समय आता है, तब उसे सूखी हड्डियां चबाने की लत लग जाती है। सूखी हड्डी चबाते समय उसे बहुत आनंद मिलता है, क्योंकि सूखी हड्डियों के टुकड़े उसके मसूड़ों और जबड़ों में चुभ जाते है और उससे खून रिसने लगता है। उसी खून का, यानी अपने ही खून को स्वाद ले-लेकर कुत्ता चूसता है, और उसे उस हड्डी का स्वाद समझ कर खुश होता रहता है।

श्री रामचरितमानस के पन्ने जलाने वालों....

ये तुम्‍हारे लिए ही कहा है। और सुनो...

तुलसीदास जी ने भी तुम जैसे लोगों को ही ‘गंवार’ कहा है। तुम गंवार ही हो। इसमें कोई शक नहीं है। और तुम सचमुच केवल ताड़ना... और वो शिक्षा वाली ताड़ना नहीं, पिटाई वाली ताड़ना के ही अधिकारी हो। तुम्हें तभी अक्ल आएगी, जब तुम्हें ढोल की तरह बजाया जाए। आत्महंता कहीं के।

रामचरितमानस में जो भी कहा गया है, वह तुम्हारे ही हित में है। लेकिन तुम उस योग्य हो ही नहीं। कायर हो। इतने लालची हो कि गैरों से पैसे लेकर अपने ही बाप को, अपनी ही मां को गाली देने और दिलाने वाले अधम हो। कुछ ज्यादा पैसे मिलें तो तुम उन्हें बाजार के हवाले भी कर दो। अगर तुममें इतना ही दम है, इतनी ही चुल्ल है तो एक बार उस आसमानी किताब को हाथ लगाकर दिखाओ, जिसमें तुम्हें काफिर बताकर तड़पा-तड़पा कर मारने का खुल्ला आदेश दिया गया है। तुम्हारी औरतों को सबके सामने बलात्कृत करने का आदेश दिया गया है, तुम्हारी सम्पत्ति को लूट लेने, तुम्हारा घर जला देने और तुम्हारी औरतों के साथ-साथ सारा लूट का माल आपस में बांट लेने का आदेश दिया गया है। पन्ने फाड़ना, जलाना तो बहुत दूर की बात है, एक बार सड़क पर हाथ में ही लेकर दिखा दो।

नहीं कर सकते तुम। केवल सोचने मात्र से ही तुम्हारे आगे गीला और पीछे पीला हो जाएगा। लेकिन क्या करें? तुम ‘शिक्षा’ के काबिल हो ही नहीं। तुम बजाए जाने के ही काबिल हो, ढोल की तरह। लातों के भूत बातों से नहीं मानते।
जय श्री राम 🙏🙏🚩🚩🚩

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