27/03/2024                                                                            
                                    
                                                                            
                                             #मधुकर कहिन
लोकतंत्र की छोटी बहना ईवीएम का इंटरव्यू
नरेश राघानी
कल रात ईवीएम से मुलाकात हुई । अरे *हाँ भाई !!!! अपनी ईवीएम मशीन आप सब तो अच्छी तरह से जानते ही हैं उनको* 
तो हमने पूछा - *और ईवीएम बहना कैसी हो ?? लोकतंत्र भैया के क्या हाल है ? वह बोली कुछ नहीं साहब कैसे होंगे ? आप ही बेहतर जानते हैं।* हमें तो कमबख्त जब भी चुनाव होता है पहले तो इधर से उधर खूब भटकाया जाता है । गाड़ियों में ,गर्मी में ,धूप में कपड़े में लपेटकर। सैकड़ों सरकारी कर्मचारी ले जाते हैं । इतनी यात्रा तय करने के बाद चुनाव के दिन हमें लगा दिया जाता है मतदान केंद्र पर । फिर गर्मी में मुंह बाए इंतजार करते हैं कि मतदाता आए और हमारे अंदर लगे दो चार बटनवा में से एक बटन दबाएं । 
*भाई हम मशीन है !!! कभी कभी थोड़ा थक जातें है , तो थोड़ी देर को बंद हो जाते हैं। थोड़ा रेस्ट लेने का अधिकार नहीं है क्या हमको ? लेकिन नहीं साहब !!! जैसे ही हम थोड़ा सुस्ता लेंगे तो नेता लोग हंगामा खड़ा कर देते हैं। हंगामा भी ऐसा कि पूछो ही मत ।* अब तो बाबू डर लगने लगा है इस देश में चुनाव के दौरान । उस रोज तो *हम को उठा कर तोड़फोड़ कर बाहर फेंक दिए थे कुछ लोग !!! पता नहीं चाहते क्या हैं हमसे ?* 
और कल तो हद ही हो गई भैया !!! *कमबख्त कोई बदमाश आदमी पता नहीं उसको क्या सूझा की वोट देने की जगह फेवीक्विक हरे बटन के अंदर डाल के निकल लिया । जैसे कि हमारा मूँह ही बंद कर के चिपका देना चाह रहा है।ताकि न रहेगा बांस न बजेगी बांसूरी। होगा कोई पीड़ित नेता का चमचा जो हार का दोषी हमें मान कर अपना गुस्सा हम पर निकलने के चक्कर में आया होगा ।* 
सचमुच गज़ब हैं भैया नेता लोग .... खुद के दोष और खुद की कमियों की वजह से हारते हैं , और बदनाम हमें करते हैं। *अब देखिए ना इस बार फिर यदि कांग्रेस चुनाव हार गयी, तो पक्का हम पर ही इल्ज़ाम आने वाला है। क्योंकि इन लोगों को विशेष तौर से हम से बहुत प्रेम है। यह जब जब भी चुनाव हारते हैं, हम पर इल्ज़ाम लगाना नहीं भूलते। जैसे कोई हमारा और इनका कोई निजी दुश्मनी हो।* जबकि देखिए न !!! पहली बार हम जब 1998 में भारत के मानसपटल पर आये। तब प्रयोग करके केवल राजस्थान , मध्य प्रदेश और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में हमारा इस्तेमाल किया गया । और सच मानो भैया तब तीनों प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। *तब तो इन लोगों ने हमें कभी दोष दिया नहीं ... जब से ये लोग चुनाव हारने लगे हैं, तब से हमें गालियां दे रहे हैं। कभी झूठी, कभी कुलटा और कभी दोगली तक बोल देते हैं।* 
मैंने पूछा - *बहना !!! क्यों भाजपा वालों से तो कोई शिकायत नहीं है क्या तुमको ????* तो वह बोली - *शिकायत है न बाबू , शिकायत कैसे नहीं है ?* पूरे देश में मोदी मोदी मोदी मोदी करके चुनाव लाडवा रहे है ये लोग। अब कल ही की तो बात है । जब मतदान के दौरान एक सीधा सादा गांव वाला आया था वोट डालने , तो अंदर ही हम को देखकर चकरा गया और बाहर अधिकारी से पूछने लगा - *भैया !!! मोदी के नाम का बटन तो ईवीएम में है ही नहीं ? इसमें तो किसी और का नाम लिखा है । हम तो टीवी में देख कर मोदी को वोट देने आए थे। अब हमारा वोट मोदी को कैसे जाएं ? ये ईवीएम मशीन खराब है ससुरी !!! हटाइये इसको ...
सुनकर वहां जितने भी लोग थे वो खिलखिला कर हंस पड़े। *मानो हमारी खिल्ली उड़ा रहे हो … और लोकतंत्र भैया की भी। कांग्रेस को परिवारवादी कहने वाले ये लोग , खुद कितने ज़बरदस्त व्यक्तिवादी हो गए हैं इसका इनको अहसास तक नहीं हो रहा है।*
*खैर !!! हमें तो आप बख्श दो मधुकर जी ... लेकिन हाँ ... लोकतंत्र जी से ज़रूर जाकर मिलिए आप। वो हमारे बड़े भाई है !! बहुत परेशान रहते हैं इन दिनों । आपको उनका पता दे रहें हैं। अगला इंटरव्यू उनका कीजियेगा ….
जय श्री कृष्ण