13/07/2024
Asif Khan...
नास्तिकों ने आजकल ईश्वर के अस्तित्व और धर्म के महत्त्व पर सवाल उठा रखे हैं.. ये लोग आजकल कुछ पाखंडी बाबाओं और फर्जी कहानियां सुनाने वाले मौलवियों की पोलखोल पर लगे हुए हैं... ये अच्छी बात है... पाखंड की पोल खुलनी चाहिए... लेकिन ये लोग इस पाखंड को ही असली धर्म कह कर मूल धर्म का मज़ाक उड़ाते हैं, ईश्वर के अस्तित्व से इंकार करते हैं और आदमी को ईश्वर से आज़ाद करने की बातें करते हैं... इनका कहना है कि ईश्वर कुछ नहीं है, धर्म ने आदमी को कुछ नहीं दिया, जो दिया विज्ञान ने दिया... ईश्वर और धर्म के रास्ते पर चलने वाला व्यक्ति गुलाम है वो आज़ाद जीवन के मज़े नहीं जानता... मेरा कहना ये है कि
मनुष्य आज़ाद हो ही नहीं सकता...
उसकी जिम्मेदारियां उसके कर्तव्य उसे अपने आसपास के जीवन से हमेशा जोड़ के रखते हैं... जीवन एकांगी नहीं है... जीवन एक व्यक्ति का नहीं है... जीवन सामूहिक है... इसमें मातापिता, पतिपत्नी, पुत्रपुत्री, भाईबहन, पड़ोसी, बॉससहकर्मी, जैसे रिश्तों के साथ साथ, पालतू जानवरों, वनस्पति, वातावरण से रिश्ते, प्रकृति पर निर्भरता जैसे तमाम संबंध ऐसे हैं कि कोई व्यक्ति आज़ाद नहीं हो सकता... और जब इनसे आज़ाद नहीं हो सकता तो इनके प्रति जिम्मेदारी पैदा होती है... यही जिम्मेदारी धर्म है... धर्म इंसान को तमाम रिश्तों में ईमानदारी बरतना सिखाता है... ईमानदार इंसान ही दुनिया में सबके साथ बेहतर रिश्ते बना सकता है... ईमान ही धर्म है... फिर इसके बाद इंसान का प्राचीनतम सवाल कि ये सब और खुद इंसान कहां से आया..!? किसने पैदा किया..!? किसने बनाया..!? मरने के बाद क्या होगा... !? इन सवालों के जवाब उसे किसी सर्वशक्तिमान की तरफ ले जाते हैं, जब उसे वो धरती और आकाश में कहीं नज़र नहीं आता तो इसके अदृश्य होने का एहसाह होता है... वो ही अदृश्य सर्वशक्तिशाली रचनाकार ईश्वर है... अल्लाह है... खुदा है... परमात्मा है... पालनहार है... विज्ञान केवल उसकी रचना का अध्ययन मात्र है..विज्ञान न कुछ पैदा कर सकता और न कुछ क्रिएट कर सकता और न आज तक कर पाया... विज्ञान ने जो कुछ बनाया उसी सर्वशक्तिशाली की रचनाओं से कुछ कुछ उधार लेकर बनाया... मिसाल के तौर पर कपास उसने बनाई आदमी की अक्ल ने उसे धागा बनाया और धागे से बुनकर कपड़ा और कपड़े को काट सी कर लिबास... मगर विज्ञान आज तक कोई मूल तत्व नहीं बना सका.. विज्ञान ने पानी की केमिस्ट्री पता की कि ये हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का मिश्रण है.. मगर ये दोनों नाम मानव के ही रखे हुए हैं... विज्ञान आज तक जल का निर्माण नहीं कर सका और न ये पता लगा पाया कि जल कहां से आया... विज्ञान के पास एक कल्पना मात्र है कि बिग बैंग के कारण गैसों का संलयन हुआ और पानी बन गया... साबित नहीं कर पाया... बहरहाल, विज्ञान के पास आजतक इस सवाल का जवाब नहीं है कि आदमी के अंदर वो क्या है जो बोलता है, ये जो है मरने के बाद इसका क्या होता है, कहां चला जाता है..!?? प्रत्येक नास्तिक ईश्वर के अस्तित्व से इंकार करता है, इस प्रकृति के ईश्वर द्वारा बनाए जाने से इंकार करता है...! मगर हर नास्तिक विज्ञान में अपनी आस्था जता कर ईश्वर के कण कण में विद्यमान होने को मान लेता है... लेकिन हकीकत ये है कण कण का रचयिता विज्ञान नहीं है... विज्ञान कण कण का अध्यनकर्ता है... रचयिता कोई और है...