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Avi Blogs Avantika Joshi.

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Welcome to Avi Blogs. Happy to announced after completing Chanakya Neeti Series‚ we are going to start Chanakya Sutra Se...
04/06/2025

Welcome to Avi Blogs.

Happy to announced after completing Chanakya Neeti Series‚ we are going to start Chanakya Sutra Series.
Chanakya Sutra will available only in Sanskrit and Hindi
language.

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✅Achievement Unlocked✅Chanakya Neeti has been completed on Avi Blogs. Thank you very much to all reader and followers to...
09/04/2025

✅Achievement Unlocked✅

Chanakya Neeti has been completed on Avi Blogs.
Thank you very much to all reader and followers to your support and encouragement.

Chanakya Neeti crosses over 30‚000 views in very short time.

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Chanakya Neeti.Post Number: 105. आचार्य चाणक्य  यहां सच्ची सुन्दरता की चर्चा करते हुए कहते हैं कि दान से ही हाथों की सुन...
03/04/2025

Chanakya Neeti.

Post Number: 105.

आचार्य चाणक्य यहां सच्ची सुन्दरता की चर्चा करते हुए कहते हैं कि दान से ही हाथों की सुन्दरता है‚ न कि कंकण पहनने से‚ शरीर स्नान से शुध्द होता है न कि चन्दन लगाने से‚ तृप्ती मान से होती है‚ न कि भोजन से‚ मोक्ष ज्ञान से मिलता है‚ न की श्रृंगार से |

अर्थ-
आशय यह है कि हाथों की सच्ची सुन्दरता दान देने में है‚ सोने-चांदी के कडे-कंगन पहनने से हाथ सुन्दर नहीं कहे जा सकते | शरीर नहाने से स्वच्छ-साफ होता है‚ चन्दन‚ तेल फुलेल आदि लगाने से नहीं | सज्जन सम्मान से सन्तुष्ट होते हैं‚ खाने-पीने से नहीं | आत्मा का ज्ञान होने पर ही मोक्ष मिलता है‚ सज-संवरकर रहने या बनाव-श्रृंगार करने से नहीं |

Reference Book : Chanakya Neeti.

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Chanakya Neeti.Post Number: 104. आचार्य चाणक्य जैसे को तैसा के व्यवहार की पक्षधरता रकते हुए कहते हैं कि उपकारी के साथ उप...
02/04/2025

Chanakya Neeti.

Post Number: 104.

आचार्य चाणक्य जैसे को तैसा के व्यवहार की पक्षधरता रकते हुए कहते हैं कि उपकारी के साथ उपकार‚ हिंसक के साथ प्रतिहिंसा करनी चाहिए तथा दुष्ट के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिए | इसमें कोई दोष नहीं है |

अर्थ-
आशय यह है कि जो व्यक्ति आपके साथ उपकार करे‚ उसके साथ आपको भी उपकार करना चाहिए | जो मार पीट पर उतारू हो जाए‚ उसके साथ मार पीट ही करनी चाहिए | उसके साथ ऐसा न करना‚ कायरता न भी हो‚ मूर्खता अवश्य है | दुष्ट के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिए | उसके साथ भलाई करना महामूर्खता है | उपकारी से उपकार‚ हिंसक से हिंसा तथा दुष्टता करना ही बुध्दिमानी है | ऐसा करने में कोई बुराई नहीं है |

Reference Book : Chanakya Neeti.

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Chanakya Neeti.Post Number: 103. आचार्य चाणक्य विद्याध्ययन के लिए गुरू के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहते हैं कि जो व्...
01/04/2025

Chanakya Neeti.

Post Number: 103.

आचार्य चाणक्य विद्याध्ययन के लिए गुरू के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहते हैं कि जो व्यक्ति केवल पुस्तकों को पढकर विद्या प्राप्त करता है‚ किसी गुरू से नहीं‚ उस व्यक्ति का किसी सभा में कोई आदर नहीं होता |

अर्थ-
आशय यह है कि कोई भी विद्या किसी योग्य गुरू से ही सीखी जा सकती है | यदि कोई व्यक्ति केवल पुस्तकों को पढकर ही अपने को विद्वान समझता है‚ तो यह उसका भ्रम है | ऐसा ज्ञान 'नीम हकीम खतरे जान‘ ही होता है |

Reference Book : Chanakya Neeti.

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Chanakya Neeti.Post Number: 102.आचार्य चाणक समय पर काम न आनेवालों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि जो विद्या पुस्तक में...
31/03/2025

Chanakya Neeti.

Post Number: 102.

आचार्य चाणक समय पर काम न आनेवालों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि जो विद्या पुस्तक में ही है‚ जो धन दूसरे को हाथ में चला गया है‚ ये दोनों चीजें समय पर काम नहीं आती |


अर्थ-
आशय यह है कि अपनी को याद विद्या तथा अपने हाथ का धन ही समय पर काम आते हैं | कर्ज दिया हुआ धन और पुस्तकों में लिखी विद्या एकाएक काम पड जाने पर साथ नहीं देते |

Reference Book : Chanakya Neeti.

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Chanakya Neeti.Post Number: 101. आचार्य चाणक्य यहां अनुचित धन का तिरस्कार करते हुए कहते हैं कि दूसरे को दु:खी करके‚ अधर्...
30/03/2025

Chanakya Neeti.

Post Number: 101.

आचार्य चाणक्य यहां अनुचित धन का तिरस्कार करते हुए कहते हैं कि दूसरे को दु:खी करके‚ अधर्म से या शत्रुओं की शरण से मिला धन मुझे प्राप्त न हो |

अर्थ-
आशय यह है कि जो धन किसी को दु:खी करके प्राप्त हो‚ जो चोरी‚ तस्करी‚ काला बाजारी आदि अवैध तरीकों से कमाया जाता हो या देश के शत्रुओं से अर्थात् देशद्रोही तरीकों से मिलता हो ऐसा धन लेने की इच्छा नहीं करनी चाहिए |

Reference Book : Chanakya Neeti.

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Chanakya Neeti.Post Number: 100. आचार्य चाणक्य गुणों की महत्ता बताते हुए कहते हैं कि गुणों से ही मनुष्य बडा बनता है‚ न क...
29/03/2025

Chanakya Neeti.

Post Number: 100.

आचार्य चाणक्य गुणों की महत्ता बताते हुए कहते हैं कि गुणों से ही मनुष्य बडा बनता है‚ न कि किसी ऊंचे स्थान पर बैठ जाने से | राजमहल के शिखर पर बैठ जाने पर भी कौआ गरूड नहीं बनता |

अर्थ-
आशय यह है कि व्यक्ति गुणों से ही बडा बनता है | गुणहीनता उसे अस्थायी लाभ दे सकती है स्थायी नहीं | गुण ही सर्वत्र पूजे जाते हैं |

Reference Book : Chanakya Neeti.

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Chanakya Neeti.Post Number: 99. आचार्य चाणक्य यहां विनाश आने पर बुध्दि साथ छोड देती है‚ वास्तव में विनाश का समय आने पर ब...
28/03/2025

Chanakya Neeti.

Post Number: 99.

आचार्य चाणक्य यहां विनाश आने पर बुध्दि साथ छोड देती है‚ वास्तव में विनाश का समय आने पर बुध्दि विपरीत हो जाती है |

अर्थ-
आशय यह है कि न तो विधाता ने सोने का हिरन बनाया है‚ न किसी ने ऐसा हिरन देखा है न सुना है | परेशानियों का समय आने पर व्यक्ति की अक्ल ही मारी जाती है |

Reference Book : Chanakya Neeti.

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Chanakya Neeti.Post Number: 98. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कट जाने पर भी चन्दन का वृक्ष सुगन्ध नहीं छोडता | बूढा हो जाने ...
27/03/2025

Chanakya Neeti.

Post Number: 98.

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कट जाने पर भी चन्दन का वृक्ष सुगन्ध नहीं छोडता | बूढा हो जाने पर भी हाथी अपनी लीलाओं को नहीं त्याग देता | कोल्हू में पेरी जाने पर भी ईख मिठास को नहीं छोड देती | इसी प्रकार गरीब हो जाने भी कुलीन अपने शील गुणों को नहीं छोडता |

अर्थ-
आशय यह है कि चन्दन का वृक्ष चाहे कट जाए‚ परन्तु अपनी सुगन्द को नहीं छोडता | हाथियों के दल का राजा बूढा हो जाने पर भी अपनी आदतों को नहीं छोड पाता | ईख-गन्ने को चाहे कोल्हू में पेर दिया जाए‚ किन्तु उसकी मिठास नहीं जाती | कुलीन व्यक्तियों पर चाहे कितना ही दु:ख आ जाए‚ वे अपने गुणों को नहीं छोडते |

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Chanakya Neeti.Post Number: 97. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शास्त्र अनन्त हैं‚ विद्याएं अनेक हैं‚ किन्तु मनुष्य का जीवन बह...
26/03/2025

Chanakya Neeti.

Post Number: 97.

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शास्त्र अनन्त हैं‚ विद्याएं अनेक हैं‚ किन्तु मनुष्य का जीवन बहुत छोटा है‚ उसमें भी अनेक विघ्न हैं | इसलिए जैसे हंस मिले हुए दूध और पानी में से दूध को पी लेता है और पानी छोड देता है‚ उसी तरह काम की बातें ग्रहण कर लो तथा बाकी छोड दो |

अर्थ-
आशय यह है कि शास्त्र एवं विद्याएं अनेक हैं | मनुष्य का जीवन इतना छोटा है कि वह इन सबका अध्ययन नहीं कर सकता | इस छोटे से जीवन में उसे अनेक कार्य करने होते हैं | साथ ही जीवन में मुसीबतों का भी सामना करना पडता है | इसलिए इन शास्त्रो एवं विद्याओं से मोटी-मोटी काम की बातों को अवश्य सीख लेना चाहिए |

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Chanakya Neeti.Post Number: 96. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भोजन वही है‚ जो सबको खिला लेने बाद बच जाए | प्रेम वही है जो दू...
25/03/2025

Chanakya Neeti.

Post Number: 96.

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भोजन वही है‚ जो सबको खिला लेने बाद बच जाए | प्रेम वही है जो दूसरों पर किया जाए | बुध्दि वही है‚ जो पाप न करे | धर्म वही है‚ जिसे करने में घमण्ड न हो |

अर्थ-
आशय यह है कि विद्वानों को खिलाकर ही भोजन करना चाहिए | अपनों से तो सभी प्रेम करते हैं‚ किन्तु सच्चा प्रेम वही है‚ जो पराये लोगों के साथ हो | बुध्दि कोई पाप की बात सोचे भी नहीं‚ ऐसी ही बुध्दि श्रेष्ठ है | दूसरों का भला करते समय मन में किसी प्रकार का घमण्ड न हो | ऐसे पुण्य काम ही धर्म कहे जाते हैं |

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