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29/10/2023

मुरझाए फूल दोबारा नहीं खिलते, जिंदगी दोबारा नहीं मिलती

मिलने को तो मिल जाते हैं हजारों लोग दोबारा दुनिया में मगर हजारों गलतियां माफ़ करने वाले मां बाप नहीं मिलते ।

यह कहानी है एक नौजवान लड़के की जो गुस्से में अपने घर से निकल आया है और बड़बड़ा रहा है।

छुपा कर रखते हैं सारे पैसे? एक मोटर बाइक ही तो मांगी थी मैंने कोई ख़ज़ाना तो नहीं मांग लिया। ठीक है कोई बात नहीं अगर वो मुझे बाइक नहीं दिलाना चाहते तो में भी तब तक घर नहीं जाऊंगा जब तक कि में नई मोटरबाइक नहीं खरीद लेता!"

लड़का यह गुस्से में बड़बडाते हुए जा रहा तभी उसके पैरों में कुछ चुभा । पैरों की तरफ देखा तब उसे रीलाइज्ड हुआ कि वो हड़बड़ी में अपने बदले अपने पापा के जूते पहन कर आया। पैरों में क्या चुभ रहा है यह देखने उसने जूते चेक किए तो उसने पाया कि जूते में से एक छोटी सी किल उबर आई है जो बार-बार उसे चुभ कर घाव बनाने की कोशिश कर रही है।

गुस्से में वो फिर बड़बड़ाया " मैं ठीक ही सोचता हूं मेरे पिता सच में बहुत कंजूस है,देखो कितने पुराने और क्या घटिया क्वालिटी जूते इस्तेमाल करते हैं! पता नहीं सारा पैसा छाती पर लेकर जाएंगे क्या?"

लड़का अपने गुस्से और ब्बौखलावट में आगे बढ़ता रहा थोड़ी दूर जाकर एक बगीचे तक पहुंचा वहां पर बेंच पर बैठ गया। अचानक वहां पर उसे याद आया कि वो अपने साथ अपने पापा का वॉलेट भी उठा कर लाया था।

उसने सोचा आज पता चलेगा पापा पैसे कहां छुपा कर रखते हैं। उसने अपने पापा का वॉलेट अपनी जेब से निकाला जो बहुत पुराना और फटा हुआ था । यह वही वॉलेट था जो पापा घर में किसी को छूने भी नहीं देते थे।

जब लड़के ने अपने पापा का वॉलेट खोला तो उसमें महज rs.120 थे और अपनी फैमिली की फोटो और एक छोटी सी डायरी थी। डायरी को देखकर लड़के ने सोचा अच्छा तो इसमें छुपा कर रखे हैं सारे राज इसी में लिखा होगा किस्से कितने पैसे लेने हैं या किसको कितने पैसे दिए हैं? अब पता चलेगा कि पापा ने कहां-कहां पैसे इन्वेस्ट कर रखे हैं? ऐसा सोच के लड़के ने जब उस छोटी सी डायरी का पहला पन्ना खोला तो उसमें लिखा था

" ₹40000 बेटे की पढ़ाई के लिए उधार"

लड़का यह देखकर शॉक हो गया! उसने फिर दूसरा पन्ना खोला जिसमें लिखा था "50,000 उधार नया लैपटॉप बेटे के लिए"

यह वही लैपटॉप था जो पापा ने 2 साल पहले ही अपने बेटे को दिया था क्योंकि वह कॉलेज जाने लगा था। लड़के को अब पता चला कि वह जो भी चीजें पापा से डिमांड करता तो पापा कहां से पैसे लाते थे ? डायरी के इन दो पन्नों ने ही लड़के का गुस्सा पूरी तरह शांत कर दिया और उसके मन को पश्चाताप से भर दिया।

लड़का एक एक करके डायरी के पन्ने पलटता रहा और उसकी आंखों में आंसुओं की धार बहने लगी जो हर पन्ना पलटने के बाद बढ़ती ही गई! उसे पता चलता गया कि पापा ने अपनी फैमिली की जरूरतों को पूरा करने के लिए किस किस से कितना उधार लिया है? पन्ना पलटते पलटते लड़का पिछले दिन की डेट तक पहुंचा। पिछले दिन की तारीख वाले पन्ने पर लिखा था "50000 बेटे की बाइक के लिए" इस पन्ने को पढ़ते ही बेटे को लगने लगा कि वो इस दुनिया का सबसे खराब बेटा है। लड़के ने जब डायरी का आखरी पन्ना खोला तो उसमें लिखा था "अच्छे जूते खरीदने हैं।"

हालांकि यह लाइन बेटे को समझ में नहीं आई लेकिन वह अब जल्द से जल्द अपने बाप को मिलना चाहता था इसलिए वह बेंच से उठा और अपने घर की ओर तेजी से चलने लगा। बगीचे के थोड़ा आगे रास्तेमें पानी गिरा हुआ था जिस पर चलने के बाद लड़के को अपने पैरों में ठंडक महसूस हुई उसने अपने पैरों से जूते उतार कर देखें तो दोनों जूते नीचे तल से फटे हुए थे जिन से पानी रिस कर पैरों तक आ रहा था। जूते में निकली किल भी लड़के के पैर में ज़ख्म बनाने में कामयाब हो गई थी। अब बेटे को मां की वह बातें याद आई जब मा पापा से कहा करती थी," अब तो नए जूते ले लो, कितने पुराने हो गए हैं। और पापा यह कह कर टाल दिया करते थे अभी तो लिए हैं , कुछ साल और चल जाएंगे।" बेटे ने दोनों जूते उतार कर फेंक दिए और फूट-फूट कर रोने लगा।

लड़का बड़ी तेजी से अपने घर की तरफ दौड़ा न जाने उसमें इतनी ताकत कहा स आ गई कि रास्ता बहुत लंबा होने के बावजूद वह थोड़ा भी नहीं थका और सीधे अपने घर ही जाकर रुका! घर जाकर उसे पता चला कि पापा घर नहीं है मगर उसे पता था कि पापा कहां मिलेंगे वह तुरंत नजदीक के बाइक डीलर के शोरूम पर गया जहा पर उसका बाप उसके लिए नई गाड़ी खरीद रहा था। लड़का दौड़कर अपने बाप के गले से लग गया और फुट फुट कर रोने लगा। जब पिता ने लड़के से पूछा कि क्या हुआ तो लड़के ने अपने पिता से माफी मांगी और कहा कि मुझे बाइक नहीं चाहिए इन पैसों से आप अपने लिए नए जूते खरीद लीजिए और आगे से मैं कोई भी चीज खुद के कमाए पैसे से ही लूंगा मैं बड़ी मेहनत करूंगा और आपका कर्जा भी चुका दूंगा। यह सब सुनकर पिता की आंखों में भी आंसू आ गए खुशी के!

दोस्तों, बड़े खुशनसीब होते हैं वो लोग जिनके मां बाप होते हैं लेकिन अक्सर हम मा बाप की मजबूरियां नहीं समझा करते। आशा करता हूं यह कहानी जानने के बाद आप लोग मां बाप द्वारा इंकार की गई बातों की गहराई को समझने की कोशिश करोगे।

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29/10/2023

एक बार एक बड़े शहर में दूल्हों को बेचने वाला एक स्टोर खुला जहाँ कोई भी महिला जो अपने लिए दूल्हा तलास रही हो वो कई पुरुषों में से एक को अपने पति के रूप में चुनने के लिए जा सकती थी।

ये दूल्हास्टोर 6 मंजिलों से बना था, और जैसे-जैसे खरीदार एक एक मंजिल उपर में चढ़ता , दूल्हों की विशेषताओं में वृद्धि होती यानी हर एक मंजिल के बढ़ने के पहले से बेहतर दूल्हे वहा मिलते।

हालाँकि, इस शॉप की एक शर्त थी जिसे हर महिला को माननी अनिवार्य थी। शर्त के मुताबिक जब आप किसी भी मंजिल का दरवाजा खोलते हैं तो आप उस मंजिल से एक आदमी को चुन सकते हैं, लेकिन अगर आप एक मंजिल पर जाते हैं, तो आप इमारत से बाहर निकलने के अलावा वापस नीचे नहीं जा सकते।

तो एक महिला पति की तलाश में इस शॉप जाती है।

पहली मंजिल पर दरवाजे पर लिखा है: मंजिल 1 - इन लोगों के पास नौकरी है। वह महिला संकेत पढ़ती है और खुद से कहती है, "ठीक है, यह मेरे पिछले प्रेमी से बेहतर है, लेकिन मुझे जानना है कि आगे क्या होगा?" तो वह ऊपर जाती है।

दूसरी मंजिल का बोर्ड पढ़ती है: मंजिल 2 - इन पुरुषों के पास नौकरी है और बच्चों से प्यार करते है। महिला खुद से टिप्पणी करती है, "यह बहुत अच्छा है, लेकिन मुझे जानना है कि आगे क्या हो रहा है?" और ऊपर वह फिर से जाती है।

तीसरी मंजिल पर लिखा होता है: मंजिल 3 - ये लोग नौकरी करते हैं, बच्चों से प्यार करते हैं और बेहद अच्छे दिखते हैं। "हम्म, बेहतर" वह कहती हैं। "लेकिन मुझे जानना है कि ऊपर क्या है?"

वो चौथी मंजिल पर जाती है और बोर्ड पढ़ती है: मंजिल 4 - ये लोग नौकरी करते हैं, बच्चों से प्यार करते हैं, बहुत अच्छे दिखते हैं और घर के काम में मदद करते हैं।

"बहुत खूब!" महिला ने कहा, "बहुत लुभावना। लेकिन, और भी बहुत कुछ होना चाहिए!" और फिर से वह एक और मंजिल चड़ती है। पाँचवीं मंजिल का बोर्ड पढ़ती है: मंजिल 5 - इन लोगों के पास नौकरी है, बच्चों से प्यार है, बहुत अच्छे दिखने वाले हैं, घर के काम में मदद करते हैं और काफी रोमांटिक स्वभाव के हैं।

महिला सोचती है "अरे वाह, क्या बात है ! लेकिन जरा सोचिए...5 वी मंजिल पर इतना सब है तो आगे मेरा क्या इंतजार कर रहा होगा?" तो फिर वह छठी मंजिल तक जाती है।

छठी मंजिल का बोर्ड पढ़ती है: मंजिल 6 - आप इस मंजिल पर 7,65,59944 वे नंबर कि ग्राहक हैं। इस मंजिल पर कोई पुरुष नहीं हैं। यह मंजिल केवल इस बात के प्रमाण के रूप में मौजूद है कि महिलाओं को खुश करना असंभव है

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29/10/2023

स्त्रियों के अर्धनग्न और छोटे कपडो़ में घूमने पर जो लोग या स्त्रियाँ ये कहते हैं कि कपड़े नहीं सोच बदलो
उन लोगों से कुछ प्रश्न हैं !! आशा है आप जवाब देंगे 🙏

1)पहली बात - हम सोच क्यों बदलें?? सोच बदलने की नौबत आखिर आ ही क्यों रही है??? आपके अनुचित आचरण के कारण ??? और आपने लोगों की सोच का ठेका लिया है क्या??

2) दूसरी बात - आप उन लड़कियों की सोच का आकलन क्यों नहीं करते?? कि उन्होंने क्या सोचकर ऐसे कपड़े पहने कि उसके स्तन पीठ जांघे इत्यादि सब दिखाई दे रहा है....इन कपड़ों के पीछे उसकी सोच क्या थी?? एक निर्लज्ज लड़की चाहती है की पूरा पुरुष समाज उसे देखे, वहीँ दूसरी तरफ एक सभ्य लड़की बिलकुल पसंद नहीं करेगी की कोई उसे इस तरह से देखे।

3)अगर सोच बदलना ही है तो क्यों न हर बात को लेकर बदली जाए??? आपको कोई अपनी बीच वाली ऊँगली का इशारा करे तो आप उसे गलत मत मानिए......सोच बदलिये..वैसे भी ऊँगली में तो कोई बुराई नहीं होती....आपको कोई गाली बके तो उसे गाली मत मानिए...उसे प्रेम सूचक शब्द समझिये..... ???
हत्या ,डकैती, चोरी, बलात्कार, आतंकवाद इत्यादि सबको लेकर सोच बदली जाये...सिर्फ नग्नता को लेकर ही क्यों? क्या ये सारे कार्य अभिव्यक्ति की आज़ादी की श्रेणी में ही आते हैं????

4) कुछ लड़कियां कहती हैं कि हम क्या पहनेगे ये हम तय करेंगे....पुरुष नहीं.....
जी बहुत अच्छी बात है.....आप ही तय करें....लेकिन हम पुरुष भी किन लड़कियों का सम्मान/मदद करेंगे ये भी हम तय करेंगे, स्त्रियां नहीं.... और

"हम किसी का सम्मान नहीं करेंगे इसका अर्थ ये नहीं कि हम उसका अपमान करेंगे।"

5)फिर कुछ विवेकहीन लड़कियां कहती हैं कि हमें आज़ादी है अपनी ज़िन्दगी जीने की.....
जी बिल्कुल आज़ादी है, ऐसी आज़ादी सबको मिले, व्यक्ति को चरस गंजा ड्रग्स ब्राउन शुगर लेने की आज़ादी हो, गाय भैंस का मांस खाने की आज़ादी हो, वैश्यालय खोलने की आज़ादी हो, पोर्न फ़िल्म बनाने की आज़ादी हो... हर तरफ से व्यक्ति को आज़ादी हो।????

6) लड़कों को संस्कारो का पाठ पढ़ाने वाला कुंठित स्त्री समुदाय क्या इस बात का उत्तर देगा कि क्या भारतीय परम्परा में ये बात शोभा देती है की एक लड़की अपने भाई या पिता के आगे अपने निजी अंगो का प्रदर्शन बेशर्मी से करे ??? क्या ये लड़कियां पुरुषों को भाई/पिता की नज़र से देखती हैं ??? जब ये खुद पुरुषों को भाई/पिता की नज़र से नहीं देखती तो फिर खुद किस अधिकार से ये कहती हैं कि

"हमें माँ/बहन की नज़र से देखो"???

कौन सी माँ बहन अपने भाई बेटे के आगे नंगी होती हैं??? भारत में तो ऐसा कभी नहीं होता था....

सत्य यह है की अश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधों की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दुकान है और इसका उत्पादन स्त्री समुदाय करता है।
मष्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशों में एक नशा अश्लीलता(से....) भी है।

आचार्य कौटिल्य ने चाणक्य सूत्र में वासना' को सबसे बड़ा नशा और बीमारी बताया है।।
यदि यह नग्नता आधुनिकता का प्रतीक है तो फिर पूरा नग्न होकर स्त्रियां पूर्ण आधुनिकता का परिचय क्यों नहीं देती????
गली गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधों को जन्म देती है।इसको किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता है.।।
विचार करिए और चर्चा करिए.... या फिर मौन धारण कर लीजिए ।।

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18/10/2023

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