29/04/2025
🌟 ज़ीरो से करोड़ों तक: एक बेटे की संघर्ष भरी कहानी जो रुला भी देती है और प्रेरित भी करती है 🌟
आज जब हम जिंदगी की रफ्तार में खो जाते हैं, तो कभी-कभी किसी की कहानी हमें एकदम रोक देती है... सोचने पर मजबूर कर देती है। ऐसी ही एक रियल कहानी है अंकित गौतम की – अजमेर का एक साधारण लड़का, जो अपने छोटे से फूड स्टॉल से शुरू करके करोड़ों का रिसॉर्ट बिज़नेस खड़ा करता है... लेकिन जब सब कुछ बनने लगता है, तभी ज़िंदगी उसे एक ऐसा ज़ख्म देती है जिसे शायद ही कोई भूल पाए।
🚂 ट्रेन की एक विंडो सीट से शुरू हुआ सफर, जहां अंकित अपनी पुरानी ज़िंदगी को याद करते हुए कहता है – "मैंने अपनी दुनिया को अपनी आंखों के सामने तड़पते हुए खत्म होते देखा है।"
👦 बचपन की बातें, जहां दोस्तों के साथ बैठकर सपना देखा – कोई डॉक्टर बनेगा, कोई इंजीनियर... और अंकित? वो कहता था – "मैं बिज़नेस करूंगा, खुद का कुछ बनाऊंगा।"
🍔 रोड साइड फूड स्टॉल – नाम था 'रोमियो', अजमेर के वैशाली नगर में। दिन की शुरुआत 5 बजे मंडी से सब्जियां लाने से होती थी। बर्तन, कुर्सी सब घर से लाए... खुद ही कुकिंग की, खुद ही सर्व किया। धीरे-धीरे लोगों को स्वाद भाया, और स्टॉल चल पड़ा।
😢 फिर एक दिन अखबार में छपी एक फोटो ने सब बदल दिया – स्टॉल को अवैध बता प्रशासन ने सब तहस-नहस कर दिया। सब कुछ खत्म।
🏕️ लेकिन हार नहीं मानी। पुष्कर में एक रिसॉर्ट को लीज़ पर लिया, डॉक्युमेंट्स बनाए, लाइसेंस लिया, और ज़ोर-शोर से काम शुरू किया। लोकल गाइड्स को जोड़ा, ऑनलाइन-ऑफलाइन मार्केटिंग की, और फिर से बिज़नेस ने उड़ान भरी।
🌺 पुष्कर मेला आया – साल भर की कमाई का समय। लेकिन ठीक उसी वक्त...
💔 माँ बीमार पड़ गईं। पहले साधारण बीमार समझा, फिर रिपोर्ट आई – Stomach Cancer, एडिनोकार्सिनोमा। पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
🏥 टाटा मेमोरियल, मुंबई – माँ के इलाज के लिए अंकित ने अपना सारा बिजनेस छोड़ दिया। दोस्त को सब सौंप दिया और खुद माँ के साथ मुंबई आ गया।
🚑 सुबह 5 बजे एंबुलेंस, लंबी कतारें, रोते-बिलखते लोग – कैंसर का वो डरावना चेहरा, जिसे अंकित ने पहली बार इतने करीब से देखा।
👩👦 "मेरी माँ ने कभी प्याज-लहसुन तक नहीं खाया... तो उन्हें ये क्यों?" – ये सवाल लेकर अंकित जब डॉक्टर से पूछता है, तो जवाब में सिर्फ खामोशी मिलती है।
😢 इस कहानी में दुःख है, आँसू हैं... लेकिन उससे भी ज़्यादा है जुनून, जज़्बा और एक बेटे का अपनी माँ के लिए त्याग।
👉 क्या आपने कभी किसी अपने को ऐसे हालातों से गुज़रते देखा है?
👉 क्या आपने कभी सब कुछ छोड़कर सिर्फ परिवार के लिए खड़े होने का फैसला लिया है?
💬 कमेंट करके बताइए – ये कहानी आपको कैसे लगी? क्या आप भी ऐसी किसी कहानी से जुड़ाव महसूस करते हैं?
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