13/09/2023
💢 #नेचुरल...
#या
#सिन्थेटिक...
#कैसी #हो
#सन्तान ?
💐आसपास देख रहे होंगे आप भी कि, कोचिंग का 'इंजेक्शन' लगा कर लौकी की तरह भावी 'इंजीनियर' और 'डॉक्टर' की पैदावार की जा रही है आजकल। छात्रों की 'नेचुरल' देसी नस्ल छोटी रह जा रही है,जो तनाव में आकर या तो मुरझा जा रही है या बाजार में बिकने लायक ही नहीं रह जा रही !
💐चलिये बीस, पच्चीस साल पहले चलते हैं ! जब सरकारी स्कूलों का दौर था। एक औसत लड़के को 'साइंस' और 'मैथ्स' ना दिलाकर अध्यापक ख़ुद ही उसको भट्टी में झुंकने से रोक लेते थे !
💐यानी 'आर्ट्स' और 'कामर्स' दिलवा कर लड़कों को शिक्षक, बाबू, पटवारी, व्यापारी, दरोगा और कुछ नहीं तो,नेता बनने की तरफ़ मोड़ देते थे !
💐मतलब साफ है, कि पानी को छोटी छोटी नाली,नहरों में छोड़ कर,योग्यता के हिसाब से अलग अलग दिशाओ में मोड़ देते थे,ताकि बेरोजगारों की बाढ़ का ख़तरा ही पैदा ना हो !
💐शिक्षक लड़के के गलती करने पर उसको डंडे से पीट पीट कर साक्षर बनाने पर अड़े रहते और तनाव झेलने के लिये मजबूत कर देते थे। पापा-मम्मी से शिकायत कर दी तो दो मम्मी तो दो झापड़ ही जड़ती थीं,पर पिता बेंत,लात,चप्पलों से आरती उतारते ही थे ! तुर्रा ये कि,अगले दिन सुबह बच्चे के साथ स्कूल आकर मास्साब से ये और कह जाते थे कि,"घर पर आपकी झूठी शिकायत कर रहा था,अगर न पढ़े तो दो बेंत हमारी तरफ से और लगाना आप !"
💐पक्ष और विपक्ष को एक होता देख, लड़का पिटने के बाद सीधा फील्ड में जाकर खेलकूद कर अपना तनाव कम कर लेता था। खेलते समय गिरता,पड़ता और कभी-कभी छोटी-मोटी चोट भी लग जाती तो मिट्टी डाल कर चोट को सुखा देता,पर कभी रोता बिलखता नहीं था ! घर पर आकर तो बिल्कुल नहीं बताता था चोट के बारे में ! पिता से तो भूल के भी नहीं !
💐दसवीं आते-आते लड़का लोहा बन जाता था। तनावमुक्त होकर हर खेल के लिए मैदान में तैय्यार खड़ा हो जाता था ! हर तरह के तनाव को झेलने के लिए 'फुलप्रूफ़' !
💐फिर आया कोचिंग और प्राईवेट स्कूलों का दौर,यानी कि शिक्षा स्कूल से निकल कर 'ब्रांडेड शोरुम' में आ गई। 'सोफ़ेस्टीकेटेड' हो गई। बच्चे को गुलाब के फूल की तरह 'ट्रीट' किया जाने लगा। मतलब बच्चा 50% लाएगा तो भी,
★"हमारा मुन्ना साइंस ही पढ़ेगा !"
★"हमारा मुन्ना तो डॉक्टर ही बनेगा !" ★"हमारा मुन्ना तो 'IIT' से 'B.tech' ही करेगा !"
💐आजकल शिक्षक बच्चे को अगर हल्के से चपत भी मार देते हैं,तो पापा-मम्मी 'मानवाधिकार' की किताब लेकर 'मीडिया वालों' के साथ स्कूल पर चढ़ाई कर देते हैं कि,"हमारे मुन्ना को हाथ भी कैसे लगा दिया ?" मीडिया वाले भी शिक्षक के गले में माइक घुुसेड़ कर पूछने लग जाते हैं,"आप ऐसा कर भी कैसे सकते हैं ?" यहाँ से आपका बच्चा 'सॉफ्टटॉय' बन गया ! बिल्कुल 'टैडीबियर' की तरह !
💐अब बच्चा स्कूल के बाद तीन-चार कोचिंग सेंटर में भी जाने लग गया। खेलकूद तो भूल ही गया। फ़लाने सर से छूटा,तो ढिमाके सर की क्लास में पहुँच गया। बचपन किताबों में उलझ गया और बच्चा 'कॉम्पटीशन' के 'चक्रव्यूह' में ही उलझता चला गया... अभिमन्यु की तरह और आपको पता ही है कि,जब कोई भी अभिमन्यु चक्रव्यूह का अन्तिम द्वार नहीं तोड़ पाता तो.....
💐क्यों भाई...
■आपका मुन्ना केवल 'डॉक्टर' और 'इंजीनियर' ही क्यों बनेगा ?
■वो आर्टिस्ट, सिंगर,खिलाड़ी,किसान और दुकानदार से लेकर नेता और कारख़ाने का मालिक क्यों नहीं बन सकता ?
■हजारों 'फील्ड' हैं अपनी योग्यता के अनुसार कार्य करने के,उनमें से कोई क्यों नहीं चुन सकता वो ?
💐अभी कुछ दिनों पहले की बात है,मेरे मँहगे जूते आगे से थोड़े से फ़ट गये,पता किया एक लड़का लोखंडवाला ब्रिज के पास जूतों की अच्छी तरह से रिपेयरिंग करता है ! ये पता ही नहीं चलता कि जूते रिपेयर भी हुए हैं । उसके पास गया तो उसने 200 रुपये माँगे ! अमेरिका गया था तो दामाद जी ने दिलवाये थे,भारतीय मुद्रा में उस समय करीब 50 हज़ार रुपये कीमत थी,सो उन्हें रिपेयर कराना ज़रूरी था ! रिपेयरिंग वाले ने चार दिन बाद आने का 'अप्वाइंटमेंट' की पर्ची दे दी ! मैंने उस लड़के की आमदनी का पता लगाया,तो पता चला कि मरे दर्ज़े लगभग डेढ़ लाख रुपये महीने कमाता है। वो तो कभी 'कोचिंग मण्डी' कोटा नहीं गया। बस उसने अपनी 'योग्यता' को 'हुनर' में बदल दिया और अपने काम में 'मास्टरपीस' बन गया। यहाँ मुम्बई में ऐसे हुनरवाले एक नहीं हज़ारों हैं ! वो लड़का जूतों के साथ ही छाते भी रिपेयर करता है, बैग की ज़िप खराब हो जाये,तो उसकी भी रिपेयरिंग करता है ! लाइन लगी रहती है उनकी गुमटी पर ! ख़ुशामद अलग से करवाता हैं अपनी, मर्सडीज़ से चलने वालों से भी !
💐कोई ख़ाना बनाने की कला सीख,'शेफ़' बन कर लाखों के पैकेज़ में 'फ़ाइव स्टार' होटल में नौकरी कर रहा है ! कोई हलवाई का काम सीख, 'कैटरिंग कांट्रेक्टर' बन कर बड़े-बड़े इवेंट में लाखों रुपये कमा रहा है !
🌷कोई भैंसें पाल कर,डेयरी खोले है और ताज़ा दूध,पनीर, सीजन पर खोया भी बेच कर लाखों कमा रहा है !
🌷कोई अँगूठा छाप है,पर 'कंस्ट्रक्शन' के बड़े-बड़े ठेके ले रहा है,क्योंकि हर कला का लेबर तो मार्केट में मिलता ही है,वो तो उन्हें एकत्र कर आपके यहाँ काम पर लगा देता है और अपना कमीशन सीधा करता है ! सारा काम मोबाइल से ही चलाता है वो ! बनवाने वाले यानी कि आपका अलग अलग कारीगर तलाशने का सिरदर्द समाप्त ! अभी पिछले साल घर की 'रिन्युवेशन' करवाते समय एक बिहारी प्रौढ़ योगेन्द्र,जो एक पैर से लँगड़ा कर चलता था, को देखा ये सब करते मैंने !
🌷कोई कबाड़े का माल खरीद, बेचकर लाखों कमा रहा है !जैसे मेरे घर आने वाला 'गुड्डू कबाड़ी', जो अभिनेता सोनू सूद का घरेलू 'असिटेंट' भी है व लगभग हर समय साथ रहता है !
🌷कोई सब्जी बेच कर भी 50,60 हजार महीने आराम से कमा रहा है !
🌷कोई चाय की रेहड़ी लगा कर ही 40-50 हज़ार महीने के कमा रहा है !
🌷कोई कचौरी, समोसे,पकोड़े,जलेबी बेच कर ही लाखों रुपये महीने कमा रहा है।
💐मतलब साफ़ है कि,कमा वो ही रहा है जिसने अपनी योग्यता और उस कार्य के प्रति अपनी रोचकता को हुनर में बदला और उस हुनर में 'मास्टरपीस' बन गया। जरुरी नहीं है कि आप अपने बच्चे को डॉक्टर और इंजीनियर ही बनायें ! आप कुछ भी बना सकते हैं ! आप अपने बच्चे में उस कार्य को करने का हुनर परखें बस !
💐अपने बच्चों को 'टैडीबीयर' नहीं बल्कि 'लौहपुरूष' बनाइये ! अपनी मर्जी की भट्टी में मत झोंकिये उसको। उसे पानी की तरह नियंत्रित करके दिशा दीजिये बस,वो अपना रास्ता ख़ुद बना लेगा !
💐हाँ....बच्चों पर नियंत्रण जरुर रखिये। अगर अनियंत्रित हुआ तो वही पानी आपके और ख़ुद अपने जीवन में बाढ़ का रूप ले सब तबाह कर देगा !
💐कहने का मतलब ये है कि सन्तान को 'नेचुरल' ही रहने दें !क्यों 'सिंथेटिक' बना कर उसका जीवन और अपनी खुशियों को बर्बाद करना चाह रहे हैं ?
जे पी सिंह जी के वाल से कॉपी किया गया है...