21/09/2024
डिंपल बलात्कार एवं हत्याकांड की खबर के बारे में कुछ अतिरिक्त तथ्य।
1. डिंपल प्रकरण में 4 एवं 5 सितम्बर, 24 को गृहराज्य मंत्री से संघर्ष समिति की 2 दौर की वार्ता हो गयी। सरकार ने अगली वार्ता 9 को रखी, लेकिन एक ओर सरकार वार्ता कर रही थी, दूसरी ओर पुलिस ने चालान पेश कर दिया। यह वार्ता के नैतिक सिद्धांतों और लोकतांत्रित मूल्यों तथा जनता के प्रति जवाबदेही का खुला अपमान था।
2. पुलिस के साथ 19 की वार्ता का मूल मकसद संघर्ष समति या मीणा समुदाय या पीड़ित परिवार के सामने पुलिस की जांच द्वारा अपनी जांच या सबूतों को सार्वजनिक करवाना कतई भी नहीं था, बल्कि संघर्ष समति को कहा गया था कि पुलिस संघर्ष समिति के सवालों और शंकाओं का जवाब देगी। मगर ऐसा नहीं किया गया। इस प्रकार संघर्ष समति के साथ धोखा किया गया। संघर्ष समिति को गुमराह किया गया।
3. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पीड़िता की योनि में पेनिट्रेशन यानी यानि योनि छिद्र में लिंग प्रवेश किये जाने और 65 प्रतिशत जलने के कारण हुए संक्रमण से उसकी मौत बतायी गयी है। जिसे पुलिस द्वारा चालान में अनदेखा किया गया है।
4. डिंपल के साथ 9 मई को सामूहिक बलात्कार हुआ और घटना के 11 दिन बाद 20 मई को जांच हेतु सैंपल लिये गये। इस विलम्ब का कारण हमें पुलिस से पूछना था, लेकिन मौका ही नहीं दिया गया। पुलिस का कितनी शर्मनाक और मूर्खतापूर्ण तर्क है कि 11 दिन बाद बच्ची की योनि से वीर्य नहीं मिलने को आधार बनाकर पुलिस कहती है कि बलात्कार हुआ होता तो योनि में वीर्य मिलता।
5. 14.09.24 को मूक बधिर एक्सपर्ट की मदद से डिंपल के बयान लिये गये तो डिंपल ने ललित शर्मा के फोटो की अपराधी के रूप में पहचान की, मगर पुलिस ने 20.09.24 को डिंपल की मौत हो जाने तक मजिस्ट्रेट के सामने डिंपल के बयान नहीं करवाये।
6. किसी भी जांच में पुलिस पकड़े गये आरोपियों के खिलाफ गवाहों के बयान रिकॉर्ड करती है, लेकिन इस मामले में 75 गवाहों में अधिकतर के बयान पुलिस ने ललित शर्मा को निर्दोष सिद्ध करने के लिये रिकॉर्ड किये हैं। सघर्ष समति ने इस बारे में पुलिस से पहला ही सवाल किया गया तो बिना जवाब दिये पुलिस वार्ता छोड़कर निकल गयी।
7. पुलिस से सिर्फ एक ही सवाल पूछा था, जिसका जवाब पुलिस अधिकारी नहीं दे सके लेकिन उसी वक्त न जाने क्यों मामनीय मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा जी संघर्ष समिति के साथ जारी वार्ता को छोड़कर बिना कुछ कहे उठकर बाहर निकल गये। यदि मंत्री जी बाहर नहीं जाते तो मंत्री जी के सामने पुलिस के षड़यंत्र को सार्वजनिक करना बहुत आसान था।
संविधान के अनुच्छेद 21 के विरुद्ध इस मामले में डिंपल के माता, पिता और मामा को बेरहमी मारा और टॉर्चर किया गया और संविधान के अनुच्छेद 20 (3) के विरुद्ध उनसे जबरन अपराध कबूल करवाया गया! बातें और भी बहुत सारी हैं, जिन्हें जरूरत हुई तो मुख्यमंत्री के साथ प्रस्तावित वार्ता के बाद प्रेस और सोशल मीडिया के मार्फत आम लोगों के सामने लाया जायेगा। अंत में संघर्ष समिति के सभी सदस्यों, सभी युवाओं, और सभी पंच-पटेलों का आभार जो डिंपल प्रकरण में पुलिस के षड़यंत्र के सामने झुके नहीं और इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित करने के लिये दैनिक भास्कर का भी धन्यवाद। धन्यवाद उन सभी यू ट्यबरों का जिन्होंने इस मुद्दे को जिंदा रखा।
संयोजक: डिंपल मीणा बलात्कार एवं हत्याकांड संघर्ष समति, 21.09.2024
जोहार।