
02/11/2022
हमारे बगल के गाँव में रहने वाले एक शर्मा जी है जिन्होंने अपने एकलौते लड़के को खूब पढ़ाया लिखा कर इंजीनियर बनाया, बेटा अमेरिका में सेटल हो गया। वहीं पर जयपुर की रहने वाली एक अप्रवासी महिला डॉक्टर से लव मैरिज कर अमेरिकन नागरिकता भी हासिल कर लिया।
इधर बूढ़े शर्मा जी अपनी पत्नी के साथ बनारस के सारनाथ में फ्लैट लेकर, बेटे बहू की याद में जैसे तैसे अपना जीवन गुजर बसर कर रहे है।
सात साल बाद अपने NRI बेटे बहू के आने सूचना पाकर, बड़े हर्ष के साथ शर्मा जी ने खूब सारी तैयारियां की। लेकिन यह क्या, बेटा भारत आकर भी मां बाप के सभी अरमानों पर पानी फेरते हुए, मां बाप से मिलने की जगह दीपावली इंजॉय करने अपनी पत्नी के मायके जयपुर चला गया।
और वहाँ से लौट कर मां बाप के मकान में न रहकर होटल ताज गैंगेज में रुक गया, और शाम को सिर्फ आधे घंटे के लिए कल मां बाप से मिलने जा पहुँचा। मां के हाथ की बनी कोई भी मिठाई व्यंजन खाने से इनकार कर दिया। उसे डर है कि बाहर का कोई भी चीज खाने से उसे संक्रमण हो जाएगा। उसने मां के हाथ का चाय पीने से भी सीधे-सीधे इंकार कर दिया।
अब उस वर्णशंकर मंद बुद्धि नकली अमेरिकन को कौन समझाये, कि संक्रमण मां के हाथ के बने पकवानों में नही उसके दो कौड़ी के दिमाग में है।
जिस मां बाप ने जन्म दिया उनके साथ रहने खाने पीने से उसे संक्रमण हो जाएगा। बेटा दो दिनों बाद वापस जाने की तैयारी कर रहा है, उसका यहाँ दम घुट रहा है ।
शर्मा जी ने बेटे को पढ़ा लिखाकर योग्य और सफल तो बना दिया, किंतु भारतीय संस्कार देना भूल गये।
इसलिए अपने बच्चों को शिक्षा के साथ साथ संस्कार भी देना बहुत जरूरी है, वरना अगले शर्मा जी आप भी हो सकते है।
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