21/01/2023
मैं जब जब इन दोनों को और इनके प्रशंशक् को देखता हूँ तो मुझे,मेरे हृदय में 2कहानी का सार उत्पन्न हो जाता है।
प्रथम: "म्यान का रंग" जब मैं 5वीं कक्षा में था तो उसी समय हिंदी के पाठ्यपुस्तक "कोंम्पल" में शायद 5वां पाठ में पढ़ा था।
द्वितीय: "नेताओं के द्वारा अंध्रोणि पकी खिचड़ी"
ये मैंने कहीं से नहीं पढ़ा,इसका लेखक(राइटर)मैं स्वयं हूँ।
इसका थोड़ा सा सार का मैं व्याख्या कर देता हूँ:-
नेताओं के पार्टी अनेक हैं,उस पार्टियों में प्रत्येक नेताओं के चट्टू-बट्टू भी अनेक है।पर ना ही नेताओं के पाँव अडिग है और ना ही उन सभी चट्टू-बट्टू के।
तो आइये इन सभी चीजों को मैं एक कविता में लिख के ही बता दूँ,कहानी तो इतना बड़ा लिख नहीं पाऊंगा।
रग रग में छुपा इनका भ्रस्टाचार है।
किंतु समाज को ऊपर ले जाने का विचार है।।😆
परदे के पीछे जाके 'है' इसकी भाईचारा का प्यार।
आए सामने जनता के तो फिर लड़ें और करें तिरस्कार।।
कुर्सी के लालच में रखते अपनों में ही मन मोटाव तथा खोट।
तनिक देखो तो भाइयों जाके पीठ पीछे कैसे करते हैं एक दूसरे को सपोर्ट।।
कहते हैं,
आप हैं मेरे भगवान,सेवा के अवसर करें प्रदान।
अरे जीत जायेंगे भइया तो करते रहें आप पुनः 5वर्ष मेरा आवाहन।।
जनता है मुर्ख राजीनीति की नीति समझ नहीं पाती है,
पढ़-लिख के भी गवार नेता समाज में उठा ले आती है।।
____ ✍️ Deepak kumar jha.