“संवाद” की शुरुआत क़रीब चार साल पहले जुलाई २०१६ (July 2016) में हुई थी,
पहली चर्चा “पत्रकारिता और सामाजिक जागरूकता ” (صحافت اور سماجی بیداری / Journalism and social awareness ) विषय पर आयोजित हुई थी।
आम लोगों , नौजवानों और बुद्धिजीवियों ने इस चर्चा को बहुत सराहा | प्रश्न व उत्तर सेशन को भी काफ़ी सराहा गया और सारे प्रश्नों पर बहुत ही बेबाकी से पनेलिस्ट ने अपनी बात रखी| श्री सुरूर अहमद साहब (Ex.Sub-E
ditor “The Times of India”, Columnist-The Telegraph) ,श्री सुदन सहाय ( वरिष्ट पत्रकार -पी टी आई और पर्यावरणविद ) , श्री मोहम्मद हामिद हुसैन (Asst. Director-Ministry of Information & Broadcasting) और श्री परवेज़ आलम अलीग (वरिष्ट पत्रकार सह अध्यक्ष, जिला पत्रकार संघ, अररिया) जैसे बुद्धिजीवियों को लोगों को एक साथ सुनने, उनसे सीखने और मुद्दों पर अपनी समझ बढ़ाने का मौका मिला |
“संवाद” उसके बाद समय-समय पर ऐसी बात-चीत और परिचर्चा विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर आयोजित करता रहा। सबों का सहयोग भी मिलता रहा।
उद्देश्य:
• आपसी संवाद बढ़ाया जाये ।
• निरन्तर (लगातार) हर मानवीय मुद्दों पर सकारात्मकता रूप से समाज में संवाद को बढ़ावा दिया जाये और एक स्वस्थ सोच के निर्माण में सहयोग किया जाये ।
• मतभेद हों तब भी संवाद का रास्ता उन मतभेदों के साथ खुला रहे ताकि मनभेद को रोका जा सके ।
• सभी के विचारों को पूर्ण आदर-सम्मान मिले और एक बेहतर वातावरण का निर्माण हो; जिसमें बिना संकोच के, बिना भय के कोई भी अपनी बात साफ़ मन से रख सकें, शंकाएं दूर की जा सके ।
• किसी मुद्दे पर असहमति की स्तिथि में भी एक अपनापन का अहसास बना रहे ।
• नफरतों को रोका जा सके, झगड़ों को संवाद द्वारा सुलझाया जा सके, रूठों को संवाद द्वारा मनाया जा सके।
• किसी भी परिस्थिति में मोहब्बत की फ़िज़ा आम की जा सके।
• इंसान, उसके मान-सम्मान की क़द्र को बिना किसी भेद-भाव के स्थापित करने की कोशिश संवाद के माध्यम से की जा सके।
कियोंकि…
… बात से बात सुलझे ….और बिन करे बात बिगड़े … चल हम बात करें….इधर उधर कि नहीं ..ज़रूरी तो बात करे…अगर बात चलती रहे…आगे की राह् दिखे..अंधेरा कितना भी हो रौशनी फिर भी दिखे..ज़ख्म कितना भी हो ..बातों से मर्हम लगे….चल हम बात करें…दिल से बात करें…
इस चार साल के कामयाब सफर को आगे बढ़ाते हुए “द संवाद / The Samwaad ” नाम से एक news web -portal ( न्यूज़ वेब -पोर्टल) की शुरुआत 15 September, 2020 से की गई है।
“द संवाद”… सच के साथ
हमें अपना सहयोग हर परिस्थिति में अपने गाँव, शहर और देश को संवारने – सजाने में निरन्तर देने का प्रयास करते रहना है; ताकि राष्ट्र निर्माण में एक बेहतर भुमिका निभा सकें।
जय संवाद , जय मानवता ,जय भारत।
कपिल सिब्बल जी की ये कविता संवाद के उद्देश्य को दर्शाती है …
–चल हम बात करें —
रात ढले…धूप खिले… बातों से बात बने..
बात से बात निकले ..बिन करे बात बिगड़े..
अल्फ़ाज़ से बात उलझे ..बात, बात से सुलझे..
चल हम बात करें..दिल से बात करें..
बातों से आग लगे..बिन बात कैसे बुझे….
लगी वोह बात मेरे….नहीं वोह साथ मेरे…
बिन कहे बात करे…वोह भी मेरे साथ रहे..
चल हम बात करें..दिल से बात करें..
जंग बातों से हुए…..संग बातों से रहे…..
अगर तू बात करे ….कोई तो उसको सुने..
बिन सुने कोई कैसे बात से बात करे..
चल हम बात करें….दिल से बात करें..
बातों के जज़्बात को समझ्ने वाला तो हो …
कब से राह् में खड़े …कोई तो बात करे..
मुलाक़ात ना ही सही बात शुरू तो करे..
चल हम बात करें ..दिल से बात करें..
अधूरी यह बात रही …. कोई तो पूरी करे..