History of Yadav

History of Yadav Please like and share our golden history don't forget our culture Jay Shri Radhe Kriahna

"मन को सुकून तब मिला,जब 'राधे-राधे' नाम लिया।" 🧘‍♂️🌸History of Yadav Radhe Radhe
15/07/2025

"मन को सुकून तब मिला,
जब 'राधे-राधे' नाम लिया।" 🧘‍♂️🌸
History of Yadav Radhe Radhe

"तेरा नाम है सुकून, सांवरे... 🎶❤️"
01/07/2025

"तेरा नाम है सुकून, सांवरे... 🎶❤️"

20/06/2025

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"जब मन व्याकुल हो जाए,
तो बस एक बार 'राधे राधे' कह लेना,
मन शांति से भर जाएगा।"
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History of Yadav Radhe Radhe

19/06/2025

हार मत मानो, क्योंकि तुम्हारा सारथी अभी भी श्रीकृष्ण है।

महाभारत के बाद का यादव वंश बहुत रोचक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण विषय है। मैं आपको इसे विस्तार से बताता हूँ:---📜 मह...
18/06/2025

महाभारत के बाद का यादव वंश बहुत रोचक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण विषय है। मैं आपको इसे विस्तार से बताता हूँ:

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📜 महाभारत युद्ध के बाद यादव वंश की स्थिति:

महाभारत के युद्ध में यद्यपि कौरवों और पांडवों की मुख्य लड़ाई थी, लेकिन यादव वंश का भी विशेष स्थान था। श्रीकृष्ण स्वयं यादव वंश के प्रमुख थे (वंश का नाम — यदुवंश)।

महाभारत के युद्ध में यादव वंश प्रत्यक्ष रूप से नहीं लड़ा क्योंकि श्रीकृष्ण ने युद्ध में अपनी सेना दोनों पक्षों को बांट दी थी।

युद्ध के बाद जब कौरव नष्ट हो गए और पांडवों ने राज्य प्राप्त कर लिया, तब यादव वंश द्वारका (गुजरात के पश्चिम तट पर) में ही बस गया।

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🏴 यादवों के बीच गृहयुद्ध (मौसाल्य पर्व):

महाभारत के युद्ध के कुछ वर्ष बाद:

यदुवंश में आपसी कलह और अहंकार बढ़ने लगा।

ऋषि दुर्वासा के शाप के कारण यादव कुल में गृहयुद्ध हुआ, जिसे मौसाल्य युद्ध (मूसल युद्ध) कहते हैं।

इस युद्ध में यादव वंश के अधिकांश वीर मारे गए।

श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम ने योगबल से शरीर त्याग दिया।

अंततः श्रीकृष्ण ने भी प्रभास क्षेत्र (गुजरात) में अपने शरीर का त्याग कर दिया।

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🌊 द्वारका का अंत:

यादव वंश के विनाश के बाद, समुद्र ने द्वारका नगरी को डुबो दिया।

द्वारका का जलमग्न होना समुद्र के बढ़ते जलस्तर और प्राकृतिक घटनाओं से जोड़ा जाता है।

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⚜ यदुवंश के शेष वंशज:

हालांकि अधिकांश यादव नष्ट हो गए, लेकिन सभी नहीं।
महाभारत के बाद भी यादव वंश की शाखाएँ कई स्थानों पर फैल गईं:

शाखा विवरण

अंधक यादव दक्षिण भारत की ओर चले गए।
शूरसेन यादव मथुरा व ब्रज क्षेत्र में बस गए।
हैहय यादव मध्य भारत (मालवा, नर्मदा तट) में बसे।
वृष्णि यादव कुछ वृष्णि कुल के लोग उत्तर भारत में रह गए।
सतवाहन यादव दक्षिण भारत में शक्तिशाली साम्राज्य बनाया (आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र)।
अभीरा यादव पश्चिम भारत में बसकर राजवंश चलाया।

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⚔ यादव वंश का प्रभाव बाद के युग में:

गुप्त वंश, मौर्य वंश के कुछ राजा स्वयं को यादवों से जोड़ते थे।

मध्यकाल में भारत के अनेक क्षेत्रीय राजवंश अपने को यादव वंश से उत्पन्न मानते थे।

आज भी भारत में यादव जाति की एक बड़ी जनसंख्या है, जो अपने को उसी यदुवंश का वंशज मानते हैं।

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🔱 यादव वंश की विरासत:

श्रीकृष्ण के कारण यदुवंश की महिमा आज भी अमिट है।

गोपालक, ग्वाला, अहीर, गड़रिया, मुरलीधर, नंदवंश, द्वारकाधीश — यह सब यदुवंश की ही परंपरा को दर्शाते हैं।

आज भी श्रीकृष्ण के वंशज के रूप में यादव समाज की पहचान बनी हुई है।

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अगर आप चाहें तो मैं आपको:

यादव वंश की वंशावली (वंश वृक्ष)

अभीरा, सतवाहन, शूरसेन आदि का पूरा इतिहास

यादव वंश की शाखाएँ किस-किस राज्य में फैलीं

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👉 आप बताइए किस भाग को और विस्तार से समझना चाहते हैं?
History of Yadav Jaypal Singh Yadav Mahabharat #यादववंशकाइतिहास

यादव वंश का इतिहास1️⃣ प्राचीन शुरुआतयादव वंश का उल्लेख प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथों जैसे महाभारत, भागवत पुराण, हरिवंश पुरा...
18/06/2025

यादव वंश का इतिहास

1️⃣ प्राचीन शुरुआत

यादव वंश का उल्लेख प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथों जैसे महाभारत, भागवत पुराण, हरिवंश पुराण व अन्य पुराणों में मिलता है।

यादव वंश की उत्पत्ति भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी मानी जाती है।

यादव शब्द का अर्थ है — "यदु के वंशज". यदु महाराज चंद्रवंशी वंश के राजा ययाति के सबसे बड़े पुत्र थे।

चंद्रवंश से ही कुरु वंश, यादव वंश, और अन्य राजवंश निकले।

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2️⃣ श्रीकृष्ण और यादव वंश

भगवान श्रीकृष्ण यादव वंश के सबसे प्रसिद्ध राजा थे।

यादव वंश की राजधानी मथुरा और बाद में द्वारका बनी।

यादवों का समाजिक संगठन "सांगठनिक गणराज्य" की तरह था।

महाभारत में यादवों का महत्वपूर्ण योगदान रहा — श्रीकृष्ण ने ही अर्जुन को गीता का उपदेश दिया।

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3️⃣ महाभारत के बाद यादव वंश

महाभारत युद्ध के बाद यादवों में आंतरिक कलह बढ़ी, जिसे "मुसल युद्ध" कहते हैं।

इसके बाद यादवों ने विभिन्न स्थानों में जाकर बसना शुरू किया:

उत्तर भारत (ब्रज, मथुरा, वृंदावन)

पश्चिम भारत (गुजरात, सौराष्ट्र, द्वारका)

मध्य भारत (मालवा, बुंदेलखंड)

दक्षिण भारत (कृष्णा-गुण्डा वंश)

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4️⃣ मध्यकाल में यादव वंश

यादव वंश के कई उपवंश बने:

अहीर (Abhira): गोपालन करने वाले

गवली यादव: महाराष्ट्र, कर्नाटक में

यदुवंशी क्षत्रिय: उत्तर भारत में

महाराष्ट्र का प्रसिद्ध सेवुण (Devagiri के यादव) वंश 12वीं शताब्दी में बहुत प्रसिद्ध हुआ।

मध्य भारत के कई किलों पर यादवों का शासन रहा।

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5️⃣ आधुनिक काल में यादव समाज

यादव समाज पूरे भारत में फैला है — उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, झारखंड, हरियाणा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश आदि।

यादव समाज में प्रमुख पहचान:

गोपालन और कृषि

समाज सेवा

शिक्षा, सेना, राजनीति में योगदान

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी यादवों का योगदान रहा।

आज यादव समाज राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है।

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6️⃣ यादव वंश के गौरव

भगवान श्रीकृष्ण

वीर सपूत अर्जुन, बलराम

महाराजा यदु

पोरस (कुछ इतिहासकार इन्हें भी यादव मानते हैं)

आधुनिक काल में भी यादव समाज के कई प्रसिद्ध नेता, सेनानी, वैज्ञानिक, अधिकारी हैं।

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यादव वंश की प्रमुख विशेषताएं:

✅ बहादुरी
✅ गऊ पालन (गोप)
✅ सामाजिक संगठन
✅ भक्ति परंपरा
✅ शौर्य और धर्मनिष्ठा

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👉 यादव वंश के लिए प्रसिद्ध एक पंक्ति —
"जहां श्रीकृष्ण का नाम, वहीं यादवों का अभिमान।"

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16/06/2025

🙏 शुभ मंगलवार 🙏
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श्रीकृष्ण के विचारों को जीवन में अपनाने के लिए हमें उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलना चाहिए, जैसे सत्य, धर्म, भक्ति, और ...
16/06/2025

श्रीकृष्ण के विचारों को जीवन में अपनाने के लिए हमें उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलना चाहिए, जैसे सत्य, धर्म, भक्ति, और निष्काम कर्म योग। Mahabharat Mahabharat ,Shree Krishna Leela History of Yadav Mahabharatham & Ramayanam Highlights

श्रीमद्भागवत गीता, जिसे "गीता" भी कहा जाता है, महाभारत का एक भाग है और इसमें भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों...
15/06/2025

श्रीमद्भागवत गीता, जिसे "गीता" भी कहा जाता है, महाभारत का एक भाग है और इसमें भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संग्रह है। यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो कर्म, ज्ञान, भक्ति और योग जैसे विषयों पर प्रकाश डालता है। गीता के उपदेश संस्कृत में हैं, लेकिन इसका हिंदी अनुवाद भी व्यापक रूप से उपलब्ध है।
श्रीमद्भागवत गीता के उपदेश:

कर्म योग:
गीता कर्मों को फल की इच्छा के बिना करने की शिक्षा देती है। भगवान कृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि मनुष्य का कर्म करना ही अधिकार है, फल की इच्छा करना नहीं।

ज्ञान योग:
गीता ज्ञान के महत्व पर जोर देती है। यह बताती है कि ज्ञान के माध्यम से ही मनुष्य अज्ञान के बंधन से मुक्त हो सकता है।

भक्ति योग:
गीता भक्ति के मार्ग को भी दर्शाती है। भगवान कृष्ण अर्जुन को अपनी भक्ति में लीन होने और उन पर विश्वास करने की सलाह देते हैं।

आत्म-साक्षात्कार:
गीता का एक महत्वपूर्ण उपदेश आत्म-साक्षात्कार है, यानी आत्मा और परमात्मा के सत्य को जानना।

संसार की नश्वरता:
गीता हमें यह भी सिखाती है कि संसार नश्वर है और मनुष्य को सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठना चाहिए।
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कर्म ही पूजा हैभगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वक...
14/06/2025

कर्म ही पूजा है
भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि” अर्थात् कर्म ही पूजा है. कर्म ही भक्ति है, इसलिए कर्म को पूरे मन से करना चाहिए. कृष्ण ने अर्जुन को कर्म योगी बनने के उपदेश दिए. उन्होंने अर्जुन से कहा-जो भी कर्म करो, यह सोचकर करो कि वह परमात्मा को समर्पित होता है.
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