27/06/2025
एक आदेश आया है… #स्कूल_मर्ज
जिसमें कहा गया है कि छोटे विद्यालयों को,जहाँ छात्र संख्या कम है, उन्हें पास के बड़े विद्यालयों में मर्ज कर दिया जाए।
इस आदेश में ‘शैक्षिक गुणवत्ता’, ‘संसाधनों का समुचित उपयोग’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है।
लेकिन शायद इस आदेश में कहीं ये नहीं लिखा कि—
उस छोटे से गाँव के छोटे से बच्चे की छोटी टांगों में इतनी ताक़त नहीं कि वो रोज़ दो किलोमीटर का रास्ता तय कर पाए।
या यह कि उस स्कूल की इमारत नहीं, उस गाँव की उम्मीद मर्ज होने जा रही है।
हम शिक्षक हैं हमने सिर्फ़ पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाया,
हमने बच्चों की भाषा, चाल, डर, अभाव, और उम्मीदें भी पढ़ी हैं। हमें पता है कि विद्यालयों का मर्ज कोई काग़ज़ी बदलाव नहीं होता,
यह उस बच्चे के लिए बड़ा झटका है, जिसकी दुनिया का पहला सपना वही स्कूल होता है।
RTE Act (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) साफ़ कहता है कि 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को स्थानीय स्तर पर शिक्षा मिलना अनिवार्य है।
फिर यह “मर्ज” किस अधार पर किया जा रहा है?
क्या अब हम कानूनों को भी सुविधा के हिसाब से तोड़ने-मरोड़ने लगे हैं?
नामांकन कम होने की बात करने वालों से पूछिए ,
क्या आपने कभी गांव के उन रास्तों को देखा है जो बारिश में कीचड़ और गर्मी में तपते हैं?
क्या आपने कभी उन बच्चों से बात की है जो सुबह भूखे पेट स्कूल आते हैं,
या उन माता-पिता से जिनके लिए 500 मीटर की दूरी भी बच्चों की सुरक्षा का सवाल है?
हम विरोध नहीं कर रहे हम चेतावनी दे रहे हैं,
कि अगर इन आदेशों को जमीन की सच्चाई से नहीं जोड़ा गया,
तो शिक्षा का भविष्य सिर्फ़ रिपोर्टों और आंकड़ों में ही जीवित रह जाएगा।
आज जो शिक्षक बोल रहा है, वो व्यवस्था का दुश्मन नहीं है वो बच्चों का संरक्षक है।
हम किसी योजना के खिलाफ़ नहीं,
उस दृष्टिकोण के खिलाफ़ हैं जिसमें स्कूल एक बोझ समझे जा रहे हैं।
हम मानते हैं कि हर गाँव का स्कूल, उस गाँव की शान होता है।
उसे विलय करना, उस गाँव के भविष्य को छोटा करना है।
इसलिए हम चुप नहीं हैं।
हम हर शिक्षक, अभिभावक और जागरूक नागरिक से आह्वान करते हैं आइए, इस निर्णय को चुनौती नहीं, पर समीक्षा देने की मांग बनाएं।
शिक्षा को आंकड़ों से नहीं, इंसानियत से समझा जाए।
नीरज कुमार
(अध्यापक,गोंडा)
Niraj-The Basic Vision
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#विद्यालय_मर्ज_का_विरोध
#शिक्षक_की_आवाज़
#शिक्षा_का_अधिकार
#गाँव_का_स्कूल_बचाओ
संस्कार की शान पर,गुरु धरता है धार।
नीर-क्षीर सम शिष्य के,कर आचार-विचार।।- नीरज कुमार (सहा.अध्यापक)