22/07/2025
साभार ,
मेरे विद्यालय के कुछ बच्चे कथित तौर पर प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जा रहे थे। वास्तविकता जानने के लिए मैं उस स्कूल गया। एक औरत जो अपने बच्चे को पहुंचाने स्कूल गई थी,मुझे देखकर लज्जित होती हुई कहने लगी,"गुरुजी 3 साल से सरकारी में जा रहा था। इसे कुछ आता ही नहीं था,तो हम सोचे कि प्राइवेट में लिखा दें।
मैं - "यह बहुत अच्छी बात है कि आप अपने बच्चे के प्रति इतनी जागरुक हैं।अच्छा इसे काजल कौन लगाया है ?
महिला - (प्रसन्न होकर चहकते हुए)"गुरु जी हम लगाए हैं।"
मैं - "और पाउडर तेल कंघी ?"
महिला - (अब वह प्रसन्न व सहज थी)"गुरुजी सब हम ही लगाए हैं। ड्रेस भी सिलवा दिए हैं,जूते मोजे और बैग भी खरीद दिए हैं।
मैं - "अच्छा कितने दिन बच्चे को यहां स्कूल तक पहुंचाई हैं ?"
महिला -"20 दिन हुआ नाम लिखाए,तब से हर दिन पहुंचाए हैं। टिफिन भी लगाना पड़ता है।
मैं - "अच्छा जब यह 3 साल तक सरकारी में पढ़ रहा था,तब कितने दिन इसे तेल,काजल,पाउडर लगाई थीं ?
महिला झेंप गई,बोली - "तब नहीं लगाए थे कभी ।
मैं - अच्छा 3 सालों में कभी नहलाई थीं ?
महिला - (बहुत लज्जित होकर)"हम नहाने के लिए डांटते थे,पर नहाता ही नहीं था ।
मैं - "फिर अब कैसे नहाता है ?"
महिला - "हम ही नहलाते हैं।"
मैं -"अच्छा 3 सालों में नाम लिखाने के अलावा,कभी सरकारी स्कूल में बच्चे को पहुंचाने या देखने आईं?
महिला लज्जित और निरुत्तर खड़ी थी।
मैं - "3 सालों में,आप तीन बार आई हैं।लेकिन बच्चे के लिए नहीं। इसलिए कि आपके बच्चे की ड्रेस क्यों नहीं आई। पूरे 3 सालों तक आपका बच्चा हफ्ते में दो दिन आता रहा।वह भी कच्छे और बनियान में।नहाना तो दूर,शायद ही कभी मुंह धोकर आया हो।कई बार उसे हमने नहलाया और मुंह धुलवाया।आज जितना इसके चेहरे पर पाउडर लगा दिख रहा है,इससे ज्यादा यह अपने चेहरे और बालों में मिट्टी लगाये आता था। कभी 3 सालों में आपने इसे कापी और पेन नहीं दिया।
महिला निरुत्तर खड़ी थी।
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#बेसिक का अध्यापक बेचारा #
बाल वाटिका स्कूल