15/04/2025
आपके ज़ख़्म शगुफ़्ता नहीं होने देते
और सितम ये कि हमेशा नहीं होने देते
यूँ तो हर दिन मैं अज़ीज़ उनको ही होता हूँ मगर
ख़ास दिन पे मुझे अपना नहीं होने देते
उनपे मरने के लिए ही तो मैं जीता हूँ मगर
मुझको नासेह कभी उनका नहीं होने देते
हँसने वाले बड़े चालाक हुआ करते हैं
ऐसे रोते हैं तमाशा नहीं होने देते
अब फ़क़त चेहरे पे नज़रें नहीं रुकती मेरी
कई धोके हैं जो धोका नहीं होने देते
तू कहीं और जो ख़ुश है तो ये एहसान समझ
हम तेरे दोस्त थे वरना नहीं होने देते
इश्क़ हो जाए तो फिर इश्क़ निभाना होगा
वो समझते हैं लिहाज़ा नहीं होने देते
हमीं लोगों ने बचा रक्खा है रातों का वजूद
शहर वाले तो अँधेरा नहीं होने देते
© Ashraf Jahangeer ❤️
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