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दुर्वासा गोशाला में गायों की दुर्दशा! भूख से तड़पकर हो रही मौतें, शव फेंके जा रहे खुले में" -फूलपुर, आज़मगढ़: जहां एक ओर...
29/07/2025

दुर्वासा गोशाला में गायों की दुर्दशा! भूख से तड़पकर हो रही मौतें, शव फेंके जा रहे खुले में" -फूलपुर, आज़मगढ़: जहां एक ओर सरकार गौसेवा को लेकर करोड़ों खर्च कर रही है, वहीं ज़मीनी हकीकत इससे ठीक उलट है। मामला है निजामाबाद तहसील क्षेत्र की दुर्वासा गोशाला का, जहां दर्जनों गोवंश भूख और प्यास से तड़प-तड़पकर अपनी जान गंवा रहे हैं।स्थानीय ग्रामीण बिट्टू सिंह उर्फ रविंद्र प्रताप सिंह ने खुलासा किया है कि गोशाला में न तो चारे की समुचित व्यवस्था है और न ही पीने के पानी की। बीमार गायों का इलाज तक नहीं किया जा रहा। सबसे शर्मनाक बात ये है कि जब कोई गाय दम तोड़ देती है, तो उसकी लाश को खुले में फेंक दिया जाता है। इससे न सिर्फ बदबू फैल रही है, बल्कि संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया है।ग्रामीणों का कहना है कि गोशाला का संचालन कागजों पर तो शानदार दिखता है, लेकिन असलियत इससे बिल्कुल उलट है। मौके पर जाकर देखने पर कई गोवंश कंकाल जैसे हालत में पड़े मिले, कई तो दम तोड़ चुके थे।...

दुर्वासा गोशाला में गायों की दुर्दशा! भूख से तड़पकर हो रही मौतें, शव फेंके जा रहे खुले में” -फूलपुर, आज़मगढ़: जहां एक ...

29/07/2025

#वायरल_वीडियो_उत्तर_प्रदेश_शिक्षा_व्यवस्था

26/07/2025

सच्ची बात हमेशा कड़वी होती है

26/07/2025

*सावन में पीपल की कटाई: आस्था पर कुल्हाड़ी या सुनियोजित साज़िश?*”

सावन के पावन महीने में, जब हर तरफ हरियाली, भक्ति और श्रद्धा की वर्षा होती है — ठीक उसी समय आज़मगढ़ के फूलपुर थाना क्षेत्र के कौड़िया गांव से एक ऐसी खबर आई जिसने पूरे इलाके को सन्न कर दिया।

यहां एक पीपल का वयोवृद्ध, विशाल और पूज्य वृक्ष काट डाला गया। वही पीपल जिसे देव वृक्ष माना जाता है, जिसके नीचे पूजा होती है, व्रत रखे जाते हैं, और जिसकी छांव को आस्था का रूप दिया जाता है।

धर्म की जड़ें काटी गईं या सिर्फ एक पेड़?

यह कोई साधारण पेड़ नहीं था। पीड़ित रामचेत के अनुसार, यह पीपल पहले से विवादित भूमि पर था, जिसका मामला न्यायालय में लंबित है। इसके बावजूद गांव के ही नरकू नामक व्यक्ति ने कथित तौर पर मशीन, चैन और ठेका मुहैया करवा कर इसे काटने का काम सुनियोजित रूप से करवाया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि दोषियों का संबंध मुस्लिम समुदाय से है, जिससे गांव में तनाव की स्थिति गहरा गई है।

“जिस पेड़ की जड़ें धर्म से जुड़ी हों, उसकी कटाई केवल लकड़ी नहीं, विश्वास की हत्या है।”

सावन में ही क्यों? संयोग नहीं, साज़िश!

पूरे देश में सावन को शिव भक्ति का महीना कहा जाता है, और पीपल का सीधा संबंध देवताओं से माना जाता है। ऐसे समय में इस पूज्य वृक्ष की कटाई – क्या यह मात्र एक संयोग है या किसी गहरी साज़िश की ओर इशारा करता है?

गांव के लोग इसे एक खुला धार्मिक हमला मानते हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत करने की बात तो कही है, लेकिन जनता अब सिर्फ FIR से संतुष्ट नहीं है – वे "न्याय और सज़ा" चाहते हैं।

प्रशासन पर उठते सवाल: कब तक ढिलाई?

यह घटना सिर्फ कौड़िया गांव की नहीं रही। अब यह सवाल पूरे समाज और शासन तंत्र पर उठ रहा है:

“जब मुख्यमंत्री खुद कहते हैं कि 'माँ के नाम पर पेड़ लगाओ', तो क्या अब आस्था के नाम पर लगे पेड़ काटे जाएंगे?”

“प्रधानमंत्री जिस 'पर्यावरण पूजन' की बात करते हैं, क्या उस विचार की जड़ों पर कुल्हाड़ी नहीं चलाई गई?”

“क्या ‘हरियाली और धार्मिक समरसता’ के नारे अब महज़ भाषणों में रह गए हैं?”

जनता की आवाज़: अब चुप नहीं बैठेंगे

ग्रामीणों ने साफ कहा है – जब तक दोषियों को सख्त सज़ा नहीं मिलती, वे शांत नहीं बैठेंगे। यह मामला अब केवल कानून और अपराध का नहीं, बल्कि ‘धर्म, परंपरा और पहचान’ का बन चुका है।

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> “एक समाज तभी जीवित होता है जब उसकी आस्था जीवित रहे, वरना कटते हुए पेड़ नहीं, उसके साथ आत्मा भी गिरती है।”

*सावन में पीपल की कटाई: आस्था पर कुल्हाड़ी या सुनियोजित साज़िश?*” सावन के पावन महीने में, जब हर तरफ हरियाली, भक्ति और श्...
26/07/2025

*सावन में पीपल की कटाई: आस्था पर कुल्हाड़ी या सुनियोजित साज़िश?*”

सावन के पावन महीने में, जब हर तरफ हरियाली, भक्ति और श्रद्धा की वर्षा होती है — ठीक उसी समय आज़मगढ़ के फूलपुर थाना क्षेत्र के कौड़िया गांव से एक ऐसी खबर आई जिसने पूरे इलाके को सन्न कर दिया।

यहां एक पीपल का वयोवृद्ध, विशाल और पूज्य वृक्ष काट डाला गया। वही पीपल जिसे देव वृक्ष माना जाता है, जिसके नीचे पूजा होती है, व्रत रखे जाते हैं, और जिसकी छांव को आस्था का रूप दिया जाता है।

धर्म की जड़ें काटी गईं या सिर्फ एक पेड़?

यह कोई साधारण पेड़ नहीं था। पीड़ित रामचेत के अनुसार, यह पीपल पहले से विवादित भूमि पर था, जिसका मामला न्यायालय में लंबित है। इसके बावजूद गांव के ही नरकू नामक व्यक्ति ने कथित तौर पर मशीन, चैन और ठेका मुहैया करवा कर इसे काटने का काम सुनियोजित रूप से करवाया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि दोषियों का संबंध मुस्लिम समुदाय से है, जिससे गांव में तनाव की स्थिति गहरा गई है।

“जिस पेड़ की जड़ें धर्म से जुड़ी हों, उसकी कटाई केवल लकड़ी नहीं, विश्वास की हत्या है।”

सावन में ही क्यों? संयोग नहीं, साज़िश!

पूरे देश में सावन को शिव भक्ति का महीना कहा जाता है, और पीपल का सीधा संबंध देवताओं से माना जाता है। ऐसे समय में इस पूज्य वृक्ष की कटाई – क्या यह मात्र एक संयोग है या किसी गहरी साज़िश की ओर इशारा करता है?

गांव के लोग इसे एक खुला धार्मिक हमला मानते हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत करने की बात तो कही है, लेकिन जनता अब सिर्फ FIR से संतुष्ट नहीं है – वे "न्याय और सज़ा" चाहते हैं।

प्रशासन पर उठते सवाल: कब तक ढिलाई?

यह घटना सिर्फ कौड़िया गांव की नहीं रही। अब यह सवाल पूरे समाज और शासन तंत्र पर उठ रहा है:

“जब मुख्यमंत्री खुद कहते हैं कि 'माँ के नाम पर पेड़ लगाओ', तो क्या अब आस्था के नाम पर लगे पेड़ काटे जाएंगे?”

“प्रधानमंत्री जिस 'पर्यावरण पूजन' की बात करते हैं, क्या उस विचार की जड़ों पर कुल्हाड़ी नहीं चलाई गई?”

“क्या ‘हरियाली और धार्मिक समरसता’ के नारे अब महज़ भाषणों में रह गए हैं?”

जनता की आवाज़: अब चुप नहीं बैठेंगे

ग्रामीणों ने साफ कहा है – जब तक दोषियों को सख्त सज़ा नहीं मिलती, वे शांत नहीं बैठेंगे। यह मामला अब केवल कानून और अपराध का नहीं, बल्कि ‘धर्म, परंपरा और पहचान’ का बन चुका है।

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समापन लाइन:

> “एक समाज तभी जीवित होता है जब उसकी आस्था जीवित रहे, वरना कटते हुए पेड़ नहीं, उसके साथ आत्मा भी गिरती है।”

सावन के पावन महीने में, जब हर तरफ हरियाली, भक्ति और श्रद्धा की वर्षा होती है — ठीक उसी समय आज़मगढ़ के फूलपुर थाना क्षेत्...
26/07/2025

सावन के पावन महीने में, जब हर तरफ हरियाली, भक्ति और श्रद्धा की वर्षा होती है — ठीक उसी समय आज़मगढ़ के फूलपुर थाना क्षेत्र के कौड़िया गांव से एक ऐसी खबर आई जिसने पूरे इलाके को सन्न कर दिया।यहां एक पीपल का वयोवृद्ध, विशाल और पूज्य वृक्ष काट डाला गया। वही पीपल जिसे देव वृक्ष माना जाता है, जिसके नीचे पूजा होती है, व्रत रखे जाते हैं, और जिसकी छांव को आस्था का रूप दिया जाता है।...

सावन के पावन महीने में, जब हर तरफ हरियाली, भक्ति और श्रद्धा की वर्षा होती है — ठीक उसी समय आज़मगढ़ के फूलपुर थाना क्ष....

फूलपुर (आज़मगढ़): सावन के पावन महीने में, जब पीपल के पेड़ की पूजा होती है और उसे देव वृक्ष माना जाता है, तब आज़मगढ़ के फ...
26/07/2025

फूलपुर (आज़मगढ़): सावन के पावन महीने में, जब पीपल के पेड़ की पूजा होती है और उसे देव वृक्ष माना जाता है, तब आज़मगढ़ के फूलपुर थाना अंतर्गत कौड़िया गांव में एक हरा-भरा पीपल का पेड़ काट डाला गया। यह कोई साधारण कटाई नहीं, बल्कि आस्था पर कुल्हाड़ी चलाने जैसा कृत्य था। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, जिस भूमि पर यह वृक्ष था, वह पहले से ही न्यायालय में विवादित है, लेकिन इसके बावजूद कुछ लोगों ने अपनी ज़िद और दबंगई में इस पूज्य वृक्ष को भी नहीं बख्शा। पेड़ काटने वाले मुस्लिम समुदाय से हैं, जिससे गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है।...

फूलपुर (आज़मगढ़): सावन के पावन महीने में, जब पीपल के पेड़ की पूजा होती है और उसे देव वृक्ष माना जाता है, तब आज़मगढ़ के फ...

22/07/2025

मां के कलयुगी बेटे ने बूढ़ी मां पर लगाया दूसरी शादी करने का आरोप मामला आजमगढ़ से जुड़ा

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21/07/2025
गुमशुदा की तालाश नाम: श्री सुदर्शन यादवउम्र: लगभग 65 वर्षपता: ग्राम – धर्मदासपुर, पोस्ट – दुर्वासा , थाना – फूलपुर, जिला...
21/07/2025

गुमशुदा की तालाश
नाम: श्री सुदर्शन यादव
उम्र: लगभग 65 वर्ष
पता: ग्राम – धर्मदासपुर, पोस्ट – दुर्वासा , थाना – फूलपुर, जिला – आज़मगढ़ (उत्तर प्रदेश)

विवरण:
श्री सुदर्शन यादव दिनांक 17 जुलाई 2025, शाम लगभग 3 बजे से अपने घर से लापता हैं।
लापता होने के समय उन्होंने सिर पर गमछा और सफेद कमीज़ व लुंगी पहन रखी थी।

परिवार अत्यंत चिंतित है। यदि किसी सज्जन को इनकी कोई भी जानकारी प्राप्त हो तो कृपया तुरंत नीचे दिए गए नंबरों पर संपर्क करें:

📞 संपर्क करें:
🔹 9369423478
🔹 9616741983
🔹 8303990430

कृपया सहयोग करें और अधिक से अधिक शेयर करें।
मानवता का परिचय दें, एक परिवार को उनके अपने से मिलाने में सहायता करें।

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