17/06/2025
आयुर्वेद में अनेक ऐसे रत्न हैं जिन्हें यदि सही समय, मात्रा और विधि से लिया जाए तो न केवल वे रोगों को जड़ से खत्म कर सकते हैं बल्कि शरीर को पुनः ऊर्जा से भर देते हैं। त्रिकटु, ऐसा ही एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक संयोजन है, जो अक्सर त्रिफला के समकक्ष रखा जाता है। दोनों का उद्देश्य भिन्न होते हुए भी, शरीर की शुद्धि, संतुलन और बलवर्धन में अतुलनीय योगदान होता है।
त्रिकटु क्या है?
त्रिकटु का अर्थ है 'तीन तीखे'। यह तीन प्रमुख औषधीय द्रव्यों का संयोजन होता है:
सौंठ (शुष्क अदरक)
काली मिर्च
पिप्पली (लंबी मिर्च)
इन तीनों को सम मात्राओं में मिलाकर त्रिकटु तैयार किया जाता है। यह अग्निदीपक, कफघ्न, आमहर और रक्तशुद्धि में विशेष सहायक होता है।
त्रिफला और त्रिकटु: समानता और अंतर
जहां त्रिफला तीन फलों – हरड़, बहेड़ा और आंवला – का संयोजन है, वहीं त्रिकटु तीखे और पाचन को सक्रिय करने वाले तत्त्वों से बना होता है।
समानताएं:
दोनों पाचन को सुधारते हैं
शरीर की शुद्धि में सहायक हैं
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं
वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करते हैं
मुख्य अंतर:
त्रिफला शीतल प्रकृति की है जबकि त्रिकटु उष्ण
त्रिफला का प्रयोग दीर्घकालीन किया जा सकता है, जबकि त्रिकटु नियंत्रित मात्रा में लिया जाना चाहिए
त्रिफला अधिकतर रसायन की श्रेणी में आती है जबकि त्रिकटु दोषहर के रूप में प्रयोग होती है
त्रिकटु के स्वास्थ्य लाभ:
1. अग्नि दीपक (Digestive Enhancer):
त्रिकटु भोजन के पाचन में सुधार करता है और अपाच्य पदार्थों को आम (toxins) बनने से रोकता है।
2. कफहर गुण:
सर्दी, खांसी, जुकाम, दमा और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं में त्रिकटु अत्यंत लाभदायक है।
3. वज़न नियंत्रण:
यह मेटाबॉलिज्म को तेज़ करता है, जिससे मोटापा कम करने में मदद मिलती है।
4. आम पाचन:
त्रिकटु शरीर में संचित आम को नष्ट करता है, जिससे जीर्ण रोगों की संभावना कम होती है।
5. जठराग्नि को सुधारना:
वात और कफ के असंतुलन से उत्पन्न जठराग्नि मंदता को दूर करता है।
6. यकृत और प्लीहा के लिए उपयोगी:
त्रिकटु लिवर फंक्शन को सुधारता है और प्लीहा विकारों में भी सहायक होता है।
त्रिकटु को कैसे करें उपयोग:
चूर्ण रूप में: 1 से 3 ग्राम गर्म जल या शहद के साथ
काढ़ा: त्रिकटु को पानी में उबालकर, दिन में 1-2 बार पिया जा सकता है
गुणों को बढ़ाने हेतु: त्रिकटु को शहद, घी, या सेंधा नमक के साथ लिया जा सकता है
किसे नहीं लेना चाहिए त्रिकटु:
अत्यधिक पित्त प्रवृत्ति वाले व्यक्ति
अल्सर, गैस्ट्रिक या आंतों में सूजन से पीड़ित लोग
गर्भवती महिलाएं और बच्चों को बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं देना चाहिए
गर्मी में अधिक मात्रा से बचें
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से त्रिकटु का महत्व:
आचार्य चरक और सुश्रुत ने त्रिकटु को कई औषधियों में सहायक तत्व के रूप में सुझाया है। यह अन्य औषधियों के अवशोषण को बढ़ाता है और शरीर में उनका प्रभाव तेज़ करता है। इसलिए इसे योगवाहि औषधि भी कहा जाता है।
त्रिकटु: एक आधुनिक परिप्रेक्ष्य:
आज जब जीवनशैली विकारों का युग है, और अधिकांश रोग पाचन गड़बड़ी या मेटाबॉलिक असंतुलन से उत्पन्न हो रहे हैं — ऐसे में त्रिकटु एक सशक्त स #त्रिकटुसेतंदुरुस्ती
त्रिकटु के कम-ज्ञात तथ्य:
✅ औषधियों का Bioavailability Booster है: त्रिकटु को योगवाहि औषधि कहा जाता है क्योंकि यह अन्य दवाओं के शरीर में अवशोषण (absorption) को कई गुना बढ़ा देता है। इसलिए यह अनेक आयुर्वेदिक फार्मुलों का अभिन्न हिस्सा होता है।
🔥 उष्मा उत्पादन को बढ़ाता है: त्रिकटु शरीर की thermogenic गतिविधि को बढ़ाता है, जिससे चयापचय तेज़ होता है और वज़न घटाने में मदद मिलती है।
🧠 ब्रेन फंक्शन में भी सहायक: पिप्पली और काली मिर्च में ऐसे यौगिक होते हैं जो dopamine और serotonin जैसे न्यूरोट्रांसमीटर को संतुलित करने में मदद करते हैं, जिससे मूड और एकाग्रता बेहतर होती है।
❌ ज्यादा मात्रा में लेने से हो सकता है Rebound Acidity: त्रिकटु उष्ण प्रकृति का होता है — अधिक मात्रा में सेवन करने पर पेट में जलन, अम्लपित्त और नींद में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
🩸 Liver Detoxification में कारगर: यह यकृत (लिवर) की क्रियाशीलता को बढ़ाता है और टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में सहायक होता है। कई बार इसे hepatoprotective सप्लीमेंट्स में शामिल किया जाता है।
🦠 प्राकृतिक एंटीबायोटिक: त्रिकटु में मौजूद तत्व रोगजनक बैक्टीरिया और वायरस के खिलाफ प्रतिरोध बढ़ाते हैं — यह प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह कार्य करता है।
💨 पुरानी सांस की बीमारियों में: कफ को पतला करने और बाहर निकालने में त्रिकटु बहुत असरदार होता है — विशेषकर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी में।
⏳ त्रिकटु का प्रभाव 15-30 मिनट में: विशेष रूप से पाचन और भूख बढ़ाने के लिए त्रिकटु के सेवन के कुछ ही मिनटों में असर दिखना शुरू हो जाता है।
निष्कर्ष:
त्रिकटु और त्रिफला, दोनों ही आयुर्वेद के दो अनमोल उपहार हैं। त्रिफला शरीर की सफाई, संतुलन और पुनर्निर्माण का काम करती है, वहीं त्रिकटु शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति और पाचन की ऊर्जा देता है। अगर सही मात्रा, सही मौसम और सही मार्गदर्शन में लिया जाए तो त्रिकटु न केवल त्रिफला की तरह उपयोगी है बल्कि अनेक बार उससे भी अधिक तीव्र प्रभाव देता है।
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