
07/09/2025
बचपन
एक #बचपन का जमाना था,
जिसमें खुशियों का खजाना था..
चाहत चांद को पाने की थी,
पर दिल तितली का दिवाना था..
खबर न थी कुछ सुबह की,
न शाम का ठिकाना था..
था कर आना स्कूल से,
पर खेलने भी जाना था..
मां की कहानी थी,
पर परियों का फसाना था..
बारिश में कागज की नाव थी,
हर मौसम सुहाना था..
हर खेल में साथी थे,
हर रिश्ता निभाना था..
ग़म की जुबान न होती थी,
न जख्मों का पैमाना था..
रोने की वजह न थी,
न हंसने का बहाना था..
क्यूं हो गए हम इतने बड़े,
इससे अच्छा तो वो #बचपन का जमाना था।
#बचपन