Dibyajyoti Biswal दिव्य

Dibyajyoti Biswal दिव्य Doing good to others out of compassion
is good, but the Seva (service) of all beings
in the spirit of the Lord is better.

Shaheed Zamindar Madho Singhସେଦିନ ଥିଲା ୧୮୫୬ ମସିହା ଅକ୍ଟୋବର ମାସ ୨୪ ତାରିଖ । ଓଡ଼ିଶାର ସମ୍ବଲପୁରରୁ ବ୍ରିଟିଶ ପୋଲିସ ତତ୍କାଳୀନ ମଧ୍ୟପ...
24/10/2024

Shaheed Zamindar Madho Singh

ସେଦିନ ଥିଲା ୧୮୫୬ ମସିହା ଅକ୍ଟୋବର ମାସ ୨୪ ତାରିଖ । ଓଡ଼ିଶାର ସମ୍ବଲପୁରରୁ ବ୍ରିଟିଶ ପୋଲିସ ତତ୍କାଳୀନ ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶର ସୋନାଖାନର ଆଦିବାସୀ ଜମିଦାର ବୀର ନାରାୟଣ ସିଂହଙ୍କୁ ଗିରଫ କଲା । ଯେତେବେଳେ ଓଡ଼ିଶା ସମେତ ଦେଶର ବିଭିନ୍ନ ଅଞ୍ଚଳର ରାଜା, ମହାରାଜା, ଜମିଦାର ବ୍ରିଟିଶ ପାଦ ଚାଟି କୃତ୍ୟ କୃତ୍ୟ ଅନୁଭବ କରୁଥିଲେ ଓ କିଛି ଚାଟୁକାର ବ୍ରିଟିଶ ସ୍ତାବକ ସାଜି କ୍ଷମତା ଉପଭୋଗ କରୁଥିଲେ, ସେ ସମୟରେ ନିଜ ଅଞ୍ଚଳରେ ଦୁର୍ଭିକ୍ଷ ପୀଡ଼ିତ ଲୋକଙ୍କ ଯନ୍ତ୍ରଣା ସହି ନପାରି ଏକ ସାହୁକାରର ଗୋଦାମ ଉପରେ ଚଢାଉ କରି ତାକୁ ଲୋକଙ୍କ ଭିତରେ ବାଣ୍ଟି ଦେଇଥିଲେ । ସେହି ସାହୁକାରର ଅଭିଯୋଗରେ ୧୮୫୬ ଅକ୍ଟୋବର ୨୪ରେ ସମ୍ବଲପୁରରୁ ଗିରଫ ହେବା ପରେ ସେ ଅଗଷ୍ଟ ୨୮, ୧୮୫୭ରେ ବ୍ରିଟିଶ ଜେଲରୁ ଖସିଯାଇଥିଲେ । ୧୮୫୭ର ବ୍ରିଟିଶ ବିରୋଧୀ ଆନ୍ଦୋଳନରେ ତାଙ୍କର ଉଲ୍ଲେଖନୀୟ ଭୂମିକା ଥିଲା। ତେବେ ବ୍ରିଟିଶ ବାହିନୀ ତାଙ୍କୁ ପୁନର୍ବାର ଗିରଫ କରିବା ପରେ ୧୮୫୭ ଡିସେମ୍ବର ୧୦ ତାରିଖରେ ଫାଶୀ ଦେଇଥିଲା । ତେବେ ବ୍ରିଟିଶ ବାହିନୀ ବୀର ନାରାୟଣଙ୍କ ଉପରେ ଏତେ କ୍ଷୁବ୍ଧ ଥିଲା ଯେ ତାଙ୍କ ମୃତ୍ୟୁ ପରେ ତାଙ୍କ ଶବକୁ ତୋପରେ ବାନ୍ଧି ଉଡେଇ ଦେଇଥିଲା । ବୀର ନାରାୟଣଙ୍କୁ ଛତିଶଗଡର ପ୍ରଥମ ଶହୀଦ କୁହାଯାଏ । ସେ ବିଞ୍ଝାଲ ଜନଜାତିର ମହାନ ବୀର ଥିଲେ ସେହି ମହାନ୍ ଦେଶଭକ୍ତ, ପ୍ରଜାବତ୍ସଳ ଜମିଦାରଙ୍କୁ ଅଶ୍ରୁଳ ଶ୍ରଦ୍ଧାଞ୍ଜଳି...

Akhand bharat Sankalp Divas celebrations  college in  bhubaneswar mahanagar
14/08/2024

Akhand bharat Sankalp Divas celebrations college in bhubaneswar mahanagar

भारतीय सेना को स्थानीय चरवाहों से दुश्मनों की घुसपैठ की जानकारी मिली, और जांच के बाद पाया कि दुश्मन ने कईं चोटियों पर कब...
26/07/2024

भारतीय सेना को स्थानीय चरवाहों से दुश्मनों की घुसपैठ की जानकारी मिली, और जांच के बाद पाया कि दुश्मन ने कईं चोटियों पर कब्जा कर लिया है। भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य इन क्षेत्रों को वापस अपने नियंत्रण में लेना था।

~~ 🚩ରାମ ନବମୀ🚩 ~~ଏକଦା ପ୍ରଭୁ ଶ୍ରୀରାମ, ମାତା ସୀତା ଏବଂ ଲକ୍ଷ୍ମଣ ବନବାସ କାଳରେ ଜଙ୍ଗଲରେ ଭ୍ରମଣ କରିବା ସମୟରେ ବହୁ ଥକି ଯାଇ ବିଶ୍ରାମ କରୁଥ...
17/04/2024

~~ 🚩ରାମ ନବମୀ🚩 ~~
ଏକଦା ପ୍ରଭୁ ଶ୍ରୀରାମ, ମାତା ସୀତା ଏବଂ ଲକ୍ଷ୍ମଣ ବନବାସ କାଳରେ ଜଙ୍ଗଲରେ ଭ୍ରମଣ କରିବା ସମୟରେ ବହୁ ଥକି ଯାଇ ବିଶ୍ରାମ କରୁଥିଲେ, ସେହି ସମୟ ରେ ସେ ନିକଟରେ ଜଣେ ବୃଦ୍ଧ ମହିଳାଙ୍କ କୁଟୀର ଦେଖିଲେ ଏବଂ ସେହି ବୃଦ୍ଧ ମହିଳାଙ୍କ କୁଟୀରରେ ଯାଇ ପହଞ୍ଚିଲେ। ବୃଦ୍ଧ ମହିଳା ଜଣକ ସେହି ସମୟରେ ସୂତା କାଟୁଥିଲା ତତକ୍ଷଣାତ୍ ପ୍ରଭୁ ଶ୍ରୀରାମ, ମାତା ସୀତା ଏବଂ ଲକ୍ଷ୍ମଣଜୀଙ୍କୁ ଦେଖି ଆନନ୍ଦ ସହକାରେ ତାଙ୍କୁ ସ୍ବାଗତ ଜଣାଇ ତାଙ୍କର ସ୍ନାନ ଏବଂ ଭୋଜନ ପାଇ ବ୍ୟବସ୍ଥା କଲା। ଏହା ଦେଖି ପ୍ରଭୁ ରାମ ବୃଦ୍ଧ ମହିଳା ଜଣଙ୍କୁ କହିଲେ ମା' ମୋର ହଂସ ମଧ୍ୟ ଭୋକରେ ଅଛି ତାକୁ ପ୍ରଥମେ କିଛି ମୋତି ଖାଇବାକୁ ଦିଅ । ବୃଦ୍ଧ ମହିଳା ଜଣକ ଏହା ଶୁଣି ବହୁତ୍ ବ୍ୟସ୍ତ ବିବ୍ରତ ହୋଇଗଲା ଏବଂ ଦୌଡ଼ି ଦୌଡ଼ି ରାଜାଙ୍କ ନିକଟ ରେ ଯାଇ ପହଞ୍ଚି ତାକୁ କିଛି ମୋତି ଋଣ ରେ ଦବା ପାଇଁ ପ୍ରାର୍ଥନା କଲା । ରାଜା ଭଲ ଭାବରେ ଜାଣିଥିଲେ ଯେ ବୃଦ୍ଧ ମହିଳା ଜଣକ କଦାପି ମୋତି ଫେରସ୍ତ କରିପାରିବ ନାହିଁ । ତଥାପି ଦୟା ଦେଖାଇ ରାଜା ବୃଦ୍ଧ ମହିଳା ଜଣଙ୍କୁ ମୋତି ଦେଲେ ଏବଂ ମହିଳା ଜଣକ ଆନନ୍ଦର ସହ ଯାଇ ହଂସ କୁ ଖାଇବାକୁ ଦେଲା ତା'ପରେ ପ୍ରଭୁ ଶ୍ରୀରାମ, ମାତା ସୀତା ଏବଂ ଲକ୍ଷ୍ମଣ ଭୋଜନ ସାରି ଯିବାକୁ ଲାଗିଲେ ଠିକ୍ ସେହି ସମୟରେ ପ୍ରଭୁ ଶ୍ରୀରାମ ବୃଦ୍ଧ ମହିଳା ଜଣକର ଅଗଣାରେ ଏକ ମୋତି ଗଛ ଲଗାଇ ଦେଇ ଗଲେ ।
କିଛି ଦିନ ପରେ ସେହି ଗଛରେ ମୋତି ହେଲା କିନ୍ତୁ ବୃଦ୍ଧ ମହିଳା ଜଣଙ୍କର ଟିକିଏ ହେଲେ ଲୋଭ ନଥିଲା ସବୁ ମୋତି ତାଙ୍କ ପଡିଶା ଘର ଲୋକମାନେ ନେଉଥିଲେ। ଏକଦା ବୃଦ୍ଧ ମହିଳା ଜଣକ ସେହି ଗଛ ମୂଳେ ବସି ସୂତା କାଟୁଥାଏ ଏବଂ ସେହି ସମୟରେ ମୋତି ଗଛ ରୁ କିଛି ମୋତି ତଳେ ପଡ଼ିଲା ସେ ସେହି ସବୁ ମୋତି ନେଇ ରାଜମହଲକୁ ଯାଇ ରାଜାଙ୍କୁ ଦେଲେ। ରାଜା ଏହା ଦେଖି ବହୁତ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହୋଇଗଲେ ଏବଂ ପଚାରିଲେ ଏତେ ମୋତି ସେ କେଉଁଠାରୁ ଆଣିଲା।ମହିଳା ଜଣକ ରାଜାଙ୍କୁ ସବୁ ସତ ଜଣାଇଲା ଏବଂ ରାଜା ତତକ୍ଷଣାତ୍ ସେହି ଗଛକୁ ଆଣି ନିଜ ବଗିଚାରେ ଲଗାଇଲେ ହେଲେ ପ୍ରଭୁ ରାମଙ୍କ ମାୟା ଅନୁସାରେ ସେହି ଗଛରେ ଆଉ ମୋତି ନ ହୋଇ କଣ୍ଟା ରେ ପରିପୂର୍ଣ ହୋଇଗଲା।ଏକଦା ରାଣୀ ବଗିଚା ରେ ଭ୍ରମଣ କରିବା ସମୟରେ ତାଙ୍କ ପାଦରେ କଣ୍ଟା ଫୁଟିଗଲା ।ରାଜା ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ସେହି ବୃକ୍ଷକୁ ବୃଦ୍ଧ ମହିଳା ଜଣକର ଅଗଣାରେ ନେଇ ପୁଣି ଥରେ ଲଗାଇଦେଲେ ଏବଂ ଏହାପରେ ସେହି ବୃକ୍ଷରେ ପୁଣି ଆଗ ଭଳି ମୋତି ହେଲା। ଯାହାକୁ ବୃଦ୍ଧ ମହିଳା ଜଣକ ପ୍ରଭୁ ରାମଙ୍କ ପ୍ରସାଦ କହି ଆନନ୍ଦ ସହକାରେ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ବାଣ୍ଟିବାକୁ ଲାଗିଲା । ଜୟ ଶ୍ରୀରାମ🙏

गायत्री शिखा बंधन क्या है? शिखाबन्धन (वन्दन) आचमन के पश्चात् शिखा को जल से गीला करके उसमें ऐसी गाँठ लगानी चाहिये, जो सिर...
10/12/2023

गायत्री शिखा बंधन क्या है?

शिखाबन्धन (वन्दन) आचमन के पश्चात् शिखा को जल से गीला करके उसमें ऐसी गाँठ लगानी चाहिये, जो सिरा नीचे से खुल जाए।
इसे आधी गाँठ कहते हैं। गाँठ लगाते समय गायत्री मन्त्र का उच्चारण करते जाना चाहिये ।
शिखा, मस्तिष्क के केन्द्र बिन्दु पर स्थापित है। जैसे रेडियो के ध्वनि विस्तारक केन्द्रों में ऊँचे खम्भे लगे होते हैं और वहाँ से ब्राडकास्ट की तरंगें चारों ओर फेंकी जाती हैं, उसी प्रकार हमारे मस्तिष्क का विद्युत् भण्डार शिखा स्थान पर है, उस केन्द्र में से हमारे विचार, संकल्प और शक्ति परमाणु हर घड़ी बाहर निकल-निकलकर आकाश में दौड़ते रहते हैं।
इस प्रवाह से शक्ति का अनावश्यक व्यय होता है और अपना कोष घटता है। इसका प्रतिरोध करने के लिये शिखा में गाँठ लगा देते हैं। सदा गाँठ लगाये रहने से अपनी मानसिक शक्तियों का बहुत-सा अपव्यय बच जाता है।

सन्ध्या करते समय विशेष रूप से गाँठ लगाने का प्रयोजन यह है कि रात्रि को सोते समय यह गाँठ प्रायः शिथिल हो जाती है या खुल जाती है। फिर स्नान करते समय केश-शुद्धि के लिये शिखा को खोलना पड़ता है। सन्ध्या करते समय अनेक सूक्ष्म तत्त्व आकर्षित होकर अपने अन्दर स्थिर होते हैं, वे सब मस्तिष्क केन्द्र से निकलकर बाहर न उड़ जाए इसलिये शिखा में गाँठ लगा दी जाती है।
इसमें गाँठ लगा देने से भीतर भरी हुई वायु बाहर नहीं निकल पाती। गाँठ लगी हुई शिखा से भी यही प्रयोजन पूरा होता है। वह बाहर के विचार और शक्ति समूह को ग्रहण करती है । भीतर के तत्त्वों का अनावश्यक व्यय नहीं होने देती ।
आचमन से पूर्व शिखा बन्धन इसलिये नहीं होता, क्योंकि उस समय त्रिविध शक्ति का आकर्षण जहाँ जल द्वारा होता है, वह मस्तिष्क के मध्य केन्द्र द्वारा भी होता है। इस प्रकार शिखा खुली रहने से दुहरा लाभ होता है । तत्पश्चात् उसे बाँध दिया जाता है।

महाशिवरात्रि पौराणिक कथामहाशिवरात्रि के इस पवित्र अवसर से एक पौराणिक कथा भी जुडी हैं। प्राचीन काल में, एक जंगल में गुरूद...
18/02/2023

महाशिवरात्रि पौराणिक कथा

महाशिवरात्रि के इस पवित्र अवसर से एक पौराणिक कथा भी जुडी हैं। प्राचीन काल में, एक जंगल में गुरूद्रूह नाम के एक शिकारी रहते थे जो जंगली जानवरों के शिकार करके वह अपने परिवार का पालन-पोषण किया करते थे। एक बार शिवरात्रि के दिन ही जब वह शिकार के लिए गया, तब संयोगवश पूरे दिन खोजने के बाद भी उसे कोई जानवर शिकार के लिए न मिला, चिंतित हो कर कि आज उसके बच्चों, पत्नी एवं माता-पिता को भूखा रहना पडेगा, वह सूर्यास्त होने पर भी एक जलाशय के समीप गया और वहां एक घाट के किनारे एक पेड पर अपने साथ थोडा सा जल पीने के लिए लेकर, चढ गया क्योंकि उसे पूरी उम्मीद थी कि कोई न कोई जानवर अपनी प्यास बुझाने के लिए यहां ज़रूर आयेगा। वह पेड़ “बेल-पत्र” का था और इसके नीचे शिवलिंग भी था जो सूखे बेलपत्रों से ढक जाने के कारण दिखाई नहीं दे रहा था। रात का पहला प्रहर बीतने से पहले ही एक हिरणी वहां पर पानी पीने के लिए आई। उसे देखते ही शिकारी ने अपने धनुष पर बाण साधा। ऎसा करते हुए, उसके हाथ के धक्के से कुछ पत्ते एवं जल की कुछ बूंदे पे़ड के नीचे बने शिवलिंग पर गिरीं और अनजाने में ही शिकारी की पहले प्रहर की पूजा हो गई। हिरणी ने जब पत्तों की खड़खड़ाहट सुनी, तो घबरा कर ऊपर की ओर देखा और भयभीत हो कर, शिकारी से, कांपते हुए बोली- “मुझे मत मारो।”
शिकारी ने कहा कि वह और उसका परिवार भूखा है इसलिए वह उसे नहीं छोड़ सकता। हिरणी ने शपथ ली कि वह अपने बच्चों को अपने स्वामी को सौंप कर लौट आयेगी। तब वह उसका शिकार कर ले। शिकारी को उसकी बात का विश्वास नहीं हो रहा था। उसने फिर से शिकारी को यह कहते हुए अपनी बात का भरोसा करवाया कि जैसे सत्य पर ही धरती टिकी है। समुद्र मर्यादा में रहता है और झरनों से जल-धाराएँ गिरा करती हैं वैसे ही वह भी सत्य बोल रही है। शिकारी को उस पर दया आ गयी और उसने “जल्दी लौटना” कहकर ,उस हिरनी को जाने दिया। थोडी ही देर गुजरी कि एक और हिरनी वहां पानी पीने आई, शिकारी सावधान हो, तीर सांधने लगा और ऎसा करते हुए, उसके हाथ के धक्के से फिर पहले की ही तरह थोडा जल और कुछ बेलपत्र नीचे शिवलिंग पर जा गिरे और अनायास ही शिकारी की दूसरे प्रहर की पूजा भी हो गई। इस हिरनी ने भी भयभीत हो कर, शिकारी से जीवनदान की याचना की, लेकिन उसके अस्वीकार कर देने पर, हिरनी ने उसे लौट आने का वचन, यह कहते हुए दिया कि उसे ज्ञात है कि जो वचन दे कर पलट जाता है, उसका अपने जीवन में संचित पुण्य नष्ट हो जाता है।उस शिकारी ने पहले की तरह, इस हिरनी के वचन का भी भरोसा कर उसे जाने दिया। अब तो वह इसी चिंता से व्याकुल था कि उन में से शायद ही कोई हिरनी लौट के आये और अब उसके परिवार का क्या होगा। इतने में ही उसने जल की ओर आते हुए एक हिरण को देखा, उसे देखकर वनेचर (शिकारी ) को बडा हर्ष हुआ, अब फिर धनुष पर बाण चढाने से उसकी तीसरे प्रहर की पूजा भी स्वत: ही संपन्न हो गई लेकिन पत्तों के गिरने की आवाज़ से वह हिरन सावधान हो गया। उसने व्याध (शिकारी ) को देखा और पूछा क्या करना चाहते हो। वह बोला-अपने कुटुंब को भोजन देने के लिए तुम्हारा वध करूंगा। वह मृग प्रसन्न हो कर कहने लगा कि मैं धन्य हूं कि मेरा ये ह्वष्ट-पुष्ट शरीर किसी के काम आएगा, परोपकार से मेरा जीवन सफल हो जायेगा, लेकिन एक बार मुझे जाने दो ताकि मैं अपने बच्चों को उनकी माता के हाथ में सौंप कर और उन सबको धीरज बंधा कर यहां लौट आऊं। शिकारी का ह्रदय, उसके पापपुंज नष्ट हो जाने से अब तक शुद्ध हो गया था इसलिए वह कुछ विनम्र वाणी में बोला कि जो-जो यहां आये, सभी बातें बनाकर चले गये और अब तक नहीं लौटे, यदि तुम भी झूठ बोलकर चले जाओगे, तो मेरे परिजनों का क्या होगा। अब हिरन ने यह कहते हुए उसे अपने सत्य बोलने का भरोसा दिलवाया कि यदि वह लौटकर न आये; तो उसे वह पाप लगे जो उसे लगा करता है जो सामर्थ्य रहते हुए भी दूसरे का उपकार नहीं करता। व्याध ने उसे भी यह कहकर जाने दिया कि “शीघ्र लौट आना।” रात्रि का अंतिम प्रहर शुरू होते ही उस वनेचर के हर्ष की सीमा न थी क्योंकि उसने उन सब हिरन-हिरनियों को अपने बच्चों सहित एकसाथ आते देख लिया था। उन्हें देखते ही उसने अपने धनुष पर बाण रखा और पहले की ही तरह उसकी चौथे प्रहर की भी शिव-पूजा संपन्न हो गई ।

अब उस शिकारी के शिव कृपा से सभी पाप भस्म हो गये इसलिए वह सोचने लगा, “ओह, ये पशु धन्य हैं जो ज्ञानहीन हो कर भी अपने शरीर से परोपकार करना चाहते हैं लेकिन धिक्कार है मेरे जीवन को कि मैं अनेक प्रकार के कुकृत्यों से अपने कुटुंब का पालन करता रहा। अब उसने अपना बाण रोक लिया तथा सब मृगों को यह कहकर कि “वे धन्य हैं”। वापिस जाने दिया। उसके ऎसा करने पर भगवान् शंकर ने प्रसन्न हो कर तत्काल उसे अपने दिव्य स्वरूप का दर्शन करवाया तथा उसे सुख-समृद्धि का वरदान देकर गुह” नाम प्रदान किया। यह वही गुह थे जिनके साथ भगवान् श्री राम ने मित्रता की थी। अत: यह भी माना जाता है कि, शिवरात्रि के दिन व्रत करने से सारे पाप से मुक्त हो जाते है और महादेव का दर्शन कर स्वर्ग को प्राप्त होते हैं।
हर हर महादेव🚩🙏

प्रतीक्षाए यदि समर्पित हो तोहर शबरी को राम मिलते हैं.....🌺🙏🚩 ियाराम 🙏🚩
03/02/2023

प्रतीक्षाए यदि समर्पित हो तो
हर शबरी को राम मिलते हैं.....🌺🙏🚩

ियाराम 🙏🚩

If you stand for "Dharma" and  enemies like Kauravas against you. . . Then friend(guide) like 🙏SrinKrishna always suppor...
03/02/2023

If you stand for "Dharma" and enemies like Kauravas against you. . . Then friend(guide) like 🙏SrinKrishna always support you for Dharma Rakshan 🏹

With Abhaya bro team
13/12/2022

With Abhaya bro team

Address

Balasore

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Dibyajyoti Biswal दिव्य posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Dibyajyoti Biswal दिव्य:

Share