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🌄🙌🎊🎉🙏🥹छठ पूजा: आस्था का महापर्वछठ पूजा, जिसे सूर्य षष्ठी और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक अत्यंत प...
26/09/2025

🌄🙌🎊🎉🙏🥹
छठ पूजा: आस्था का महापर्व
छठ पूजा, जिसे सूर्य षष्ठी और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और कठिन व्रत है। यह मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया (सूर्य देव की बहन) की उपासना का पर्व है। यह त्योहार बिहार, झारखंड, और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विशेष महत्व रखता है, लेकिन अब यह देश-विदेश में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व संतान की सुख-समृद्धि, लंबी आयु और परिवार के कल्याण के लिए रखा जाता है।
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छठ पर्व का महत्व
यह पर्व प्रकृति के सबसे बड़े ऊर्जा स्रोत सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त करने का अनूठा तरीका है। छठ पूजा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें उगते हुए सूर्य के साथ-साथ डूबते हुए सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है।
* डूबते सूर्य को अर्घ्य (संध्या अर्घ्य): यह हमें सिखाता है कि जीवन में हर अंत के बाद एक नई शुरुआत होती है। यह जीवन चक्र के प्रति सम्मान व्यक्त करता है।
* उगते सूर्य को अर्घ्य (उषा अर्घ्य): यह नई सुबह, नई ऊर्जा और जीवन में आगे बढ़ने का प्रतीक है।
मान्यता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर संतान सुख की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। व्रती (व्रत रखने वाले) इस दौरान लगभग 36 घंटे का निर्जला (बिना पानी) व्रत रखते हैं, जो इस पर्व की कठोर तपस्या को दर्शाता है।
चार दिनों का महापर्व
यह महापर्व कुल चार दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है:
1. नहाय-खाय (पहला दिन)
इस दिन व्रती स्नान करते हैं और शुद्ध शाकाहारी भोजन जैसे लौकी की सब्ज़ी, चने की दाल और चावल ग्रहण करके व्रत की शुरुआत करते हैं। इस दिन से पूरे घर की साफ-सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
2. खरना (दूसरा दिन)
इस दिन व्रती दिन भर निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को स्नान के बाद गुड़ से बनी खीर (गुड़ की खीर), रोटी और फल का सेवन करते हैं, जिसे खरना का प्रसाद कहा जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रती का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
3. संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन)
छठ पूजा का मुख्य दिन। इस दिन व्रती नदी या तालाब के किनारे जाते हैं और बांस के सूप में फल, ठेकुआ, गन्ना, और अन्य पकवानों से सजाए गए प्रसाद के साथ डूबते हुए सूर्य को जल और दूध से अर्घ्य देते हैं।
4. उषा अर्घ्य और पारण (चौथा दिन)
यह पर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन व्रती सूर्योदय से पहले ही घाट पर पहुँच जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देने के बाद व्रती घाट पर छठी मैया से प्रार्थना करते हैं। इसके बाद वे प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पारण (समापन) करते हैं।
पूजा सामग्री (संक्षेप में)
छठ पूजा में कुछ विशिष्ट सामग्री अनिवार्य होती हैं:
* बांस या पीतल का सूप: प्रसाद रखने के लिए।
* ईख (गन्ना): पूजा में छत्र बनाने और प्रसाद के रूप में।
* ठेकुआ (प्रसाद): आटे और गुड़ से बना विशेष प्रसाद।
* फल: केला, बड़ा मीठा नींबू (टाभ/डाभ), सिंघाड़ा आदि।
* तांबे का लोटा/कलश: सूर्य को अर्घ्य देने के लिए।
* अन्य सामग्री: नारियल, चावल के लड्डू, हल्दी, अदरक का पौधा, पान, सुपारी, आदि।
यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह साफ-सफाई, शुद्धता, प्रकृति प्रेम और सामाजिक सौहार्द का भी संदेश देता है।

26/09/2025

जिंदगी में चाहे लाख कठिनाई आई,
हम भोजपुरिया मन वाला कबहूँ हार ना मानी! 💪🌾
माटी के गंध आ हमरा बोली में जान बा। ❤️"

"ये तस्वीर इंसानों की नहीं, ख्वाहिशों की कहानी है
26/09/2025

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जब भोजपुरी में बात करे के मन करे, त गलती होखल त आम बात बा। 😂 "हाबताद" से "बताव" तक के सफर!
25/09/2025

जब भोजपुरी में बात करे के मन करे, त गलती होखल त आम बात बा। 😂 "हाबताद" से "बताव" तक के सफर!

ध्यान से पढ़ना कितनी आछी आछी सवाल जबाब है...........                               🙂🙂🙂🤎पहाड़ कठोर हैं, इसलिए नदियां छोड़ ...
25/09/2025

ध्यान से पढ़ना कितनी आछी आछी सवाल जबाब है...........
🙂🙂🙂
🤎पहाड़ कठोर हैं, इसलिए नदियां छोड़ जाती हैं,

या नदियां छोड़ जाती हैं, इसलिए पहाड़ कठोर हैं 🧡

sec ans ⬇️⬇️
🙂🙂🙂
ना तो पहाड़ के कठोर होने की वजह से नदी उसे छोड़ती है,

🤎और ना ही नदी के छोड़ जाने से पहाड़ कठोर होता है। असल बात ये है कि दोनों की प्रकृति अलग है, और मंज़िल भी।

ना पहाड़ नदी के साथ बह सकता है, और ना ही नदी पहाड़ के साथ ठहर सकती है।

अगर दोनों साथ रहने की ज़िद करें, तो एक ना एक का विनाश तय है।

इसलिए, दोनों को एक-दूसरे का मोह त्यागना पड़ता है।

ठीक वैसे ही, हमारे जीवन में भी कुछ लोग आते हैं -जो ना तो ग़लत होते हैं, और ना ही हम।

बस हालात ऐसे होते हैं कि हमें उन्हें छोड़ना पड़ता है।

ना नदी पहाड़ के लिए बनी है, ना पहाड़ नदी के लिए।

नदी के भाग्य में सागर में विलीन होना लिखा है, और पहाड़ के भाग्य में कई नदियों को उनके मुकाम तक पहुँचाना 🧡

third ans⬇️⬇️
🙂🙂🙂
🤎अगर पहाड़ कठोर हैं, तो नदियों को रास्ता कैसे मिला? या नदियाँ ही इतनी कठोर हैं, जिन्होंने पहाड़ों को चीरकर अपना रास्ता बना लिया 🧡
fourth ans ⬇️⬇️
🙂🙂🙂
🤎पहाड़ सदियों से कठोर बने रहे, और रोते रहे सदैव एकांत में नदी के लिए।

धरा की गोद में बहती नदी को, पहाड़ों की चुप्पी की तलाश है।

प्रतिबिम्बित होती है नदी में, पहाड़ों की मुस्कान की आवाज़ है।

लोग कभी नहीं समझ पाएंगे, पहाड़ और नदी की प्रेम कहानी को।

पर मैं लिखता रहूंगा कविता, पहाड़ का नदी के इतंजार में।

पहाड़ सदियों से कठोर बने रहे, और रोते रहे सदैव एकांत में नदी के लिए🧡

fifth ans ⬇️⬇️
🙂🙂🙂
🤎पहाड़ खड़ा था तन कर के, नदी बही मन भर कर के कहाँ कमी थी किस ओर में, सवाल रुकी थी, जवाबो की बोल पे नदी कहे - तू रूखा था, भावों में जैसे सूखा था।

पहाड़ कहे - तू थमती क्या? तो मैं भी थोड़ा झुकता क्या?

न कोई जीता, हार गया, बस प्रेम अधूरा मार गया।🧡

sixth ans ⬇️⬇️
🙂🙂🙂

🤎पहाड़ खड़ा था तन कर के, नदी बही मन भर कर के कहाँ कमी थी किस ओर में, सवाल रुकी थी, जवाबो की बोल पे नदी कहे - तू रूखा था, भावों में जैसे सूखा था।

पहाड़ कहे - तू थमती क्या? तो मैं भी थोड़ा झुकता क्या?

न कोई जीता, हार गया, बस प्रेम अधूरा मार गया।🧡

seventh ans ⬇️⬇️
🙂🙂🙂
🤎नदियाँ पहाड़ से बनती हैं, फिर अपना अस्तित्व तलाशने के बहाने से उसको कठोरता का बहाना दे कर उससे दूर हो जाती हैं.. किसी शांत, बड़े, सागर के खातिर, जहां वे खुद को और अपना अस्तित्व दोनो को भुला देती हैं..🧡


👦 लड़िका: माई, ई भोजपुरिया भाषा कब से बा?👩 माई: बेटा, ई त बहुत पुरान बा। सातवीं-आठवीं सदी से सुरू भइल रहे।👦 लड़िका: ए मा...
24/09/2025

👦 लड़िका: माई, ई भोजपुरिया भाषा कब से बा?
👩 माई: बेटा, ई त बहुत पुरान बा। सातवीं-आठवीं सदी से सुरू भइल रहे।

👦 लड़िका: ए माई, त भोजपुरिया कइसन बनल?
👩 माई: पहिले संस्कृत से प्राकृत, फेर अपभ्रंश आ ओकरा बाद भोजपुरिया बनल।

👦 लड़िका: त का-का खास बा भोजपुरिया में?
👩 माई: अरे बेटा, ई भाषा में बिरहा, कजरी, सोहर, चैता—सब गीत मिलेला। सिनेमा भी पूरा जोश में बा।

👦 लड़िका: त हमनी के गर्व बा न माई?
👩 माई: हाँ बेटा! भोजपुरिया त हमनी के पहचान हऽ। 🌸
Khesari Lal Yadav shilpi Raj official B4U Bhojpuri

बढ़िया सवाल बा! 🙌 भोजपुरी भाषा के शुरुआत करीब 7वीं–8वीं शताब्दी से मानल जाला। 📌 थोड़ा विस्तार से: संस्कृत → प्राकृत → अप...
24/09/2025

बढ़िया सवाल बा! 🙌 भोजपुरी भाषा के शुरुआत करीब 7वीं–8वीं शताब्दी से मानल जाला। 📌 थोड़ा विस्तार से: संस्कृत → प्राकृत → अपभ्रंश → भोजपुरी भोजपुरी संस्कृत से निकलल, फिर प्राकृत (खासतौर से मगधी प्राकृत) आ अपभ्रंश से गुजरते-गुजरते बनला। 7वीं–11वीं शताब्दी के बीच ई धीरे-धीरे अपना अलग रूप में विकसित भइल। 12वीं–13वीं शताब्दी तक भोजपुरी एगो स्वतंत्र भाषा के रूप में लोगन के बीच बोलल जाए लागल। पुराना समय में ई भाषा मुख्य रूप से कैथी लिपि में लिखल जात रहे। आज ई भाषा सिर्फ बोलचाल ना, बलुक गीत, साहित्य, आ सिनेमा के माध्यम से दुनिया भर में भोजपुरी भइया-बहिनन के जोड़ रहल बा। 🌍🎶..... 🎉👏💬🎊

24/01/2025

एक ही माँ क 24 बच्चे 🤯👪🏽👶🏻

20/01/2025

हिन्दुओं की मान्यता है कि श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मन्दिर विराजमान था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर वहाँ एक मस्जिद बना दी। 🕉️🔥💫

20/01/2025

18/01/2025



ये धरती है यज्ञों की संगम की धरती
यम औ नियम और संयम की धरती
यहीं आके योगी यती ध्यान करते
सुबह गंगा जमुना में हैं स्नान करते

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