26/09/2025
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छठ पूजा: आस्था का महापर्व
छठ पूजा, जिसे सूर्य षष्ठी और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और कठिन व्रत है। यह मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया (सूर्य देव की बहन) की उपासना का पर्व है। यह त्योहार बिहार, झारखंड, और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विशेष महत्व रखता है, लेकिन अब यह देश-विदेश में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व संतान की सुख-समृद्धि, लंबी आयु और परिवार के कल्याण के लिए रखा जाता है।
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छठ पर्व का महत्व
यह पर्व प्रकृति के सबसे बड़े ऊर्जा स्रोत सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त करने का अनूठा तरीका है। छठ पूजा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें उगते हुए सूर्य के साथ-साथ डूबते हुए सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है।
* डूबते सूर्य को अर्घ्य (संध्या अर्घ्य): यह हमें सिखाता है कि जीवन में हर अंत के बाद एक नई शुरुआत होती है। यह जीवन चक्र के प्रति सम्मान व्यक्त करता है।
* उगते सूर्य को अर्घ्य (उषा अर्घ्य): यह नई सुबह, नई ऊर्जा और जीवन में आगे बढ़ने का प्रतीक है।
मान्यता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर संतान सुख की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। व्रती (व्रत रखने वाले) इस दौरान लगभग 36 घंटे का निर्जला (बिना पानी) व्रत रखते हैं, जो इस पर्व की कठोर तपस्या को दर्शाता है।
चार दिनों का महापर्व
यह महापर्व कुल चार दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है:
1. नहाय-खाय (पहला दिन)
इस दिन व्रती स्नान करते हैं और शुद्ध शाकाहारी भोजन जैसे लौकी की सब्ज़ी, चने की दाल और चावल ग्रहण करके व्रत की शुरुआत करते हैं। इस दिन से पूरे घर की साफ-सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
2. खरना (दूसरा दिन)
इस दिन व्रती दिन भर निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को स्नान के बाद गुड़ से बनी खीर (गुड़ की खीर), रोटी और फल का सेवन करते हैं, जिसे खरना का प्रसाद कहा जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रती का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
3. संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन)
छठ पूजा का मुख्य दिन। इस दिन व्रती नदी या तालाब के किनारे जाते हैं और बांस के सूप में फल, ठेकुआ, गन्ना, और अन्य पकवानों से सजाए गए प्रसाद के साथ डूबते हुए सूर्य को जल और दूध से अर्घ्य देते हैं।
4. उषा अर्घ्य और पारण (चौथा दिन)
यह पर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन व्रती सूर्योदय से पहले ही घाट पर पहुँच जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देने के बाद व्रती घाट पर छठी मैया से प्रार्थना करते हैं। इसके बाद वे प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पारण (समापन) करते हैं।
पूजा सामग्री (संक्षेप में)
छठ पूजा में कुछ विशिष्ट सामग्री अनिवार्य होती हैं:
* बांस या पीतल का सूप: प्रसाद रखने के लिए।
* ईख (गन्ना): पूजा में छत्र बनाने और प्रसाद के रूप में।
* ठेकुआ (प्रसाद): आटे और गुड़ से बना विशेष प्रसाद।
* फल: केला, बड़ा मीठा नींबू (टाभ/डाभ), सिंघाड़ा आदि।
* तांबे का लोटा/कलश: सूर्य को अर्घ्य देने के लिए।
* अन्य सामग्री: नारियल, चावल के लड्डू, हल्दी, अदरक का पौधा, पान, सुपारी, आदि।
यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह साफ-सफाई, शुद्धता, प्रकृति प्रेम और सामाजिक सौहार्द का भी संदेश देता है।