15/07/2025
📢 "मज़ाक और मीम की आड़ में हम क्या खो रहे हैं?"
मैं आमतौर पर इस तरह की घटनाओं को खबर या कंटेंट का रूप नहीं देता। लेकिन मन तब व्यथित हो उठता है, जब समाज में वायरल हो रही वीडियो और तस्वीरें, खासकर उन बुजुर्गों या संतों से जुड़ी हुई, मज़ाक और अशोभनीय टिप्पणियों का विषय बन जाती हैं।
🔴 हाल ही में राजस्थान में एक साध्वी का AI से जनरेटेड फोटो सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है।
BS LIVE इस वायरल कंटेंट की सच्चाई की पुष्टि नहीं करता, लेकिन यह ज़रूर पूछता है — हमारा समाज, हमारी संस्कृति आखिर किस दिशा में जा रही है?
पिछले वर्ष "भंगार लेणो है थारे" जैसे शब्दों से एक बुजुर्ग बाबा ट्रेंड में आए। जिन्होंने घर-परिवार त्यागकर संन्यास लिया, समाज को स्वच्छता और भक्ति का संदेश दिया। वे जहां जाते, कसरा उठाते, सफाई करते।
पर एक यूट्यूबर ने उनके भोलेपन का लाभ उठाकर वीडियो बना लिया। एक कटिंग क्लिप वायरल हुई, और बाबा का मज़ाक बन गया।
अंततः यह सोशल मीडिया प्रताड़ना ही उनके आत्महत्या का कारण बनी।
आज वही मारवाड़, वही धरती, फिर से एक साध्वी के फोटो वायरल कर ट्रेंड में लाने में लगी है। यह सोचने की बात है कि
🔹 क्या हम अपनी संस्कृति खो रहे हैं?
🔹 क्या आज का युवा सोशल मीडिया की आंधी में अपने रीति-रिवाज भूलता जा रहा है?
अगर यही चलता रहा, तो ना हमारी संस्कृति बचेगी, ना मान-सम्मान, ना पहचान।
🛑 हर बात मज़ाक की नहीं होती।
🛑 हर गलती सार्वजनिक शर्मिंदगी का कारण नहीं बननी चाहिए।
🛑 हर वायरल कंटेंट मनोरंजन नहीं होता।
🙏🏻 समाज और विशेषकर युवा वर्ग को यह सोचना होगा कि सोशल मीडिया का सही उपयोग क्या है। हमारी संस्कृति, हमारी अस्मिता और हमारे संस्कार — ये कोई मीम या ट्रेंड नहीं हैं।
संवेदनशीलता और समझदारी ही एक सच्चे समाज की पहचान है।
✍️ भगत सिंह चौधरी
📌 संस्थापक – BS LIVE, राजस्थान
जनसेवक, समाजसेवी | राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, राजस्थान