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कोली टाइम्स देश भर में फैले कोरी-कोली समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है। हमारा उद्देश्य समाज को जोड़ना और जागरूक करना है। शिक्षा, राजनीति, विज्ञान सहित सभी क्षेत्र में यह समुदाय काफी पिछड़ा है। संगठित और जागरूक भी नहीं है। हमारा प्रयास होगा कि कोरी-कोली समुदाय प्रगति करे, समाज की मुख्यधारा में शामिल हों। कोली टाइम्स आपका चैनल है। सब्सक्राइब करें, शेयर करें। [email protected]

इसे कहते हैं  will power ❤️
26/07/2025

इसे कहते हैं will power ❤️

26/07/2025

फेसबुक, इंस्टाग्राम पर कोली समाज जिंदाबाद, कोली इज किंग लिखने से समाज की उतनी ही तरक्की होगी जितनी मंदिर में 🔔 बजाने से होती है।

15/07/2025

घर में तस्वीरें टांगने और माला चढ़ाने का ज्यादा शौक है तो प्रेरक व्यक्तित्व संत कबीर, झलकारी बाई, बुद्ध, राघोजी भांगरे, रूपलो कोली की फोटो लगाओ। बाप के पेट से पैदा होने वाले फर्जी चरित्रों के पीछे मत भागो।

13/07/2025

बदतमीज कोलिय ब्रजेश शंखवार को ब्लॉक कर दिया है। उम्र में छोटा है फिर भी हम आप कहकर बात कर रहे थे, फिर भी ये जाहिल तू तड़ाक करने में लगा हुआ था।

13/07/2025

रंजीत नाम का एक मांधाता भक्त कल घंटों बकवास करता रहा, फिर गाली गलौज पर उतर आया, परंतु यह नहीं बता सका कि मांधाता का जन्म कैसे हुआ?

सोशल मीडिया के इन गोबरों की हरकतें देखिए। जिन डॉ अंबेडकर की बदौलत आज खुलकर लिख-बोल पा रहे हैं, उन्हीं का विरोध कर रहे है...
12/07/2025

सोशल मीडिया के इन गोबरों की हरकतें देखिए। जिन डॉ अंबेडकर की बदौलत आज खुलकर लिख-बोल पा रहे हैं, उन्हीं का विरोध कर रहे हैं। दूसरा वाला तो और भी बड़ा ज्ञानी है, इसके हिसाब से अंबेडकर ने कोलियों को अछूत बना दिया। पता नहीं ये लोग कहां से इतना ज्ञान लाते हैं। और तो और, ये दोनों सोशल मीडिया पर कोली समाज के हितैषी बने घूमते हैं। जिस समाज में ऐसे आत्मघाती लोग हों, उस समाज का नुकसान करने के लिए दुश्मनों की आवश्यकता नहीं है। अपने ही लोग पर्याप्त हैं। fans

नक्कालों और फर्जियों से सावधान। अखिल भारतीय कोली समाज नई दिल्ली के एकमात्र चुने हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष शिमला के पूर्व सां...
08/07/2025

नक्कालों और फर्जियों से सावधान। अखिल भारतीय कोली समाज नई दिल्ली के एकमात्र चुने हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष शिमला के पूर्व सांसद एवं हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन वीरेंद्र कश्यप हैं। 10 नवंबर 2024 को संगठन के दिल्ली स्थित रजिस्टर्ड कार्यालय 'कोली समाज भवन, न्यू अशोक नगर' में राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव कराए गए थे। इस चुनाव में 16 प्रदेशों के अध्यक्षों और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 45 सदस्यों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। कुछ लोग जो जबरदस्ती राष्ट्रीय अध्यक्ष बने घूम रहे हैं, उन्हें अपने फर्जीवाड़े पर शर्म आनी चाहिए। ऐसे लोग समाज के लिए नुकसानदायक हैं।

प्रेरक प्रसंग --------------इटली के टस्कनी के एक छोटे से गांव में एक बेकरी है, जो हर सुबह 4:30 बजे खुल जाती है। किसी को ...
08/07/2025

प्रेरक प्रसंग
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इटली के टस्कनी के एक छोटे से गांव में एक बेकरी है, जो हर सुबह 4:30 बजे खुल जाती है। किसी को नहीं पता कि ये बेकरी कितने सालों से वहाँ है। ताज़े बने हुए ब्रेड की खुशबू अंधेरे में डूबी गलियों में फैल जाती है, और कभी-कभी कोई राहगीर रुक कर गरम लोफ खरीद लेता है, काम पर जाने से पहले।

उस बेकरी का मालिक है मारियो। वह 74 साल का है। पिछले 51 सालों से, हर एक दिन — बिना किसी छुट्टी के — वह अकेले ही आटा गूंथता है, ब्रेड बेक करता है और उन्हें काउंटर पर सजाता है। न छुट्टी, न कोई अवकाश। जब लोग उससे पूछते हैं कि वह रिटायर क्यों नहीं होता, तो वह बस इतना कहता है:
"जब तक किसी को सुबह गरम ब्रेड की ज़रूरत होगी, मैं यहीं रहूंगा।"

लेकिन लोगों को सबसे ज़्यादा जो बात छूती है, वो सिर्फ उसकी मेहनत नहीं है। असल बात वो है जो वह हर शनिवार करता है — बिना कभी किसी को बताए।

हर शुक्रवार सुबह 6 बजे, मारियो पाँच थैलियाँ ब्रेड और फोकाचिया से भरकर उस छोटे से स्थानीय प्रीस्कूल के दरवाज़े पर रख आता है — एक पुरानी इमारत, जिसकी दीवारों पर बच्चों की ड्रॉइंग्स बनी होती हैं। कोई उसे आते नहीं देखता, लेकिन अध्यापकों को अब पता है। सालों पहले उन्होंने सिक्योरिटी कैमरों की जाँच करके जाना कि ये अनाम तोहफा कौन छोड़ जाता है।

एक बार उन्होंने मारियो को धन्यवाद देना चाहा, लेकिन उसने सिर्फ इतना कहा:
"ये ब्रेड उनके लिए है जो बढ़ रहे हैं। मैंने अपना बेटा पाँच साल की उम्र में खो दिया था। यही तरीका है मेरा उसकी याद को ज़िंदा रखने का।"

तब से, हर शुक्रवार, बच्चों को उनका "जादुई ब्रेड" दरवाज़े पर मिल जाता है, और शिक्षक उन्हें मारियो की कहानी सुनाते हैं — उसका नाम लिए बिना, सम्मान में। वे उसे कहते हैं — "दिल वाला बेकरी वाला", The Baker of the Heart।

एक महीने पहले, मारियो बीमार हो गया। पचास सालों में पहली बार बेकरी बंद रही। यह बात पूरे गांव में फैल गई, और उस रविवार, 200 से ज्यादा लोग उसकी बेकरी के बाहर इकट्ठा हो गए। हर किसी के हाथ में एक घर में बना हुआ ब्रेड रोल था। सब खामोशी से खड़े रहे — उस रोशनी का इंतज़ार करते हुए जो हर सुबह बेकरी में जलती थी।

थोड़ी देर बाद, मारियो बाहर आया — उसकी एप्रन पर आटे के दाग थे, और आंखों में आंसू।
उसने बस एक बात कही:

"मैंने सोचा था इतने सालों बाद कोई मुझे याद नहीं रखेगा... लेकिन तुम सब ही तो मेरी गरम ब्रेड हो।"

यूपी गोंडा में सांड ने हमला कर इंडियन बैंक में कार्यरत स्वाति सिंह को मार डाला। पहले सींग से हवा में उछाला फिर सीने पर प...
07/07/2025

यूपी गोंडा में सांड ने हमला कर इंडियन बैंक में कार्यरत स्वाति सिंह को मार डाला। पहले सींग से हवा में उछाला फिर सीने पर पैर रखकर खड़ा हो गया। कुछ पलों में स्वाति ने दम तोड़ दिया। सांड को उसके जुर्म की सजा कौन दिला पाएगा?

ऑस्ट्रेलिया के गीलॉन्ग में, निकोल ग्राहम नाम की एक महिला तब हीरो बन गई जब उसने करीब तीन घंटे तक अपने घोड़े 'एस्ट्रो' का ...
01/07/2025

ऑस्ट्रेलिया के गीलॉन्ग में, निकोल ग्राहम नाम की एक महिला तब हीरो बन गई जब उसने करीब तीन घंटे तक अपने घोड़े 'एस्ट्रो' का सिर थामे रखा ताकि वह खतरनाक कीचड़ में डूब न जाए। यह घटना उस समय घटी जब निकोल और उनकी बेटी समुद्र किनारे एक सामान्य सवारी पर निकले थे। अचानक, एस्ट्रो नरम कीचड़ में फंस गया और धीरे-धीरे उसमें धंसने लगा, खुद को निकाल पाने में असमर्थ।

जैसे-जैसे ज्वार का पानी चढ़ने लगा, स्थिति और गंभीर होती गई। निकोल की बेटी मदद लाने के लिए दौड़ी, जबकि निकोल वहीं रुकी रहीं — उन्होंने एस्ट्रो का सिर कीचड़ और पानी से ऊपर थामे रखा, उसे शांत शब्दों में दिलासा देती रहीं और किसी भी हालत में उसे अकेला छोड़ने से इनकार कर दिया। खुद भी कीचड़ से लथपथ और थकी हुई निकोल घोड़े की हिम्मत बनाए रखने के लिए संघर्ष करती रहीं।

आखिरकार, एक बचाव दल विशेष उपकरणों के साथ मौके पर पहुँचा — जिसमें ट्रैक्टर और हार्नेस शामिल थे — और उन्होंने एस्ट्रो को निकालने की नाज़ुक प्रक्रिया शुरू की। समय बेहद महत्वपूर्ण था — ज्वार तेजी से चढ़ रहा था, और अगर थोड़ी और देर हो जाती, तो एस्ट्रो डूब सकता था।

निकोल के अडिग प्रेम और हिम्मत की बदौलत एस्ट्रो को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया — वह थका हुआ था, लेकिन जिंदा। यह कहानी इंसान और जानवर के बीच असाधारण समर्पण और उस गहरे बंधन की प्रतीक बन गई, जो सच में ज़िंदगियाँ बचा सकता है।

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