Kavi Sammelan

Kavi Sammelan This page provide many types of poems for readers.

30/04/2025
26/01/2025

!!!आप सभी को 76 वें गढ़तंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !!!

गोद में जिसकी पलकर हुआ हूं बड़ा,
शिर झुकाता हूं मां के चरन के लिए।
है हमारा नमन उन सभी के लिए,
शिर कटाए जिन्होंने वतन के लिए।
अपने परिवार के मोह को छोड़कर,
देश हित में जिन्होंने ग़माया है तन।
उनके उपकार को भूल सकते नहीं,
याद उनको करेंगे भिगोकर नयन।
अपने प्राणों की, की ना जरा भी फिकर,
जान अपनी गवां दी वतन के लिए।
है हमारा नमन उन सभी के लिए,
शिर कटाए जिन्होंने वतन के लिए।
आह तक अपने मुख से निकलने न दी,
जख्म सहते रहे आगे बढ़ते रहे।
कर गए नाम अपना अमर देश में,
गर्व से हम उन्हें याद करते रहे।
याद कर लो जरा उनको भी तुम करन,
गीत लिखते रहे जो अमन के लिए।
है हमारा नमन उन सभी के लिए,
शिर कटाए जिन्होंने वतन के लिए।
रचयिता- करन सिंह चौहान
मोबाइल नंबर-8004843209

31/12/2024

बदलते हुए बर्ष की बदली हुई तारीख की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

गत वर्ष सुन्दर सा सुखद,
अहसास देकर जा रहा।
नव वर्ष खुशियां भी नई,
लेकर धरा पर आ रहा।

मत हार कर बैठो कभी,
जीवन है ये संघर्ष का।
आओ चलें स्वागत करें,
मिलकर सभी नव वर्ष का।

हमें सत्कर्म से अपने,
नया इतिहास लिखना है।
खुशी खुद भी रहें औरों,
की झोली को भी भरना है।

नव वर्ष मंगल हो तुम्हें,
ये है मेरी शुभकामना।
सुखमय रहे जीवन सदा,
ईश्वर से है ये प्रार्थना।

नवबर्ष मंगलमय हो।
_____करन सिंह चौहान____

13/11/2024

पूज्य श्री गुरु चरण में,
शत शत बार प्रणाम।
कृपा करें हम सभी पर,
दीनबंधु सुख धाम।

31/10/2024

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं सहित -

सत्य सनातन धर्म पर,
करें सभी जन गर्व।
जीवन में निशिदिन रहे,
यह प्रकाश का पर्व।

यह प्रकाश का पर्व,
सभी हो मन में मगन मनाओ।
खुश होकर के आपस में,
सब मिलकर दीप जलाओ।

रहे न भू पर अंधकार,
जग में प्रकाश फैलाओ।
कोई भूखा रहे नहीं,
खुद खाओ और खिलाओ।

परस्पर प्रेम बढ़ाओ।
ह्रदय से द्वेष मिटाओ।
शरण में गुरु की जाकर।
करनसिंह कर ईश भजन,
सब उर से तिमिर मिटाकर।

******शुभ दीपावली******

26/08/2024

कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
तर्ज:-
हम तुमको रहे पुकार,
अब आबो कृष्ण मुरारी।

आबो कृष्ण मुरारी,
अब रक्षा करो हमारी।
हम सब तुमको रहे पुकार,
अब रक्षा करो हमारी।

श्री जसुदा नंद दुलारे।
तुम नख पर गोवर्धन धारे।
हो हम सबके प्राण अधार,
अब आबो कृष्ण मुरारी।

बृजवासी सब पछताबें।
नैनन सो नीर बहाबें।
रहे अंखिअन सो आंसू डार।
अब आबो कृष्ण मुरारी।

क्या ग़लती हुई हमारी।
जो है मेरी याद बिसारी।
तुम ही मेरे सरकार।
अव आबो कृष्ण मुरारी।

तेरा ध्यान किया न एक छन।
विषयों में रमा रहा मन।
तुम करो मेरा उपचार।
अब आबो कृष्ण मुरारी।

अब काहे को तरसाबे।
मोहि तुम बिन चैन न आबे।
मेरा छूटे सब्र करार।
अब आबो कृष्ण मुरारी।

मेरी नाव भंवर में डोले।
खा रही प्रभू हिचकोले।
प्रभु तुम ही हो खेवनहार।
अब आबो कृष्ण मुरारी।

26/08/2024

कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर एक छोटी सी रचना

कहां सो रहे जाके हो तुम कन्हैया,
सुनो आज आकर मेरा भी फ़साना।
मैं जाऊं कहां छोड़ तुम को ऐ स्वामी,
चुका छोड़ मुझको है सारा जमाना।

रही डूब नैया भंवर में हमारी,
नहीं आ रहा है नजर में किनारा।
करूं आस किसकी बतादो जरा तुम,
न संसार में है किसी का सहारा।

ये पतवार है अब तुम्हारे हवाले,
है नैया मेरी पार तुमको लगाना।
कहां सो रहे जाके हो तुम कन्हैया,
सुनो आज आकर मेरा भी फ़साना।

विषय वासना की अंधेरी गली में,
भटकता रहा हूं प्रभू मारा मारा।
न कोशिश कोई काम आती हमारी,
दया सिन्धु आकर मुझे दो सहारा।

न रिस्ते जगत के ये कुछ काम आये,
है मतलब का ए सिर्फ सारा जमाना।
कहां सो रहे जाके हो तुम कन्हैया,
सुनो आज आकर मेरा भी फ़साना।

कृपा की नजर थोड़ी,हो जाय मुझपर।
गुजारिश है तुम से, ऐ् मालिक हमारी।
मयस्सर मुझे दीद हो आप का अब,
करनसिंह आया शरण में तुम्हारी

कहां हो छिपे तुम करो अब न देरी,
है भब सिन्धु से पार तुमको लगाना।
कहां सो रहे जाके हो तुम कन्हैया।
चुका छोडं मुझको है सारा जमाना।

*****Happy janmashtami*****

18/08/2024

रक्षा बंधन पर्व है,
भाई बहन का प्यार।
खूब मनायें आप सब,
खुश होकर त्योहार।

खुश होकर त्योहार मनायें,
पर ये भूल न जाना ।
मोटर साइकिल कार,
आप सब धीरे बहुत चलाना।

यातायात के नियम सभी हैं ,
हम सबको अपनाना।
रहें सुरक्षित स्वयं और,
सबको है तुम्हें बचाना।

प्रेम को अमर बनाना।
चूक मत हरगिज जाना।
प्रभू से अर्ज हमारी।
रहें सभी खुश हाल, सुरक्षा ईश्वर करें तुम्हारी।

विनय हमारी आप सब,
कर लेना स्वीकार।
करनसिंह पर कीजिए,
इतना सा उपकार।

16/08/2024

एक किसान का मोदी जी एवं योगी जी से
विनम्र अनुरोध।

भारत वर्ष में खुश हो कर,
एन डी ए राज चलायेगा।
गाय और बैलों से अब,
खेतों को कौन बचायेगा।

मोदी जी मैं पूंछ रहा हूं,
क्या मुझको बतलाओगे।
है परेशान बेहद किसान,
कैसे उसको समझाओगे।

संरक्षण में पशुओं के,
पैसा भी बहुत बहाया है।
लेकिन है अफसोस बहुत,
वह कुछ भी काम न आया है।

खड़ी फसल लहराती है,
जब शाम देखने को जाता।
बही खेत जब सुबह को देखा,
रेगिस्तान नजर आता।

करनसिंह बोलो कैसे अब,
रखवाली कर पायेगा।
गाय और बैलों से अब,
खेतों को कौन बचायेगा।

16/08/2024

*****शेरो शायरी*****

बिना देखे ही सूरत,खोलते हो दिल कादरवाजा।
बाद में कहते हो कि,इस तरह आया नहीं करते।

रूठ जाते हो खुद ही,इस तरह ऐ जानेमन।
बाद में कहते हो कि, मुझको मनाया नहीं करते।

मनाने की भी करता लाख,हूं कोशिश फिर भी।
फिसल जाते हो कभी हांथ,में आया नहीं करते।

गुजारिश है मेरी कर जोड़,कर ये गौर कर लीजे।
इस तरह रूठ कर अपनों,से जाया नहीं करते।

करने को मैं गुफ्तगू, हूं तुमसे बेताब।
कारण क्या करते नहीं,मुझसे बात जनाब।

ग़लती हुई हमसे है जो,सो माफ उसको कीजिए।
छोड़ कर नाराजगी अब,बात मुझसे कीजिए।

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