18/09/2023
खबर 17 सितंबर 2023 सन्दर्भ -
बुंदेलखंड के केन-बेतवा नदी गठजोड़ से परेशान, स्थानीय विस्थापन की जद वाले किसान बोले : सरकार न्याय नहीं करना चाहती तो हमे खत्म ही कर देती।
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- केन-बेतवा गठजोड़ से पीड़ित 22 गाँव के किसानों ने जताया विशेष पैकेज का विरोध, आंदोलन करने के संकेत दिए।
- प्रधानमंत्री मोदी जी के जन्मदिन पर आदिवासियों की मार्मिक अपील विस्थापन,बांध,जंगल,पुर्नवास की जद्दोजहद मे हमारी पीढ़ी न खराब करें।
मध्यप्रदेश के ज़िला छतरपुर बिजावर के केन बेतवा लिंक परियोजना से पीड़ित किसानों ने बीते रविवार धरना दिया। छतरपुर और पन्ना जिले के 22 गाँव के दर्जनों किसान समाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर के नेतृत्व मे परियोजना प्रभावित गाँव कदवारा में इकठ्ठा हुए थे। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा घोषित विशेष पैकेज को पीड़ित किसानों के साथ छल बताते हुये विरोध जताया है। प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिवस पर एकत्रित प्रशासन की मनमानी से तंग आकर पीड़ितों ने प्रधानमंत्री से मार्मिक अपील करते ये तक कह डाला कि वह प्रशासन की मनमानी से तंग आ गये है या तो न्याय दिया जाए अथवा न्याय नहीं दे सकते तो हमे खत्म ही कर दो।
विधायक पर लगाए आरोप :-
9 सितंबर बिजावर विधायक द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति जिसमें कैबिनेट के फैसले से जनता मैं भारी खुशी की बात कही गई थी। उन्होंने इस बात को पूरी तरह झूठा कहा है। परियोजना से विस्थापित पीड़ितों का कहना है कि कैबिनेट के फैसले से वह अपने को छला महसूस कर रहे हैं इससे उनमें गहरा आक्रोश हैं।
नहीं हो रहा कानून का पालन :-
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना केन बेतवा लिंक परियोजना में छतरपुर जिले के 15 गांव और पन्ना जिले के 7 गांव विस्थापित हो रहे हैं। यह पीड़ित लगातार कानून के पालन न होने से आहत है। उन्होंने संवैधानिक अधिकारों की अनदेखी किए जाने के खिलाफ कई ज्ञापन प्रदर्शन व आंदोलन किये लेकिन नतीजा शून्य है। उनका कहना है कि परियोजना में भूमि अर्जन कानून 2013 की किसी भी धारा का पालन नहीं किया जा रहा है। परियोजना विस्थापन मे कानून का नाम तो 'पारदर्शिता अधिकार अधिनियम है'। परन्तु प्रारंभिक अधिसूचना धारा-11 कब लगाईं लगाई गयी व इसके तहत किसी तरह की कोई ग्राम सभा या आमसभा का आयोजन नहीं किया गया। धारा-15 व धारा-16 के तहत सर्वे का कार्य बहुत मनमानीपूर्ण तरीके से किया गया है। वहीं धारा 19, धारा 21 सहित पूरी परियोजना में पारदर्शिता का पालन नहीं किया जा रहा है। बांध परियोजना से पीड़ितों को डीपीआर व अन्य किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। उल्टा जानकारी मांगने पर पुलिस प्रताड़ना का शिकार इन पीड़ितों को होना पड़ा है ।
आज के कार्यक्रम में क्षेत्र के जनपद सदस्य सरपंच पूर्व सरपंच सहित कई जन प्रतिनिधि सहित सैकड़ो पीड़ित किसान सहभागी हुए जिसमें ज्यादातर आदिवासी थे।
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