UnErase Facts

UnErase Facts भटकते रहो कहां जाओगे
लौटकर यहीं आओगे 🙏

🧠📜 "1879: जब किसी ने पहली वीडियो कॉल 'लिखी' थी..."(एक पुरानी किताब, एक भूला हुआ पन्ना... और एक भविष्य जो पहले ही बताया ज...
01/06/2025

🧠📜 "1879: जब किसी ने पहली वीडियो कॉल 'लिखी' थी..."
(एक पुरानी किताब, एक भूला हुआ पन्ना... और एक भविष्य जो पहले ही बताया जा चुका था)

उस समय ना मोबाइल था, ना कैमरा, ना इंटरनेट।
लेकिन एक लेखक था — Jules Verne।

✍️ उसने लिखा एक उपन्यास —
The Begum’s Fortune।

और उस उपन्यास में उसने एक यंत्र का ज़िक्र किया:
📡 Phonotelephote — जिससे लोग दूर बैठे चेहरा देख कर बात कर सकते थे।

1879 में...!
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👓 50 साल बाद — जर्मनी में पहला वीडियो टेलीफोन
📞 1964 में — अमेरिका में "Picturephone"
💻 और आज... Zoom, FaceTime, Meet, AI... और तमाम वीडियो कॉल facilities

लेकिन सवाल यह नहीं है कि यह सब हुआ कैसे...

सवाल यह है कि उसे पता कैसे था?
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क्या वो सिर्फ एक लेखक था?

या...
🧬 क्या उसके सपने किसी alternate timeline की leakage थे?
🕳️ या वो किसी time loop में था, जहाँ उसने वो सब पहले ही देख लिया था?
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और अब सबसे डरावनी बात सुनो...

📚 Jules Verne की original handwritten notes में एक शब्द और मिला था —

"2025 – Neural Image Transmission Begins"

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😳
तो क्या उसने सिर्फ वीडियो कॉल की कल्पना की थी?
या उसने हमारा आज देख लिया था… 150 साल पहले?

👇
अगर ये सिर्फ एक कहानी है… तो ये सबसे खौफनाक सच के बेहद करीब है।

🌀 "उस दिन कुछ ऐसा हुआ… जिसने मेरी सोच की दिशा ही बदल दी..."मैं अपने कमरे में अकेला था। शांति थी। बस एक पंखा चल रहा था — ...
01/06/2025

🌀 "उस दिन कुछ ऐसा हुआ… जिसने मेरी सोच की दिशा ही बदल दी..."
मैं अपने कमरे में अकेला था। शांति थी। बस एक पंखा चल रहा था — धीमे-धीमे।
फिर मैंने रिमोट से उसकी स्पीड बढ़ाई… 1…2…3…
5 पर पंखे की ब्लेड कम दिखने लगती है ।
रिमोट में बस इतने ही नंबर थे ।
15 तक होते तो शायद पंखे के ब्लेड दिखना ही बंद हो जाते ।
पंखा चलता… हवा आती… लेकिन ब्लेडें नहीं दिखती ।
मैं कुछ देर तक उसे घूरता रहा — फिर अचानक मेरे ज़हन में एक पागल-सा ख्याल आया...

" पंखे के ब्लेड इतनी तेज़ी से घूमतीं है तो आंखों से गायब हो जाती है… तो कोई इंसान भी क्या उतनी ही तेज़ी से चलकर... अदृश्य नहीं हो सकता?”

मैंने गूगल खंगाल डाला, साइंस पढ़ डाली, ग्राफ़ पे ग्राफ़, RPM से लेकर प्रकाश की गति तक… और फिर सामने आया एक नंबर: 4,08,91,98,206 RPM (4 अरब से ज़्यादा — प्रकाश की गति तक पहुंचने के लिए एक पंखे को इतनी बार घूमना होगा!)

लेकिन इतनी स्पीड पर कोई भी मेटल, मोटर, या मैटरियल survive नहीं कर सकता

Friction, vibration, और centrifugal force इतनी ज़्यादा हो जाएगी कि पंखा विस्फोट कर जाएगा

लेकिन... हम एक theoretical hypothetical scenario मानते हैं — ताकि brain को झटका दे सकें 😄

यदि वही पंखा 4 अरब RPM पर घुमाना हो, तो उसे लगभग 1.28 करोड़ वॉट, यानी 1.72 लाख हॉर्सपावर की मोटर लगेगी 😳

🚀 तुलना में:

चीज़ हॉर्सपावर

आपकी बाइक ~15 HP
स्पोर्ट्स कार ~400 HP
फाइटर जेट इंजन ~50,000 HP
ये पंखा (प्रकाश गति RPM) 1,72,000+ HP

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ये पूरी तरह कल्पनात्मक/थ्योरी आधारित है

Practical दुनिया में ऐसा RPM संभव नहीं

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4 अरब RPM पर घूमने वाला पंखा सिर्फ material पर नहीं, बल्कि एकदम नए level की टेक्नोलॉजी पर निर्भर करेगा।

📌 यदि संभव है, तो वो:

Graphene / CNT जैसे materials से बनेगा

माइक्रो या नैनो साइज में होगा

पूरी तरह vacuum में operate करेगा

Magnetic levitation से frictionless घूमेंगा

और Quantum precision balancing से ही stable रहेगा

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👁️ उद्देश्य क्या है — "ये पंखा क्यों घुमाना है?"

ये कोई कूलर नहीं।
ये कोई घर का fan नहीं।

ये एक गेटवे हो सकता है — स्पेस और टाइम को मोड़ने के लिए।
एक ऐसा यंत्र जो दृश्यता की सीमा को पार करता है,

🚀 सोचिए अगर ऐसा पंखा बन जाए:

वो पंखा नहीं — एक टाइम मशीन या स्पेस-ड्राइव का हिस्सा हो सकता है

उसकी ब्लेडें नहीं दिखेंगी, न छूने लायक होंगी — बस ऊर्जा की लहरें होंगी

मैंने जाना कि Graphene और Carbon Nanotube जैसे सबसे मजबूत पदार्थ शायद यह स्पीड सह सकते हैं… लेकिन 4 अरब RPM ?

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कोशिश करेंगे तो क्या करना होगा

आज की तारीख में, सबसे मज़बूत materials हैं:

Graphene (130 GPa tensile strength, ultra-light)

Carbon Nanotubes (~60 GPa)

पर असली challenge है — atomic level पर defect-free निर्माण

Graphene sheets आज भी mm² आकार में बन पाती हैं, वो भी काफी कठिनाई से

🧠 अगला स्तर:

Hypothetical materials:

Nuclear pasta – neutron star interior में पाई जाती है (theoretically)

Meta-materials – specially engineered atomic arrangements

Photonic crystals – light-structured mass systems

इसमें लगने वाले खर्चे

1 ग्राम graphene का production cost ≈ $100 – $200 USD

1 defect-free square meter graphene sheet बनाने का खर्च = हज़ारों डॉलर + clean room + nanofab labs

यदि पूरे पंखे का structure graphene या C**s से बनाना हो:

⚙️ Atomic precision robotics

🧪 Space-grade zero-defect control

💰 Total prototype cost easily $100 million+ (₹800 करोड़ से ज़्यादा)

मतलब संभावना है लेकिन खर्च हमारी क्षमता से बहुत ज्यादा होगा ।

यह कल्पना impossible नहीं है — ये वही संभावना है, जहाँ से "airplane", "internet", और "quantum computer" जैसी चीजें जन्म लेती हैं।

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मैंने जाना कि नैनो लेवल पर मोलिक्यूल घूमते हैं अरबों बार हर सेकंड… बिना टूटे।

उदाहरण

F1-ATPase enzyme (हमारे शरीर की कोशिकाओं में):
👉 100,000+ RPM at nanoscale

Synthetic molecular rotors — जो photon, chemical energy या electric pulse से चल सकते हैं

👉 MIT, CalTech और IBM labs ने ऐसे systems पर काम किया है

क्यों यह रास्ता संभव है?

Size बहुत छोटा = negligible centrifugal force

No moving parts in classical sense

Thermal stability high

No mechanical friction — सिर्फ energy fields

समस्या:

अभी सिर्फ lab-level molecules तक सीमित है

किसी usable system (macro output) तक पहुंचने के लिए trillions of synchronized rotors की ज़रूरत होगी

ETH Zurich ने तो 600 मिलियन RPM तक पहुंच भी लिया है — light से।

क्या ये ही भविष्य का रास्ता है?

अभी इस दिशा में बहुत से प्रयोग होने है । AI इसके लिए 50 साल लगने की संभावना बताता है । जब शायद नैनो लेवल पर कोई वस्तु या एनर्जी 4 अरब RPM पर यानी प्रकाश की गति से सिर्फ घुमाई जा सकती है ।

लेकिन इंसान ?
अभी हमें इस गति से चलने के लिए पता नहीं कितने सैकड़ों साल लगेंगे या शायद हजारों ।

और अब…

अब मैं वो बात तुम्हें बताने जा रहा हूँ — जिसने मेरे सारे सवालों को इस पोस्ट में बदल दिया।

मुझे याद आई वो पुरानी कथाएं जो हमने टीवी में देखी, नानियों और दादियों से सुनी

नारद मुनि का एक ही पल में तीनों लोकों में जाना

हनुमान जी का बिना रुके उड़ जाना

योगियों का “अदृश्य” हो जाना

क्या ये सिर्फ कथा थीं? या हमारा इतिहास… जो किसी उन्नत तकनीक की ओर इशारा करता है ।

क्या ये प्रकाश या उसके आस पास की गति से चलने की तकनीक रही होगी ?

मुझे ये एक थ्योरी नहीं लगी… ये लगा जैसे कुछ बहुत पुराना, बहुत गहरा रहस्य है — जो आज की विज्ञान की भाषा में बस Decode होने को है।

🎯 सच क्या है:

जो दिखता है, वही सच नहीं होता।
जो नहीं दिखता, जरूरी नहीं वो है ही न ।
हो सकता है, वो बहुत तेज़ चल रहा हो।

शायद “अदृश्य होना” कोई चमत्कार नहीं था… बल्कि वो गति थी जो हमारी आंखें पकड़ नहीं सकतीं।

👇 अगर तुम्हें भी कभी लगा है कि प्राचीन ज्ञान और आज का विज्ञान, दो ध्रुव नहीं… बल्कि एक ही वृत्त के छोर हैं — तो इस पोस्ट को ज़रा धीमे पढ़ो, सोचो… और शेयर कर दो
क्योंकि जवाब वहीं होते हैं, जहाँ हमारी सोच जवाब देना बंद कर देती है।

#सोच_वो_जो_हद_तोड़े

30/05/2025

रैंडम विचार ।

इतने बड़े बड़े लगने वाले सोलर पैनल कभी उन्नत टेक्नोलॉजी में एक मोबाइल के चिप के बराबर बनकर आयेंगे ।

लेकिन तब तक शायद एनर्जी तो मुफ्त हो जाएगी लेकिन ऑक्सीजन खरीदना पड़ेगा ।

वैसे तो मै फालतू की चीजें लिखता रहता हूं । लेकिन फिर भी अच्छा लगे तो शेयर कर दिया करिए जिससे पता चले कि फालतू लिखते लिखत...
28/05/2025

वैसे तो मै फालतू की चीजें लिखता रहता हूं । लेकिन फिर भी अच्छा लगे तो शेयर कर दिया करिए जिससे पता चले कि फालतू लिखते लिखते मैने कब अच्छा लिख दिया ।

इधर 100 सालों में दुनिया इतनी तेजी बदल रही है कि कुछ चीजें हमारे आंखों के सामने से विलुप्त होती जा रही हैं और हमारा ध्यान भी नही जा रहा ।

गेम ऑफ थ्रोंस देखते हुए अचानक से ध्यान गया कि हजारों साल से घोड़ों का प्रयोग युद्ध से लेकर सवारी करने तक के लिए होता आया है।

लगभग आज से 100- 150 साल तक भी ये पूरी तरह इंसान के लिए जरूरी थे

मोटर कार का जमाना आया और फिर आज से 30-40 साल पहले तक ये डाकुओं के काम आने लगे वे इन पर चढ़कर आते थे और गांव का गांव लूट ले जाते थे ।

15 साल पहले तक हमने इन्हें इक्कागाड़ी में बंधते देखा है ।

और अब किसी गधे की शादी में हम घोड़े के नाम पर बस घोड़ियां ही देख पाते हैं ।

सड़क पर दौड़ते किसी घोड़े को देखे एक अरसा हो गया ।

इंसान के पास अब घोड़े के लिए कोई काम नहीं रह गया । पहले कुछ लोग घोड़े के रेस में सट्टा लगाते भी थे। IPL ने वो भी खत्म कर दिया ।

हजारों या शायद लाखों सालों से जो जानवर इंसान के लिए इतना जरूरी था । वो आज किसी काम का नही ।

कल या 100 साल बाद या हजारों साल बाद जब मानव किसी ऐसे ग्रह की खोज कर लेगा जो उसके रहने के लायक होगा । ऑक्सीजन अन्न जल से लैस होगा। फिर एक दिन ऐसा आयेगा कि जब पृथ्वी भी हमारे काम की नहीं होगी ।

अगर आपका बच्चा कल को कह दे कि पिताजी चलिए आपको वृद्धाश्रम छोड़ आऊं तो निराश मत होइएगा । बस सोच लीजिएगा कि आप किसी काम के नहीं रहे ।

🙏🙏

28/05/2025

किसी पोस्ट के किसी कमेंट में मुझे ये मिला तो सोचा आप लोगों तक सरका दूं

बड़ो पाद गजराज को, मध्यम पाद ठुसकइयां।
उत्तम पाद धड़ाका बंद और प्राण लेवे फुसकइयां।
🤣🤣😝

वैसे ये किस विषय में बात हो रही है किसी को समझ आए तो बताना 😞

मेहनत इतनी शांति से करोकी सफलता शोर मचा देतेजू भैया तो बहुत तेज निकले 3 -3 कंपनी चलाए रहे हैं 😝
26/05/2025

मेहनत इतनी शांति से करो
की सफलता शोर मचा दे
तेजू भैया तो बहुत तेज निकले
3 -3 कंपनी चलाए रहे हैं 😝

11/05/2025

बाबा साहब के चेले तो बता ही रहे थे
कि यह बुद्ध का देश है
हम ही नहीं समझ रहे थे 😝

11/05/2025

नेहा सिंह पुंगी का बम देखकर पाकिस्तान वाले डर गए और फायर सीज कर दिया 😝😝

11/05/2025

मोई जी
एक मिसाइल चमचों की गान में छोड़ देना था ।
साले पल पल में पलट जा रहे लहन के बौड़े

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