08/07/2025
बलरामपुर के छांगुर बाबा की कहानी सुनकर अगर आप चौंक गए हैं, तो माफ़ कीजिए, आप शायद भारत में नहीं रहते।
क्योंकि यहाँ 'बाबा' होना अब कइयों के लिये एक करियर ऑप्शन बन गया है।
छांगुर बाबा, जिनका असली नाम जमालुद्दीन है, कभी साइकिल पर नग बेचते थे। लेकिन फिर उन्होंने कुछ समझ लिया – आस्था बिकाऊ है।
लोगों को चमत्कार चाहिए।
तो उन्होंने बाबा बनकर वो सब दिया... सपनों में।
और बदले में ले ली 100 करोड़ की संपत्ति, विदेशी फंडिंग, आलीशान कोठियाँ, राजनीतिक कनेक्शन, और हाँ दर्जनों मासूम औरतों की ज़िंदगी।
ATS ने पकड़ा तो पता चला – बाबा साहब 40 इस्लामी देशों की यात्रा कर आए थे, प्रेमजाल बिछा कर धर्मांतरण करवा रहे थे, और हर ‘क्लास’ की लड़की की अलग रेट थी।
ब्राह्मण लड़की के इतने लाख, ठाकुर की इतनी बोली – जैसे मंडी लगी हो।
लेकिन यह सब सुनकर अगर आप सोचें कि “ये तो एक धर्म विशेष बाबा की बात है”, तो रुको ज़रा –यही सोच तो सबसे ज़्यादा बिकती है।
क्योंकि हर धर्म में छांगुर बाबा जैसे धंधेबाज़ बैठे हैं।
धर्म सबका अलग हो सकता है, लेकिन धंधा एक ही है – डर बेचो, चमत्कार बेचो, और जो इंसान की अक्ल के अंधे है वही इनके टारगेट ऑडियंस है।
पर अब सवाल बाबा पर नहीं है –
सवाल हम पर है।
सच ये है कि छांगुर बाबा अकेले नहीं थे
इस धंधे के सबसे बड़े इन्वेस्टर हमारे समाज में ऐसे अक्ल के अंधों का बहुत अधिक योगदान हैं।
ऐसे लोग वहाँ अपनी माँ की बीमारी लेकर जाते हैं, बहन की शादी के उपाय वहाँ पूछते हैं, अपने दुख का इलाज वहाँ करवाते हैं।
अब बताओ — सबसे बड़ा सी वो है, जिसने चूसा? या तुम, जो चूसने दिया?