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लिज्जत पापड़ की स्थापना 1959 में मुंबई के गिरगांव में सात महिलाओं द्वारा की गई थी। इनमें प्रमुख नाम जसवंतीबेन जमनादास पो...
16/08/2025

लिज्जत पापड़ की स्थापना 1959 में मुंबई के गिरगांव में सात महिलाओं द्वारा की गई थी। इनमें प्रमुख नाम जसवंतीबेन जमनादास पोपट का है, जिन्होंने अपनी छह सहेलियों-पार्वतीबेन रामदास ठोडानी, उमजबेन नरनदास कुंडालिया, भानूबेन एन.

टण्णा, लागूबेन अमृतलाल गोकणी, जयाबेन वी. विठलानी, और दिवालीबेन लुक्का के साथ मिलकर इस सहकारी संस्था की नींव रखी। शुरुआत में, इन महिलाओं ने समाजसेवी छगनलाल करमशी पारेख से 80 रुपये उधार लेकर अपने घर के आंगन में पापड़ बनाना शुरू किया। पहले दिन उन्होंने चार पैकेट पापड़ बनाए और स्थानीय दुकानदार को बेचे। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई, और लिज्जत पापड़ एक विश्वसनीय ब्रांड बन गया।

20 महीने की नन्ही धनिष्ठा – भारत की सबसे कम उम्र की अंगदाता बनी।माँ-बाप ने दुःख में भी उम्मीद चुनी - और उसके अंग दान कर ...
16/08/2025

20 महीने की नन्ही धनिष्ठा – भारत की सबसे कम उम्र की अंगदाता बनी।

माँ-बाप ने दुःख में भी उम्मीद चुनी - और उसके अंग दान कर दिए। अब वो बच्ची सिर्फ एक याद नहीं - कई ज़िंदगियों की वजह है। ॐ शांति

सलमान ख़ान की माँ को तो सब बधाई देते हैआज मेरी माँ जी का 61 व जन्मदिन है छोटा कलाकार समझकर कोई बधाई नहीं देता
16/08/2025

सलमान ख़ान की माँ को तो सब बधाई देते है

आज मेरी माँ जी का 61 व जन्मदिन है छोटा कलाकार समझकर कोई बधाई नहीं देता

**11 वर्षीय सोहित कुमार ने तीरंदाजी में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा**जबलपुर, मध्य प्रदेश के 11 वर्षीय सोहित कुमार ने अपनी अस...
16/08/2025

**11 वर्षीय सोहित कुमार ने तीरंदाजी में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा**

जबलपुर, मध्य प्रदेश के 11 वर्षीय सोहित कुमार ने अपनी असाधारण प्रतिभा और मेहनत से तीरंदाजी की दुनिया में तहलका मचा दिया। आंध्र प्रदेश के गुंटूर में आयोजित अंडर-15 राष्ट्रीय तीरंदाजी चैंपियनशिप में सोहित ने स्वर्ण पदक जीतकर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया। उन्होंने 720 में से 710 अंकों का शानदार स्कोर हासिल कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। यह उपलब्धि इसलिए भी खास है, क्योंकि सोहित एक साधारण परिवार से आते हैं, जहां उनके पिता एक दिव्यांग सब्जी विक्रेता हैं।

सोहित की कहानी प्रेरणा का प्रतीक है। मात्र 10 साल की उम्र में उन्होंने तीरंदाजी शुरू की और एमपी स्टेट आर्चरी अकादमी में कोच रिचपाल सिंह के मार्गदर्शन में अपने कौशल को निखारा। सीमित संसाधनों और आर्थिक तंगी के बावजूद, उनके परिवार ने उनके सपनों को पंख दिए। सोहित की मेहनत और लगन ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया, जहां उन्होंने न केवल स्वर्ण पदक जीता, बल्कि राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी तोड़ा।

यह उपलब्धि सोहित के लिए एक शुरुआत मात्र है। उनका अगला लक्ष्य 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतना है। उनकी इस सफलता ने पूरे देश में युवाओं को प्रेरित किया है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। सोहित की कहानी यह साबित करती है कि प्रतिभा किसी परिस्थिति की मोहताज नहीं होती। उनके कोच और परिवार को उन पर गर्व है, और देश को उनसे भविष्य में और भी बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद है।

यह तस्वीर एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली एक बच्ची की हैजो अपनी छोटी बहन को गोद में लेकर अपना पेपर देने आती हैक्यूंकि मां...
16/08/2025

यह तस्वीर एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली एक बच्ची की है
जो अपनी छोटी बहन को गोद में लेकर अपना पेपर देने आती है
क्यूंकि मां नही है संभालने को... धन्य है ऐसी बड़ी बहन

खान का बेटा हीरो बना तो खूब लाइक किया लेकिनलेकिन एक बाप ने डूब रहे अपने परिवार को बचा लायातो किसी ने भी इस गरीब बाप लाइक...
16/08/2025

खान का बेटा हीरो बना तो खूब लाइक किया लेकिन

लेकिन एक बाप ने डूब रहे अपने परिवार को बचा लाया

तो किसी ने भी इस गरीब बाप लाइक नहीं किया

हर दिन 8 किमी साइकिल चलाकर कोचिंग जाना कर्ज लेकर पढ़ाई करना, शिल्पी सोनी ने हर मुश्किल के पार कर ISRO में जगह बनाई लेकिन...
16/08/2025

हर दिन 8 किमी साइकिल चलाकर कोचिंग जाना कर्ज लेकर पढ़ाई करना, शिल्पी सोनी ने हर मुश्किल के पार कर ISRO में जगह बनाई लेकिन किसी ने बधाई नहीं दी

मजदूर ने 11 छात्रों को दी साइकिलें, बनी शिक्षा के प्रति संवेदनशीलता की मिसाल *कर्नाटक के रायचूर जिले के देओडुर्ग तालुक क...
15/08/2025

मजदूर ने 11 छात्रों को दी साइकिलें, बनी शिक्षा के प्रति संवेदनशीलता की मिसाल *

कर्नाटक के रायचूर जिले के देओडुर्ग तालुक के मलकंदिनी गाँव में रहने वाले अंजिनेय यादव (अंजनेया मलकंदिनी) पेशे से दैनिक मजदूर हैं। आमदनी सीमित होने के बावजूद, उनके मन में बच्चों की शिक्षा के लिए गहरी संवेदनशीलता और मदद की भावना है।

गाँव के कई बच्चे प्रतिदिन 3 से 10 किलोमीटर तक पैदल चलकर स्कूल जाते थे। यह लंबा सफर न केवल उन्हें थका देता, बल्कि समय भी ज्यादा लेता, जिससे पढ़ाई और अन्य गतिविधियों पर असर पड़ता। अंजिनेय ने यह समस्या करीब से देखी और ठान लिया कि वे कुछ बदलाव लाएंगे।

अपनी मेहनत-मजदूरी से उन्होंने धीरे-धीरे पैसे बचाए। लगभग ₹40,000 से ₹60,000 इकट्ठा होने पर उन्होंने 11 नई साइकिलें खरीदीं। ये साइकिलें उन्होंने हेमानूरु हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक को सौंप दीं, जिन्होंने उन्हें ज़रूरतमंद छात्रों में वितरित किया। लाभार्थियों में 6 लड़कियाँ और 5 लड़के शामिल थे।

अंजिनेय का कहना है, "गरीबी पढ़ाई में रुकावट नहीं बननी चाहिए। यदि हम थोड़ी भी मदद कर सकते हैं, तो जरूर करनी चाहिए।"* उनकी इस पहल ने न केवल बच्चों की पढ़ाई आसान कर दी, बल्कि गाँव में शिक्षा के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई। अब बच्चे समय पर, बिना थके और उत्साह के साथ स्कूल पहुँचते हैं।

गाँव के लोग उनकी इस उदारता से प्रेरित होकर बच्चों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। यह कहानी बताती है कि बड़ा बदलाव लाने के लिए बड़े संसाधनों की नहीं, बल्कि बड़े दिल और नेक इरादे की जरूरत होती है। अंजिनेय यादव का यह कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है कि चाहे हालात कितने भी कठिन हों, अगर नीयत सही हो तो इंसान समाज में रोशनी फैला सकता है।

आँखो से अंधी होने के बावजूद देश के लिए मेडल ले लाई बधाइयाँ रुकनी नही चाहिए 💐👍
15/08/2025

आँखो से अंधी होने के बावजूद देश के लिए मेडल ले लाई बधाइयाँ रुकनी नही चाहिए 💐👍

** पूर्व मेजर खुशबू पाटनी ने दिखाई मानवता, खंडहर में मिली घायल बच्ची को बचाया **बॉलीवुड अभिनेत्री दिशा पाटनी की बड़ी बहन...
15/08/2025

** पूर्व मेजर खुशबू पाटनी ने दिखाई मानवता, खंडहर में मिली घायल बच्ची को बचाया **

बॉलीवुड अभिनेत्री दिशा पाटनी की बड़ी बहन और भारतीय सेना की पूर्व मेजर खुशबू पाटनी ने अपनी बहादुरी और मानवता से पूरे देश का दिल जीत लिया। 20 अप्रैल 2025 को उत्तर प्रदेश के बरेली में, खुशबू ने एक खंडहर इमारत से एक लावारिस और घायल बच्ची को बचाया। इस बच्ची, जिसकी उम्र लगभग 9-10 महीने थी, को गंदगी और धूल में अकेला छोड़ दिया गया था, और उसके चेहरे पर चोट के निशान थे। खुशबू ने अपनी सुबह की सैर के दौरान बच्ची की रोने की आवाज सुनी और बिना देर किए दीवार फांदकर उसे बचाया।

खुशबू ने बच्ची को अपने घर ले जाकर प्राथमिक उपचार दिया और तुरंत पुलिस को सूचित किया। बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है। खुशबू ने इस घटना का एक वीडियो अपने इंस्टाग्राम पर साझा किया, जिसमें उन्होंने बच्ची को गोद में लेकर सांत्वना दी और माता-पिता की इस हरकत की निंदा की। उन्होंने बच्ची का नाम अस्थायी रूप से 'राधा' रखा और अधिकारियों से अनुरोध किया कि बच्ची को सुरक्षित भविष्य मिले।

खुशबू ने अपने पोस्ट में लिखा, "जाको राखे साइयां, मार सके न कोय। मैं उम्मीद करती हूं कि बच्ची को उचित देखभाल मिलेगी।" उन्होंने बरेली पुलिस, उत्तर प्रदेश पुलिस और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को टैग कर कार्रवाई की मांग की। बाद में, पुलिस ने बच्ची के माता-पिता का पता लगा लिया, जो बिहार से थे। इस घटना ने खुशबू को एक सच्चे नायक के रूप में स्थापित किया, और उनकी बहन दिशा समेत कई हस्तियों ने उनकी सराहना की। खुशबू की यह कहानी साहस, करुणा और मानवता का प्रेरक उदाहरण है।

हजारों अनाथ बच्चों को आश्रय और शिक्षा देने वाली सिंधुताई सपकाल को अनाथों की माँ कहा जाता है इनके लिए लाइक शेयर करने में ...
15/08/2025

हजारों अनाथ बच्चों को आश्रय और शिक्षा देने वाली सिंधुताई सपकाल को अनाथों की माँ कहा जाता है इनके लिए लाइक शेयर करने में हर किसी को गर्व होना चाहिए 💔😘👍

कोई बॉलीवुड वाला होता तो सब लाइक करते मेरे पति छोटे एक्टर हैं ना इसलिए तो कोई उनको गलती से भी लाइक नहीं कर रहा
15/08/2025

कोई बॉलीवुड वाला होता तो सब लाइक करते मेरे पति छोटे एक्टर हैं ना इसलिए तो कोई उनको गलती से भी लाइक नहीं कर रहा

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