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Picture Of The Day ❤️❤️❤️❤️ Ten Unknown Facts About  1. The first film made in 1888 was "Rounday Garden Scene" directed ...
04/08/2025

Picture Of The Day ❤️❤️❤️❤️

Ten Unknown Facts About

1. The first film made in 1888 was "Rounday Garden Scene" directed by French inventor Louis Le Prince.

2. "The Squ Man" was the first Hollywood movie in 1911 directed by Oscar Epfel and Cecil B. DeMille.

3. The first 3D film was "The Power of Love" in 1922 directed by Nat G. DeVrich and Harry K. Fairl.

4. The first film with sound was "The Jazz Singer" in 1927 directed by Alan Crossland.

5. "Ambion" was the longest movie made in 2016, directed by Anders Weberg, with 720 hours of runtime.

6. "Avengers: Endgame" is the highest grossing movie ever in 2019 directed by Anthony and Joe Russo.

7. 11 of the highest academy awards won by a single film, received by "Ben-Hoor" in 1959, "Titanic" in 1997 and "The Lord of the Rings: The Return of the King" in 2003.

8. The first film featuring computer-generated image (CGI) was "Westworld" directed by Michael Crichton in 1973.

9. The first film using speed capture technology was "The Lord of the Rings: The Fellowship of the Ring" directed by Peter Jackson in 2001.

10. Keanu Reeves is the highest-paid actor ever with $250 million salary for "The Matrix" trilogy. Ten Unknown Facts About

1. The first film made in 1888 was "Rounday Garden Scene" directed by French inventor Louis Le Prince.

2. "The Squ Man" was the first Hollywood movie in 1911 directed by Oscar Epfel and Cecil B. DeMille.

3. The first 3D film was "The Power of Love" in 1922 directed by Nat G. DeVrich and Harry K. Fairl.

4. The first film with sound was "The Jazz Singer" in 1927 directed by Alan Crossland.

5. "Ambion" was the longest movie made in 2016, directed by Anders Weberg, with 720 hours of runtime.

6. "Avengers: Endgame" is the highest grossing movie ever in 2019 directed by Anthony and Joe Russo.

7. 11 of the highest academy awards won by a single film, received by "Ben-Hoor" in 1959, "Titanic" in 1997 and "The Lord of the Rings: The Return of the King" in 2003.

8. The first film featuring computer-generated image (CGI) was "Westworld" directed by Michael Crichton in 1973.

9. The first film using speed capture technology was "The Lord of the Rings: The Fellowship of the Ring" directed by Peter Jackson in 2001.

10. Keanu Reeves is the highest-paid actor ever with $250 million salary for "The Matrix" trilogy. Comedy video 😆
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25/07/2025

योगराज गुग्गुल न केवल एक आयुर्वेदिक औषधि है, बल्कि यह एक शक्तिशाली बहुउपयोगी फॉर्मूला है जो शरीर में जमे हुए दोषों को बाहर निकालने में सक्षम है। इसका वर्णन आयुर्वेद के महान ग्रंथों में "वातविकारों के सर्वोत्तम इलाज" के रूप में मिलता है। यह #गुग्गुल (Commiphora mukul) पर आधारित एक पारंपरिक योग है जिसमें 28 से अधिक औषधियों का समावेश होता है।

🪔 संघटन (Ingredients)

गुग्गुलु (Commiphora mukul) – मुख्य घटक

त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला)

त्रिकटु (सौंठ, मरीच, पिप्पली)

चित्रक (Plumbago zeylanica)

हिंगु (Ferula asafoetida)

अजमोद, जीरा, धनिया, सौफ

देवदारु, एरण्ड मूल, रसना

गजपिप्पली, पिप्पलीमूल

सूरण, रास्ना, शुण्ठी

लौंग, दालचीनी, तेजपत्ता, इलायची

यह योग वात और कफ दोष को संतुलित करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।

🌿 आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से गुणधर्म

रस: कटु, तिक्त

गुण: लघु, रूक्ष

वीर्य: उष्ण

विपाक: कटु

दोष प्रभाव: वात-कफ शमन

💪 फायदे (Benefits)

#जोड़ोंकेदर्द और आर्थराइटिस में लाभकारी: यह वातनाशक गुणों से युक्त है और #गठिया, संधिवात में अत्यंत लाभ देता है।

स्नायु और मांसपेशियों की कमजोरी: वातजन्य दुर्बलता और स्नायविक विकारों में उपयोगी।

डिजेनेरेटिव रोग: सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस, साइटिका, स्लिप डिस्क जैसे रोगों में प्रभावी।

पाचन शक्ति में वृद्धि: अग्नि को तीव्र करता है, अजीर्ण व अपच को दूर करता है।

मोटापा और कोलेस्ट्रॉल: शरीर में जमे हुए कफ और टॉक्सिन को हटाकर वजन संतुलन करता है।

शारीरिक दर्द और थकावट: पुराना बदन दर्द और आलस्य मिटाता है।

🧘‍♂️ सेवन विधि (Dosage & Use)

सामान्यतः 1–2 गोली, दिन में दो बार, गुनगुने पानी या हल्के गरम दूध के साथ।

चिकित्सकीय सलाह से ही लें।

वात रोगों में दशमूल क्वाथ के साथ भी दिया जा सकता है।

⚠️ सावधानियाँ (Precautions)

गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे बिना चिकित्सक की सलाह के इसका सेवन न करें।

पाचन कमजोर होने पर शुरुआत में कम मात्रा में लें।

उष्ण प्रकृति वालों को सावधानी से उपयोग करना चाहिए।

🧪 विज्ञान और योगराज गुग्गुल

आधुनिक रिसर्च ने भी माना है कि गुग्गुल के घटकों में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एनाल्जेसिक गुण होते हैं। खासकर गुग्गुलस्टेरोन नामक यौगिक सूजन और दर्द को कम करने में सहायक होता है।

🪻 घर में प्रयोग की विधि (Home Remedy Tips)

वातजन्य दर्द में योगराज गुग्गुल को दशमूलारिष्ट के साथ लिया जा सकता है।

साइटिका और स्पॉन्डिलाइटिस में यह हड़जोड़, अश्वगंधा चूर्ण और गुग्गुल के तेल से मसाज के साथ बहुत प्रभावी होता है।

🔚 निष्कर्ष (Conclusion)

योगराज गुग्गुल आयुर्वेदिक विज्ञान की वह औषधि है जो केवल रोग निवारण नहीं बल्कि जीवनशैली सुधार का भी काम करती है। यदि वात विकारों से हैं परेशान, तो यह चूर्ण है आपकी संजीवनी!

📢 #हैशटैग्स:

#योगराजगुग्गुल #आयुर्वेदिकदवा #जोड़ोंकेदर्दकइलाज #गठियाकाउपाय #आर्थराइटिसरिलीफ #वातदोषनाशक #गुग्गुलकेफायदे

22/07/2025
Source: Amar Ujala
19/07/2025

Source: Amar Ujala

घुटनों से संबंधित बीमारी का उपचार योग व आयुर्वेद पर आधारित एकीकृत चिकित्सा पद्धति से करने पर बेहतर परिणाम मिल रहे ...

11/07/2025
⚠️ महत्वपूर्ण मुद्दा : क्या इस तरह आयुर्वेदिक काष्ठ औषध या रसौषध को सेल्फ मेडिकेशन के लिए सुझाव देना चाहिए?   सोशल मीडिय...
11/07/2025

⚠️ महत्वपूर्ण मुद्दा : क्या इस तरह आयुर्वेदिक काष्ठ औषध या रसौषध को सेल्फ मेडिकेशन के लिए सुझाव देना चाहिए?
सोशल मीडिया या अख़बारों में दी गई सामान्य बीमारियों के लिए 'तुरंत समाधान' वाली जानकारियों को लेकर सावधान रहें। जैसे इस अख़बार में सामान्य बीमारियों (बुखार, सिरदर्द, पेट दर्द आदि) के लिए अंग्रेजी दवाओं के साथ-साथ आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक विकल्पों का ज़िक्र किया गया है।
हालांकि, घर पर कुछ प्राथमिक उपचार करना ठीक है, लेकिन किसी भी दवा (चाहे वो अंग्रेजी हो, आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक) का इस्तेमाल बिना डॉक्टर की सलाह के करना गंभीर रूप से हानिकारक हो सकता है। हर व्यक्ति की शारीरिक स्थिति (प्रकृति) अलग होती है और एक ही दवा हर किसी पर समान असर नहीं करती।
याद रखें:
* सेल्फ-मेडिकेशन खतरनाक हो सकता है।
* गलत दवा या गलत खुराक लेने से स्थिति बिगड़ सकती है या गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
हमेशा किसी भी बीमारी के इलाज के लिए योग्य चिकित्सक या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।







  आयुर्वेद में अनेक ऐसे रत्न हैं जिन्हें यदि सही समय, मात्रा और विधि से लिया जाए तो न केवल वे रोगों को जड़ से खत्म कर सक...
17/06/2025

आयुर्वेद में अनेक ऐसे रत्न हैं जिन्हें यदि सही समय, मात्रा और विधि से लिया जाए तो न केवल वे रोगों को जड़ से खत्म कर सकते हैं बल्कि शरीर को पुनः ऊर्जा से भर देते हैं। त्रिकटु, ऐसा ही एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक संयोजन है, जो अक्सर त्रिफला के समकक्ष रखा जाता है। दोनों का उद्देश्य भिन्न होते हुए भी, शरीर की शुद्धि, संतुलन और बलवर्धन में अतुलनीय योगदान होता है।

त्रिकटु क्या है?

त्रिकटु का अर्थ है 'तीन तीखे'। यह तीन प्रमुख औषधीय द्रव्यों का संयोजन होता है:

सौंठ (शुष्क अदरक)

काली मिर्च

पिप्पली (लंबी मिर्च)

इन तीनों को सम मात्राओं में मिलाकर त्रिकटु तैयार किया जाता है। यह अग्निदीपक, कफघ्न, आमहर और रक्तशुद्धि में विशेष सहायक होता है।

त्रिफला और त्रिकटु: समानता और अंतर

जहां त्रिफला तीन फलों – हरड़, बहेड़ा और आंवला – का संयोजन है, वहीं त्रिकटु तीखे और पाचन को सक्रिय करने वाले तत्त्वों से बना होता है।

समानताएं:

दोनों पाचन को सुधारते हैं

शरीर की शुद्धि में सहायक हैं

रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं

वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करते हैं

मुख्य अंतर:

त्रिफला शीतल प्रकृति की है जबकि त्रिकटु उष्ण

त्रिफला का प्रयोग दीर्घकालीन किया जा सकता है, जबकि त्रिकटु नियंत्रित मात्रा में लिया जाना चाहिए

त्रिफला अधिकतर रसायन की श्रेणी में आती है जबकि त्रिकटु दोषहर के रूप में प्रयोग होती है

त्रिकटु के स्वास्थ्य लाभ:

1. अग्नि दीपक (Digestive Enhancer):

त्रिकटु भोजन के पाचन में सुधार करता है और अपाच्य पदार्थों को आम (toxins) बनने से रोकता है।

2. कफहर गुण:

सर्दी, खांसी, जुकाम, दमा और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं में त्रिकटु अत्यंत लाभदायक है।

3. वज़न नियंत्रण:

यह मेटाबॉलिज्म को तेज़ करता है, जिससे मोटापा कम करने में मदद मिलती है।

4. आम पाचन:

त्रिकटु शरीर में संचित आम को नष्ट करता है, जिससे जीर्ण रोगों की संभावना कम होती है।

5. जठराग्नि को सुधारना:

वात और कफ के असंतुलन से उत्पन्न जठराग्नि मंदता को दूर करता है।

6. यकृत और प्लीहा के लिए उपयोगी:

त्रिकटु लिवर फंक्शन को सुधारता है और प्लीहा विकारों में भी सहायक होता है।

त्रिकटु को कैसे करें उपयोग:

चूर्ण रूप में: 1 से 3 ग्राम गर्म जल या शहद के साथ

काढ़ा: त्रिकटु को पानी में उबालकर, दिन में 1-2 बार पिया जा सकता है

गुणों को बढ़ाने हेतु: त्रिकटु को शहद, घी, या सेंधा नमक के साथ लिया जा सकता है

किसे नहीं लेना चाहिए त्रिकटु:

अत्यधिक पित्त प्रवृत्ति वाले व्यक्ति

अल्सर, गैस्ट्रिक या आंतों में सूजन से पीड़ित लोग

गर्भवती महिलाएं और बच्चों को बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं देना चाहिए

गर्मी में अधिक मात्रा से बचें

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से त्रिकटु का महत्व:

आचार्य चरक और सुश्रुत ने त्रिकटु को कई औषधियों में सहायक तत्व के रूप में सुझाया है। यह अन्य औषधियों के अवशोषण को बढ़ाता है और शरीर में उनका प्रभाव तेज़ करता है। इसलिए इसे योगवाहि औषधि भी कहा जाता है।

त्रिकटु: एक आधुनिक परिप्रेक्ष्य:

आज जब जीवनशैली विकारों का युग है, और अधिकांश रोग पाचन गड़बड़ी या मेटाबॉलिक असंतुलन से उत्पन्न हो रहे हैं — ऐसे में त्रिकटु एक सशक्त स #त्रिकटुसेतंदुरुस्ती

त्रिकटु के कम-ज्ञात तथ्य:
✅ औषधियों का Bioavailability Booster है: त्रिकटु को योगवाहि औषधि कहा जाता है क्योंकि यह अन्य दवाओं के शरीर में अवशोषण (absorption) को कई गुना बढ़ा देता है। इसलिए यह अनेक आयुर्वेदिक फार्मुलों का अभिन्न हिस्सा होता है।
🔥 उष्मा उत्पादन को बढ़ाता है: त्रिकटु शरीर की thermogenic गतिविधि को बढ़ाता है, जिससे चयापचय तेज़ होता है और वज़न घटाने में मदद मिलती है।
🧠 ब्रेन फंक्शन में भी सहायक: पिप्पली और काली मिर्च में ऐसे यौगिक होते हैं जो dopamine और serotonin जैसे न्यूरोट्रांसमीटर को संतुलित करने में मदद करते हैं, जिससे मूड और एकाग्रता बेहतर होती है।
❌ ज्यादा मात्रा में लेने से हो सकता है Rebound Acidity: त्रिकटु उष्ण प्रकृति का होता है — अधिक मात्रा में सेवन करने पर पेट में जलन, अम्लपित्त और नींद में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
🩸 Liver Detoxification में कारगर: यह यकृत (लिवर) की क्रियाशीलता को बढ़ाता है और टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में सहायक होता है। कई बार इसे hepatoprotective सप्लीमेंट्स में शामिल किया जाता है।
🦠 प्राकृतिक एंटीबायोटिक: त्रिकटु में मौजूद तत्व रोगजनक बैक्टीरिया और वायरस के खिलाफ प्रतिरोध बढ़ाते हैं — यह प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह कार्य करता है।
💨 पुरानी सांस की बीमारियों में: कफ को पतला करने और बाहर निकालने में त्रिकटु बहुत असरदार होता है — विशेषकर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी में।
⏳ त्रिकटु का प्रभाव 15-30 मिनट में: विशेष रूप से पाचन और भूख बढ़ाने के लिए त्रिकटु के सेवन के कुछ ही मिनटों में असर दिखना शुरू हो जाता है।

निष्कर्ष:

त्रिकटु और त्रिफला, दोनों ही आयुर्वेद के दो अनमोल उपहार हैं। त्रिफला शरीर की सफाई, संतुलन और पुनर्निर्माण का काम करती है, वहीं त्रिकटु शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति और पाचन की ऊर्जा देता है। अगर सही मात्रा, सही मौसम और सही मार्गदर्शन में लिया जाए तो त्रिकटु न केवल त्रिफला की तरह उपयोगी है बल्कि अनेक बार उससे भी अधिक तीव्र प्रभाव देता है।

#त्रिकटु #आयुर्वेदिकचूर्ण #तीनऔषधियोंकीशक्ति #पाचनदोषकाइलाज #कफनाशक #वजनकमकरें #आयुर्वेदिकउपचार #प्राकृतिकचिकित्सा #स्वस्थरहो #देसीउपचार #गैसऔरअपच
#त्रिकटुचूर्ण #शरीरकीआग्नी #आंतोंकीसफाई #रोगमुक्तभारत #आयुर्वेदसेस्वास्थ्य #डाइजेशनबूस्टर
#हर्बलपथ #अच्छीपाचनशक्ति #त्रिकटुसेतंदुरुस्ती

आयुर्वेद में मकोय (Solanum nigrum) को एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है। इसे काकमाची के नाम से भी जाना जाता है। यह एक छोटा...
04/06/2025

आयुर्वेद में मकोय (Solanum nigrum) को एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है। इसे काकमाची के नाम से भी जाना जाता है। यह एक छोटा पौधा है जो अक्सर खरपतवार के रूप में उगता है, लेकिन इसके औषधीय गुण अनेक बीमारियों के इलाज में बहुत फायदेमंद होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, मकोय त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करने में सहायक है।
मकोय के प्रमुख आयुर्वेदिक गुण और उपयोग:
* लिवर के लिए फायदेमंद: मकोय को लिवर से जुड़ी समस्याओं के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। यह लिवर को डिटॉक्सीफाई करने, फैटी लिवर को कम करने और पीलिया जैसी बीमारियों में मदद करता है। इसके हेपेटोप्रोटेक्टिव (लिवर की रक्षा करने वाले) गुण इसे लिवर के स्वास्थ्य के लिए एक उत्कृष्ट औषधि बनाते हैं।
* पाचन में सुधार: मकोय पाचन संबंधी समस्याओं जैसे अपच, गैस, एसिडिटी और कब्ज में राहत देता है। यह पेट के अल्सर और सूजन को कम करने में भी सहायक है।
* त्वचा रोगों में उपयोगी: इसके एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों के कारण, मकोय त्वचा संक्रमण, एक्जिमा, दाद, खुजली और मुंहासों के इलाज में फायदेमंद है। इसके पत्तों का पेस्ट या जूस लगाने से त्वचा की जलन कम होती है।
* बुखार और संक्रमण में सहायक: मकोय बुखार, मलेरिया और टाइफाइड के लक्षणों को कम करने में मददगार है। इसके औषधीय गुण शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करते हैं, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
* सूजन और दर्द निवारक: मकोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजनरोधी) और एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) गुण होते हैं। यह जोड़ों के दर्द, गठिया और शरीर की सूजन को कम करने में प्रभावी है।
* मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभकारी: यह मूत्रवर्धक गुणों से भरपूर है, जिससे मूत्र पथ के संक्रमण (UTIs) और गुर्दे की समस्याओं में मदद मिलती है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक है।
* श्वसन संबंधी समस्याओं में: मकोय कफ को कम करने और श्वसन मार्ग को साफ करने में मदद करता है। यह खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस संबंधी दिक्कतों में लाभकारी है।
* अन्य उपयोग:
* यह भूख बढ़ाने में मदद करता है।
* मुंह के छालों में इसके पत्ते चबाने से राहत मिलती है।
* कान के दर्द में इसके पत्तों का रस गर्म करके डालने से आराम मिलता है।
* रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को नियंत्रित करने में भी यह सहायक हो सकता है।
* थकान और कमजोरी दूर करने में भी इसका उपयोग किया जाता है।
सावधानी: मकोय के फल और पत्तियों का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है। किसी भी गंभीर बीमारी के लिए इसके उपयोग से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लेना महत्वपूर्ण है।

04/06/2025

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में लोग अक्सर उच्च रक्तचाप (हाई बीपी) के बारे में बात करते हैं, लेकिन निम्न रक्तचाप (लो बीपी) भी एक गंभीर समस्या बनकर उभर रही है। अचानक बीपी लो होना न केवल व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करता है, बल्कि कभी-कभी यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसलिए यह समझना जरूरी है कि बीपी अचानक क्यों गिरता है, इसके लक्षण क्या होते हैं और किस प्रकार हम प्राकृतिक उपायों से इसे नियंत्रित कर सकते हैं।

1. बीपी लो क्या है?

जब रक्तचाप सामान्य से कम हो जाता है, यानी 90/60 mmHg से नीचे चला जाता है, तो उसे लो बीपी कहा जाता है। इसका मतलब है कि हृदय द्वारा पंप किया गया रक्त शरीर के अंगों तक सही मात्रा में नहीं पहुंच पा रहा है। यह स्थिति विशेष रूप से मस्तिष्क, गुर्दे और फेफड़ों जैसे महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित कर सकती है।

2. अचानक बीपी लो होने के कारण

डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण): शरीर में पानी की कमी से रक्त की मात्रा कम हो जाती है।

भोजन में पोषक तत्वों की कमी: खासकर विटामिन B12 और फोलेट की कमी।

दवाओं का प्रभाव: कुछ दवाएँ जैसे डाइयूरेटिक, हृदय की दवाएँ आदि।

लंबे समय तक खड़ा रहना: खून पैरों में जमा हो जाता है जिससे बीपी गिर सकता है।

इन्फेक्शन या एलर्जी: सेप्सिस या शॉक जैसी स्थिति में भी बीपी गिर सकता है।

तनाव या भावनात्मक आघात: अचानक मानसिक आघात से भी रक्तचाप गिर सकता है।

3. लो बीपी के लक्षण: क्या पहचानें?

अचानक चक्कर आना

धुंधली दृष्टि

थकावट या कमजोरी महसूस होना

मिचली या मतली

त्वचा का ठंडा और पसीने से भीगा होना

तेज़ या अनियमित धड़कन

बेहोशी या मूर्छा

यदि ये लक्षण लगातार बने रहें या बार-बार लौटें, तो यह चेतावनी है कि तत्काल कदम उठाना चाहिए।

4. तुरंत क्या करें: प्राथमिक उपचार

जब किसी व्यक्ति का बीपी अचानक गिर जाए, तो आप निम्न प्राथमिक उपचार आजमा सकते हैं:

व्यक्ति को लेटा दें और पैर ऊपर उठाएं: इससे मस्तिष्क तक रक्त का प्रवाह बढ़ेगा।

नमक और पानी का सेवन कराएं: एक गिलास पानी में थोड़ा नमक डालकर पिलाएं।

मीठा कुछ दें: जैसे कि ग्लूकोज़, शहद या मिठाई।

ताजे फल का रस दें: खासकर अनार या नारियल पानी।

धीरे-धीरे उठाएं: बीपी गिरने के बाद अचानक उठना और चलना खतरनाक हो सकता है।

5. प्राकृतिक और घरेलू उपाय: आयुर्वेद की शक्ति

1. तुलसी के पत्ते:

रोज़ सुबह 5-6 तुलसी के पत्ते चबाने से रक्तचाप संतुलित रहता है। तुलसी में पोटेशियम, मैग्नीशियम और विटामिन C होते हैं।

2. अदरक और शहद:

एक चम्मच अदरक का रस और शहद मिलाकर लेने से रक्त संचार सुधरता है। यह हृदय की गति को नियंत्रित करता है।

3. नमक-नींबू पानी:

एक गिलास गुनगुने पानी में चुटकी भर नमक और आधा नींबू मिलाकर पीने से BP जल्दी सामान्य हो सकता है।

4. अनार का रस:

अनार में आयरन की मात्रा अधिक होती है, जो शरीर में ऑक्सीजन के संचार को बेहतर बनाता है।

5. गिलोय का सेवन:

गिलोय रक्तसंचार को नियंत्रित करता है और शरीर को ताकत देता है। यह इम्युनिटी भी बढ़ाता है।

6. खानपान में बदलाव: लो बीपी को कहें बाय-बाय

छोटे-छोटे भोजन लें: दिनभर में कई बार हल्का भोजन करने से BP स्थिर रहता है।

नमक की मात्रा बढ़ाएं: लेकिन उच्च रक्तचाप न होने पर ही।

आयरन और विटामिन युक्त आहार: पालक, बीट, अनार, किशमिश, दूध आदि।

कैफीन युक्त पेय: जैसे चाय या कॉफी कभी-कभार बीपी बढ़ाने में सहायक होते हैं।

7. जीवनशैली में सुधार

योग और प्राणायाम: विशेष रूप से अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका जैसे प्राणायाम रक्तचाप को नियंत्रित रखते हैं।

पर्याप्त नींद: 7-8 घंटे की नींद आवश्यक है।

तनाव कम करें: ध्यान और मेडिटेशन का सहारा लें।

अत्यधिक गर्मी या थकान से बचें: शरीर में पानी की कमी और थकावट से बीपी गिर सकता है।

8. कब चिकित्सक से संपर्क करें?

बार-बार चक्कर आना या मूर्छा आना

लंबे समय तक बीपी 90/60 से कम रहना

कोई अन्य बीमारी के साथ लो बीपी होना (जैसे डायबिटीज, हृदय रोग)

अचानक बेहोशी या सांस लेने में तकलीफ

इन स्थितियों में डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है। कभी-कभी बीपी गिरना किसी गंभीर रोग का संकेत हो सकता है।

निष्कर्ष: सजगता ही सुरक्षा है

अचानक #बीपी लो होना शरीर का एक संकेत है कि कुछ ठीक नहीं है। समय रहते इस पर ध्यान देकर, आयुर्वेद और घरेलू उपायों को अपनाकर और जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाकर हम इस समस्या को काबू में रख सकते हैं। साथ ही, सतर्कता और प्राथमिक उपचार की जानकारी जीवन रक्षक भी साबित हो सकती है। याद रखें, बीपी चाहे लो हो या हाई, संतुलन ही स्वास्थ्य की कुंजी है।

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