
05/04/2025
भगवान शिव हिंदू धर्म में प्रमुख देवताओं में से एक हैं और उन्हें सर्वशक्तिमान और तीनों लोकों के स्वामी के रूप में माना जाता है। शिव को एक विविधतापूर्ण देवता के रूप में पूजा जाता है, और उनके विभिन्न स्वरूपों और गुणों का उल्लेख पौराणिक कथाओं में मिलता है। यहाँ शिव का संक्षिप्त इतिहास दिया गया है:
प्राचीन काल
शिव का अस्तित्व: शिव का उल्लेख वेदों में मिलता है, जहां उन्हें 'रुद्र' के नाम से संबोधित किया गया है। रुद्र का अर्थ है "विनाशक", लेकिन वह केवल विनाश के देवता नहीं हैं; वे सृष्टि और संरक्षण से भी जुड़े हुए हैं।
आदि शिव: शिव को "आदि गुरु" और "आदि योगी" माना जाता है। उन्हें सृष्टि के आरंभ से ही पूजा जाता रहा है।
पुराणों में शिव
शिव पुराण: यह पुराण भगवान शिव की स्तुति करता है और उनकी कहानियों, उपासना विधियों और पौराणिक कथाओं का संग्रह है।
महाभारत और रामायण: शिव का उल्लेख महाभारत और रामायण में भी हुआ है, जहाँ भगवान शिव ने विभिन्न घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
शिव के विभिन्न रूप
नटराज: शिव का नृत्य रूप, जो सृष्टि, पालन और संहार का प्रतीक है।
भैरव: शिव का भैरव रूप, जिसे तंत्र और अघोर परंपरा में महत्वपूर्ण माना जाता है।
महाकाल: काल और समय के देवता, जो मृत्यु और मोक्ष के साथ जुड़े हुए हैं।
शिव की उपासना
शिव की उपासना विभिन्न तरीकों से की जाती है, जैसे लिंग पूजा, उपवास, और महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा। शिव के भक्त हर सोमवार का उपवास रखते हैं और मृत्यु के बाद की यात्रा में उन्हें मोक्ष का दाता माना जाता है।
शिव की भक्ति
संत कवि, जैसे कि तुलसीदास और मीराबाई, ने शिव की स्तुति में अनेक भक्ति गीत एवं कविताएँ रची हैं, जो शिव की महानता और उनके प्रति भक्ति को दर्श...See More