02/02/2024
ऐसे मत निहारिए में बेचारा नहीं हूं बस वक्त साथ नहीं दे रहा है।मेरे इम्तिहानों के दिन चल रहे हैं ओर में लगातार फैल होते जा रहा हूं फिर भी हिम्मत नहीं हारी लेकिन मेरी जो हिम्मत थी उन्होंने मेरा साथ छोड़ दिया है लेकिन मैं बेबस पड़ा हूं उसकी खबर तक नहीं है
ऐसे मत देखिये में सिर्फ बेबस हूं बेचारा नहीं हूं मेरा भी एक समय था जब हिन्दुस्तान के खजाने की चाबियां मेरी टेबल पर पड़ी रहती थी मेरे अपनों ने मेरे साथ अच्छा नहीं किया उन्होंने ही मुझे इम्तिहान देने के लिए अपनी सफ से धीरे धीरे काटना शुरू कर दिया ऐसी तो मेरी कोई ग़लती ही नहीं थी हमने जिस पेड़ को उगाने में सबसे ज्यादा पसीना बहाया जब वो पेड़ छायादार हुआ तो हमें ही बेदखल कर दिया गया
लेकिन फिर भी मैं खड़ा हूं उन लोगों के लिए जो मेरे से हजारों उम्मीदें लगाये बैठे हैं मुझे तो पता भी नहीं कि मेरे साथ अभी क्या क्या हुआ है
आपने देखा होगा बाहर दरवाजे पर चंद लोग टोपी ओर अजरख वाले मायूस खड़े हैं मेरा उनसे दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है वो दूसरे धर्म को मानते हैं मेरा मजहब दूसरा है लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों जब भी मैं मुसीबत में होता हूं तो उनकी रातों की नींदें हराम हो जाती है वो हमेशा मेरे साथ खड़े रहे यहां तक कि समाज ने भी एक समय के बाद मेरा साथ छोड़ दिया लेकिन इन दूसरे मजहब को मानने वाले लोगों ने मेरा साथ नहीं छोड़ा क्योंकि मेरे परिवार ने यही सब कमाया है जो आज दरवाजे के बाहर मायूस खड़े रो रहे हैं, में चाहता तो इतना अमीर बन सकता था कि सल्तनत के सुल्तान भी लाइन में खड़े रहते लेकिन जब ये सोचा कि जाना तो खाली हाथ ही है
ऐसे मत निहारिए में फिर उठूंगा फिर लड़ूंगा क्यों कि बहुतों की उम्मीद अब भी मुझ में ही बसी है
बस आप सब दुआ करिये ये दिन भी गुजर जायें
गुजरो जो तुम इधर से तो गुजरो ये सोचकर
रहते हैं रंजोगम के मारे यहीं कहीं 😢