
07/06/2025
गोपियां भगवानके स्वरूपमें लीन होनेके पहले एक ही श्लोकमें उनकी स्तुति की,-
आहुश्च ते नलिननाभ पदारविन्दं
योगेश्वरैर्हृदि विचिन्त्यमगाधबोधै:।
संसारकूपपतितोत्त्वरणावलम्बं
गेहं जुषामपि मनस्युदियात्सदा न:।।
हे कमलनाभ ! प्रकाण्ड ज्ञानी तथा सिद्ध योगियों
द्वारा ध्यान करने योग्य और संसारकूपमें पड़े हुए प्राणियोंके उद्धार का एकमात्र अवलम्बन स्वरूप आपका चरणकमल घर-वारका सेवन करती हुई भी हम गोपियोंके मनमें निरन्तर बना रहे।
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जय श्रीकृष्ण
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