preeti vikash gupta116

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05/07/2025

घोडा प्रथम वही आता हैं जिस पर कोई अनुभवी सवार हो, परिवार वही आगे बढ़ता हैं जहाँ मुखिया समझदार हो!

 #खोईछा विवाहित स्त्रियों को “खोईछा” देने की प्रथा लगभग हर राज्य में प्रचलित है। भले ही अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम ...
05/07/2025

#खोईछा
विवाहित स्त्रियों को “खोईछा” देने की प्रथा लगभग हर राज्य में प्रचलित है। भले ही अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम हो। हमारे बिहार में इसे” खोईछा” कहते हैं। शायद उत्तर भारत में “गोद भरना” कहते हैं। यह परम्परा हमारी भावनाओं एवं धार्मिक महत्व का अनमोल मिश्रण है।जब भी कोई विवाहित स्त्री मायके जाती है और जब वापस आने लगती है तो माँ, भाभी, चाची या बुआ जो सुहागन हो उसके आंचल में बड़े स्नेह और भावुकता के साथ चावल, हल्दी की गांठ, दूर्वा, सुपारी एवं सामर्थ्यानुसार कुछ पैसे देती हैं।आंचल में दी जाने वाली वस्तुओं में स्थान विशेष के रिवाज के अनुसार भिन्नता हो सकती है। पर भावनाएँ वहीं रहती हैं।फिर एक दूसरे की मांग में सिंदूर लगाना, अश्रु पूरित नयनों से एक दूसरे को देखना, चावल के दो चार दाने माँ या भाभी के द्वारा निकालते हुए ये कहना कि फिर जल्द ही मायके आना, बेटियों को भावुक बना ही देता है।ग्रामीण समाज मे तो यह प्रथा आज भी जीवित है। गांवों मे तो कहते हैं बेटिया सब की साझी होती हैं। कही-कही तो बेटियों को “सबासिन “भी कहते हैं अर्थात जिसे सबसे आशा हो। ग्रामीण समाज मे बेटियों को चलते वक्त सिर्फ अपने ही घर से नहीं बल्कि गांव के सभी रिश्तेदारों के घर से खोईछा मिलता है। कितनी भावनाएँ बंधी होती हैं उन चन्द सामग्रियों में। ससुराल से मायके जाते वक्त भी खोईछा देने की प्रथा है। खोईछा देने की प्रथा के पीछे बेटी-बहू की खुशहाली एवं उनके सौभाग्य की मंगलकामना का उद्देश्य ही हो सकता है। खोईछा में दी जाने वाली सामग्री यथा अक्षत, दूब , हल्दी की गांठ, सुपारी ,सिक्का का हमारे हिन्दू धर्म मे कितना महत्व है यह तो हम सब जानते ही है।देवी दुर्गा को भी नवरात्रि के मौके पर अष्टमी या नवमी को सुहागन स्त्रियां खोईछा अवश्य देती हैं। कहते हैं नवरात्र में माँ दुर्गा मायके आती है अतः उन्हें खोईछा दे कर विदा करते हैं। अर्थात यह परम्परा बहुत पुरानी है और आस्था से जुड़ी है।अब शायद यह प्रथा कुछ कमजोर होती जा रही है। आधुनिक युग की नयी पीढ़ी की महिलाएं इन रिवाजों से ज्यादा बंधी नहीं हैं। समय और सुविधा के अनुसार रीति-रिवाजों में कमी आयी है। पर समय की यही मांग है। पर हमारी पीढ़ी की महिलाएं इसे भूल नहीं सकती बहुत सी मधुर यादे जुड़ी होंगी। मायके जाने का एक अहम हिस्सा है खोईछा। जिनके मायके में खोईछा देने के लिये कोई स्नेहिल हाथ न हो वो बेटी बेचारी क्या करे। उसका आंचल तो खाली ही रह जायेगा।

Preeti Gupta

04/07/2025

Barish ke mausam me bhutta khane ka mza hi kuch aur h aur tab jab khana mummy bnay tab to aur bhi mza doguna ho jata hai😍🥰

बारिश और भुट्टा/मकई=सुकून❤️ 🌨⛈️💦
03/07/2025

बारिश और भुट्टा/मकई=सुकून❤️ 🌨⛈️💦

23/05/2025

जिसकी कामयाबी नहीं रोकी जा सकती 💁‍♀️🤷‍♀️,उनकी बदनामी शुरू की जाती है 😊💁‍♀️🙋‍♀️😍।

💯💯🙏radhe radhe🙏
23/05/2025

💯💯🙏radhe radhe🙏

मम्मी पापा की anniversary की फोटो ❤🧿   ❤🌎
22/05/2025

मम्मी पापा की anniversary की फोटो ❤🧿
❤🌎

Aap dono ki jodi bhagwaan aise hi bnaye rakhe 🙏❤     ❤️
20/05/2025

Aap dono ki jodi bhagwaan aise hi bnaye rakhe 🙏❤
❤️

My birthday pictures😍❤
17/05/2025

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