वैश्विक संत रविदास समाज

वैश्विक संत रविदास समाज Community

07/08/2025

मानव अपना विकास चाहता है। और प्राकृतिक अपना विकास चाहता है

09/04/2024

किसी के वर्तमान को देखकर
उसके भविष्य का मजाक मत उड़ाओ
क्योंकि समाय में इतनी शक्ति हैं कि वो
कोयले को भी धीरे धीरे हीरे में बदल देता है।

  2024: आज माघ माह की पूर्णिमा तिथि 24 फरवरी 2024 और शनिवार का दिन है। आज माघ पूर्णिमा के दिन हिंदू पंचांग के अनुसार भार...
24/02/2024

2024: आज माघ माह की पूर्णिमा तिथि 24 फरवरी 2024 और शनिवार का दिन है। आज माघ पूर्णिमा के दिन हिंदू पंचांग के अनुसार भारत के महान संत और कवि रविदास जी की जंयती मनाई जाती है। आज ही के दिन इनका जन्म हुआ था। आज इनकी 647वीं वर्षगांठ है। संत रविदास का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी के पास स्थित एक गांव में हुआ था।

संत रविदास स्वभाव से परोपकारी और दयालु थे। इनके अनुयायियों के अनुसार वह दूसरों की मदद करने के लिए सदैव तत्पर रहते थे। यह सभी स्वभाव एक संत में पाए जाते हैं। आज इनकी जयंती है, तो आइए जानते हैं संत रविदास के कुछ अनमोल वचन और उनके दोहों के बारे में, जिसे पढ़ कर खुशहाल जीवन जीने का मार्गदर्शन प्राप्त होता है।

मन चंगा तो कठौती में गंगा

23/02/2024

#संत_रविदास_जयंती उत्सव मनाने के लिए तैयारियां

01/02/2024
आधुनिक भारत के इतिहास में मूलनिवासी बहुजन समाज का नाम रौशन करने वाले,श्रमण संस्कृति के महानायक,पर्वत का सीना अपने हथोड़े...
14/01/2024

आधुनिक भारत के इतिहास में मूलनिवासी बहुजन समाज का नाम रौशन करने वाले,श्रमण संस्कृति के महानायक,पर्वत का सीना अपने हथोड़े से 22 वर्षों में चीर कर रास्ता बनाने वाले,अदम्य योद्धा मान्यवर दशरथ मांझी की आज 95 वीं जयंती है। भारत के सभी नागरिकों सहित बहुजन समाज की ओर से उनके प्रति शत- शत नमन और हार्दिक श्रद्धांजलि।
हम सभी जानते हैं कि उनका जन्म बिहार में गया जिले के अतरी के समीप गहलौर गांव में बहुजन समाज के बहुत ही हासिए पर खड़ा मुसहर समुदाय के मजदूर के घर में 14 जनवरी, 1929 ई को हुआ था। बचपन से लेकर जवान होने तक उन्होंने मजदूरी कर ही अपना परिवार चलाया था।अचानक उनके जीवन में परिवर्तन आया और उन्होंनेे गांव के सामने खड़े पहाड़ को तोड़ कर सड़क बनाने का महान संकल्प ले लिया।
उन्होंने 22 वर्षों तक लगातार अपने छेनी और हथोड़े से 360फीट लम्बे,30फीट चौड़े और 25 फीट ऊंचे पहाड़ को काट कर सभी लोगों के हित के लिए रास्ता बना दिया था। उसके पहले पहाड़ के कारण अतरी से वजीरगंज प्रखंड तक जाने में 70 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती थी, किन्तु उनके द्वारा बनाए गए सड़क के कारण वह दूरी 55 किलोमीटर कम हो गई और अब मात्र 15 किलोमीटर की दूरी हो गई। इसलिए बिहार के लोगों ने उन्हें सम्मान देते हुए "माउंटेन मैन" की संज्ञा दी हैं। उनकी मृत्यु 17 अगस्त,2007 ई को हुईं और बहुजन समाज के लाखों लोगों एवं नागरिकों ने उनके प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की थीं।
वे श्रमण संस्कृति के असली उत्तराधिकारी साबित हुए हैं।उन्होंने हमें यह सीख दी हैं कि श्रम ही जीवन एवं विकास का आधार है। हमें चाहे शिक्षा प्राप्त करने हों, आर्थिक विकास करने हो, ऊंचे पदों पर जाना हो, राजनीतिक परिवर्तन करना हो या सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन के लिए काम करने हों, हम दृढ़ संकल्प,त्याग और लगातार कठीन परिश्रम किए बिना प्राप्त कर नहीं सकते हैं।
महानायक दशरथ मांझी के दृढ़ संकल्प,अथक परिश्रम और बहुजन हिताय -बहुजन सुखाय के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के त्याग भरे जीवन से हमें यह सीखने की जरूरत है कि बिना ऐसा किए हम अपने मूलनिवासी बहुजन समाज को अपमान और दुखों से मुक्ति नहीं दिला सकते हैं। ऐसा किए बिना न तो हम संविधान की रक्षा कर सकते हैं और न ही अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करते हुए समतामूलक- लोकतांत्रिक भारत का निर्माण कर सकते हैं।
अतः हमें हर हाल में दृढ़संकल्प लेकर अनवरत कठिन मेहनत करना ही होगा, तभी हम संगठन और संघर्षों का सिलसिला वर्षों तक चला सकते हैं और उपर्युक्त लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकते हैं।

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