17/10/2025
ज़बरदस्त कहानी...
एक दिन एक दंपत्ति अपने 10 साल के बच्चे को लेकर डॉक्टर के पास आया। उन्होंने फ़ाइल डॉक्टर साहब की टेबल पर रखी। डॉक्टर ने फ़ाइल देखी और बच्चे की जाँच की। फिर डॉक्टर ने बच्चे से कहा, “बेटा, तुम थोड़ा बाहर बैठो, मैं तुम्हारे मम्मी-पापा से बात करता हूँ।”
माता-पिता बोले, “साहब, उसे सब पता है, इसलिए आप हमारी चर्चा उसी के सामने कर सकते हैं।”
डॉक्टर बोले, “मैंने पहली बार ऐसा परिवार देखा है जिनके चेहरे पर डर नहीं है।”
उन्होंने कहा, “साहब, शुरू में हम भी बहुत परेशान थे, लेकिन धीरे-धीरे भगवान पर भरोसे और विश्वास से हम तीनों का मनोबल मजबूत होता गया।”
डॉक्टर ने कहा, “देखिए, बच्चे के दिल की सर्जरी करनी पड़ेगी। मामला गंभीर है। 50-50 संभावना है। अगर सफल हुआ तो ज़िंदगी भर दिल की तकलीफ़ नहीं होगी, और अगर सफल न हुआ… तो आप समझ ही रहे हैं…”
माता-पिता बोले, “तो हमें क्या करना चाहिए?”
डॉक्टर ने कहा, “मेरे अनुसार मरते-मरते जीने से बेहतर है कि एक बार जोखिम उठा लिया जाए।”
वे डॉक्टर से सहमत हो गए।
जब उन्होंने डॉक्टर से शुल्क पूछा, तो डॉक्टर बोले, “आम तौर पर मैं एडवांस लेता हूँ, लेकिन आपके केस में ऑपरेशन के बाद बात करेंगे।” और उन्होंने तारीख दे दी।
ऑपरेशन के दिन बच्चा और माता-पिता समय पर पहुँचे। किसी के चेहरे पर डर नहीं था। वे बहुत शांत थे। यह केस डॉक्टर के जीवन का एक उदाहरण बन गया।
ऑपरेशन थिएटर में बच्चे को टेबल पर लिटाया गया। एनेस्थीसिया देने से पहले डॉक्टर ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए प्यार से पूछा,
“बेटा, तुम्हारा नाम क्या है?”
बच्चे ने मुस्कुराकर कहा, “आनंद।”
डॉक्टर ने मज़ाक में कहा, “बेटा, तुम्हारे नाम की तरह ही तुम हमेशा आनंद में रहो। ऑपरेशन शुरू करने से पहले कुछ कहना है?”
बच्चा बोला, “साहब, दिल क्या होता है?”
डॉक्टर बोले, “बेटा, दिल यानी हृदय, जिसकी सर्जरी आज हम करेंगे।”
बच्चा बोला, “साहब, मम्मी-पापा हमेशा कहते हैं कि हर इंसान के दिल में राम रहते हैं।
तो जब आप मेरा दिल खोलें, तो ज़रा देखना कि मेरे अंदर बैठे राम कैसे हैं, फिर मुझे बताना कि वे कैसे दिखते हैं।”
डॉक्टर की आँखें भर आईं।
डॉक्टर ने अपने स्टाफ को पूरा केस पहले ही समझा दिया था, इसलिए सबकी आँखें नम हो गईं।
डॉक्टर बोले, “हज़ारों ऑपरेशन मैंने किए हैं, लेकिन पता नहीं क्यों, इस बच्चे का ऑपरेशन करते हुए मेरा मन और हाथ काँप रहे हैं।”
उन्होंने आँखें बंद कीं और भगवान से प्रार्थना की—
“अब तक मैंने हर ऑपरेशन को पेशे की तरह किया है,
पर यह ऑपरेशन श्रद्धा और विश्वास पर आधारित है।
मैं तो बस दिल की सर्जरी करता हूँ,
पर तू ही उसका सर्जन है।
मेरे इस प्रयास को सफल बना।”
कहकर उन्होंने ऑपरेशन शुरू किया।
ऑपरेशन आगे बढ़ रहा था, सफलता की पूरी संभावना थी,
लेकिन अचानक बच्चे का ब्लड प्रेशर गिरने लगा, शरीर ठंडा पड़ने लगा, और अंत में… सब शांत हो गया।
डॉक्टर की आँखों में आँसू आ गए —
“हे भगवान! तू जीत गया, मैं हार गया…”
कहकर उन्होंने थिएटर की सारी लाइटें ऑन कीं और हाथ धोने लगे।
तभी अचानक उन्हें बच्चे के शब्द याद आए —
“जब मेरा दिल खोलो तो देखना, राम कैसे हैं…”
डॉक्टर तुरंत बच्चे के दिल की ओर देखे और ज़ोर से बोले —
“क्या तुम्हें राम दिख रहे हैं?”
इतना कहते ही एक अद्भुत चेतना बच्चे के दिल में लौट आई,
दिल फिर से धड़कने लगा!
पूरा स्टाफ खुशी से चिल्ला उठा —
“जय श्री राम!”
ऑपरेशन पूरा हुआ और बच्चा बच गया।
डॉक्टर ने फीस नहीं ली और कहा —
“हज़ारों ऑपरेशन किए,
पर कभी यह नहीं सोचा कि राम कहाँ हैं?
इस बच्चे ने आज मुझे दिखा दिया कि राम हमारे दिल में रहते हैं।”
जब हम अपनी बुद्धि के दरवाज़े बंद करते हैं, तब भगवान अपने दरवाज़े खोलता है।
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सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
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