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01/09/2025
01/09/2025

Nazara Technologies, as per NDTV Profit

HNIs and PMS have started looking at it after a steep correction as valuations looking cheap

Interestingly - Nazara Technologies has just 8% of the revenue from India

Their business model is largely diversified across gaming segments. They have consistently:
1. De-risking Revenue Streams
2. Balanced Growth Mix
3. Future-Proofing the Business

Strong pipeline of new games and scale-up in existing games

An optionality could emerge as per Mgt concall PokerBaazi has optionality for Global foray

30/08/2025

शेयरों और म्यूचुल फंड की स्कीम में निवेश करने पर डिविडेंड मिलता है। यह पैसा सीधे बैंक अकाउंट में क्रेडिट होता है। टैक्सपेयर की टोटल इनकम समरी (टीआईएस) और एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (एआईएस) में भी डिविडेंस इनकम की जानकारी होती है। टैक्सपेयर को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त डिविडेंड से हुई इनकम को ध्यान में रखना जरूरी है। दिक्कत तब आती है जब टैक्सपेयर के बैंक अकाउंट में क्रेडिट हुए डिविडेंड अमाउंट और टीआईएस या एआईएस में दिखने वाले डिविडेंड के अमाउंट में फर्क होता है। सवाल है कि ऐसी स्थिति में किस इंफॉर्मेशन का इस्तेमाल आईटीआर फाइल करने के लिए करना चाहिए? मनीकंट्रोल ने इस सवाल का जवाब चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुराणा से पूछा।

सुराणा ने कहा कि अगर शेयरों या म्यूचुअल फंड से डिविडेंड मिला है तो उसके ग्रॉस अमाउंट की जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में देना जरूरी है। ग्रॉस डिविडेंड का मतलब टीसीएस के डिडक्शन से पहले के डिविडेंड अमाउंट से है। बैंक अकाउंट में जो डिविडेंड क्रेडिट होता है वह नेट डिविडेंड होता है। इसका मतलब है कि उस पर टीसीएस काटा गया होता है। TIS/AIS में ग्रॉस डिविडेंड और नेट डिविडेंड दोनों की जानकारियां शामिल हो सकती हैं। एआईएस में इंटरमीडियरीज की तरफ से भेजे गए टैक्सपेयर के फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की जानकारी शामिल होती है।

उन्होंने कहा कि कई बार एआईएस में बताए गए डिविडेंड अमाउंट और बैंक अकाउंट में क्रेडिट डिविडेंड अमाउंट के बीच फर्क होता है। इसी तरह TDS/TCS के डेटा से सिर्फ काटे गए टैक्स का पता का पता चलता है न कि टोटल इनकम का। टैक्सपेयर्स के लिए आईटीआर में ग्रॉस डिविडेंड इनकम बताना जरूरी है। टैक्सपेयर फॉर्म 26एएस/TIS में दिखने वाले टीडीएस अमाउंट को बतौर क्रेडिट क्लेम कर सकता है। टैक्सपेयर्स के लिए बैंक अकाउंट में क्रेडिट हुए डिविडेंड अमाउंट और फॉर्म 26एएस/TIS में दिखने वाले डिविडेंड अमाउंट को मैच कराना जरूरी है। इससे आईटीआर में सभी इनकम की सही जानकारी जाती है और टैक्सपेयर के लिए टीडीएस क्रेडिट क्लेम करने का विकल्प खुला रहता है।

अगर दोनों इंफॉर्मेशन को मैच कराने के दौरान किसी तरह का फर्क दिखता है को AIS पोर्टल पर फीडबैक सब्मिट किया जा सकता है। फीडबैक ऑप्शन का इस्तेमाल कर एक साथ कई ट्रांजेक्शन को करेक्ट कराया जा सकता है। इससे आगे किसी तरह के कनफ्यूजन की गुंजाइश नहीं रह जाती है। इससे टैक्सपेयर्स को भी यह आत्मविश्वास रहता है कि उसने आईटीआर में डिविडेंड इनकम की जो जानकारी दी है, वह सही है।

डिसक्लेमर: मनीकंट्रोल पर एक्सपर्ट्स की तरफ से जो विचार व्यक्त किए जाते हैं वे उनके अपने विचार होते हैं। ये इस वेबसाइट या इसके मैनेजमेंट के विचार नहीं होते। मनीकंट्रोल किसी तरह के निवेश का फैसला लेने से पहले यूजर्स को सर्टिफायड एक्सपर्ट की राय लेने की सलाह देता है।

30/08/2025

Indigo Share Price: दिग्गज एयरलाइन InterGlobe Aviation (IndiGo) के शेयर गुरुवार को शुरुआती कारोबार में 5.5% टूटकर ₹5711 के दिन के निचले स्तर तक पहुंच गए. गिरावट की यह वजह कंपनी के प्रमोटर और को-फाउंडर राकेश गंगवाल परिवार की बड़ी हिस्सेदारी की बिक्री रही. रिपोर्ट्स के अनुसार गंगवाल परिवार ने लगभग 1.2 करोड़ शेयर यानी 3.1% इक्विटी हिस्सेदारी ब्लॉक डील के जरिए बेच दी, जिसकी कुल वैल्यू करीब ₹7,028 करोड़ रही.

लगातार हिस्सेदारी घटा रहे हैं गंगवाल
गंगवाल परिवार 2022 से अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे कम कर रहा है. 2022 में ही राकेश गंगवाल ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि वे अगले पांच सालों में कंपनी से अपनी हिस्सेदारी कम करेंगे. तभी से अलग-अलग चरणों में ब्लॉक डील के जरिए वे हिस्सेदारी बेचते आ रहे हैं. इस दौरान परिवार ने अब तक लगभग ₹45,300 करोड़ के शेयर बेच दिए हैं

आप नीचे टेबल में देख सकते हैं कि कैसे परिवार की हिस्सेदारी लगातार घटते-घटते अब लगभग 4.7% रह गई है.

अवधि हिस्सेदारी (%)
जून 2022 36.6
सितम्बर 2022 33.8
फरवरी 2023 29.7
अगस्त 2023 25.2
मार्च 2024 19.4
अगस्त 2024 13.6
मई 2025 7.8
अगस्त 2025* 4.7
मतभेदों से शुरू हुई दूरी
गंगवाल परिवार का यह डिसइन्वेस्टमेंट अचानक नहीं है. जुलाई 2019 से ही दोनों फाउंडर्स (राकेश गंगवाल और राहुल भाटिया) के बीच मतभेद सामने आने लगे थे. खासतौर पर कॉर्पोरेट गवर्नेंस और रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के मुद्दे पर राकेश गंगवाल ने गंभीर सवाल उठाए. बाद में दिसंबर 2021 में दोनों पक्षों ने एक EGM बुलाकर सुलह की, लेकिन तब तक गंगवाल का कंपनी से मोहभंग हो चुका था. 18 फरवरी 2022 को उन्होंने बोर्ड से इस्तीफे का ऐलान कर दिया और उसी समय से हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी.

इंडिगो के लिए आगे की संभावनाएं
गंगवाल परिवार की हिस्सेदारी घटने के बावजूद इंडिगो का बिजनेस मॉडल मजबूत बना हुआ है. भारत की सबसे बड़ी लो-कॉस्ट एयरलाइन होने के नाते कंपनी के पास कई ग्रोथ ट्रिगर्स मौजूद हैं. त्योहारी सीजन में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय रूट्स पर बढ़ती डिमांड से इंडिगो को फायदा मिलेगा.

कंपनी ने हाल ही में बिजनेस क्लास सेवाओं और BlueChip लॉयल्टी प्रोग्राम की शुरुआत की है, जिससे हाई-एंड ग्राहकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा इंडिगो 34 अंतर्राष्ट्रीय डेस्टिनेशन पर ऑपरेट करती है और उसने 2023 से 2030 तक अपनी क्षमता को दोगुना करने की योजना बनाई ह

निवेशकों के लिए संकेत
गंगवाल परिवार की लगातार हिस्सेदारी कम होने से यह साफ है कि वे अब इंडिगो के दीर्घकालिक भविष्य में हिस्सेदार बने रहने की बजाय धीरे-धीरे पूरी तरह से बाहर निकलना चाहते हैं. हालांकि, यह कदम जरूरी नहीं कि कंपनी के बिजनेस पर नेगेटिव असर डाले, क्योंकि मैनेजमेंट और ऑपरेशंस राहुल भाटिया और प्रोफेशनल टीम के हाथ में ह

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