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llसर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया: सर्वे भद्राणि पश्यन्ति माँ कश्चिद दुःखभाग भवेत् ll
जय परशुराम, सवर्ण एकता बिहार (भागलपुर)
"देवतानां जगत सर्वम, मंत्राधीनश्च देवता मंत्र ब्राह्मण अधीनस्य तस्मात ब्राह्मण देवता;

॥श्रीसत्यनारायणाष्टकम्॥आदिदेवं जगत्कारणं श्रीधरं लोकनाथं विभुं व्यापकं शंकरम् ।सर्वभक्तेष्टदं मुक्तिदं माधवं सत्यनारायणं...
17/10/2025

॥श्रीसत्यनारायणाष्टकम्॥

आदिदेवं जगत्कारणं श्रीधरं
लोकनाथं विभुं व्यापकं शंकरम् ।
सर्वभक्तेष्टदं मुक्तिदं माधवं
सत्यनारायणं विष्णुमीशम्भजे ॥१॥

सर्वदा लोककल्याणपारायणं
देवगोविप्ररक्षार्थसद्विग्रहम् ।
दीनहीनात्मभक्ताश्रयं सुन्दरम्
सत्यनारायणं विष्णुमीशम्भजे ॥२॥

दक्षिणे यस्य गंगा शुभा शोभते
राजते सा रमा यस्य वामे सदा ।
यः प्रसन्नाननो भाति भव्यश्च तं
सत्यनारायणं विष्णुमीशम्भजे ॥३॥

संकटे संगरे यं जनः सर्वदा
स्वात्मभीनाशनाय स्मरेत् पीडितः ।
पूर्णकृत्यो भवेद् यत्प्रसादाच्च तं
सत्यनारायणं विष्णुमीशम्भजे ॥४॥

वाञ्छितं दुर्लभं यो ददाति प्रभुः
साधवे स्वात्मभक्ताय भक्तिप्रियः ।
सर्वभूताश्रयं तं हि विश्वम्भरं
सत्यनारायणं विष्णुमीशम्भजे ॥५॥

ब्राह्मणः साधुवैश्यश्च तुंगध्वजो
येऽभवन् विश्रुता यस्य भक्त्यामराः ।
लीलया यस्य विश्वं ततं तं विभुं
सत्यनारायणं विष्णुमीशम्भजे ॥६॥

येन चाब्रम्हाबालतृणं धार्यते
सृज्यते पाल्यते सर्वमेतज्जगत् ।
भक्तभावप्रियं श्रीदयासागरं
सत्यनारायणं विष्णुमीशम्भजे ॥७॥

सर्वकामप्रदं सर्वदा सत्प्रियं
वन्दितं देववृन्दैर्मुनीन्द्रार्चितम् ।
पुत्रपौत्रादिसर्वेष्टदं शाश्वतं
सत्यनारायणं विष्णुमीशम्भजे ॥८॥

फलश्रुति

अष्टकं सत्यदेवस्य भक्त्या नरः
भावयुक्तो मुदा यस्त्रिसन्ध्यं पठेत् ।
तस्य नश्यन्ति पापानि तेनाग्निना
इन्धनानीव शुष्काणि सर्वाणि वै ॥९॥

॥श्रीसत्यनारायणाष्टकम् सम्पूर्णम्॥

।। मंगलचंडिका स्तोत्रम् ।।इसका वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है। मंगल चंडिका स्तोत्र का पाठ स्वयं भगवान शिव ने मां ...
28/09/2025

।। मंगलचंडिका स्तोत्रम् ।।

इसका वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है। मंगल चंडिका स्तोत्र का पाठ स्वयं भगवान शिव ने मां देवी चंडिका या चंडी देवी की पूजा करने तथा उनसे सहायता और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया था। इसका पाठ करने से कर्ज से मुक्ति, वित्तीय स्थिरता, घरेलू कलह दूर होना, संपत्ति संबंधी विवाद टलना, विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होना तथा कुंडली में मंगल के हानिकारक प्रभावों का समाधान जैसे अपार लाभ मिलते हैं।
माना जाता है।

।। श्री मंगलचंडिकास्तोत्रम् ।।

ध्यान।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वपूज्ये देवी मङ्गलचण्डिके।
ऐं क्रूं फट् स्वाहेत्येवं चाप्येकविन्शाक्षरो मनुः।।

पूज्यः कल्पतरुश्चैव भक्तानां सर्वकामदः।
दशलक्षजपेनैव मन्त्रसिद्धिर्भवेन्नृणाम्।।

मन्त्रसिद्धिर्भवेद् यस्य स विष्णुः सर्वकामदः।
ध्यानं च श्रूयतां ब्रह्मन् वेदोक्तं सर्व सम्मतम्।।

देवीं षोडशवर्षीयां शश्वत्सुस्थिरयौवनाम्।
सर्वरूपगुणाढ्यां च कोमलाङ्गीं मनोहराम्।।

श्वेतचम्पकवर्णाभां चन्द्रकोटिसमप्रभाम्।
वन्हिशुद्धांशुकाधानां रत्नभूषणभूषिताम्।।

बिभ्रतीं कबरीभारं मल्लिकामाल्यभूषितम्।
बिम्बोष्टिं सुदतीं शुद्धां शरत्पद्मनिभाननाम्।।

ईषद्धास्यप्रसन्नास्यां सुनीलोल्पललोचनाम्।
जगद्धात्रीं च दात्रीं च सर्वेभ्यः सर्वसंपदाम्।।
संसारसागरे घोरे पोतरुपां वरां भजे।।

देव्याश्च ध्यानमित्येवं स्तवनं श्रूयतां मुने।
प्रयतः संकटग्रस्तो येन तुष्टाव शंकरः।

शंकर उवाच।
रक्ष रक्ष जगन्मातशंकर र्देवि मङ्गलचण्डिके।
हारिके विपदां राशेर्हर्षमङ्गलकारिके।।

हर्षमङ्गलदक्षे च हर्षमङ्गलचण्डिके।
शुभे मङ्गलदक्षे च शुभमङ्गलचण्डिके।।

मङ्गले मङ्गलार्हे च सर्व मङ्गलमङ्गले।
सतां मन्गलदे देवि सर्वेषां मन्गलालये।।

पूज्या मङ्गलवारे च मङ्गलाभीष्टदैवते।
पूज्ये मङ्गलभूपस्य मनुवंशस्य संततम्।।

मङ्गलाधिष्टातृदेवि मङ्गलानां च मङ्गले।
संसार मङ्गलाधारे मोक्षमङ्गलदायिनि।।

सारे च मङ्गलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम्।
प्रतिमङ्गलवारे च पूज्ये च मङ्गलप्रदे।।

स्तोत्रेणानेन शम्भुश्च स्तुत्वा मङ्गलचण्डिकाम्।
प्रतिमङ्गलवारे च पूजां कृत्वा गतः शिवः।।

देव्याश्च मङ्गलस्तोत्रं यः श्रुणोति समाहितः।
तन्मङ्गलं भवेच्छश्वन्न भवेत् तदमङ्गलम्।।

।। इति श्री ब्रह्मवैवर्तेपुराणे श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् संपूर्णम् ।।

 #सिद्ध_कुंजिका_स्तोत्र #अद्भुत_शक्तिशाली_मां_दुर्गा_का_मंत्र #कुंजिका_स्तोत्र_का_जाप_करने_मात्र_से_संपूर्ण_सप्तशती_के_ज...
27/09/2025

#सिद्ध_कुंजिका_स्तोत्र
#अद्भुत_शक्तिशाली_मां_दुर्गा_का_मंत्र
#कुंजिका_स्तोत्र_का_जाप_करने_मात्र_से_संपूर्ण_सप्तशती_के_जाप_का_फल_प्राप्त_हो_जाता_है।

यदि किसी व्यक्ति को दुर्गा सप्तशती का पाठ करने में कठिनाई होती है या उसके पास पाठ करने का समय नहीं है तो उसे सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। यह सरल होने के साथ-साथ कम समय में ही बहुत प्रभावशाली परिणाम दिखाता है।

#सिद्ध_कुंजिका_स्तोत्र

अथ मंत्र :-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:!!
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।'

।।इति मंत्र:।।
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोఽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
पंडित आलोक ठाकुर शांडिल्य
9801428862/9910779446

दुर्गे प्रसीद जगन्माते, भक्तानां दुःखनाशिनि।त्रैलोक्यरक्षिणि देवी, महाकालरूपधारिणि।त्वदनुग्रहेण सर्वं, साध्यं साधकसत्तमै...
30/08/2025

दुर्गे प्रसीद जगन्माते, भक्तानां दुःखनाशिनि।
त्रैलोक्यरक्षिणि देवी, महाकालरूपधारिणि।
त्वदनुग्रहेण सर्वं, साध्यं साधकसत्तमैः।
अहं शरणं प्रपन्नोऽस्मि, रक्ष मां जगदम्बिके॥

🌹हे ज्ञानघन हे भक्तवत्सल🌹🍂 कलयुग की प्रार्थना स्वीकार करके राजा परीक्षित ने उसे चार स्थान दिए द्यूत, मद्यपान, स्त्री-संग...
29/08/2025

🌹हे ज्ञानघन हे भक्तवत्सल🌹

🍂 कलयुग की प्रार्थना स्वीकार करके राजा परीक्षित ने उसे चार स्थान दिए द्यूत, मद्यपान, स्त्री-संग और हिंसा इन स्थानों में क्रमशः असत्य मद आसक्ति और निर्दयता-- ये चार प्रकार के धर्म निवास करते हैं! उसने और भी स्थान मांगे तब समर्थ परीक्षित ने उसे रहने के लिए एक स्थान स्वर्ण (धन) दिया! इस प्रकार कलयुग के पांच स्थान हो गए-- झूठ, मद, काम, वैर और रजोगुण! परीक्षित के दिए हुए इन्ही पांच स्थानों में धर्म का मूल कारण कलि उनकी आज्ञा का पालन करता हुआ निवास करने लगा इसलिए आत्मकल्याणकामी पुरुषों को इन पांचों स्थानों का सेवन कभी नहीं करना चाहिए धार्मिक राजा प्रजावर्ग के लौकिक नेता और धर्मोउपदेष्टा को तो बड़ी सावधानी से उनका त्याग करना चाहिए।
(श्रीमद्भागवत महापुराण)

🌺 बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल केशव माधव गोविंद बोल।🌺

वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभ निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।। 🌹🙏🏻🌹 जय श्री गणेश 🌹🙏🏻🌹 🎉💫🌟🙌
27/08/2025

वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभ निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।। 🌹🙏🏻🌹 जय श्री गणेश 🌹🙏🏻🌹 🎉💫🌟🙌

27/08/2025

ॐ जय श्री गणेशाय नमः 🥀🌹🙏🙏🚩

वाराह जयंतीआज भगवान वाराह की जयंती है विष्णु वाराह का मंदिर जबलपुर जिले की मझौली में स्थित है इस अवतार को पृथ्वी का उद्ध...
25/08/2025

वाराह जयंती
आज भगवान वाराह की जयंती है
विष्णु वाराह का मंदिर जबलपुर जिले की मझौली में स्थित है
इस अवतार को पृथ्वी का उद्धारक कहा जाता है।
गेंद की तरह दिखने वाली पृथ्वी को भगवान वाराह अपने दाँतों पर रखकर लाए।
-विज्ञान से सहस्रों वर्ष पूर्व हमारे शास्त्रों ने पृथ्वी को गोल बताया।
चूँकि आजकल इस्लामिक स्कॉलर अपनी तकरीरों में प्रायः पुराणों का उल्लेख करते देखे जाते हैं।पुराणों का ये आख्यान बताते हुए उनसे पूछा जाना चाहिए कि भगवान वाराह द्वारा लाई पृथ्वी पर रहना उनके लिए हलाल है या हराम?
-वाराह जयंती की शुभकामनाएँ।

भवानी त्वं जगन्माता, भक्तानां जीवनप्रदा। त्वां विना न गतिर्मम, नमस्ते करुणामये॥ 👉 हे भवानी, करुणामयी जगन्माता, तुम्हारे ...
23/08/2025

भवानी त्वं जगन्माता, भक्तानां जीवनप्रदा। त्वां विना न गतिर्मम, नमस्ते करुणामये॥ 👉 हे भवानी, करुणामयी जगन्माता, तुम्हारे बिना कोई गति नहीं। 💫🌹💖

जय काली महाक्रूरि, दुष्टसंहारकारिणि।महामेघप्रभाकान्ते, सर्वलोकविनाशिनि।अर्धनारीश्वरस्वरूपे, शक्तिसारमयी शुभे।त्वमेव तारि...
18/08/2025

जय काली महाक्रूरि, दुष्टसंहारकारिणि।
महामेघप्रभाकान्ते, सर्वलोकविनाशिनि।
अर्धनारीश्वरस्वरूपे, शक्तिसारमयी शुभे।
त्वमेव तारिणी माता, भवसागरपारदा।

हिंदी अनुवाद:
हे महाकाली! हे महाक्रूरि! दुष्टों का संहार करने वाली, महामेघ जैसी प्रभा से युक्त, समस्त लोकों का नाश करने वाली।
अर्धनारीश्वर के स्वरूप में स्थित, सम्पूर्ण शक्ति की साररूपा, शुभमयी माता।
आप ही तारिणी हैं जो हमें भवसागर से पार उतार देती हैं।

16/08/2025
।। श्री अर्जुन कृत श्रीदुर्गा स्तोत्र ।।श्रीअर्जुन उवाच-नमस्ते सिद्ध-सेनानि, आर्ये मन्दर-वासिनी।कुमारी कालि कापालि, कपिल...
06/02/2025

।। श्री अर्जुन कृत श्रीदुर्गा स्तोत्र ।।

श्रीअर्जुन उवाच-
नमस्ते सिद्ध-सेनानि, आर्ये मन्दर-वासिनी।
कुमारी कालि कापालि, कपिले कृष्ण-पिंगले।।१।।

भद्र-कालि! नमस्तुभ्यं, महाकालि नमोऽस्तुते।
चण्डि चण्डे नमस्तुभ्यं, तारिणि वर-वर्णिनि।।२।।

कात्यायनि महा-भागे, करालि विजये जये।
शिखि पिच्छ-ध्वज-धरे, नानाभरण-भूषिते।।३।।

अटूट-शूल-प्रहरणे, खड्ग-खेटक-धारिणे।
गोपेन्द्रस्यानुजे ज्येष्ठे, नन्द-गोप-कुलोद्भवे।।४।।

महिषासृक्-प्रिये नित्यं, कौशिकि पीत-वासिनि।
अट्टहासे कोक-मुखे, नमस्तेऽस्तु रण-प्रिये।।५।।

उमे शाकम्भरि श्वेते, कृष्णे कैटभ-नाशिनि।
हिरण्याक्षि विरूपाक्षि, सुधू्राप्ति नमोऽस्तु ते।।६।।

वेद-श्रुति-महा-पुण्ये, ब्रह्मण्ये जात-वेदसि।
जम्बू-कटक-चैत्येषु, नित्यं सन्निहितालये।।७।।

त्वं ब्रह्म-विद्यानां, महा-निद्रा च देहिनाम्।
स्कन्ध-मातर्भगवति, दुर्गे कान्तार-वासिनि।।८।।

स्वाहाकारः स्वधा चैव, कला काष्ठा सरस्वती।
सावित्री वेद-माता च, तथा वेदान्त उच्यते।।९।।

स्तुतासि त्वं महा-देवि विशुद्धेनान्तरात्मा।
जयो भवतु मे नित्यं, त्वत्-प्रसादाद् रणाजिरे।।१०।।

कान्तार-भय-दुर्गेषु, भक्तानां चालयेषु च।
नित्यं वससि पाताले, युद्धे जयसि दानवान्।।११।।

त्वं जम्भिनी मोहिनी च, माया ह्रीः श्रीस्तथैव च।
सन्ध्या प्रभावती चैव, सावित्री जननी तथा।।१२।।

तुष्टिः पुष्टिर्धृतिदीप्तिश्चन्द्रादित्य-विवर्धनी।
भूतिर्भूति-मतां संख्ये, वीक्ष्यसे सिद्ध-चारणैः।।१३।।

फल-श्रुति।
यः इदं पठते स्तोत्रं, कल्यं उत्थाय मानवः।
यक्ष-रक्षः-पिशाचेभ्यो, न भयं विद्यते सदा।।१।।

न चापि रिपवस्तेभ्यः, सर्पाद्या ये च दंष्ट्रिणः।
न भयं विद्यते तस्य, सदा राज-कुलादपि।।२।।

विवादे जयमाप्नोति, बद्धो मुच्येत बन्धनात्।
दुर्गं तरति चावश्यं, तथा चोरैर्विमुच्यते।।३।।

संग्रामे विजयेन्नित्यं, लक्ष्मीं प्राप्न्नोति केवलाम्।
आरोग्य-बल-सम्पन्नो, जीवेद् वर्ष-शतं तथा।।४।।

।। इति श्री अर्जुन कृतं दुर्गा स्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।

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