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llसर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया: सर्वे भद्राणि पश्यन्ति माँ कश्चिद दुःखभाग भवेत् ll
जय परशुराम, सवर्ण एकता बिहार (भागलपुर)
"देवतानां जगत सर्वम, मंत्राधीनश्च देवता मंत्र ब्राह्मण अधीनस्य तस्मात ब्राह्मण देवता;

04/08/2025

ॐ नमः शिवाय 🙏💫🕉️✨

29/07/2025
25/07/2025
24/07/2025
21/07/2025
बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम और उनके स्थान इस प्रकार हैं:1. सोमनाथ:गुजरात के प्रभास पाटन में स्थित है।2. मल्लिकार्जुन:आंध्...
21/07/2025

बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम और उनके स्थान इस प्रकार हैं:
1. सोमनाथ:
गुजरात के प्रभास पाटन में स्थित है।
2. मल्लिकार्जुन:
आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित है।
3. महाकालेश्वर:
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है।
4. ओंकारेश्वर:
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है।
5. केदारनाथ:
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।
6. भीमाशंकर:
महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है।
7. काशी विश्वनाथ:
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है।
8. त्र्यंबकेश्वर:
महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है।
9. वैद्यनाथ:
झारखंड के देवघर में स्थित है।
10. नागेश्वर:
गुजरात के द्वारका में स्थित है।
11. रामेश्वरम:
तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित है।
12. घृष्णेश्वर:
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है।
ये सभी ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के पवित्र स्थान हैं और पूरे भारत में फैले हुए हैं।

।। सूर्य स्तोत्र, मंत्र और प्रार्थना ।। प्रतिदिन अथवा सूर्य संक्रांति के समयावधि में सूर्य देव की आराधना करने से जीवन मे...
19/07/2025

।। सूर्य स्तोत्र, मंत्र और प्रार्थना ।।

प्रतिदिन अथवा सूर्य संक्रांति के समयावधि में सूर्य देव की आराधना करने से जीवन में आ रहे संकटों से आसानी से मुक्ति मिल जाती हैं। वैसे तो सभी भगवान सूर्य की स्तुति करते हैं। लेकिन जब जीवन में विपरित परिस्थितियां चल रही हो ऐसे समय अथवा जब-जब सूर्य संक्रांति आती है, उस समय में भगवान सूर्य देव की निम्न प्राचीन प्रार्थना, मंत्र और स्तोत्र पढ़ने से सूर्य नारायण का आशीष बरसता है तथा आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है-

सूर्य स्तोत्र-
विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः।।

लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः।।

गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः।।

सूर्य मंत्र-
ॐ सूर्याय नम:।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
ॐ घृणि सूर्याय नम:।
ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

भगवान सूर्य देव की प्रार्थना-
प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं
रूपं हि मंडलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि।
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्‌।।

प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाङ्मनोभि-
र्ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैर्नुतमर्चितं च।
वृष्टिप्रमोचनविनिग्रहहेतुभूतं
त्रैलोक्यपालनपरं त्रिगुणात्मकं च।।

प्रातर्भजामि सवितारमन्तशक्तिं,
तं सर्वलोककलनात्मककालमूर्तिं,
गोकण्ठबंधनविमचोनमादिदेवम्‌।।

श्लोकत्रयमिदं भानोः प्रातः प्रातः पठेत्‌ तु यः।
स सर्वव्याधिनिर्मुक्तः परं सुखमवाप्नुयात्‌।।

सूर्य प्रार्थना का हिन्दी भावार्थ-
मैं सूर्य भगवान के उस श्रेष्ठ रूप का प्रातः समय स्मरण करता हूं, जिसका मंडल ऋग्वेद है, तनु यजुर्वेद है और किरणें सामवेद हैं तथा जो ब्रह्मा का दिन है, जगत की उत्पत्ति, रक्षा और नाश का कारण है तथा अलक्ष्य और अचिंत्यस्वरूप है।

मैं प्रातः समय शरीर, वाणी और मन के द्वारा ब्रह्मा, इन्द्र आदि देवताओं से स्तुत और पूजित, वृष्टि के कारण एवं अवृष्टि के हेतु, तीनों लोकों के पालन में तत्पर और सत्व आदि त्रिगुण रूप धारण करने वाले तरणि (सूर्य भगवान) को नमस्कार करता हूं।

जो पापों के समूह तथा शत्रुजनित भय एवं रोगों का नाश करनेवाले हैं, सबसे उत्कृष्ट हैं, संपूर्ण लोकों के समय की गणना के निमित्त भूतकाल स्वरूप हैं और गौओं के कण्ठबंधन छुड़ाने वाले हैं, उन अनंत शक्ति आदिदेव सविता (सूर्य भगवान) का मैं प्रातःकाल भजन-कीर्तन करता हूं।' जो मनुष्य प्रतिदिन प्रातःकाल सूर्य के स्मरणरूप इन तीनों श्लोकों का पाठ करता है, वह सब रोगों से मुक्त होकर परम सुख प्राप्त कर सकता है।

।। ॐ नमो भगवते सूर्यदेवाय ।।

18/07/2025

"जब तक अधर्म का नाश न हो , धर्म की जय नहीं हो सकती,,

शान्ताकारं शिखरिशयनं नीलकण्ठं सुरेशंविश्वाधारं स्फटिकसदृशं शुभ्रवर्णं शुभाङ्गम्।गौरीकान्तं त्रितयनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं...
12/07/2025

शान्ताकारं शिखरिशयनं नीलकण्ठं सुरेशं
विश्वाधारं स्फटिकसदृशं शुभ्रवर्णं शुभाङ्गम्।
गौरीकान्तं त्रितयनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे शम्भुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

विश्वोद्भवस्थितिलयादिषु हेतुमेकं
गौरीपतिं विदिततत्त्वमनन्तकीर्तिम्।
मायाश्रयं विगतमायमचिन्त्यरूपं
बोधस्वरूपममलं हि शिवं नमामि।।

भगवान भोलेनाथ की आराधना को समर्पित पावन श्रावण मास की समस्त श्रद्धालुओं एवं देश वासियों को हार्दिक बधाई!

देवाधिदेव महादेव चराचर जगत का कल्याण करें, यही प्रार्थना है।

ॐ नमः शिवाय!

।। श्री अर्जुन कृत श्रीदुर्गा स्तोत्र ।।श्रीअर्जुन उवाच-नमस्ते सिद्ध-सेनानि, आर्ये मन्दर-वासिनी।कुमारी कालि कापालि, कपिल...
06/02/2025

।। श्री अर्जुन कृत श्रीदुर्गा स्तोत्र ।।

श्रीअर्जुन उवाच-
नमस्ते सिद्ध-सेनानि, आर्ये मन्दर-वासिनी।
कुमारी कालि कापालि, कपिले कृष्ण-पिंगले।।१।।

भद्र-कालि! नमस्तुभ्यं, महाकालि नमोऽस्तुते।
चण्डि चण्डे नमस्तुभ्यं, तारिणि वर-वर्णिनि।।२।।

कात्यायनि महा-भागे, करालि विजये जये।
शिखि पिच्छ-ध्वज-धरे, नानाभरण-भूषिते।।३।।

अटूट-शूल-प्रहरणे, खड्ग-खेटक-धारिणे।
गोपेन्द्रस्यानुजे ज्येष्ठे, नन्द-गोप-कुलोद्भवे।।४।।

महिषासृक्-प्रिये नित्यं, कौशिकि पीत-वासिनि।
अट्टहासे कोक-मुखे, नमस्तेऽस्तु रण-प्रिये।।५।।

उमे शाकम्भरि श्वेते, कृष्णे कैटभ-नाशिनि।
हिरण्याक्षि विरूपाक्षि, सुधू्राप्ति नमोऽस्तु ते।।६।।

वेद-श्रुति-महा-पुण्ये, ब्रह्मण्ये जात-वेदसि।
जम्बू-कटक-चैत्येषु, नित्यं सन्निहितालये।।७।।

त्वं ब्रह्म-विद्यानां, महा-निद्रा च देहिनाम्।
स्कन्ध-मातर्भगवति, दुर्गे कान्तार-वासिनि।।८।।

स्वाहाकारः स्वधा चैव, कला काष्ठा सरस्वती।
सावित्री वेद-माता च, तथा वेदान्त उच्यते।।९।।

स्तुतासि त्वं महा-देवि विशुद्धेनान्तरात्मा।
जयो भवतु मे नित्यं, त्वत्-प्रसादाद् रणाजिरे।।१०।।

कान्तार-भय-दुर्गेषु, भक्तानां चालयेषु च।
नित्यं वससि पाताले, युद्धे जयसि दानवान्।।११।।

त्वं जम्भिनी मोहिनी च, माया ह्रीः श्रीस्तथैव च।
सन्ध्या प्रभावती चैव, सावित्री जननी तथा।।१२।।

तुष्टिः पुष्टिर्धृतिदीप्तिश्चन्द्रादित्य-विवर्धनी।
भूतिर्भूति-मतां संख्ये, वीक्ष्यसे सिद्ध-चारणैः।।१३।।

फल-श्रुति।
यः इदं पठते स्तोत्रं, कल्यं उत्थाय मानवः।
यक्ष-रक्षः-पिशाचेभ्यो, न भयं विद्यते सदा।।१।।

न चापि रिपवस्तेभ्यः, सर्पाद्या ये च दंष्ट्रिणः।
न भयं विद्यते तस्य, सदा राज-कुलादपि।।२।।

विवादे जयमाप्नोति, बद्धो मुच्येत बन्धनात्।
दुर्गं तरति चावश्यं, तथा चोरैर्विमुच्यते।।३।।

संग्रामे विजयेन्नित्यं, लक्ष्मीं प्राप्न्नोति केवलाम्।
आरोग्य-बल-सम्पन्नो, जीवेद् वर्ष-शतं तथा।।४।।

।। इति श्री अर्जुन कृतं दुर्गा स्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।

05/02/2025
01/02/2025

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