25/12/2023
जिसने बार बार दिल्ली में घुसकर मुगलों को फोड़ा था,
जिसके खौफ से अब्दाली ने मथुरा वृन्दावन छोड़ा था,
जिसके कारण हिंदुआ ध्वज शान से लहराता था,
वो बदन सिंह का देवकीनन्दन महाराजा सूरजमल कहलाता था,
जिसके भालों की नौकों से सलावत खां घबराया था
होकर पराजित दुष्ट ने हिन्दुओ के आगे शीश नवाया था
आगरा के लाल किले पर जिसने भगवा फहराया था
ताजमहल की कब्रो पर जिसने घोड़ा बन्धवाया था
पठान रुहेला अफगान जिसके नाम से ही घबराता था
वो बदन सिंह का देवकी नन्दन महाराजा सूरजमल कहलाता था।
उषा मस्जिद को जिसने फिर से मन्दिर बनवाया था
मथुरा वृन्दावन के घाटों को फिर से जिसने सजवाया था
बगरू के महलों में जिसकी धाक गूंजती थी
विजयश्री जिसके रण में सदा चरण चूमती थी
दिल्ली का वजीर भी जिसके आगे नतमस्तक रहता था
वो बदन सिंह का देवकी नन्दन महाराजा सूरजमल कहलाता था।
आतंक भरे मेवात ने पहली बार सांस चैन की ली थी
भारतभूमि ने अब बहुत ज्यादती सहन कर ली थी
जिसके भालों के वार से असद खां दर्द से कहराता था
जिसके शासन में अलीगढ़ शहर रामगढ़ कहलाता था।
क्षत्रेपन की शान था वो,रण केसरिया हो जाता था
वो बदन सिंह का देवकीनन्दन महाराजा सूरजमल कहलाता था
जिसका लोहागढ़ सदा अजेय रहा शान से इतराने को
कितने ही किले महल बने है ऐश्वर्य उनका बतलाने को
न जाने उसने रणभूमि में कितनो को धूल चटाई थी
उत्तर भारत में फिर से सनातन की धाक जमाई थी
राम कृष्णवंशी यौद्धा था वो बृजराज कहलाता था
वो बदन सिंह का देवकी नन्दन महाराजा सूरजमल कहलाता था।
वह अबला, गौ, ब्राह्मण-संतो का ही तो रक्षक था
उसका भाला धर्मविरोधी दुष्टों का ही तो भक्षक था
मुसीबत में जो फंसा हुआ उसकी छाया में ही तो आता था
उसकी शरण में आया हुआ तो ठूंठ भी हरा हो जाता था
जिसके कारण हिंदुआ ध्वज शान से लहराता था
वो बदन सिंह का देवकीनन्दन महाराजा सूरजमल कहलाता था
🙏🙏🙏