संदीप यादव, भाटपाररानी।

संदीप यादव, भाटपाररानी। राष्ट्रहित में समर्पित

Shubhshek Singh Yadav भईया जी के वाल से🙏🙏बहुत दिन बाद सुश्री मायावती जी को सुनकर अच्छा लगा। क्या बोली? किसको गरियाया! कि...
09/10/2025

Shubhshek Singh Yadav भईया जी के वाल से🙏🙏

बहुत दिन बाद सुश्री मायावती जी को सुनकर अच्छा लगा।

क्या बोली? किसको गरियाया! किसकी तारीफ की ये सेकेंडरी मामला है। लेकिन एक ऐसे चरम सामंती दौर में लड़कर नेता बनी फिर मुख्यमंत्री बनी यही बहुत बड़ी बात है। और अभी भी उन्हें मंच से सुनना जादू की तरह है।

उस दौर के लड़ने-भिड़ने वाले नेता गिनती के बचे हैं। और जो बचे है वो स्वास्थ्य समस्या से ही परेशान है। ऐस में उनका मंच पर आकर भाषण देना और नई पीढ़ी को उन्हें सुनना एक बड़ी उपलब्धि है।

ऐसे ही अब लालू जी को मंच से बोलते सुन लेना ही लगता है कोई चमत्कार है।

मायावती जी स्वस्थ्य रहे और ऐसे ही बीच-बीच में आकर मंच से बहुजन समाज में जोश भरती रहे यही कामना है। 🙏🏻

*देवरिया में सड़क को लेकर सियासी घमासान* *सांसद–विधायक आमने-सामने, 19.91 करोड़ की सड़क का भूमि पूजन टला*✍️देवरिया जनपद क...
03/10/2025

*देवरिया में सड़क को लेकर सियासी घमासान*

*सांसद–विधायक आमने-सामने, 19.91 करोड़ की सड़क का भूमि पूजन टला*

✍️देवरिया जनपद की राजनीति में मंगलवार को बड़ा धमाका हो गया। बैतालपुर–बालटिकरा मार्ग के चौड़ीकरण और मरम्मत कार्य को लेकर भाजपा के दो बड़े चेहरे—सांसद शशांक मणि त्रिपाठी और सदर विधायक डॉ. शलभ मणि त्रिपाठी—खुलेआम आमने-सामने आ गए।
-सोशल मीडिया बना रणभूमि-दोनों नेताओं के बीच तकरार की शुरुआत सोशल मीडिया से हुई। फेसबुक और एक्स (ट्विटर) पर आरोप-प्रत्यारोप का ऐसा दौर चला कि मामला सीधे 19.91 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली सड़क तक जा पहुंचा।तनाव इतना बढ़ गया कि प्रस्तावित भूमि पूजन कार्यक्रम को फिलहाल स्थगित करना पड़ा। यह खबर सामने आते ही जिले का राजनीतिक तापमान अचानक चढ़ गया।जनता अब खुद को असमंजस में पा रही है। लोगों का कहना है कि सड़क का विकास होना चाहिए, चाहे श्रेय किसी भी नेता को क्यों न मिले। सवाल यह उठ रहा है कि क्या जनप्रतिनिधि जनता के हित के लिए काम करेंगे या आपसी वर्चस्व की लड़ाई लड़ते रहेंगे।
एक नजर- यह विवाद भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। विपक्षी दलों ने भी इसे हथियार बनाना शुरू कर दिया है और भाजपा में आंतरिक कलह का मुद्दा उठाकर आने वाले चुनावों में इसे भुनाने की तैयारी में हैं।

20/09/2025

ध्यान दें!
New Shree Gauri Hospital,
जंगल तिकोनीया नं.1, शिवपुर, प्रज्ञा गैस गोदाम के पास, पिपराइच रोड, पादरी बाजार,गोरखपुर में फ्री हेल्थ कैंप आयोजित किया जा रहा है।
कैंप में फ्री BP, शुगर टेस्ट और बेसिक हेल्थ चेकअप किए जाएंगे। डॉक्टर से परामर्श और ज़रूरी जांचों पर विशेष छूट।
सीटें सीमित हैं—अपना नाम अभी रजिस्टर करें: 8318469173

New Shree Gauri Hospital
— आपकी सेहत, हमारी जिम्मेदारी।

ध्यान दें!New Shree Gauri Hospital, जंगल तिकोनीया नं.1, शिवपुर, प्रज्ञा गैस गोदाम के पास, पिपराइच रोड, पादरी बाजार,गोरखप...
09/09/2025

ध्यान दें!
New Shree Gauri Hospital,
जंगल तिकोनीया नं.1, शिवपुर, प्रज्ञा गैस गोदाम के पास, पिपराइच रोड, पादरी बाजार,गोरखपुर में फ्री हेल्थ कैंप आयोजित किया जा रहा है।
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चाहे कोई कुछ भी कहे जिसने आज़म साहब को क़रीब से जाना है पहचाना है वो जनता है कि आज़म साहब की शख़्सियत क्या है, जो एक बार...
14/08/2025

चाहे कोई कुछ भी कहे जिसने आज़म साहब को क़रीब से जाना है पहचाना है वो जनता है कि आज़म साहब की शख़्सियत क्या है, जो एक बार उनसे मिल लेता है उसके सारे भ्रम टूट जाते हैं पूर्वाग्रह से ग्रस्त सारी बातें ओझल हो जाती हैं क्योंकि आज़म आज़म हैं उनके जैसा दूसरा कोई खां साहब नहीं ..

बेहद ईमानदार शख़्सियत में तल्ख़ लहजा होना लाज़िमी है और फिर चाहे सरकार और पूरी व्यवस्थायें, हवायें उनके ख़िलाफ़ हों, वो अडिग हैं बिना डरे, झुके, तने हुए तानाशाही सरकार से लड़ रहे हैं ।

आज़म खान साहब मुझे बेहद पसंद हैं

"नमाज़ पढना भूल जाना, एक वक्त ही रोटी खाना लेकिन अपने बच्चो को स्कूल भेजना मत भूलना।"

मुसलमानों के जलसे में ऊँची आवाज में बोलने का साहस करने वाले एक मात्र नेता है आज़म खान , जो उनकी कमियों और नाकामियों पर भी बोलते ।

मुल्ला ,मौलवी , माफिया , चापलूस , धनपशु मुसलमानों से बिल्कुल दूरी बना कर रखने वाले नेता हैं आज़म खान।

राजा भैया, अमर सिंह , बुखारी जैसे लोगो की हमेशा ख़िलाफ़त करने वाले नेता हैं आज़म खान ।

जब लोग अपना बँगला बना रहे थे , तब जौहर यूनिवर्सिटी बनाने वाले नेता हैं आज़म खान ।

ईमानदारी का लोहा ऑक्सफोर्ड ने भी माना, सबसे सफल महाकुम्भ कराने वाले मंत्री हैं आज़म खान ।

पूरी ज़िंदगी एक पार्टी में रहने वाले नेता , आपातकाल के समय सबसे ज्यादा समय तक जेल में रहने वाले नेता हैं आज़म खान।

बेबाक , बेख़ौफ़ , बेलाग आज़म खान आज जेल में हैं ,
आज़म अभिमान हैं हम समाजावादियों का और ऐसे नेता को जन्मदिन पर ढेर सारी शुभकामनायें ❣️

🖋️DrAjay Singh Vyathit

#व्यथित

यू तो मैने आज कसम तोड़ी क्योंकि मसला बड़ा था  #गुरुजी की बात थी मै अपनी कलम और भावनाओं को कैसे रोकता भला ?  #बाबा नहीं र...
06/08/2025

यू तो मैने आज कसम तोड़ी क्योंकि मसला बड़ा था #गुरुजी की बात थी मै अपनी कलम और भावनाओं को कैसे रोकता भला ? #बाबा नहीं रहे , सही मायनों में #झारखंड अनाथ हो गया है ।

1953 का साल। छोटा सा गाँव नेमरा, जहां एक 9 साल का बच्चा, शिबू, अपनी पालतू कोयल के साथ खेलता था। एक दिन गलती से कोयल मर गई। उस मासूम का अपनी कोयल से भावनात्मक लगाव इतना जुड़ चुका था कि उसने चिड़िया का दाह-संस्कार किया और कसम खाई,

“मैं अब किसी जीव को चोट नहीं पहुंचाऊंगा।”

उस दिन से वह अहिंसा के रास्ते पर चल पड़ा था।

ब्रिटिश एम्पायर ने देश छोड़ते छोड़ते जो आदिवासी थे उनकी जमीनों को जमींदारों और महाजनों के हवाले सौंपने का पत्ता फेंक दिया था। हालात यह थे कि अपनी ही जमीन पर खेती करने के लिए बेचारे आदिवासी महाजनों के दिए कर्ज पर निर्भर रहते थे। बदले में महाजन उनकी जमीनों को कर्ज के ब्याज तले दबाकर हथिया लिया करते थे। आप इसका जमीनी क्रियान्वयन मुंशी प्रेमचंद की गोदान में पढ़ सकते है।

तब सोना सोबरन सोरेन नाम आदमी जो कि शिबू के पिता थे वो अपने आदिवासी वर्ग के हितों की रक्षा के लिए महाजनों से जंग लड़ रहे थे। लोहा ले रहे थे।

27 नवंबर 1957 ....

शिबू के पिता सोना सोबरन सोरेन की हत्या कर दी गई। महज 15 साल का शिबू उस रात चुपचाप बैठा रहा। दिल में एक आग जल रही थी जो मानो उसके पिता द्वारा जलाए रखने की दी गई जिम्मेदारी हो।

शिबू उस आग में फूंक मारता रहा।

साल 1959...

“फसल हमारी, जमीन हमारी, अब कोई नहीं ले जाएगा।”

शिबू ने पिता की छोड़ी गई आंदोलन की विरासत को अपनाते हुए ये हुंकार भरी।

" उतर जाओ खेतों में, काट लो अपनी फसलें, ये तीर कमान जब तक हमारे हाथों में है हम देखते है कौन महाजन तुम्हें तुम्हारी मेहनत की कमाई लेने से रोक पाता है।"

महिलाएं हसिया लेकर खेत में उतर गईं। पुरुष तीर-कमान लेकर पहरेदारी करने लगे।
रातभर धान कटता रहा। सुबह जब महाजन आए, तीर आसमान में गूंजने। शिबू की दी गई साहस आदिवासियों के पुनर्जागरण में क्रांतिकारी भूमिका अदा करने लगी। धान काटो आंदोलन ने शिबू सोरेन को "दिशोम गुरु" (जंगल/भूमि का रक्षक) बना दिया।

शिबू सोरेन ने अपने जीवन काल में तीन बार मुख्यमंत्री पद का शपथ लिया मगर एक भी बार वो पूर्ण कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। इसके पीछे काफी हद आदिवासी हितों को लेकर उनकी कठोर नीतियां थी जो उनके सहयोगी गठबंधन दलों के क्राइटेरिया में फिट नहीं बैठ पाती थी और तख्त पलट जाता था। उसके बाद उन्होंने अपनी राजनीति का उत्तराधिकार अपने वंश हेमंत सोरेन को सौंप दिया।

आज 4 अगस्त 2025 को शिबू सोरेन ने इस दुनिया में अंतिम सांस ली। आदिवासियों का दिशोम गुरु आज इस दुनिया को अलविदा कह गया।

विनम्र श्रद्धांजलि बाबा....... #आखिरी_जोहार 🙏🏻

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