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अभी सब तरफ स्टूडियो आर्ट फोटो लगे हुए है पर प्रश्न है कि इसे बनाते कैसे है?तो आप अपने फोटो को घिब्ली स्टूडियो आर्ट में म...
30/03/2025

अभी सब तरफ स्टूडियो आर्ट फोटो लगे हुए है पर प्रश्न है कि इसे बनाते कैसे है?

तो आप अपने फोटो को घिब्ली स्टूडियो आर्ट में मुख्यतया दो ऐप से बना सकते है एक है चेट जीपी टी और दूसरा है Grok

आप को इन ऐप्स पर अपने फोटो अपलोड करके बस प्रॉन्प्त में लिखना है

Convert this into studio Ghibli art

और आपका Ghibli studio style सा फोटो तैयार हो जाएगा
चैट जीपी टी दिन के दो फोटो फ्री में बनाकर देगा लेकिन गरोक वाला अनलिमिटेड है

लेकिन क्वालिटी जीपी टी वाला जोरदार है

ट्राई कीजिए और कमेंट में बताएं अपना फोटो

26/08/2024
तापमान बढ़ चुका है, औसत तापमान 60 डिग्री तक पहुंच चुका है, वर्ष 2024 वो पहला वर्ष था जब थर्मामीटर पर पारे ने 50 डिग्री प...
28/05/2024

तापमान बढ़ चुका है, औसत तापमान 60 डिग्री तक पहुंच चुका है, वर्ष 2024 वो पहला वर्ष था जब थर्मामीटर पर पारे ने 50 डिग्री पर दस्तक दी लेकिन आज बीस साल बाद औसत टेंप्रेचर 60 डिग्री तक पहुंच चुका है।

बीस साल पहले अरबों रुपए लगा बनाए गए रोड आज वीरान पड़े है, बाहर सतह पर कहीं एक दुक्के पेड़ छितरे हुए दिखाई देते है। मानव ने जीने के लिए नए तरीके ढूंढे है जैसे टनल वे एक नया तरह का ट्रांसपोर्ट है जो इंसान को अब धरती से कुछ फीट नीचे बिछे टनल में यात्रा करवा रहा है। फ्रिक्शन रहित ट्रांसपोर्ट से आवागमन की स्पीड में तेजी आई है और दिल्ली से अहमदाबाद की दूरी अब कुछ घंटों में सिमट गई है लेकिन अब शहर वैसे नहीं रह गए है और बिजली की अधिक मांग के कारण इन ट्रांसपोर्ट के साधनों को भी लिमिटेड संख्या में चलाया जा रहा है। अब थर्मल पावर प्लांट की संख्या काफी कम हो गई चूंकि प्लांट में थर्मल ऊर्जा के नियंत्रण के लिए पानी की आवश्यकता होती है और अधिक टेंपरेचर के कारण पानी का वाष्पीकरण होना ज्यादा हो गया है, पूरे साल चलने वाले जलाशय अब मई महीने तक ही सूख जाते है और पानी केवल ग्राउंड सोर्स से ही मिल रहा है।

भारत ने गर्मियों के महीने के लिए UG Delhi (underground Delhi) को अपनी नई राजधानी बनाया है, जहां लगभग 30 फीट नीचे कई सरकारी कार्यालय बनाए गए है, अब यहां से ही सब कुछ कंट्रोल किया जाता है, धरती के नीचे जहां ऑफिस चल रहे है वहीं धरती की सतह पर लगभग लॉकडाउन लगा हुआ था, वर्ष 2030 में केवल एक महीने के लिए लॉकडाउन लगना शुरू हुआ था जो अब आज 2044 में पूरे गर्मी के महीने रहता है, लगभग सब काम वर्क फ्रॉम होम ही है, आवश्यक चीजों को कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है और इनकी हाउसहोल्ड डेलिवरी की जाती है स्पेशियल कोल्ड क्यूब्स में जो ड्रोन के साथ अटैच होते है।

लोगो को अब बेसब्री से अगस्त से मार्च महीने का इंतजार रहता है जब लोग अपने घरों से बाहर आ जा सकते है।

गर्मी के कारण धरती की सतह पर काफी नुकसान हुआ है ओजोन परत पर भी काफी नुकसान हुआ है जिससे सोलर रेडिएशन काफी बढ़ गया है गर्मी के मौसम में, पूरी दुनिया के वैज्ञानिक एक आर्टिफिशियल सतह (लेयर) तैयार करने में लगे हुए है ताकि सोलर रेडिएशन कम हो तो इंसान पेड़ लगाने जैसे दूसरे विकल्पों पर काम कर सकते है जो की गर्मी को कम करने में मददगार है, दूसरा विकल्प इसलिए क्योंकि अब सोलर रेडिएशन और तापमान इतना अधिक है कि बरसात और सर्दी में लगाए पौधे अब मई से अगस्त की गर्मी नहीं झेल पाते है और दम तोड़ देते है, वैज्ञानिकों ने इसमें हीटसिंक लगाकर इन पौधों को बचाने की कोशिश भी की लेकिन सफलता का प्रतिशत इतना नहीं है कि प्रकृति को फिर से संभाल सके,
2044 में अब लोग लॉकडाउन और अंडरग्राउंड रहना सीख गए है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है की हर वर्ष पृथ्वी की सतह का तापमान एक फीट नीचे तक बढ़ रहा है, जल्द ही पृथ्वी की सतह से 10 फीट नीचे भी सतह जितना ही तापमान होगा।

भारत और विश्व भर के कई वैज्ञानिक भारत समेत दुनिया के पुराने ग्रंथ, दस्तावेज देख रहे है और उम्मीद लगाए बैठे है की जल्द ही वे ऐसे क्रिस्टल का निर्माण कर लेंगे जो सूरज की सोलर रेडिएशन को कोल्ड रेज (ठंडी किरणों) में तब्दील कर पाएंगे, अब वैज्ञानिक इस में कितना सफल हो पाएंगे यह तो पता नही पर आज की पीढ़ी अगली को यह कहानियां सुनाते दुख जाते है की वो छोटे थे तब पौधे लगा सकते थे और कईयों ने एक दो पौधे लगाए भी थे,
आज की पीढ़ी आश्चर्य कर रही है की धरती पर वास्तव में ही पौधे लगाए जाते थे और वो पेड़ बनते थे क्योंकि आज 2044 में तो पौधे भले लगा ले लेकिन वो पेड़ बन नहीं पाते है।

2044 में यह अफसोस न करे कि काश 2024 में पेड़ लगा पाते, आज जब पेड़ लगा सकते है तो जरूर लगाए क्योंकि कल को ऐसा न हो की यह जमीन पौधों को पेड़ न बनने दे। आपने कोई पेड़ लगाया हो इस साल तो The PPT को बताए।

गरीबों के लिए निशुल्क चाय की दुकान     (गुलाब जी चाय वाले जयपुर )जयपुर आने वाले लोग जब स्थानीय लोगो से पूछते है की भाई च...
26/05/2024

गरीबों के लिए निशुल्क चाय की दुकान
(गुलाब जी चाय वाले जयपुर )

जयपुर आने वाले लोग जब स्थानीय लोगो से पूछते है की भाई चाय के लिए कोई अच्छी या प्रसिद्ध जगह बताओ तो वो बिना एक सेकंड गवाएं आपसे कहेंगे

गुलाब जी चाय वाले

की दुकान पर चले जाओ MI रोड पर, और आप उनका कहना मान वहां चले जाते है, वहां जाकर देखते है की रोड पर पचासों स्टूल लगे हुए है और काफी युवा, बुजुर्ग सभी अपनी चाय की चुस्की ली रहे है।

दुकान एक छोटी से स्टॉल में है जहां पर टोकन लेकर आप चाय ले सकते है जो कांच की गिलास या कुल्हड़ में मिलती है। अब इनकी एक रेस्टोरेंट भी है जहां लगभग 30 लोगो के लिए सिटिंग अरेंजमेंट मिल जाएगा लेकिन लोग तो बाहर खुले में स्टूल पर बैठकर ही चाय का आनंद लेते दिखते है।

चाय के साथ आप समोसे या बन मस्का आनंद ले सकते।है, और भी कई चीजें है नाश्ते में लेकिन समोसा और बन मस्का ज्यादा प्रसिद्ध है।

30 रुपए में मिलने वाली यह चाय इतनी प्रसिद्ध क्यों है, क्यों लोग इतनी लाइन लगाकर पैदल चलकर या कई कई किलोमीटर दूर अपनी गाड़ी से यहां चाय पीने आते है?

तो जी जवाब है?

मानवता,

मानवता?? भला चाय में इसका क्या काम आप यही सोच रहे होंगे लेकिन हमारे देश में कहते है की आप अच्छा करते है तो वो अच्छाई आप तक लोट कर जरूर आती है, तो गुलाब जी लगातार अच्छा और भलाई का काम करते रहते थे और बदले में यह अच्छाई प्रसिद्धि के रूप उनके पास वापस आई।

गुलाब जी की कहानी

एक राजपूत परिवार में जन्मे गुलाब जी ने आजादी से एक साल पहले MI रोड पर एक चाय की दुकान लगाई, जो वास्तव में उस समय एक राजपूत परिवार के लड़के के लिए कोई आसान बात नहीं थी, तब इस समय चाय के काम को अच्छे से नही देखा जाता था।

लेकिन गुलाब जी का उद्देश्य सिर्फ चाय नही था, उनकी दुकान पर उस समय जो भी आता अगर उसके पास पैसे नहीं तो उसे चाय और नाश्ता निशुल्क मिलता था, कुछ संख्या से शुरू हुआ यह निशुल्क चाय पानी आंकड़ा अब सैकड़ों के पहुंचा जाता है, और तब से अब तक के आंकड़े देखे तो गुलाब जी चाय वाले के यह लाखो लोग निशुल्क चाय नाश्ता कर चुके है।

कहते है सुबह 6 बजे यहां जिन के पास पैसे नहीं है वो लाइन लगाकर चाय ले सकते है।

अभी वर्तमान में चाय 30 रुपए में मिलती है (कुल्हड़ में)
वैसे कांच के गिलास में 25 रुपए में मिलती है।

गुलाब जी 94 वर्ष की आयु तक इस दुकान पर आते रहे है, और उस समय तक भी चाय बनाने में एक्टिव रहते थे।
इस चाय की दुकान पर चाय की चुस्की लेने में पूर्व उपराष्ट्रपति श्री भैरों सिंह जी शेखावत, राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत सहित कई राजनेतिक और बड़ी हस्तियां रह चुकी है।
गुलाब जी आज से लगभग 3 वर्ष पूर्व अपनी 95 वर्ष की आयू में अपनी देह त्याग कर स्वर्गलोक को चले गए पर अब भी उनके नाम से लोग चाय की चुस्की लेने यहां आते है। गुलाब जी चाय के एक और आउटलेट है जहां मैं गया हूं, वो अगली पोस्ट में।

मैं अक्सर भविष्य की बातें करता हूं और लिखता हूं की कैसा होगा भविष्य ज्यादातर काल्पनिक बातें होती है लेकिन उनका आधार आज क...
24/05/2024

मैं अक्सर भविष्य की बातें करता हूं और लिखता हूं की कैसा होगा भविष्य ज्यादातर काल्पनिक बातें होती है लेकिन उनका आधार आज की जा रहे रिसर्च और डेवलपमेंट पर आधारित होते है। आज बात कर रहा हूं भविष्य में बनने वाले रोड की, रोड के प्रकार की नही बल्कि रोड बनाने के तरीके पर।

आज किसी जगह रोड बनना शुरू होता है तो जो पहले से मौजूद रोड होती है उसे खोद दिया जाता है, टू लेन के रोड के पास एक कच्चा पक्का रोड बना दिया जाता है फिर शुरू होता है रोड बनाने का काम जिसमें निर्धारित टाइम लाइन पर कभी रोड नही बन पाते है, कभी अप्रूवल तो कभी क्या कभी क्या विषय को लेकर रोड बनाने की गति धीमी होती रहती है, विशेषकर अगर यह रोड शहर के अंदर बन रही होती है तो जो ट्रैफिक जाम होता है वो न सिर्फ देश के फ्यूल को फालतू में जलाता है, बल्कि प्रदूषण में भी वृद्धि करता है लेकिन सरकार और कांट्रेक्टर के सिवाय यह लिखने की

आप के भविष्य को सुविधा के लिए वर्तमान की दुविधा के लिए खेद है।

लेकिन इस लाइन से उस आदमी को क्या राहत मिलेगी जिसे किसी भी हालत में सही समय पर ऑफिस पहुंचना है या अस्पताल पहुंचना है या किसी भी जगह निश्चित समय पर पहुंचना है।

इस समस्या के सॉल्यूशन एक यूरोपियन कंपनी ने सोचा है, astra नाम की यह कंपनी फ्लाईओवर ब्रिज का कॉन्सेप्ट लेकर आई है जिसमें रोड बनाते समय एक मोबाइल ब्रिज होता है जो टेंपरेरी आधार पर ट्रैफिक को अपने ऊपर से पास करता है और इसके नीचे इसी समय रोड बनने का काम होता है, अब इस स्थिति में रोड चाहे कितने भी दिनों में बने ट्रैफिक जाम की कोई समस्या नहीं आती है। आपको क्या लगता है की इस तरह के सॉल्यूशन भारत में भी आवश्यक है और क्या यह भविष्य में भारत में दिखेंगे। The PPT

किसी शहर को अच्छे से एक्सप्लोर करने का एक तरीका का है की वहां के जायके को एक्सप्लोर किया जाए।राजस्थान अपने दाल बाटी के ल...
22/05/2024

किसी शहर को अच्छे से एक्सप्लोर करने का एक तरीका का है की वहां के जायके को एक्सप्लोर किया जाए।

राजस्थान अपने दाल बाटी के लिए प्रसिद्ध है लेकिन अगर एक राजस्थानी इसी टेस्ट को एक्सप्लोर करने के लिए निकले तो निश्चित ही बता देगा की यह प्लेस या रेस्टोरेंट जो ऑथेंटिक राजस्थानी टेस्ट का दावा करता है वो वाकई उस टेस्ट के आस पास भी है या नही।

इस पोस्ट में लगे फोटो जयपुर के एक रेस्टोरेंट राजस्थानी थाली, बनी पार्क जयपुर की है जिसके थाल में सजा है राजस्थानी दाल बाटी और साथ में है चूरमा, खीर, बेसन गट्टे की सब्जी, मसाला बाटी, दाल, चावल, कढ़ी और एडिशन में है मिर्च के टिपोरे, लहसून चटनी और एक्स्ट्रा घी। मसाला बाटी, चूरमा, खीर, कढ़ी वाकई बेहतरीन टेस्ट में है तो सबसे ज्यादा निराश किया बाटी ने जो दाल बाटी का मेन पार्ट है लेकिन इतनी सख्त बाटियों को खाना वास्तव में मुश्किल है हालांकि स्टाफ का व्यवहार अच्छा था तो आपके मांगने पर थोड़ी नरम बाटियां मिल जाएगी लेकिन जिन्होंने राजस्थानी जीमन की दाल बाटी खाई हो उसे संतुष्ट नही किया जा सकता है, इस जगह का खाना अच्छा है लेकिन थोड़ा डिमांडिंग होना है अच्छी दाल बाटी खाने के लिए।

तालों के लिए प्रसिद्ध अलीगढ़ शहर दिखने में इतना सुंदर होगा यह कल्पना नही की थी पर जब आखों से देखोगे तो उसे सच ही मानोगे,...
02/05/2024

तालों के लिए प्रसिद्ध अलीगढ़ शहर दिखने में इतना सुंदर होगा यह कल्पना नही की थी पर जब आखों से देखोगे तो उसे सच ही मानोगे, जब पहली बार इस शहर में आना हुआ तो सोचिए शुरुआत खाने में किस चीज से हुआ होगा।

सामान्य रूप से किसी शहर में जाते है तो आप खुद या आपने मेजबान आपका स्वागत चाय से ही करते है पर अलीगढ़ में हमारे मित्रों ने स्वागत चाय से नही किया, तो अलीगढ़ में पहला फूड चाय नही मिठाई थी, मिठाई भी ऐसी जिसका स्वाद ही इतना खास है की शायद हम नाम बताने में चूक जाए पर स्वाद बताने में कभी न चूके, आम का फ्यूजन रबड़ी के स्वाद के साथ वो भी मलाई की थिक लेयर के साथ तब बनती है यह मिठाई जिसे मैंगो मलाई रोल कहते है, इसका स्वाद कभी नहीं भुला नही जा सकता है। आप जब यह मिठाई खाते है तो कभी आम का स्वाद जुबां पर चढ़ता है तो कभी रबड़ी की मिठास तो कभी स्पंजी जी सी मलाई जो इसे कई बार बंगाली मिठाई रसमलाई का आभास देती है पर तुरंत ही आम का हल्का खट्टा मीठा स्वाद आपको इस मिठाई के अलग और विशेष होने का अहसास करा देता है। अलीगढ़ दूध और दूध की मिठाइयों के लिए प्रसिद्ध है। शत मिठाई की यही मिठास लिए प्रख्यात संगीतकार रविंद्र जैन हम सबके के दिलों में सदा के लिए बसे हुए है।

सन्डे फ्यूचर पोस्ट : एयर टैक्सीजब भी साइंस फिक्शन मूवी देखते है विशेषकर फ्यूचर बेस्ड मूवीज तब हमें एक चीज बड़ी कॉमन दिखा...
28/04/2024

सन्डे फ्यूचर पोस्ट : एयर टैक्सी

जब भी साइंस फिक्शन मूवी देखते है विशेषकर फ्यूचर बेस्ड मूवीज तब हमें एक चीज बड़ी कॉमन दिखाई पड़ती है वो है उड़ने वाली कार या यूं कहें एयर टैक्सी जिसमें जमीन के साथ ही हवा में भी कई सारी कार चल रही है।

जिस रफ्तार से जमीन पर वाहन संख्या बढ़ रही है, गाड़ियों रोड़ पर चलने के बजाय रेंग रही है, दिल्ली मुंबई जैसे बड़े शहरों को छोड़ो टियर 2, टीयर 3 सिटीज में भी गाडियां जाम में फंसती दिख रही है, इसीलिए बजाए एलिट क्लास के लिए ने ट्रांसपोर्ट ढूंढ रहा है जिसमे इन लोगो को जाम में नही फंसना पड़े, शुरआत में टेक्नोलॉजी महंगी होती है एलिट क्लास की बाजार का मुख्य फोकस होता है जो पैसा खर्च करता है जिससे बाजार नई चीजों के डेवलपमेंट पर फोकस कर सकता है।

एयर टैक्सी का कॉन्सेप्ट मतलब दूरियों को मिनटों में मापने का विजन 19 वीं में ही देख लिया गया लेकिन एयरक्राफ्ट के डेवलपमेंट और सफलता के बाद भी एयर टैक्सी जिसमे तीन या चार लोगो के साथ ट्रैवल करना हो की कम दूरी हो कभी सफल नही रहा क्योंकि फ्यूल एक बड़ा फैक्टर है जिससे यह कांसेप्ट कभी अफोर्डेबल नही रहा, लंबी दूरी और ज्यादा पैसेंजर के साथ एयरप्लेन के कांसेप्ट में यह चलता रहा और डेवलप होता रहा लेकिन कम दूरी या सिटी ट्रैवल में यह कांसेप्ट कभी सफल नही हुआ, आप सोचिए फोर्ड कंपनी के संस्थापक या कहे कार निर्माण के पितामह हेनरी फोर्ड के समय देखा सिटी या एयर टैक्सी का सपना अभी भी सपना ही है, लेकिन अब पिछले कुछ सालो से इस पर काफी काम हुआ है और अगले 5 सालों में आप अपने बड़े महानगरों में एयर टैक्सी को उड़ते हुए देखेंगे।

वर्षों से सपना बना यह ट्रांसपोर्टेशन का वे अब क्यों आ रहा है इसके पीछे का कारण है बैटरी ऑपरेटेड वाहनों की सफलता, रोड पर सफलता के बाद बैटरी को अब और ट्रैवल और सिटी ट्रैवल वाली एयर टैक्सी में उपयोग किया जा रहा है जिसके सफल ट्रायल हो चुके है।
जॉबी एविएशन, एयरबस, हुंडई एवं बोइंग जैसी बड़ी कंपनिया इस एयर टैक्सी में इन्वेस्ट कर रही है।

हमने दुबई, यूरोप में आने कुछ सालों में एयर टैक्सी के लॉन्च होने की खबरें सुनी है लेकिन भारत में भी जल्दी ही एयर टैक्सी चलेंगी यह लेटेस्ट न्यूज हैं।

भारत में राजधानी दिल्ली के कनॉट प्लेस से लेकर गुड़गांव तक एयर टैक्सी चलाने का प्लान लेकर आई है लीडिंग एविएशन कंपनी इंडिगो एयरलाइंस की पैरेंट कंपनी इंटरग्लोब एंटरप्राइजेज जो की एक अमेरिकन कंपनी आर्चर एविएशन के साथ मिलकर काम कर रही है जो eVTOL इलेक्ट्रिक कार भारत में उपलब्ध करवाएगी, शुरआत में 2026 में ऐसी 200 टैक्सी मिलेंगी, जो कनॉट प्लेस से गुड़गांव मात्रा 7 मिनिट मे पहुंचाएगी, जिसके लिए लगभग 3000 रुपए चार्ज करेगी, आप को क्या लगता है 3000 रुपए में आप यह 7 मिनिट का सफर करेंगे।

वैसे eVTOL (इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक ऑफ लैंडिंग) और टैक्सी में हेलिकॉप्टर को तरह बिना रनवे के वर्टिकल टेकिंग एवं लैंडिंग का कॉन्सेप्ट है, एयर टैक्सी में ऐसे ही और बहुत सारे टेक्निकल वर्ड्स है लेकिन उसकी जानकारी फिर कभी...
टेक्निकल पोस्ट के लिए हमारे पेज The PPT को फॉलो करे।

~ प्रकाश पराशर अमरगढ़

आरसीबी लोगो के दिलों में बसने वाली टीम है तभी आरसीबी के फैंस इसके साथ सालों से जुड़े हुए है। आज आरसीबी का 250वां मैच था,...
25/04/2024

आरसीबी लोगो के दिलों में बसने वाली टीम है तभी आरसीबी के फैंस इसके साथ सालों से जुड़े हुए है।
आज आरसीबी का 250वां मैच था, आरसीबी फैंस इस पूरे सीजन आरसीबी की दूसरी जीत की कामना कर रहे थे और आज आरसीबी ने निराश नहीं किया और इसके फैंस को जीत कर प्ले ऑफ में बने रहने की उम्मीद दे दी।

आरसीबी 2008 से आईपीएल में पार्टिसिपेट कर रही है कभी इस टीम के ओनर रहे विजय माल्या कभी सुर्खियों में रहते थे आज बैंक करप्ट है लेकिन आरसीबी टीम की ब्रांड वैल्यू कभी कम नहीं हुई, यूनाइटेड स्प्रिटिस इस टीम की ओनर है जिस आप मालिकाना हक इंटरनेशन कंपनी डिआजियो के पास है।

टीम में स्टार खिलाड़ी के चलते यह टीम हमेशा से फेवरेट रहती है पर जब सीजन शुरू होता है तो यह फेवरेट टीम ज्यादातर बॉटम पर फिनिश करती है, अब तक के 17 सीजन में से यह टीम 8 सीजन प्लेऑफ में भी नही पहुंच पाई है, जिन सीजन जैसे 2009, 2011 और 2016 में जब यह टीम फाइनल में पहुंची तब भी प्ले ऑफ में बहुत दमदार खेल कर नही पहुंची है, 2009 में 16 मैचेज में से 9 मैच जीती तो 7 हारी थी यानी की बस दो मैच ज्यादा जीती, वहीं 2015 में भी 8 मैच जीती तो 6 मैच हारी मतलब फिर से अंतर दो मैचेज का ही था, 2011 ही ऐसा सीजन था जब यह टीम लगभग पूरे दम खम से प्ले ऑफ में पहुंची जब इन्होंने 10 मुकाबले जीते और केवल 5 हारे।

इन आंकड़ों के बावजूद इस टीम की फैन फॉलोइंग बनी रही क्योंकि इस टीम में स्टार खिलाड़ी रहे है, जैसे एक समय क्रिस गेल, डिविलियर्स और कोहली की तिकड़ी थी जो 150 के ऊपर के स्कोर को 10 ओवर में चेज करने की ताकत रखती थी, वास्तव में आरसीबी ने 10 ओवर में बिना विकेट खोए या बहुत कम विकेट खोए जीत हासिल की, यह दौर था जब आरसीबी ने आईपीएल का सबसे बड़े स्कोर 263 का रिकॉर्ड अपने नाम किया और यह रिकॉर्ड कई साल इनके साथ रहा जो इस साल जाकर एसआरएच में ब्रेक किया है, टीम स्कोर के साथ ही इस टीम ने इंडिविजुअल हाई स्कोर भी अपने नाम किया था की क्रिस गेल के नाम था जब उन्होंने 175 रन बनाए थे।

यह टीम अच्छी है लेकिन सिर्फ अपने बैटिंग की वजह से और इसे कई टीम एक्सपर्ट इस टीम की कमजोरी भी मानते है क्योंकि T20 केवल बल्लेबाज के दम पर नही जीते जाते, लेकिन यह टीम वो टीम है जिसमें 59 रन भी डिपेंड किए है इस लिहाज से यह टीम मोस्ट अनप्रेडिकेटेबल टीम है मतलब कभी भी जीत सकती है और कभी भी हार सकती है।

स्टार बल्लेबाज पर स्टार गेंदबाजों की कमी ही आरसीबी के फेल्योर का कारण नही है, कई जानकर मानते है की आरसीबी सिर्फ बड़े नाम पर ही दाव लगाती है और उन स्टार खिलाड़ियों के फेल होने पर कोई सपोर्टिंग मेंबर्स नही है, और यह बात काफी हद तक सही भी है जैसे सीएसके, एमआई और केकेआर, आरआर जैसी टीम्स में स्टार बल्लेबाज के साथ ही लोकल खिलाड़ियों का एक अच्छा एक्सपोजर है जो मैच जीतकर देते है।
इन खिलाड़ियों में ऋतुराज गायकवाड, सूर्यप्रताप यादव, रिंकू सिंह, यशस्वी जायसवाल जैसे कई खिलाड़ी है जिन्होंने अनजान चेहरा होते हुए पहले अपनी फ्रेंचाइज टीम को मैच जिताए तो बाद में इंडियन क्रिकेट टीम में भी छा गए लेकिन ऐसे नाम आप आरसीबी में ढूंढेंगे तो शायद ही कोई मिलेगा।

अब सीजन की दूसरी जीत में जो पॉजिटिव निकल कर आए है जिसमे रजत पाटीदार ने जबर खेल दिखाया है वहीं स्वप्निल सिंह ने अपने गेंदबाजी में शुरआती सफलताएं दिलाकर एसआरएच जेसी स्ट्रॉन्ग टीम को हराया है, इसी तरह अगर लोकल प्लेयर पर भरोसा जताया जाए तो शायद इस टीम का कायाकल्प हो सकता है, इस सीजन नही तो अगले सीजन, वैसे जैसा बाकी टीम ने यंग इंडियन प्लेयर्स जैसे ऋषभ पैंट, ऋतुराज गायकवाड, श्रेयश अय्यर, संजू सैमसन पर भरोसा दिखाकर कप्तान बनाया है वैसे ही आरसीबी को भी अपना भविष्य का कप्तान यंग इंडियन प्लेयर् को बनाना चाहिए, आपके हिसाब से आरसीबी का कप्तान किस यंग इंडियन प्लेयर को बनाया जाना चाहिए अगले सीजन से।



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जयपुर एक दिन सीरीज के आखिरी पार्ट  लिखने जा रहा हूं,पिछले तीन दिनों में हमने ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर के अलग अलग जगह देखी...
13/04/2024

जयपुर एक दिन सीरीज के आखिरी पार्ट लिखने जा रहा हूं,

पिछले तीन दिनों में हमने ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर के अलग अलग जगह देखी लेकिन कोई एक ऐसी चीज जो खाने में जयपुर की सिग्नेचर आइटम हो वो कवर नहीं हुई थी और आज इस सीरीज की आखरी पोस्ट में हम जयपुर में एक ऑथेंटिक या यूं कहे सिग्नेचर फूड के बारे में बात करते है जिसे पिछले सप्ताह मैंने डिनर में ट्राई किया था।

यह है डिनर जयपुर की एक शाम में और जगह है

महावीर रबड़ी भंडार, जयपुर

परकोटे में अंदर स्थित यह जगह अपनी रबड़ी ही नही बेजड रोटी, आलू प्याज, पनीर की सब्जी, लहसून की चटनी और मिर्च के टिपोरे वाली एक थाली के लिए भी प्रसिद्ध है पर क्या आप जानते है महावीर रबड़ी बहनदार के पीछे की कहानी क्या है?

तो चलिए आज महावीर भंडार वाले दीपक छाबड़ा जी की तीन पीढ़ी पीछे जहां प्रेमानंद जी जैन राजपरिवार के लिए बड़े अवसर के लिए खाना बनाते थे और विशेषकर मिठाई जिसमे मावा (खोया) और दूध से बनी मिठाइयों की भरमार होती थी, दूध और मावे की मिठाई के साथ एक दिन इनकी रबड़ी बनाने की खोज हुई चुकीं प्रेमानंद जी खुद पहलवान थे और उन्होंने जब अपने पहलवान मित्रों को खिलाई और उन्हें यह बहुत पसंद आई, और ऐसे ऐसी टेस्टी और सेहतमंद मिठाई की मांग होने लगी यह इसे मिश्री से और दूध से बनाते थे, अब मांग हुई तो इन्होंने 1857 में अपनी दुकान डाली

महावीर रबड़ी भंडार

अब यह नाम इनके पूर्वज में किसी था या इन्होंने आराध्य देव भगवान महावीर स्वामी के नाम पर इस शॉप का नाम रखा इतना मुझे नहीं पता पर हां इन्होंने 1857 में इसी नाम से दुकान शुरू की।
अब कई सालों यह प्रेमानंद जी यह दुकान चलाते रहे और आगे इनके बेटे कपूरचंद जी जैन ने यह व्यवसाय जारी रखा अपने दो भाइयों के साथ, कपूरचन्द जी पहलवान थे बल्कि वो अपने पिताजी प्रेमानंद जी जैन से भी एक कदम आगे निकले और 50 से ऊपर अखाड़ों के उस्ताद बने। उनकी अगली पीढ़ी शायद पहलवानी में इतनी इंटरेस्टेड नही थी तो जब अगली पीढ़ी ने जब काम संभाला तो एक बड़े अखाड़े को ही इस शॉप में कन्वर्ट कर दिया। अब अब से एक पीढ़ी पहले मतलब आज से 30 साल पहले नई पीढ़ी ने रबड़ी के साथ खाने में बेजड रोटी, आलू प्याज, पनीर की सब्जी, लहसून की चटनी और मिर्च के टिपोरे वाली एक थाली भी जोड़ दी।
भाइयों भले ही यह जैन रेस्टोरेंट है लेकिन आपको यहाँ खाने के लिए लहसुन की चटनी मिलेगी वो भी मशालेदार वो भी इतनी टेस्टी की आप चटनी को खत्म की बिना नही उठेंगे और चटनी चाहिए हो तो पैसे लगेंगे,
घर ले जानी हो चटनी तो पैसे लगेंगे वो भी किलो के भाव से, मेरा सुझाव है की जयपुर आए तो इस फूड को जरूर ट्राई करे एक जने के लिए थाली की रेट 180 रुपए है बाकी छाछ लेंगे तो अलग से पैसे देंगे होंगे मेरा मतलब रुपए, पैसे में वैसे भी आजकल क्या ही आता है 🙄

अच्छा लस्सी और खाने की दुकानें आमने सामने ही है, लस्सी लगभग 500 रुपए किलो की है वैसे ही सब्जियां और चटनी भी किलो के भाव में उपलब्ध है। वैसे इनकी आलू प्याज, पनीर की सब्जी बनाने की विधि भी बहुत पॉपुलर है यूट्यूब पर जरूर देखे।
#जयपुरशहर

अच्छा जब जाओ तो मुझे भी याद करना।

इस सीरीज

एक दिन जयपुर में

का समापन करता हूं 😍

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